हमारी कोशिशें तो पूरी थी मगर ना जाने क्यू ख्वाहिशे #अधूरी थी,
जिंदगी में खुश रहने के लिए कुछ गलतफ़हमी भी #जरूरी थी,
जिंदगी तो हम जी रहे हैं, मगर दो वक़्त की रोटी भी जेसे #मज़बूरी थी
अपने तो साथ ही थे, मगर ना जाने क्यू अपनो के साथ एक अजीब सी #दूरी थी,
अपने तो हम से रूठ चुके थे, अपनों को मनाने के लिए कुछ
साज़िशें भी #जरूरी थी,
दूनिया को दिखाने के लिए तो हम बेफिकरे थे, मगर हाथो मे जंजीरें थी या यू कहो कि #लाचारी थी.
अब बहुत हुआ, बहुत गुट गुट के जी लिया गेरो की खातिर बहुत जहर पी लिया,
अपना हुनर पहचान गया था, अपने अंदर अजब सा पहलवान आ गया था,
हाथो की ज़ंजीर को तोड़ कर, अपनी या यू कहो अपनों की ख्वाहिश पुरी करने की अब मेरी #बारी थी.
rocky_christian80