नान जी को केवल तब अहसास हुआ कि उसका चेहरे आदमी के किस हिस्से में दबा था जब किसी ने उसे उसके लंबे बालों को खींचकर उठाया। उसके गाल इस अजीब स्थिति में शर्म से लाल हो गए थे।
"मुझे खेद है, अगर आपके कमरे के लोग मुझे धक्का नहीं देते, तो ऐसा नहीं होता।"
नान जी की स्पष्ट और सुंदर आंखे उस व्यक्ति की सुलगती आंखों से मिलीं। वो कुछ और कहना चाहती थी, लेकिन उसने पाया कि उसकी आवाज लड़खड़ा गई और वो रूक गई।
ठंडी और तीक्ष्ण विशेषताएं, पतले होंठ जो कसकर एक साथ दबाए गए थे और वो कठोर, अथाह टकटकी।
क्या ये आज सुबह का वही कार वाला आदमी नहीं था?
ऐसा संयोग कैसे हो सकता है?
मुझे लगा कि हम फिर कभी नहीं मिलेंगे।
उस समय, नान जी की चौंका देने वाली अभिव्यक्ति खुद के लिए थी, भाग्य के चमत्कार पर उसकी आश्चर्यचकित प्रतिक्रिया। हालांकि, दूसरों ने इसे अलग नजरिये से देखा।
एक तुनक मिजाज आकर्षक आवाज उसके कानों में पड़ी, "क्या बात है, चौथे भाई, ये लड़की अभी आई थी और अभी से ही आपके पैरो में गिर गई है!"
"युवा मास्टर म्यू का आकर्षण बड़ा है, हाहाहा। सुंदर महिलाएं एक के बाद एक खुद को आप पर फेंक रही हैं, और वे कई तरह की चालाक चालें भी इस्तेमाल करने लगी हैं।"
हालांकि, संबंधित व्यक्ति ने कोई टिप्पणी नहीं की। उसने एक भूरे रंग के बक्से से एक महंगा सिगार निकाला और अपने दूसरे हाथ से, उसके दोस्त द्वारा दिया गया चमकीला लाइटर लिया और सिगार जलाया।
जैसे ही सिगार जला उसकी नीली लपटों की रोशनी में उसका परिपूर्ण चेहरा स्पष्ट रूप से नान जी को दिखाई दिया।
उसका दिल खिल उठा।
वो बहुत सुंदर था।
उसके चेहरे का समुच्चय, उसकी विशेषताएं, उसके चेहरे के हर हिस्से का चित्रण प्रतिभाशाली और सुंदर था और उसमें मर्दानगी की साफ झलक थी।
उन गहरी-गहरी आंखों में, एक उदासी का भाव, जैसे नरक की गहराइयों में फंसे शूरा की आंखों में थे और उनमें किसी प्रकार की गरमाहट का कोई संकेत नहीं था। उन आंखों को देख नान जी सहम गई। उसने अपनी बांहों को अपने चारों ओर अनजाने में लपेट लिया।
"क्या ये स्वादिष्ट था?" उस आदमी ने सिगार से एक कश लिया और उसके चेहरे की ओर धुआं उड़ा दिया।
कमरे में किसी ने धूर्तता भरी हंसी दी। नान जी ने आवाज को पहचान लिया, ये वो व्यक्ति था, जिसने उसे धक्का दिया था।
हालांकि, उसका एक बच्चा था, लेकिन सेक्स में उसका अनुभव कुछ भी नहीं था। उसका एकमात्र अनुभव उसी समय का था जब उसे ड्रग दिया गया था, और उसे अगले दिन महसूस हुए दर्द के अलावा कुछ भी याद नहीं था।
इसलिए जब सोफे पर बैठे व्यक्ति ने उससे ये शब्द पूछे "क्या ये स्वादिष्ट था", तो उसके भोलेपन के कारण बात का मतलब वो समझ नहीं पाई थी।
उसने सोचा कि वो सिगार के धुएं की गंध का जिक्र कर रहा है, ये थोड़ा मजबूत और तीखा था, लेकिन इसमें बदबू नहीं थी।
जैसे ही वो जमीन से उठी, उसने रूखा जवाब दिया, "ये ठीक है।"
जैसे ही शब्द बाहर आए, कमरे में एक अजीब सी खामोशी छा गई।
यहां तक कि जो आदमी धीरे-धीरे सोफे पर सिगार पी रहा था, वो दंग रह गया। उसने उस महिला को देखा जो खड़े होने के लिए संघर्ष कर रही थी, उसकी भौंह उठ गई। उसके सेक्सी, अच्छी तरह से परिभाषित होंठ थोड़े घुमावदार हुए और वो हंसा।" तुमने कहा कि ये स्वादिष्ट था, जबकि तुमने कुछ भी नहीं खाया है। तुम्हारा उस सुंदर चेहरे के पीछे कुछ मकसद है।"
नान जी के पास कोई शब्द नहीं थे।
दोनों अलग-अलग आवृत्तियों पर लग रहे थे।
वो समझ नहीं पा रही थी कि वो आखिर क्या कह रहा है।
वो उन पुरुषों और महिलाओं के समूह को देख रही थी जो उस पर हंस रहे थे। एक बच्चा होने के बाद से नान जी बदल गई थी। वो सिर्फ शांति से रहना चाहती थी और इस बुरी जगह को छोड़कर निकलना चाहती थी।
"मैं क्लब हाउस होस्टेस नहीं हूं, आपको गलतफहमी हुई है।" नान जी को यकीन से नहीं पता था कि अगर वो सोफे पर बैठे अहंकारी आदमी के साथ ही पहले सोई थी, इसीलिए वो उसे बहुत ज्यादा अपमानित नहीं कर सकती थी।
नान जी ने आगे कदम बढ़ाया ही था कि कमरे में एक गहरी, ठंडी आवाज सुनाई दी, "अपनी मर्जी से आना और अपनी मर्जी से जाना, तुम्हें क्या लगता है कि ये एक बाजार है?"
नान जी खुद स्वाभाविक रूप से एक शांत स्वभाव वाली व्यक्ति नहीं थी। जिआओजी को जन्म देने के बाद पिछले कुछ वर्षों में ही ऐसा हुआ था कि उसने बार-बार खुद को शांत रहने और परेशानी से बाहर रखने की कोशिश करने के लिए कहा था। ये इस उम्मीद में था कि कोमल होने का नाटक करते हुए, वो शायद इस तरह की बन जाएगी।
लेकिन वास्तव में, वो अभी भी वही भयंकर, जंगली और घमंडी जवान औरत थी, जो वो कुछ वर्ष पहले थी।