मैं ख़ामोश हूँ ये मेरी परवरिश ,अदब का तकाजा है ,
वरना आग समेटे बैठा हूँ , शायद तुम्हे अंदाजा है |
मर्जी तुम्हारी जब दिल किया आये और फिर चले गए ,
मेरी जान दिल है मेरा , न की तेरे घर का दरवाज़ा है |
वो क़समे ,वो वादे , वो रिश्तो केे बंधन सब याद हैं मुझे
मेरा वो इश्क़ अब भी है तुझसे , और बेतहासा है |