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Tuesday, 11 January 2022

वुरेज

scene1

एक आदमी हरी भरी जमीं पे लेटा हुआ है/ धीरे धीरे उठता है/

आंख मिलमिलाता है/ इधर उधर भागता है/

मै हूँ  रेजल  उड , रोबिन हुड से मेरा वही  सम्बन्ध जो एक हाथी को चींटी से/

मुझे खुद नही पता मै यहाँ क्या कर रहा हूँ/ ये कोन सी जगह है, मुझे ये भी नही पता/ मुझे तो बस इतना पता है की/

रेजल  वुड, जितमून  का पुत्र/ मुझे तो सिर्फ घर से निकाला गया था/ जिसका हकदार भी मै नही था/ 

उसके बाद मेरी ज़िन्दगी ऐसी मोड़ पर आई जो की अब मुझे बनाता है, "वूरेज"/

(पॉवर शूट वूरेज के शरीर के ऊपर आने लगता है/

scene2

आज मेरा पहला दिन है, इस स्कूल में/

मेरा नामांकन तीसरी वर्ग में हुआ/

तीसरे वर्ग में द्वितीय स्थान से पास हुए/ 

अब तक मै पांचवे वर्ग में हूँ, पहला टर्म के परीक्षा में विज्ञान के परीक्षा के दिन/ एक लड़की दिखी/ 

सौभाग्य से वो मेरे साथ ही बैठना था/

मैंने उसका नाम पूछा/

वो कहते है, लड़की के बिना हर कहानी अधुरा सा होता है/

स्पृहा, तुम्हारा नाम?

रेजल  वुड/

मै उसे रोज देखने का प्रयास करता /

जब हमलोग पांचवे वर्ग को पास किये तो, गए छठे वर्ग में , जहा पहले से ही तकदीर एक नई प्लान के साथ तैयार मेरा इंतज़ार कर रही थी/

सातवे वर्ग में वो स्कूल छोड़ दी/

अंग्रेजी में एक कहावत है-EVERY BEAUTY DESERVE MY EYE.

मेरी ऑंखें अब फिर से ठहरना चाहता था/

कुछ साल बाद स्कूल में एक खेल प्रतियोगिता हुआ/

जिसमे हर स्कूल से छात्र आये थे/

हलाकि इस इस प्रतियोगिता का आरम्भ नवम्बर में हुआ था, और स्कूल की छूटी हुई थी/

बाइक से मै और कुछ दोस्त लोग खेल देखने आये थे/

और , वहाँ मुझे फिर से स्पृहा दिखी,

she was cheering up her school's team,

i will not say any stupid, but her hair was waving in air.

मेरी खासियत जब मै उमीद से ज्यादा भावुक हो जाता हु तो, मेरी इंग्लिश निकल आती है/ 

मेरे कुछ दोस्तों को ये बकवास भी लगती है/

और अचानक से मुझे वॉलीबॉल लगी और में बाइक से निचे गिर गया, सब लोग मेरी तरफ देख कर कुछ बोल रहे 

थे/ फिर मुझे सुनाई दिया, 

बॉल दे भाई, जल्दी/

मैंने बॉल दिया, स्पृहा के बाल अभी भी हवा में लहरा रहे थे/

मैंने कहा : वाव!

और खुश होकर मै झुमने लगा/ और देखा की टेबल फैन उसके तरफ ही किया हुआ था/

मै उससे बात करने की काफी कोशिश की लेकिन कभी गेम का वक्त हो जाता, कभी उसके दोस्त आ जाते, 

कभी उसके टीचर/

एक दफा उससे बाते हुई ,जल्दी में वो अपना फ़ोन नंबर और एड्रेस दी, और बोली इस एड्रेस पर आकर मिलने को/

एड्रेस चेन्नई की थी, और मै झारखण्ड में/

फ़ोन पर बातें कभी कभी होती थी/

दिन, महीनो में बदले, महीने साल में/

और साल संग्राम में/ क्यूकी एक नई मुसीबत दस्तक दे चुकी थी, कोरोना / 

कोरोना की वजह से हमारी  दशवी की परीक्षा रद हुई और सब को उत्रिन  कर दिया गया/

जहां एक तरफ कोरोना लाखों जिंदगी से खेल रही थी, वही दूसरी तरफ कोरोना ने मेरी जिंदगी बचाई/

दशवी के बाद मै, स्पृहा के पास पंहुचा, चेन्नई/

मैंने वही से पढने का निर्णय बना लिया था/

एअरपोर्ट की खूबसूरती ने मुझे मोह लिया था/

मै एक होटल में पंहुचा, वहा पर ठहरा और कल होकर मुझे जाना था,...स्कूल, खुद की दाखिला हेतु/

मै वहा अकेले पंहुचा हुआ था/

फिर रात को आठ बजे के आस पास मुझे स्पृहा का कॉल आया, 

और उसने मुझे कल सुबह आने को बोली, 

कल होकर मैंने स्कूल में जाकर अपना नामाकन हेतु पूछ-ताश की और वहा मुझे पता चला की

80% से कम का नामांकन नही लेते/

मेरा तो फिर भी 73% था/

मै स्पृहा के घर गया, डोरबेल बजाय दरवाजा खुला, 

और मै अन्दर गया/ वहां चका चौंध रौशनी फैली हुई थी, इतना की साफ-साफ कुछ नही दिख रहा था/

स्पृहा मुझे वहा से ले गयी और फिर एक कमरा जहा हल्की फुल्की रौशनी थी/

मैंने उससे पूछा- बाहर ये इतनी रौशनी कैसी थी/

स्पृहा: तुम्हे ये रौशनी दिखाई दी?

रेजल वूड :(चकित होकर ) दिखाई दी,.... मतलब!

स्पृहा : मेरी खोज समाप्त हुई, और मै सही थी/

इतना बोलते हुए वो खुद में खो रही थी/ मैंने उससे बिच में रोकते हुए पूछा:

क्या समाप्त हुई, और तुम सही..... किस बारे में/

वो मुझे देखकर मुस्कुराई और मैंने पाया की आस- पास सब कुछ एक दम से बदल रहा है/

आलीशान घर अब पत्थर से, सांपो में परिवर्तित हो रहा था/

वहा के बल्ब मनी में परिवर्तित हो रहे थे/

अच्छा सा मकान बेहद ही खुबसूरत भवन में परिवर्तित हो चुका था/ जहाँ सब कुछ सजीव था/

फल से लेकर पानी तक/

दरवाजा बोलने वाला पत्तो का संग्रह था/ खिडकिया अमीबा का था, जो हर वक्त अपना 

आकार बदल रहा था/

मेरे सामने स्पृहा आई और वो मुझे जिंदगी की पाठ पढ़ा रही थी/

स्पृहा: यहाँ कुछ भी अस्थाई नही है/ एक दिन सब कुछ बदल जाता है/

यहाँ हमेशा के लिए कोई नही है/ 

उसकी आवाज धीमे होने लगी, मुझे बेहोशी सा आने लगा था लेकिन वो मुझे इतना बताने की कोशिश कर रही 

थी की , तुम अपनी जान दे भी दोगे तो तुम्हारा कुछ नही बिगरेगा/

और मेरे मुह पर जोर से पानी मारा गया/ पानी भी जिन्दा थी वहां , इसीलिए मै घबराया/

मै काभी डर चूका था/ लेकिन सबसे बड़ी डर अब मेरे सामने आने वाला था/

मै कुछ समझ पता इससे पहले स्पृहा मेरे सामने आई, और उसका चेहरा भी बदलने लगा/ और स्पृहा से वो कुछ और

बनी , एकदम से अँधेरा छाया और एक मस्त परी मेरे सामने आई, हलाकी उसे परी समझना मेरी गलती थी/

एक पल के लिए उसके खूबसूरती में खो गया/ 

मै उसके चेहरे को देखे जा रहा था, उसने मेरा हाथ पकड़े और अपनी ओर खीची/

उसे मेरा दिल चाहिए था/ 

उसने बड़े प्यार से मेरी ओर देखी और बोली तुम मुझे अब भी स्पृहा कह सकते हो/

लेकिन मै वो नही हूँ/

स्पृहा : मै तुम्हारे दिल को तुमसे चुराना नही चाहती थी/ और मुझे तुम्हारी जरुरत है/

रेजल  : बस कर पगली रुलाएगी क्या ? दिल तो मेरा ऐसे भी तुम पर आ गया है/ चुराने की जरुरत ही क्या है/

    मै खुद तुम्हे अपना दिल देता हु/

स्पृहा: ठीक है/ how sweet!तुमने कितने अच्छे हो/तो तुम खुद निकाल रहे हो या मै ले लू/

रेजल : समझो, मैंने तुम्हे दिल दे दिया/

स्पृहा: इसमें समझने-समझाने की बात कहा है, ये लो चाकू और निकाल कर दो/

मेरी आशिकी की भूत उतर गयी, और मुझे समझ आ गया की, इसे मेरा सच में दिल चाहिए था/

स्पृहा ने मुझ पर जोर का प्रहार की , और मै बेहोश हो गया/

जब मुझे होश आया तो मै खुद को कचरे के ट्रक में पाया/ मै ट्रक में से कूद गया/ 

आस- पास कुछ लोग इकट्ठे हो गये, लेकिन मेरी हालत देख कर कोई मेरे पास आ नही रहा था/

लोगो ने कोरोना सेंटर में कॉल किया, और कोरोना सेंटर से मिली मुझे एक नई उमीद, मुझे कोई बीमारी थी नही,

इसीलिए मै उसी दिन पोलिस की मदद से अपने होटल में वापस आ गया/

जल्दी जल्दी टिकेट बुक किया और निकल गया अपने घर/

वहाँ जाकर कुछ दिन आराम से आराम किया और कोशिश करने लगा सब कुछ जानने का/

मैंने उस स्कूल में पुस-तास  की जिस स्कूल से वो खेलने आई थी, वहाँ कोई मुझे कुछ नही बता रहा था/

मुझे लगा की ये लोग डरे हुए होंगे, और मै सीधा गेम टीचर के पास पहुच गया/

उनके घर में घुस गया, गेम टीचर को मैंने बिस्तर पर पटक दिया/

रेजल  : देखिये सर, मै आपको डराना-धमकाना नही चाहता/ आप मेरे कुछ प्रश्नों के उत्तर दे दीजिये मै, बिना नुक्सान पहुचाये चला जाऊंगा/ यदि आप मेरे साथ दो-दो हाथ करने की भी सोची तो,..... आप तो ऐसे भी अधेर उम्र के है/

गेम टीचर - इधर आना जरा, (एक तमाचा गाल पर देते हुए )

       तेरे को संसकर नही मिले है क्या?  कोई शिक्षक से ऐसे बात करता है, बबुचक/

   मै तेरे हर सवाल का जबाब दूंगा क्यूकी मै एक शिक्षक हूँ/

रेजल  : (स्पृहा का फोटो दिखाते हुए/) स्पृहा, इसके बारे में मुझे सब कुछ जानना है/

गेम टीचर: ये मेरे स्कूल की नही, 

रेजल उनकी तरफ आंखे दिखाकर बढ़ता है/

गेम टीचर: मेरे स्कूल की नही है, मैंने इसे एक दिन बढ़िया कबाडी खेलते हुए देखा था, मैंने इससे पूछ की ये मेरे स्कूल के लिए खेलेगी, इसने हाँ की/

काफी अच्छी खेली लेकिन गेम जितने के बाद नजर नही आई/

मै पटीरा आ गया आगे की पढाई करने, रूम रेंट लेकर आराम से रहने लगा था/ 

अब वो होने वाला था, जिसकी कल्पना भी मै नही कर सकता था/

और यही से शुरू हुई, वुरेज बनने की शुरुआत/

एक दिन , मै खाना बनाने के लिए किचन में गया, शब्जी काट ही रहा था की शब्जी में कीड़ा निकला ,

 एक,दो,तीन,सौ, हज़ार /

मै वहा से डर कर भाग गया/ कुछ ही समय में सारा किचन में कीड़ा आ गया/ मै डर के भागने लगा/ 

जब तक की मै कुछ सोच पाता, सारे घर में कीड़ा आ गया, मैंने अपना फ़ोन उठाया और भागने लगा/ 

घर से बाहर की स्थिति और भी ख़राब थी/ सारा सड़क पर कीड़ा था/ 

लोग आधे मरे हुए थे/ सब कुछ अजीब हो रहा था/पास में ही एक नदी थी, वहा पर नाव में बैठा और निकल पड़ा /

बिच नदी में, वही कीड़ा पानी पर तैर रहा था/ चारो ओर से मै घिर चूका था/ अजीब वहा के सांप थे/

मै डर कर पानी में गिरा जहा मै एक बड़े से मछली के सिंघ से टकराया और मेरी टांगे टूट गयी/

दर्द के कारण मेरी आंखे बंद हुई और जब खुली तो मैंने खुद को एक अजीब सी जगह पर पाया,

इस जगह को जानता भी नही था/

मैंने अपनी आंखे मिलमिलायी इधर-उधर देखा , और परेशान होकर इधर उधर भागने लगा/ 

अचानक से मेरे शरीर पर एक शूट लगने लगा/ 

इससे पहले मै कुछ समझ पता, स्पृहा मेरे सामने थी/ 

स्पृहा: कैसे हो जानेमन!

रेजल : तुम, फिर से...../

स्पृहा: हां, पिछली बार तो बच गये थे, लेकिन अब और कोई नही है, यहाँ/

रेजल  : हा, मेरी किस्मत .....

स्पृहा: गलत, कर्मवीर ने तुझे बचा लिया/ हालाँकि उस वक्त तुम्हारा दिल लेना आसन था, जो की अब थोरी सी मुश्किल है,

लेकिन , चाहिए तो चाहिए/

स्पृहा: तुम इस वक्त कुछ नही कर सकते, कमजोर हो तुम/ 

action scene

स्पृहा ने ठन्डे हवा को जोर से रेजल  की तरफ फेका , ठंडे हवा ने अपने दांतों से काफी हद तक रेजल को 

जख्मी कर दिया/

रेजल ने दौड़कर स्पृहा को एक हाथ मारा/ 

स्पृहा ने घूमकर रेजल के पीठ पर जोर से अपने हाथो से प्रहार की और रेजल मुर्छित होकर गिर पड़ा/

फिर स्पृहा ने अमीबा से प्रहार की जो रेजल की आँखों को बंद होने रोक रही थी/

और फिर स्पृहा ने जैसे ही चाकू से रेजल की दिल निकलने को हुई , उसकी चाकू की तरफ एक चोटी बढ़ा, और 

उसकी चाकू को दूर फेक दिया/

स्पृहा ने जैसे ही ऊपर की ओर देखी , उस पर जबर्दस्त प्रहार हुई/

कर्मवीर स्पृहा के ठीक पीछे थी/

कर्मवीर ने रेजल के ऊपर से अपनी जादुई दंड से अमीबा को हटा दिया/ 

स्पृहा ने कर्मवीर के ऊपर फ़ोन की बरसात कर दी/

और कर्मवीर को जोर से एक हाथ मारी/

कर्मवीर की जादुई दंड दूर फेका गया/

अब दोनों एक दुसरे से लड़ रहे थे, बिना किसी बाहरी ताकत के/

बिना जादुई दंड के कर्मवीर ज्यादा देर तक स्पृहा के टिक न पाया और, 

अधमरा सा हो गया/

स्पृहा ने एक जोर से कर्मवीर पर प्रहार कि/

इसे देखकर रेजल डर के अपनी आंखे बंद की/

action scene,end

चारो ओर अँधेरा था/ धीमी -धीमी आवाजे आ रही थी/

ये लोग उस बॉक्स को खोले जहा ये लोग थे/

बाहर निकल के देखा तो ये एक उपग्रह था, जहाँ सिर्फ आग ही आग थी/

कर्मवीर ने अपनी जादुई दंड की मदद से वहा से निकल के प्रयोगशाला में ले गये/

रेजल  : ये कोण सी जगह है, और तुम कोन  हो?

कर्मवीर : मेरा नाम है, कर्मवीर और मै एक रक्षक हूँ/

रेजल  : किस चीज की रक्षा करते हो?

कर्मवीर: परीतारा का/

रेजल  : ओके , तो पिछली बार तुमने ही मुझे बचाया था/

कर्मवीर : बचाया तो था, लेकिन....

जब मै वहाँ पंहुचा तो तुम बेहोस पड़े हुए थे/

(सांपो का दीवाल , सारे चीज सजीव थे वहाँ , रेजल बेहोश एक शीशे पर लेता हुआ था/

पास में तीन गिलास था, एक पैर के पास , एक दिल के पास, और एक कमर के पास/

रेजल का छाती चिरा हुआ था/ रेजल का दिल शारीर के बाहर था, लेकिन धड़क रहा था/

स्पृहा आगे की काम कर पाती की कर्मवीर आ गया/)

कर्मवीर : परी ज्योति, अपनी चकाचौध बंद करो और मेरे साथ चलो/

स्पृहा: ले चलो फिर, मै भी तो जरा देखू की कितनी हिम्मत है तुममे/

action scene

इन दोनों के बिच काफी देर तक लड़ाई चली और दोनों के उर्जा आकर उस गिलास से टकरा रहे थे,

और रेजल की हालत ख़राब होती चली जा रही थी, एक समय ऐसा आया की साडी उर्जा एकत्रित होकर कर्म वीर को जोर से लगा उसके दिल पर जिससे की उसे हल्का सा होश आया, लेकिन इस दर्द को बर्दास्त नही कर पाया और अपनी 

और मौत का इन्तेजार करने लगा और जैसे ही अपनी आंखे बंद की वहाँ से उसने खुद को कचरा के ट्रक में पाया/

इधर कर्मवीर स्पृहा को बंदी बना चूका था/ और रेजल के पास आया लेकिन रेजल वहाँ था ही नही/

action scene end

कर्मवीर : फिर, चेनता ने परी ज्योति को छुराया और जब मुझे पता चला की वो तुम्हारे पीछे गयी है, तब मै 

     तुम्हे बचाने पंहुचा और/ आगे का तो पता ही है.....

ये परीलोक का प्रयोगशाला है, 

(एक बक्शा खोलकर,) इस यंत्र से तुम्हारे शक्तियों का पता चलेगा/

 रेजल उस यंत्र में जाता है, उस यंत्र ने उसकी शक्ति की जाँच की /

और जब बाहर आया तो कर्मवीर ने उसे बताया /

कर्मवीर: जाने अनजाने में परी ज्योति जो करना चाहती थी, वो प्रयोग सफल रहा, लेकिन उसके लवार्थी तुम हो/

हो सकता है, किसी कारण बस तुम्हारे अंदर उर्जा का संचरण इस कदर बढ़ गया, और तुम्हारे अंदर सुपरपॉवर की 

संरचना हो गयी/

तुम्हारी शक्ति है की जिस प्रस्थिति में जो सोचोगे और अपनी आंखे बंद करके उर्जा का इस्तेमाल करोगे ठीक उसके विपरीत 

सब कुछ हो जाता है/

और इसी कारण  से , ये वुरेजन सूट, जो इसी भाती कभी समाप्त न होने वाली उर्जा  धारण करता है तुम्हे चुना है/

ये सूट संसार के निर्माण के समय ही बना था, ब्रह्माण्ड में जितनी भी उर्जाये है, सभी का मिश्रण है इस सूट में/

रेजल  : वाव ! क्या मै अपना एक सुपर हीरो टाइप का नाम रख लू/

कर्मवीर : हाँ, क्यू नही,

रेजल  : कर्मवीर तुम कोई नाम सुझाओ /

कर्मवीर : अपनी शक्ति के हिसाब से नाम रख लो/

रेजल  : वुरेज , रख लू/

कर्मवीर : काफी अच्छा नाम है/

रेजल  : इस सूट के बारे में और कुछ/

कर्मवीर : दुनिया में जैसे ही नै उर्जा का संचरण होता है, ये सूट खुद को नयी तरीके में अपडेट कर लेता है/

इसके लिए तुम्हे नई तकनीक का इस्तेमाल करना होगा/

रेजल  : मुझे पता है, ये कहा से पता चलेगा/

रेजल रितेश सर के पास जाता है/

रितेश सर अपने लैब में इस सूट का जाँच करते है, और इसकी सारी खूबी बताते है/

रेजल अपने शक्ति को ठीक से इस्तेमाल करना ठीक जाता है, और परी ज्योति के पास जाता है/

श्रण ग्रह/

रेजल  : परी ज्योति , बाहर आ जाओ हिसाब - किताब चुकता कर लेते है/

ज्योति : तुम तो मेरा दिल तोड़ रहे हो, तुम्हारे मुह से स्पृहा सुनना ही अच्छा लगता है/

रेजल  : हां, तारीफ सुनने की तो आदत सी हो गयी है/

स्पृहा: तो एक आखिरी दफा, मुझे पता है, जो मै चाहती थी अब वो तुम्हारे पास, 

लेकिन तुम्हे पता है क्या, की चेनता नाम की भी एक प्राणी है, और वो तुम्हारे ठीक पीछे है/

(चेनता रेजल पर हमला किया/ रेजल ने सूट की उर्जा को एक सीधे से उसके ऊपर छोड़ा और/

उसकी कहानी खतम )

स्पृहा: मनना परेगा, मै भी मर जाउंगी, लेकिन तुम्हारे लिए मैंने पृथ्वी पर कुछ छोड़ा है/ वक्त मिले तो निपट लेना/

बिलकुल तुम्हारे बराबर का है/ 

और स्पृहा खुद को मार डालती है/

रेजल कर्मवीर से मिलने जाता है/

कर्मवीर : तो अब आगे/

रेजल  : पृथ्वी पर कोई मेरे टक्कर का है/ हो सकता है, ये सुपर पॉवर कितनो के पास हो/

कर्मवीर : हाँ, ये तो है/ avenger, supermen, x-men इतने सारे संग्रह पहले से ही है/

 सब के सब पृथ्वी पर ही है/

 रेजल  : तो हमे उनसे मिलना चाहिए, ताकि आने वाले खतरे से साथ मिल कर सामना करे/

कर्मवीर : वो पृथ्वी से है जरुर लेकिन उनसे मिलने के लिए कई अरब साल लग जायेंगे/

क्यूकी वो पृथ्वी यहाँ से काफी दूर है/

इसी ब्रह्माण्ड में ढ