सूर्यास्त मेघ, वरुण लहर, सुषुप्त शेखर हर एक ने, एक के बाद एक हमले किए। वह इतने डरे हुए थे कि एक बार तो उन सभी के हाथ पसीने से भीग गए। हर बार जब माउस पकड़ रहे थे तो डर रहे थे कहीं माउस उनके हाथ से फिसल न जाए। पर उनके पास समय नहीं था कि वह पसीना पोंछ सके। वे आंखें फैलाए, एक भी गलती को बर्दाश्त नहीं कर सकते थे।
एक बार फिर हालात काबू में आ गए। वह चार खिलाड़ी जो एक पल के लिए भी अपने ध्यान को, अतीत को देखकर नहीं, भटका रहे थे। उनके लगातार हमलों से मकड़ी के बादशाह की हालत खराब होने लगी। एक तिहाई से, एक चौथाई से, 1 बटा 5 ही हालत रह गई थी।
"अब लगभग लाल खून वाली स्थिति थी। सभी को चौकन्ना रहना था" ये क्सिउ ने बताया
"हमें क्या करना होगा जब लाल खून वाली स्थिति आ जाएगी?" भूमि सप्तम ने पूछा। जब एक छिपा हुआ सरगना लाल खून की स्थिति पर पहुंचता था तो वहाँ जरूर कुछ खास प्रभाव होने वाला होता था। जिस गुफा पार करने में मदद करने वाली किताब को उसने देखा था उसमें लिखा था कि जब सरगना लाल खून की अवस्था में पहुंचता था तो वह सबसे तगड़े हथियार को पा लेता था। इस अवस्था में सरगना को लकवे की स्थिति में नहीं पहुंचाया जा सकता।
"जल्दी से मारो" ये क्सिउ ने कहा।
यह सब सुन के चारों खिलाड़ी अब बिल्कुल भी परेशान नहीं हुए बल्कि वह उत्साहित होकर आगे बढ़े। वह काफी समय से यही प्रक्रिया बार-बार दोहरा रहे थे। वह कुछ गलत करने के बजाय मर जाना पसंद करते।
"यह लाल हो गया" भूमि सप्तम चिल्लाया।
"सूर्यास्त मेघ छोटी मकड़ी पर चढ़ गया" ये क्सिउ ने चिल्लाया।
"क्या?" सूर्यास्त मेघ को समझ नहीं आया था कि वह क्या कह रहा था पर उसने अपने अंतर्मन से सुनते हुए छोटी मकड़ी पर उछल गया। ऐसा लगा जैसे वो यही करने के लिए तैयार था।
छोटी मकड़ी सूर्यास्त मेघ को हल्का सा काटी और थोड़ी देर बाद ही वह कुछ भी करने की हालत में नहीं रहा। मकड़ी का बादशाह अचानक ही अपनी शरीर को पलटने लग गया और उसे काटने के लिए उसकी तरफ दौड़ पड़ा। सूर्यास्त मेघ चिल्लाते हुए दौड़ा।
पर अंत में...
पर अंत में कुछ नहीं हुआ।
जब छोटी मकड़ी ने काटा तो वह लकवे की स्थिति में पहुंच गया और हिल नहीं पाया। पर इसी समय वह हार से बच चुका था क्योंकि अब मकड़ी का बादशाह भी उसे नुकसान नहीं पहुंचा सकता था। ये क्सिऊ ने अपने ज्ञान का इस्तेमाल किया और सभी को समय दिया कि वह मकड़ी के बादशाह पर 3 सेकंड तक हमला कर सके। हालांकि मकड़ी के बादशाह ने हिंसक रुख अपनाया और वह पागलों की तरह अंडे देने लग गया। ये क्सिउ ने इस बात पर ध्यान दिया और सभी छोटी मकड़ियों को फिर से साफ करने लग गया। केवल इस समय उसने ध्यान से देखा तो पाया कि छोटी मकड़ी ने सूर्यास्त मेघ को नहीं छुआ था। ऐसा कहा जा सकता था कि सूर्यास्त मेघ ने वापस अपने देखने की क्षमता को पा लिया था और ध्यान से छोटी मकड़ियों को खुद को काटते हुए देख रहा था। ऐसे तो वो लोग जानकार नहीं थे, पर वो अनुभवी थे और समझ रहे थे कि ये क्सिउ क्या करना चाह रहा था।
क्योंकि चार खिलाड़ी लगातार बादशाह मकड़ी पर हमला कर रहे थे इसलिए उन्होंने काफी युद्ध सामग्री इकट्ठा कर ली थी। सूर्यास्त मेघ ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया था उन चारों में इसलिए उसके पास ज्यादा हथियार थे। ये क्सिउ ने अपने ज्ञान का इस्तेमाल किया और मकड़ी के बादशाह को अपनी योजना पर काम करने के लिए छोड़ दिया। शुरू में जो छोटी मकड़ियां, जिन्होंने एक बार बीच में बाधा डालने की कोशिश की थी, वही अब उनका सबसे भरोसेमंद छतरी की तरह हथियार बन गया था।
पहले, यह रणनीति काम नहीं कर पाती क्योंकि अभी सूर्यास्त मेघ को काफी हथियार बटोरने थे। इसके अलावा यह वही समय था जब मकड़ी का बादशाह अंडे देने की अधिकतम सीमा तक पहुंच चुका था। सूर्यास्त मेघ ने कतार बना लिया था जिससे वह मकड़ियों से कटता रहे और अजेय रहे।
हालांकि छोटी मकड़ियों ने कुछ नुकसान पहुंचाया था पर वह बहुत ज्यादा नहीं था। जब भी कोई मौका हुआ विकट देव ने बड़े आराम से उन सबको आरोग्यम प्रदान किया।
मकड़ी के बादशाह ने जाले और जहर फेंके। उसके शरीर का हर एक अंग जो इस्तेमाल किया जा सकता था, इस्तेमाल किया गया। पर उसे कोई फायदा नहीं हुआ। उनके लगातार हमला करने से अंततः किसी ने सूर्यास्त मेघ के पास सारे हथियार पहुंचा दिए।
मकड़ी का बादशाह लगातार अपने हमले का लक्ष्य बदल रहा था, पर जिसको सबसे पहले उसने लक्ष्य बनाया हुआ था, वह था सुषुप्त शेखर जो सूर्यास्त मेघ की चाल को जान चुका था। विकट देव, जो सभी छोटी मकड़ियों को साफ कर रहा था तो उसने भी इस कदम को पहले ही जान लिया था। उसने एक मकड़ी कुछ पहले ही तैयार करके रखा था, सुषुप्त शेखर की ओर उछालने को।
इस खेल का सबसे खतरनाक लाल खून का हिस्सा था जिसने पूरी लड़ाई को खेल बना दिया था। सभी लोग खुश थे, हँस रहे थे और मकड़ी बादशाह को धमका रहे थे। आखिरकार सबने गुफा के सबसे मजबूत, राक्षस जैसी मकड़ी को आराम से हरा दिया।
सबसे पहले घोषणा हुई।
विकट देव, भूमि सप्तम, सूर्यास्त मेघ, वरुण लहर, सुषुप्त शेखर पहले हैं जिन्होंने मकड़ी के बादशाह को मार गिराया।
"बेहतरीन" भूमि सप्तम और बाकियों ने उत्साह में चिल्लाया। अगर वह कर पाते, तो वो विकट देव को आकाश में उठा लेते और उछाल देते। अगर वह उनके साथ ना होता तो इस चुनौती को कभी पार ना कर पाते। लगातार चैन से बंधे होने कारण मकड़ी के बादशाह ने उन्हें काफी दबाव दिया पर छोटी मकड़ियों को साफ करना ज्यादा कठिन था। सबसे डरावना था कि वह जब बीच में भाग गया। अंत में उसने ध्यान से सभी छोटी मकड़ियों पर हमला करके अपनी योजना को पूर्ण किया।
उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं था।
भूमि सप्तम और अन्य के पास शब्द नहीं थे बयान करने के लिए। उन्होंने ग्लोरी खेला था, पर अब तक सिर्फ देख रहे थे। देखने की छोड़ो, उन्हें पता भी नहीं था कि इतना महान खिलाड़ी भी था इस खेल में।
"जानकार साथी चार मखमल के मजबूत धागे गिरे हैं" भूमि सप्तम दौड़ के गया और देखा कि बादशाह मकड़ी ने क्या गिराया है और आकर उसे ये क्सिउ को बताया। उसने खुशी-खुशी सब कुछ ये क्सिउ को दे दिया।
बाकियों ने भी बिना किसी आपत्ति के स्वीकार किया कि वे कुछ भी नहीं छुएंगे।
"धन्यवाद" ये क्सिउ ने कहा और मखमल के चार मजबूत धागे बटोर लिए।
"बाकी सब तुम्हारा है" ये क्सिउ ने अपने शब्द की लाज रखी।
"तुम रख लो, तुम रख लो" जब सब समान दिखाई दिए तो सभी ने विनम्रता पूर्वक मना कर दिया। वो जानते थे ये क्सिउ ने यह निश्चित किया कि कोई भी दुर्घटना घटने न पाए।
मजबूत मखमली धागे के अलावा मकड़ी के बादशाह ने दो और मकड़ी के जहर गिराए थे, 15 वे दर्जे के भूरे जूते, एक हथियार जो उनकी ताकत में 3 अंक और बढ़ा देते। इसके अलावा एक बैंगनी रंग का हथियार भी सामने दिखाई दिया
दर्जा 15 महोगनी ताची
भार 2.6 किलो, हमले की रफ्तार 8
शारीरिक हमला 165, जादुई हमला 178
ताकत +10, बुद्धिमत्ता +14
ताची एक तलवार वर्ग का हथियार था जिन्हें तलवार बाजों के वर्ग द्वारा इस्तेमाल किया जाता था पर इसकी मायावी क्षमता काफी ज्यादा थी। असल में ग्लोरी में हथियार या तो शारीरिक हमला करते थे या तो मायावी हमला करते थे। बहुरंगी छाता दोनों में ही आता था। एक खिलाड़ी को पता होता है कि वह खुद का बनाया हथियार है या नहीं, उसके आंकड़ों को देखकर।
महोगनी ताची बहुरंगी छाता के बराबर ही था। 15 वे दर्जे का बैंगनी हथियार बराबर था पांचवें दर्जे के चांदी के हथियार के। पर यह महोगनी ताची अतिरिक्त क्षमता रखता था। इसके आक्रमण की रफ्तार 3 दर्जे ज्यादा तेज थी बहुरंगी छाते से और सिर्फ इसके गुणों में अधिकता के कारण यह बहुरंगी छात्रा से आगे निकल जाता था। ये क्सिउ ने ताची को देखा और अपनी किस्मत पर ठंडी आहें भरी। नीले इक्विपमेंट और छिपे हुए सरगना ने भी कुछ सामान गिराए थे पर पिछली कौशल किताब और अभी का बैंगनी हथियार सभी किस्मत था।
हालांकि वह निचले दर्जे के थे और तुरंत ही पुराने हो जाने वाले थे पर इस बैंगनी रंग के हथियार के साथ, पहले दर्जे में एक खिलाड़ी भी बहुतों से ज्यादा ताक़तवर होता था। इतना ही नहीं यह बैंगनी हथियार 25 वे दर्जे तक इस्तेमाल किया जा सकता था। इस तलवार के कारण अगर कोई बिना विशेषता वाला पात्र भी जो खेलने की तैयारी करके ना आया हो अगर वह तलवारबाजी वाले से अदला-बदली कर ले तो यह अदला-बदली सार्थक हो जाती।
चारों खिलाड़ियों ने ठंडी सांस ली, खासकर सुषुप्त शेखर और सूर्यास्त मेघ ने। यह दोनों ही काफी समय से तलवारबाजी वाले वर्ग में जाना चाह रहे थे। यह हथियार उन्हें शोभा देता था।
"हा हा हा, यह तलवार बेकार है। तुम लोग इसे रख लो" ये क्सिउ ने कुछ देर देखने के बाद यह घोषणा की। उसने यह भी कहा कि मकड़ी का जहर और भूरे जूते भी छोड़ दिए और अपने शब्द पर बना रहा।
"जानकार भाई तुम्हें सब रख लेना चाहिए" भूमि सप्तम ने ईमानदारी से कहा "अगर तुम हमें लेकर न आए होते तो हम यह सब चीजें कभी देख भी न पाते"
"हा हा हा अगर वो तुम्हारे द्वारा बनाया हुआ घेरा न होता तो मुझे भी मकड़ी बादशाह को मारने में दिक्कत हुई होती" ये क्सिउ ने कहा।
सभी लोग उसे घूरने लग गए।
क्या उन्होंने सही सुना था? उसने ये नहीं कहा कि वह नहीं कर पाता, उसने बस इतना कहा कि उसे भी दिक्कत होती।