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अब आप आराम करो

आपने अभी तक पढ़ा था कि अभिनव अपनी क्लास के बारे में था। अब आगे चलते हैं...

अभिनव भानु जी की बातों को अच्छे से सुनना चाहता था जिससे उसे ये सब बातें याद रहें। भानु जी ने आज मैजिकल बीस्ट्स के बारे में पढ़ाना शुरू किया। जब वे पढ़ाने लगे, तब सब बच्चे भानु जी की बातों को ध्यान से सुनने लगे। भानु जी ने बताया कि ये बीस्ट्स सिर्फ ताकतवर नहीं, बल्कि चतुर और चालाक भी होते हैं। वे विभिन्न प्रकार के होते हैं और हर एक की अपनी खासियत होती है। उनका अध्ययन करना जरूरी है क्योंकि वे इस दुनिया का हिस्सा हैं और उनसे निपटना आना चाहिए।

"मैजिकल बीस्ट्स को काबू में करने के लिए हमें उनके व्यवहार, उनकी कमजोरियों और उनकी शक्तियों का गहराई से अध्ययन करना होगा," भानु जी ने कहा। "आज हम एक साधारण लेकिन महत्वपूर्ण बीस्ट के बारे में जानेंगे – फ़्लेम ड्रैगन।"

ऐसे ही भानु जी ने कई मैजिकल बीस्ट्स के बारे में पढ़ाया था। भानु जी ने जाने से पहले कहा, "आज से तुम लोगों की छुट्टी शुरू होगी। इन तीन महीनों की छुट्टी के बाद तुम लोगों के एक्जाम होंगे और जो भी टॉप करेगा, उसे जादूगरों वाली एक रिंग मिलेगी जिसमें तुम कई सारी चीजें रख सकोगे।"

तब एक लड़का खड़ा हुआ और बोला, "सर, आप स्टोरेज रिंग के बारे में बात कर रहे हैं ना?" जिस पर भानु जी 'हां' के साथ उस लड़के को बैठा देते हैं। और फिर, भानु जी सभी बच्चों को कुछ बातें भी बताईं। इसके बाद, अभिनव क्लास के बाद एक लड़के के पास बैठा था। तब अभिनव ने उससे पूछा, "वैसे हम मैजिक कब सीखेंगे?"

तब शुसान ने हँसते हुए कहा, "जब हम इस बार के एग्जाम पास कर लेंगे, तब हमारा नंबर एक कॉलेज में आ जाएगा और वहाँ हमारी मैजिक आवेकनिंग होगी।"

अभिनव ने हैरानी से पूछा, "तो हम स्कूल में क्या सीख रहे हैं?"

"हमें स्कूल में बस मैजिक और मैजिकल बीस्ट्स के बारे में पढ़ना है," शुसान ने समझाया। "ये हमारी नींव मजबूत करने के लिए है ताकि जब हम कॉलेज में जाएं, तो तब हम जब भी वहाँ किसी मिशन पर जाएँ, तो हमें मैजिकल बीस्ट्स के बारे में पता हो जिससे हमें आसानी हो उनसे लड़ने में।"

इसके बाद, अभिनव स्कूल के बाहर आ जाता है और रेस्टोरेंट वाले सैफ को बाय बोलते हुए वहाँ से अपने घर की ओर निकल गया था। अभिनव का घर स्कूल से लगभग 1 घंटे की दूरी पर था। अभिनव जिस जगह पर रहता था, वह ठीक-ठाक इलाका था जिसमें अभिनव का घर था, पर वह काफी पुराना और कमजोर था। ऐसा कई बार हुआ था कि लोगों ने अभिनव के पिता को वहाँ कहीं दूर शिफ्ट होने के लिए कहा था और वह भी इसलिए कि वे किसी भी ऐसे इंसान को यहाँ नहीं रहने देना चाहते थे जो उनके लेवल का हो। लेकिन, अभिनव के पिता अपने बच्चों को एक बेहतर जिंदगी देना चाहते थे। अभिनव के पिता एक ड्राइवर थे। अभिनव के पिता का नाम राजेश था जो मेहनत मजदूरी करके अपने बेटे और बेटी को पढ़ा रहे थे।

जब अभिनव अपने घर पर पहुंचा, तो उसने अपने पिता को देखा जो इस वक्त तेजी से खाँस रहे थे। तब अभिनव तेजी से भागकर उनके लिए पानी लेने के लिए गया और वापस आने के बाद उन्हें पानी पिलाया। जैसे ही राजेश जी को आराम मिला, तब अभिनव ने अपने पिता से कहा, "पापा, आपसे कितनी बार कहा है कि आप अपनी दवा ले लीजिए, पर आप तो मानते नहीं। बस, आप मुझे और प्रिया को बहाना देकर अपनी दवा को भूल जाते हैं।"

जैसे ही अभिनव ने यह कहा, तब उसकी बहन अंदर आई। अभिनव की बहन का नाम प्रिया था और वह बोली, "भाई, पता है, इनकी खांसी और इनकी हालत को देखकर हीलर्स ने इनको कम से कम काम करने को कहा है।"

जिस पर अभिनव बोला, "और तुम यह सब मुझे अब बता रही हो?"

जिस पर प्रिया बोली, "मैं तो आपको पहले ही बता देती, पर पापा ने मुझे कसम दी थी।"

जिसके बाद, अभिनव बोला, "आज से आप आराम करेंगे और इस घर का सारा भार अब मेरे ऊपर होगा।"

जिस पर राजेश बोले, "ठीक है, पर मैं अभी यहाँ खाली नहीं बैठूंगा, मैं भी कुछ न कुछ करूंगा।"

जिसके बाद अभिनव बोला, "पापा, यहाँ की लाइब्रेरी में जॉब चाहिए और मैं कल उसके लिए जा रहा हूँ।"

जिस पर राजेश जी सोचते हुए बोले, "क्या मैं इसके पीछे का कारण पूछ सकता हूँ क्योंकि यह वजह तो नहीं हो सकती है। मुझे लगता है तुम्हारी कोई और वजह भी है।"

जिस पर अभिनव बोला, "जी पापा, आपने बिलकुल सही समझा। दरअसल, आज से तीन महीने बाद परीक्षा है और मुझे उसके लिए कई किताबें पढ़नी हैं और मैंने यह तरीका निकाला जिससे हमारे परिवार में कुछ सुधार भी आएगा और साथ ही मेरा भी काम हो जाएगा।"

जब राजेश जी ने अपने बेटे की बात सुनी और उसके इतने बड़े इरादे सुने तो वे दंग थे, पर अपने बेटे की होशियारी से बोले, "अभिनव, मेरे पास आओ।"

जिस पर राजेश ने अभिनव के सिर पर हाथ फेरा और बोले, "तुम बिल्कुल अपनी मां पर गए हो।"

जिस पर अभिनव उदास हो गया और साथ ही प्रिया भी उदास हो गई और फिर वे दोनों अपने पिता के गले लग गए। तब राजेश जी बोले, "तुम्हारी मां एक बहुत अच्छी जादूगरनी थी और वह वीरगति को प्राप्त हुई है। तुम ऐसे रोकर अपनी मां को उदास मत करो।"

उस पल, जब राजेश जी अपने बच्चों को रोने से रोक रहे थे, वे अंदर ही अंदर एक बड़ी लड़ाई भी लड़ रहे थे कि वे अपने दोनों बच्चों के सामने न रोएँ क्योंकि वे यह नहीं दिखाना चाहते थे कि वे भी उतने ही उनकी मां को याद करते हैं।

जिसके बाद कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद, राजेश जी बोले, "अच्छा चलो, मैंने सबके लिए खाना बनाकर रखा है।"

जिसके बाद अधूरा परिवार खाना खाने के लिए बैठ जाता है और इसी के साथ आज का यह चैप्टर खत्म होता है।

अगर आपको यह चैप्टर पसंद आए तो अपना कीमती सा रिव्यू जरूर देना। ठीक है। और हाँ, इतने दिन चैप्टर न आने के लिए मैं माफी मांगता हूँ और अब से रोज चैप्टर आएंगे।