ज़िन्दगी एक शाम है,
तू एक सवेरा है।
जब तक साँस है,
तभी तक बसेरा है।
ज़िन्दगी एक बीन है,
तू एक सपेरा है।
माली की बगिया में,
मौत का बसेरा है।
- बालानाथ राय