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सफ़लता का रहस्य है गुरू

जिन्दगी का सबसे सुहाना पल था।

मेरा निराला स्कूल में आना।

पहले लगा हाय! कहाँ आ गया?

एक से सात तक का

सफर था बड़ा सुहाना।

कभी फर्स्ट कभी सैकण्ड

फिर ऐसी ही सारी क्लासेज

सबसे पहली थी एक क्लास जिसकी कमाण्ड थी--

कृष्णकान्ति और वर्मा मैडम के पास।

सिखाया इन्होंने ही पेन्सिल पकड़ना।

इनकी बदौलत आया शब्दों को जकड़ना।

बात ये अच्छी तरह याद है मुझे

एक मर्तबा मैने पुछा इनसे

सर, ये कहाँ से आया दो?

खीचे कान और कहा--बालानाथ

एक और एक को जोड़ो और बना "दो"

दिन यूँ ही बीत गया साल था--2009

और मेरी क्लास थी फोर

नए चेहरे थे मेरी नजरो में

और वर्मा मैडम थी खबरो में

सुना था इनमें गजब का है जोश

पर यकिन हुआ जब जाना कि मुट्ठी में है इनकी हिन्दी शब्द कोश

आया क्लास फिफ्थ में

आया मुझमें कुछ जोश

पर ओमकार सर की मैथ्स ने

उड़ा दिये मेरे होंश

आ रहा था मजा जैसे खेल रहे हो मैच

तेजबहादुर सर की हिन्दी ने गजब का मारा फ्लैश

4 से लेकर 7 क्लास में संस्कृत के हो ते दर्शन

झून्ना सर ही करा सकते थे इनका हिन्दी वर्जन

बस इन्ही की वजह से कुछ श्लोक

कर सकता हूँ भगवान को अर्पण।

हमे हमेशा हौसला प्रदान करते थे दुखारी सर

मुझसे अक्सर व्यायाम करवाने के लिए बुलाया करते थे दुखारी सर

आज हमारे बीच नहीं है सर लेकिन आज भी मेरे दिल में हो आप

बच्चन सर थे साइंस के टीचर

पढ़ाते थे हमे सारा क्रीचर्स

हिस्ट्री और ज्योग्राफी दोनो पढ़ाई सुरेन्द्र सर

सुरेन्द्र सर का पढ़ाने का ढंग

आज भी है मेरे संग

अनिल सर जी थे यहाँ के कर्ता-धर्ता

यदि डिस्पलीन मे नही आते तो

ये बना देते मेरे डिलिशियस भर्ता

इनका रहूंगा एहसानमन्द क्योकि

इन्होने तो सिखाया मुसीबतो से लड़ना।

प्रिंसपल सर स्किल्स ने मजबूत कर दी हैं

हमारी ब्रिक्स बस अब सीमेन्ट लगाना है।

काफ़ी कुछ बदला बचपन हुआ खतम

सीनियर्स की राह में बढ़ चले मेरे कदम

जिन्दगी का सबसे सुहाना पल था।

मेरा पशुपति राय इण्टर काॅलेज में आना आठ से बारह तक का

सफर था बड़ा सुहाना।

सब कुछ नया नया था

बस दोस्त पुराने थे।

सतीश सर थे इंग्लिश के टीचर

लेकिन जब सामने आई इंग्लिश

डूब गई नय्या हार गया रेस

लेकिन सतीश सर ने लगने नही दिय़ा ब्रेक

10क्लास थी सामने जिन्दगी थी

परेशानी में बोर्ड का था चक्कर सारा

मैथ्स की दुनिया में कैरियर बून डाला और अनूप सर,अजीत सर,

धनन्जय सर और आशीष सर की मैथ्स के सारे थ्योरम्स को रटा डाला।

देवचन्द सर जी ने मेरा कला में दिया साथ

हिस्ट्री और ज्योग्राफी दोनो पढ़ाई सुशील सर

सुशील सर का पढ़ाने का ढंग

आज भी है मेरे संग

गजब की हिन्दी पढ़ाती थी विभा मैम मुट्ठी में है इनकी हिन्दी शब्द कोश

आज इन्ही की वजह से मै 10 व 12 अच्छे नम्बर से पास हुए हम।

मनोहर सर ने डर को उतारा

हाइड्रोजन, हीलियम और लीथियम की दुनिया में

कैरियर बना डाला।

10 से हुआ जब पार। साइंस का भूत हुआ सवार।

दिनेश सर, धनन्जय सर, व आशीष सर फिजिक्स की दुनिया में कैरियर बना डाला।

गर जिक्र न करूं प्रिंसपल सर का तो

कविता रहेगी मेरी अधूरी

इन्ही का तो एहसान है कि सारी महत्वाकांक्षाएँ

हुई है पुरी

आज फक्र के साथ कहता हूँ की मैं

निराला पूर्व माध्यमिक विद्यालय

तथा पशुपति राय इण्टर काॅलेज का बच्चा हूँ।

आत्मविश्वास है इतना इन्ही की वजह से कि हर बात मे सच्चा हूँ।

जा रहा हूँ इस स्कूल से

पर वादा है~मिलने जरूर आऊंगा

मेरे इस प्यारे स्कूल में बिताया हर लम्हा

मेरी मौत के साथ लेकर जाऊँगा।

"जा रहा हूँ इस स्कूल से

पर वादा है~मिलने जरूर आऊंगा

मेरे इस प्यारे स्कूल में बिताया हर लम्हा

मेरी मौत के साथ लेकर जाऊँगा।"

~बालानाथ राय