आज आकांक्षा की खुशी का ठिकाना नहीं था हो भी क्यों वह अपना आखिरी पेपर जो देख कर आई थी अब उसकी छुट्टी शुरू हो चुकी थी जब पेपर चल रहे थे तब वह सोचती थी कि पेपर खत्म हो जाए फिर बाद में जितना चाहूं टीवी देखूंगी ना चाहूं फोन देखूंगी जो मन में आएगा वो करूंगी आज वह अपना आखिरी पेपर देकर आई थी उसकी छुट्टियां भी आ गई थी उसने घर आकर खूब इंजॉय किया और सोने चली गई वह सोच रही थी कि आज जी भर के सोऊंगी एग्जाम की चिंता में ढंग से सो भी नहीं पाई पर आज उससे पूरी रात नींद नहीं आई उसने सोने की बहुत कोशिश की पर वह सो ना सकी आकांक्षा बहुत परेशान हो गई पर चिढ़कर बोली जब पढ़ाई करनी थी तब नींद आती थी अब जब मैं आराम से सोचती हूं तब नींद नहीं आ रही फिर जैसे तैसे रात कट गई