Chapter - 19
शिद्दत अपनी आँखे खोलती है तो वो देखती है कि उसका सर ताई के सीने पर है वो उठती है ताई भी उठता है शिद्दत अपने गर्दन पर हाथ रखती है - आ... मेरी गर्दन...
ताई भी ध्यान देता है - क्या हुआ l
शिद्दत ने कहा - कुछ नहीं बस थोड़ा सा गर्दन में दर्द है l
तभी दीया उसे आवाज देती है - अनाया... अनाया...
शिद्दत उठती है और कहती है - अरे नहीं मुझे जाना होगा l
शिद्दत ने दरवाजा खोला और बाहर चली गई उसने सामने से दीया आती दिखी वो इसके पास आयी और कहा - तुम यहाँ क्या कर रही हो जल्दी जाओ और जल्दी से नहाकर ठीक ठाक होकर आओ l
शिद्दत ने कहा - अरे क्या है ?
दीया - अरे क्योंकि बाबा ( पिता महाराज ) आ रहे हैं l
शिद्दत हैरानी से कहती है - क्या तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया मैं अभी जल्दी से तैयार होकर आती हूँ l
वो भागते हुए अपने कमरे में जाती है और भागकर स्नान घर में जाती है l
थोड़ी देर के बाद वो नहाकर आती है और आइने के सामने खड़ी हो जाती है उसने अपने कपड़े सही किए बाल सुलझाने लगी तभी उसकी कंघी बाल में फंस जाता है l
शिद्दत चिढ़कर कहती है - ओ हो एक तो देरी हो रही है ऊपर से ये बाल भी नहीं सुलझ रहा l
शिद्दत ने कंघी को बाल में से खिंचा तो वो गाँठ खुल गई गांठ खुलते ही आसमान काला हो जाता है बाहर जितने भी खड़े लोग आसमान की ओर हैरानी से देख रहे थे वो सभी बातें करने लगे - ये क्या हो गया, अभी तो आसमान साफ़ था अचानक से इतना काला कैसे हो गया l
शिद्दत अपने बाल सुलझाती है अपना चेहरा देखती है फिर जल्दी से जूती पहन कर बाहर आती है शिद्दत के पिता आ चुके थे और वो गुरु के व्याख्यान में बैठे थे उन्हें भी महसूस हुआ कि कुछ गड़बड़ हो रहा है l
उन्होंने कहा - ताई को और कुछ ज्ञानी महागुरुओं को बुलाया जाए l
ये सुन कुछ सेवक गुरुओं को बुलाने चले गए एक सेवक ताई के कमरे में आया और कहा - राजकुमार ताई आपको गुरु जी ने बुलाया है l
ताई कहता है - तुम चलो मैं आता हूँ l
ताई भी आइने के सामने आया और अपने कपड़े को ठीक किया और बाहर आ गया दूसरी ओर से शिद्दत आ रही थी उसने ताई को देखा तो वो खुश हो गयी वो उसके पास जाने के लिए जैसे ही कदम बढ़ाया युन क्यूँग आ गयी l
शिद्दत ने उसे देखते हुए अपना direction बदल दिया l
युन क्यूँग ने कहा - गुरु जी ने हमें इतनी शीघ्र क्यों बुलाया l
ताई ने कहा - वो तो जाकर ही पता चलेगा चलो l
दोनों अंदर आते हैं वो देखते हैं कि सिमी, जियांग, ओंग तीनों पहले से ही वहाँ मौजूद थे l
शिद्दत के पिता राजा सूर्यशेन ने कहा - कोई गंभीर बात है l
गुरु जी - हाँ यहाँ संकट आने वाला है और उसी के लिये समाधान करना है l
सिमी - लेकिन गुरु जी समस्या क्या है ?
गुरु जी ने कहा - समस्या ये है कि यहाँ पर एक साया है जो कि किसी के शरीर में प्रवेश कर गया है और इसलिये मैंने तुम वीरों को बुलाया है कि उसका पता लगाओ की उसने किसके शरीर में प्रवेश किया है l
जियांग - लेकिन गुरु जी हम उसका पता कैसे लगाएंगे l
गुरु जी - वो किसी ऐसे व्यक्ति के शरीर में है जिसका हृदय निर्मल, स्वभाव चंचल, और एक पवित्र आत्मा के अंदर है l
जिसका तुम्हें पता लगाना है l
ताई - शायद मुझे पता है l
सभी उसकी तरफ देखने लगे गुरु जी - कौन है वो l
ताई जैसे ही बोलने वाला होता है शिद्दत दरवाजे पर खड़ी होकर कहती है - क्या मैं अंदर आ सकती हूँ l
सभी उसकी तरफ देखने लगे गुरु जी ने कहा - हाँ आओ l
शिद्दत दौड़ते हुए आकर अपने पिता के गले लग जाती है l
शिद्दत ने कहा - बाबा मुझे आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा l
सूर्यशेन ने कहा - मुझे भी l
गुरु जी ने कहा - ताई तुम कुछ कह रहे थे बताओ l
ताई ने इशारा करते हुए कहा - नहीं गुरु जी मैं कहाँ कुछ कह रहा था वो इसके अन्दर... ऐसे हाथ से शिद्दत की ओर इशारा कर रहा था l
सभी उसके इशारे को समझ गए युन क्यूँग जैसे ही शिद्दत की ओर बढ़ने वाली थी ताई ने उसका हाथ पकड़ रोक लिया शिद्दत ने देखा तो उसे गुस्सा आने लगा गुरु जी ने कहा - अनाया जाओ अपने पिता जी को ये कबीला दिखाओ l
शिद्दत उनकी तरफ देखती है और कहती है - जी चलिए बाबा l
वो अपने पिता को लेकर बाहर आती है युन ने ताई से हाथ छुड़ाकर कहा - क्यों नहीं उसे पकड़ने दिया उसे l
ताई ने कहा - तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है तुम्हें याद है न कल क्या हुआ था l
युन ने कहा - क्या हुआ था कल l
ताई ने कहा - कल जब उसका शरीर गर्म हुआ था तो वो कोई साधारण नहीं था बल्कि उसे गुस्सा आ रहा था और इतना गुस्सा कि उसका पूरा शरीर तप रहा था l
ओंग ने कहा - हाँ ताई सही कह रहा है मैंने जब उसे छुआ था तो जैसे लगा मैं अग्नि को स्पर्श कर रहा हूं l
युन ने कहा - कोई तो उपाय होगा न उसके अंदर से वो साया निकालने का l
गुरु जी ने कहा - उसके शरीर से बाहर निकालने के लिए तो कोई उपाय नहीं है लेकिन उसकी शक्ति को कम और राजकुमारी की शक्ति बढ़ाने का उपाय है l
ताई ने कहा - क्या है वो उपाय गुरु जी l
गुरु जी ने उन्हें समाधान बताया शिद्दत अपने पिता को कबिला दिखा रही थी ताई, सिमी, ओंग, जियांग, और युन बाहर आते हैं जियांग कहता है - भाई मुझे तो इसके पास जाने में भी डर लग रहा है l
शिद्दत एक जगह खड़ी थी तभी एक 14 / 15 साल का लड़का दौड़ता हुआ आता है और शिद्दत के गले लग जाता है तब तक में गुरु जी भी बाहर आ गए सभी हैरानी से उसकी ओर देखने लगे शिद्दत चौकन्नी खड़ी रही ये अचानक से कौन आकर उसके गले लग गया l
वो लड़का उससे अलग हुआ शिद्दत उसे देखने लगी उस लड़के ने कहा - माता l
ये सुनते ही शिद्दत तो खांसने लगी l उसने उससे हैरानी से कहा - क्या कहा तुमने माता l
सुर्यशेन ने उससे कहा - कौन हो तुम और मेरी बेटी को माता क्यों बुला रहे हो l
गुरु जी, सिमी, जियांग, युन ओंग उनके पास आते हैं ओंग कहता है - ये इसका अब कहाँ से आ गया l
उस लड़के ने कहा - मैं इनका बेटा हूँ और ये मेरी माता हैं l
शिद्दत ने कहा - अपनी उम्र देखी है तुम मेरे बेटे कैसे हो सकते हो मैं हूँ 23 साल की और तुम्हारी उम्र है 14 / 15 साल है l
उस लड़के ने कहा - नहीं माता मेरी उम्र सिर्फ दो दिन की है
देखिए मैं आपके जितना ही सुन्दर हूँ और आपकी ही तरह हूँ l सभी ने उसे देखा वो सच में बहुत सुन्दर था बिल्कुल शिद्दत की तरह था उसने राजकुमार के कपड़े पहने हुए थे कंधे तक बाल गोरा रंग काली आँखे प्यारी सी मुस्कराहट राजा सूर्य शेन ने कहा - ये कौन है अनाया और ये तुम्हें माता क्यों बुला रहा है l
शिद्दत ने कहा - मुझे नहीं पता बाबा मैं इसे जानती भी नहीं उस लड़के ने कहा - माता मैं आपका बेटा हूँ l
शिद्दत उसे डाँट कर चुप करा देती है वो चुप हो जाता है l
गुरु जी कहते हैं - आपको अपनी बेटी पर भरोसा करना चाहिए l राजा सुर्य शेन शिद्दत से कहते हैं - मैं तुम पर भरोसा करूंगा लेकिन तभी जब तुम मेरी कसम खाओ की कभी भी तुम खुद की मर्जी से विवाह नहीं करोगी l
सूर्य शेन शिद्दत का हाथ अपने सर पर रख कर कहते हैं सभी हैरानी से देखने लगते हैं उस लड़के ने कहा - माता आप ऐसा मत करियेगा ये आपको उनसे मिलने नहीं देंगे l
शिद्दत ने उस लड़के को देखा फिर सूर्य शेन से कहा - मैं आपको वचन देती हूँ कि मैं कभी भी किसी से खुद की मर्जी से कभी शादी नहीं करूंगी l
सूर्य शेन - मैं जहाँ कहूँगा जिससे कहूँगा तुम उसी लड़के से विवाह करोगी l
शिद्दत के दिल में कुछ हलचल हो रही थी कि वो ये वादे अपने पिता को न करे लेकिन फिर भी उसने कहा - मैं आपको वादा करती हूँ कि आप जहां कहेंगे जिस भी लड़के से कहेंगे मैं उसी से विवाह करूंगी l
सूर्य शेन ये सुनकर खुश हो जाते हैं और उसे गले लगा लेते हैं ताई को लगा जैसे किसी ने उसकी जान निकाल ली है ये वादे सुनकर उसे बहुत दुख हुआ उस लड़के ने कहा - माता आपने ये क्या किया आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था l
शिद्दत - ये मेरे पिता है मैं इनके लिए कुछ भी करुँगी तुम मुझे मत सीखाओ और तुम कौन हो मैं तुम्हें नहीं जानती l
सूर्य शेन कहते हैं - सिपाहियों इस लड़के को बाहर निकालो
सिपाही आए और उसे ले जाने लगे वो लड़का चिल्लाता रहा - माता मुझे अपने से दूर मत कीजिए l
शिद्दत ने कहा - रुको l सिपाही रुक जाते हैं शिद्दत कहती है - छोड़ दो उसे जाने दो l
सिपाही उसे छोड़ देते हैं सूर्य शेन उसके पास आते हैं और कहते हैं - ये क्या कर रही हो इसे छोड़ने को क्यों बोल रही हो l
शिद्दत - जाने दीजिए बाबा वो बेचारा बच्चा भटक गया होगा उसकी माँ नहीं मिल रही होगी इसलिए थोड़ा सदमें में होगा इसे यहीं रहने दीजिए बच्चे देखो शरारत मत करना l
ये कहकर शिद्दत वहाँ से जाने लगती है तो वो लड़का पीछे से उसका दुपट्टा पकड़ लेता है शिद्दत घूमती है सूर्य शेन और गुरु जी पहले ही अंदर चले गए शिद्दत उसकी ओर झुकी और कहा - बच्चे मेरा दुपट्टा छोड़ो l
उस लड़के ने इस बार शांति से सर नीचे झुकाकर रूंधी आवाज में कहा - आप ही मेरी माता हो l
शिद्दत उससे तंग आ गयी उसने कहा - देखो बच्चे मेरी तो शादी भी नहीं हुई और रही बात मेरे प्रेमी की तो वो कभी मैंने बनाया नहीं तो बताओ तुम मेरे बेटे कैसे हुए l
सिमी - अरे बच्चे इनकी तो शादी ही नहीं हुई तो तुम कहाँ से आ गए l
जियांग - हाँ तुम्हारे माता पिता तुम्हें ढूँढ रहे होंगे जाओ अपने घर वो परेशान हो रहे होंगे l
उस लड़के ने कहा - लेकिन मेरी माता यही है l
तो बताओ तुम्हारी उत्पत्ति कैसे हुई, ओंग ने कहा l
उस का सवाल सुनकर सभी उसे देखने लगे उस लड़के ने कहा - मैं माता और पिता के आंसुओं उत्पन्न हुआ हूँ मैं पहले एक छोटा सा पौधा था फिर एक बच्चे में तब्दील हुआ l
सभी उसकी बात सुन हैरान रह जाते हैं ताई तो ये सुनकर उस बच्चे को देखने लगा उसे दो दिन पहले की बातें याद आयी जब शिद्दत बेहोश हो गयी ताई के आँसू उस के गाल पर गिरा था और वो धरती पर l
शिद्दत ने कहा - क्या तुम अपने पिता का नाम बता सकते हो l उस लड़के ने उसके कान में कुछ ऐसा कहा जिसे सुनकर वो हैरान रह गयी ओंग ने कहा - अरे अपने पिता का नाम बताओ l
लड़के ने कहा - मैं उनका नाम नहीं बता सकता मेरे माता पिता का अपमान होगा l
शिद्दत उसकी बात सुनकर उस बच्चे को देखने लगी और खुद से कहा - जो बच्चा अपने माता पिता की इतनी फिक्र करता है वो मेरा बेटा कैसे हो सकता है l
वो लड़का अपना सर थोड़ा टेढ़ा कर के मुस्कराते हुए ताई की तरफ देखता है जो उसे ही देख रहा था और धीरे से कहता है - बाबा... l
ताई उसे ही देखता रहता है l
Continue...