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ऐ नाजनीन सुनो ना - भाग 1

हेल्लो दी.... हेल्लो ... आपको मेरी आवाज़ आ रही हैं...

नंदू ... तेज बोलो ... बारिश के शोर में कुछ सुनाई नही दे रहा .... वो सुनसान सड़क पे तेज कदमों से चलती हुई बोली ....

कहाँ है आप .... मैं रास्ते में ही हूँ... आप इतनी बारिश में कोचिंग से क्यू निकली ...

दादी अम्मा मत बन अब .... मैं स्वर्ण थिएटर के पीछे वाली रोड पर हूँ.... जल्दी आ .....

हे ईश्वर !!! ये बारिश भी अभी होनी थी .... ऊपर से कोई ऑटो या कैब जाने को रेडी नही ... अब तो चला भी नही जा रहा ... वो बड़बड़ाते हुए आगे बढ़ने लगी ....कड़कड़ाती हुई बिजली की आवाज़ सुनते ही उसकी चाल और तेज हो गई .....

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दूसरी तरफ़ .....

यार ये फ़ोन क्यूँ नही उठा रहा .... डैमिट...

राजवीर ... वो अभी तक आया के नही .... यहाँ लोगों ने जीना मुहाल कर दिया ....

सब SDM SDM चिल्लाए जा रहे है .... अगर वो इस कॉन्सर्ट में नही पहुँचा तो लाखों का नुक़सान हो जाएगा...

राजवीर ग़ुस्से में .... कब से फ़ोन कर रहा हूँ... पर मजाल है वो फ़ोन उठा ले .... ऊपर से इतनी बारिश ... शब्द !!! ये बारिश आज कुछ अलग नही लग रही ... लगता है कोई क़यामत आने वाली है ...

शब्द- इस बारिश का तो पता नही ... पर SDM टाइम से नही पहुँचा तो मुझ पर क़यामत ज़रूर आ जाएगी ....

राजवीर - भूलो मत !!! ये पूरा कॉन्सर्ट SDM का ऑर्गनायज़ किया हुआ है ... तुमसे ज़्यादा उसे नुक़सान की चिंता होगी .....

बाहर ऑडिटॉरीयम से SDM SDM चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी जो अब और भी तेज होने लगी थी ...

ये सुन राजवीर एक बार फिर SDM को कॉल लगाने लगा ...

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एक लड़का ग़ुस्से से कार से बाहर निकला... कार पे हाथ मारते हुए .... डैमिट !! इसे भी अभी ख़राब होना था .... फिर मोबाइल को ज़मीन पे मारते हुए , इसकी बैटरी भी गई....

उसने आँखे बंद की ... और चेहरा ऊपर किया ... बारिश की बूँदे उसके चेहरे को भिगोने लगी .... उसके कानो में SDM SDM चिल्लाने की आवाज़ गूंजने लगी ....."साज दिनेश मेहता " इतनी जल्दी हार मान्ने वालों में से नही है

उसने आँखे खोली और तिरछी नज़र से अपने चारों ओर देखा ... फिर बाल झटकते हुए , सड़क पे दौड़ने लगा ....

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उधर से वो लड़की और इधर से ये लड़का तेज कदमों से दौड़ने लगे ... बारिश भी आज पूरे उफान पे थी ... गुप्प अंधेरा और ऊपर से कड़कती हुई बिजली ..... बिजली की रोशनी में ही शायद ही कुछ नज़र आ रहा था ...

एक बार फिर बिजली कड़की ... वो लड़की गिरने ही वाली थी की दो मज़बूत हाथों ने उसे सम्भाल लिया .. वो हाफँने लगी ...गिरती हुई बारिश में दोनो ही पूरे भीग चुके थे....उसकी उलझी लटें, उस लड़के के जैकेट में फँस गई...भागने की वजह से उसकी साँस फूल गई... वो उसके सीने से लग लंबी साँस लेने लगी ... जिसे उस लड़के ने भी महसूस किया .... लड़की को होश आते ही वो घबरा कर आगे बढ़ने लगी ... आह !!!!

हिलो मत !! तुम्हारे बाल मेरे जैकेट में फँस गये है ...

बाल नही झुमका... ये बोल वो उसके जैकेट से अपना झुमका निकालने लगी...

जल्दी करो !!!

अँधेरा इतना की दोनो को एकदूसरे की शक्ल तक नज़र नही आ रही थी ... नाम की स्ट्रीट लाइट जो कभी जल रही थी और कभी बुझ रही थी

उस लड़की ने कुछ देर बार अपना झुमका ही कान से निकाल दिया ... वो आगे बढ़ती ... उससे पहले फिर बिजली कड़की .... उसने घबरा कर अपने चेहरे पे हाथ रख लिया ....

जैसे ही स्ट्रीट लाइट जली .... उसने अपना हाथ हल्का सा नीचे सरकाया ..... उस लड़के की नज़र उस लड़की की आँखो से मिली ....

" गहरी नीली आँखे ... जिनमे एक खामोशी सी थी .... लम्बी घनी पलके.. जो उसकी नीली आँखो को बार बार ढक रही थी .... काजल की लम्बी रेखा जो उसकी आँखो को ओर कजरारी बना रही थी "

उन आँखों को देख , वो लड़का अंदर तक हिल गया.... उसके मुँह से एक ही शब्द निकला - " नाज़नीन" जिसे बारिश के शोर में वो लड़की ना सुन सकी

वो अपना हाथ पूरा हटाती , उससे पहले ही स्ट्रीट लाइट फिर बुझ गई.....

तभी एक आवाज़ गूंजी — दी !!! कहाँ है आप ... दी....वो लड़का उसकी ओर हाथ बढ़ाता उससे पहले वो लड़की उस आवाज़ की ओर पलटी ... और वहा से भाग गई....

वो लड़का पीछे से उसकी ओर भागते हुए ....

" ऐ नाज़नीन सुनो ना !!!! "

लड़की जल्दी से कार में बैठ चली गई .... वो भी कॉन्सर्ट में जाने के लिए वापस मुड़ गया....