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chapter 5

मुझे बचपन से ही सुबह जल्दी उठने की आदत है , मैं में पापा के साथ मॉर्निग वॉक पर उनके साथ जाया करता था। इसी कारण मैं सुबह पांच बजे उठ गया , हनी अभी सौ ही रहा था तो मैं हाथ मुंह धोकर तैयार होकर बाहर सैर करने के लिए घर से निकला । मौसम काफी खुशनुमा था । पास ही मैं एक पहाड़ी थी जिस पर एक कच्चा रास्ता बना हुआ था तो मैंने उस पर जाने का सोचा और मैं चल दिया जैसे जैसे मैं आगे बढ़ रहा था मुझे कल रात जैसा ही पीठ पीछे दर्द महसूस होना शुरू हो गया था । जैसे जैसे मैं आगे बढ़ रहा था मेरा दर्द और बढ़ रहा था । ऐसा लग रहा था मानो की अभी कोई नुकीली चीज मेरे शरीर के अंदर जाने की कोशिश कर रही हो और मैं उसे निकाल फेंक दूं तो सब ठीक हो जाए । इसी कारण अपना बाईं हाथ का इस्तेमाल करने में नाकाम हो रहा था। में फिर से बेहोश होने वाला था । मुझे सब दूंदला नजर आ रहा था , मगर इसी बीच मेरे शरीर पर वो टेढ़ी मेडी आकृतियां तैरती नजर आ रही थी और उनकी रोशनी समय के साथ साथ बढ़ ही रही थी , मैं जमीन पर ऐसे गिरा की किसी को विश्वास न हो में पहले हवा में उछला और एक दिशा में दूर जा के गिरा जैसे मेरे अंदर कोई चुंबकीय चीज हो और कोई वस्तु मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रही हो मगर शक्ति ना होने के कारण कमजोर पड़ गई हो और मैं फिर नीचे गिर गया और बेहोश हो गया।