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लेस्बियन सेक्स --1

नमस्कार मित्रो, मैं लता, एक बार फिर आप सबके लिए अपनी नई सेक्स स्टोरी लेकर हाज़िर हूँ। आज का मेरा पहला लेस्बियन Xxx अनुभव बहुत ही रोचक है। आज मैं आपको बताऊंगी कि मैंने किस प्रकार पहली बार समलैंगिक सेक्स का मज़ा लिया और फिर एक रईस आदमी से अपनी चूत और गांड चुदवा ली।

तो देर न करते हुए मैं जल्दी से अपनी लेस्बियन Xxx कहानी शुरु करती हूँ।

यह कहानी सुनें.

एक दिन सुबह करीब साढ़े दस बजे मैं कारखाने में अपने कैबिन में बैठकर अपना काम कर रही थी कि तभी मुझे एक अंजान नम्बर से कॉल आया।

मैंने फोन उठाया और हैलो कहा।

सामने से एक महिला बोली- हैलो! क्या मैं लता जी से बात कर रही हूँ?

मैंने कहा- हां, मैं लता! आप कौन?

उसने कहा- मेरा नाम प्रिया है। मैं गारमेन्ट किंग हरीश जी की सेक्रेटरी हूँ। हमें आपका नम्बर आपके बॉस रमेश जी से मिला।मैं बोली- जी कहिए, मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूँ?

उसने कहा- मैं आपको यह कहना चाहती हूँ कि मेरे सर काफी शौकिन मिज़ाज के हैं। वे लगभग हर रोज़ किसी नई औरत को चखते हैं। और इसके लिए वो कोई भी कीमत देने को तैयार रहते है। रमेश जी ने ही मेरे सर को आपके बारे में बताया, उन्होंने आपकी बहुत तारीफ की जिसके बाद मेरे सर आपके साथ एक बार मुलाकात करना चाहते हैं। रमेश जी ने उन्हें आपकी नंगी फोटो भी दिखा दी है जिसके बाद वो और भी ज्यादा उतावले हो रहे हैं।

उसने आगे कहा- आपको जितना पैसा चाहिए, वो आपको दे दिए जाएंगे। पैसे जो आप चाहें … और शौक जो हम चाहें! मैंने कहा- ठीक है, लेकिन किस समय आना होगा?

उसने कहा- समय आप ही तय कर लीजिए लेकिन आना आज ही होगा।

मैंने कहा- ठीक है, मैं दो घंटे बाद आ जाऊंगी।

उसने कहा- ठीक है, हम आपके लिए कार भिजवा देंगे।

मैंने 'ठीक है' कहकर फोन रख दिया।

फिर मैंने जल्दी-जल्दी अपना सारा काम निपटाया।

उतने में ही 2 घंटे कब बीत गए, पता ही नहीं चला।

जैसा कि प्रिया ने कह दिया था, एक कार मुझे लेने आ गई और मैं उसमें बैठ गई, अपनी मंज़िल पर पहुँचकर चुदवाने के लिए।

कार में बैठे-बैठे ही मैंने थोड़ा-सा मेकअप किया। अपनी ब्लाउज़ को थोड़ा ज्यादा नीचे खिसका दिया जिससे मेरी चूचियों की घाटी साफ़ दिख सके। साड़ी को भी थोड़ा ज्यादा नीचे खिसका दिया जिससे मेरी कमर और नाभि, दोनों साफ़-साफ़ दिखने लगे।

करीब 20 मिनट के अंदर ही मेरी मंज़िल आ गई। कार एक बहुत ही शानदार बंगले पर जाकर रुकी। वैसा बंगला मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देख रखा था।

मैं कार से उतरी तो सामने एक जवान-खूबसूरत लड़की खड़ी थी।

उसने हाथ आगे बढ़ाया और कहा- हाय! मैं प्रिया।

मैंने उससे हाथ मिलाया और 'हाय' कहा।

प्रिया को देख मैं तो अवाक रह गई।

वो बहुत ही सुंदर और आकर्षक थी। उसके बारे मैं अब और क्या बताऊं … उसका फिगर यही कोई 32-30-34 का रहा होगा।

तब उसने एक सफेद शर्ट और एक काली शार्ट स्कर्ट पहनी हुई थी जैसा अमूमन महिला सेक्रेटरी पहनती है।

वो मुझे बंगले के अंदर ले गई।

अंदर जाकर हम दोनों सोफे पर अगल बगल बैठ गयी।

अब मैं आप लोगों को हम दोनों की बातें बताकर बोर नहीं करुँगी।

हां, ये जरूर बताना चाहूँगी कि मैंने कभी ये सोचा भी नहीं था कि कोई एक महिला मुझे उस मर्द के बारे में बताएगी जिसके साथ मैं कुछ ही देर में शारीरिक संबंध बनाने वाली हूँ।

प्रिया ने मुझे हरीश जी के बारे में काफी सारी बातें बताई, मैंने भी उसकी बातों को ग़ौर से सुना।

उसने मुझे बताया कि हरीश जी को किस तरह की औरत व लड़कियाँ पसंद है, वो किस तरह से चुदाई करते हैं और चुदने वाली से किस तरह की आशा रखते हैं।

प्रिया ने ये सब बातें बता दी और मुझसे कहा कि मैं शुरुआत से ही उनसे खुलकर फोरप्ले करूँ और करने दूँ। इससे वो ज्यादा खुश होंगे।

हरीश जी के बारे में मैंने कुछ सवाल भी किए जिसका जवाब उसने सटीक और यहां तक की गंदी भाषा का प्रयोग करते हुए दिया।

इस पूरी बातचीत से मैं ये तो समझ गई कि प्रिया भी हरीश जी से चुदवाती है, नहीं तो ये सारी बातें उसे पता नहीं होती।

हमारी बातचीत पूरी हुई तो उसने मुझसे पूछा- क्या अब तुम तैयार हो?

मैंने 'हां' में जवाब दे दिया।

फिर उसने मुझसे कहा- ठीक है, तो चलो अब अपने कपड़े उतारो।

मैंने चौंकते हुए पूछा- क्या?

लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।

वो खड़ी हुई और अपनी शर्ट के बटन खोलने लगी। सारे बटन खोलने के बाद उसने शर्ट उतार फेंका।

अंदर उसने ब्रा नहीं पहना था तो शर्ट के उतरते ही वो उपर से पूरी नंगी हो गई।

फिर उसने अपना स्कर्ट भी उतार फेंका।

उसकी चूत को एक सफेद रंग की थोंग-पेंटी ने ढक रखा था जो कि बहुत ही सुंदर व आकर्षक लग रही थी।

बिना कपड़ों के वो और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी।

घर के उजाले में उसका गोरा बदन चमक रहा था; ऐसा लग रहा था मानो काम की देवी खड़ी है।

उसने कहा- चलो, तुम क्या सोच रही हो? हरीश जी काफी उत्साहित हैं, उन्हें ज्यादा इंतज़ार कराना ठीक नहीं।

और उसने मेरी ओर अपना हाथ बढ़ाया।

मैं उसका हाथ पकड़ कर खड़ी हो गई। उसने मेरी साड़ी का पल्लू हटाया और मेरी साड़ी उतारने लगी।

फिर उसने मेरी पेटीकोट और ब्लाउज़ उतार दिए।

इत्तेफ़ाक से मैंने भी अंदर सफेद पैंटी पहनी थी और ब्रा हल्के नीले रंग की थी। मेरी चूचियां ब्रा से बाहर आने को उतावली थी।

फिर प्रिया मेरे करीब आई और मेरी कमर को सहलाने लगी।

कुछ देर सहलाने के बाद उसने अपने हाथ पीछे ले जाकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया।

उसने मेरी ब्रा को मेरे ज़िस्म पर से उतार फेंका।

अब मैं और प्रिया, दोनों ऊपर से नंगी थी। मेरी चूचियाँ प्रिया से बड़ी थी।

मर्दों की ही तरह, प्रिया की नज़रें भी मेरी चूचियों पर अटकी रह गई।

वो एकटक मेरी गोल-गोल 34″ की चूचियों को देखे जा रही थी।

उसने मेरी चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और फिर धीरे-धीरे उन्हें प्यार से सहलाने लगी।

मेरी चूचियों को सहलाते हुए उसने कहा- तुम्हारी चूचियाँ काफी बड़े और खूबसूरत हैं। हरीश जी तो इन्हें देख पागल हो जाएंगे।

फिर वो मेरे और करीब आई और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

वो अपने हाथ . .....

to be continue...