Chapter - 29
रात का समय...
शिद्दत ताई को ढूँढ रही थी उसे तभी याद आता है कि ताई कक्षा में होगा वो अंदर जाती है देखती है कि ताई तो ध्यान में बैठा है वो खुद से कहती है - ये हमेशा ध्यान में ही क्यों बैठा रहता है चलो कोई न थोड़ी देर इंतजार ही कर लूँ l
शिद्दत बहुत देर तक इंतजार करती है आधा घंटा उससे भी ज्यादा लेकिन वो अपनी हरकतें बंद नहीं करती वो भी उसकी तरह नकल कर ध्यान के लिए बैठ गयी लेकिन ध्यान उसकी बस की बात कहाँ वो अपने हाथ को गाल पर रखती है इंतजार करती है l
फिर उसे नींद आने लगती है शिद्दत उसकी गोद में सर रख कर लेट गयी लेकिन ताई इतनी एकाग्रता से ध्यान में बैठा था कि उसकी आँखे खुलती ही नहीं है थोड़ी देर के बाद जब वो ध्यान से निकलता है तो देखता है शिद्दत उसकी गोद में सर रख कर सो गयी है l
वो खुद से कहता है - लगता है मेरा इंतजार करते - करते सो गयी इसको मुझे जगाना चाहिए था मैं उठ जाता ताई ने शिद्दत के चेहरे से जैसे ही बाल हटाये शिद्दत जग गयी ताई ने कहा - मैंने तुम्हें जगा दिया l
शिद्दत बोली - कोई बात नहीं l
ताई - लेकिन तुमने मुझे क्यों नहीं जगाया l
शिद्दत उठकर बैठ गयी और कहा - क्योंकि तुम ध्यान में थे और कितना ध्यान करते हो ऐसा लग रहा था तुम दूसरे लोक में चले गए हो l
ताई मन में कहता है - वहीँ तो गया था अब तुम्हें कुछ नहीं याद तो मुझे अकेले ही संभालना पड़ेगा l
शिद्दत उसकी ओर देखते हुए बोली - तुमने कुछ कहा l
ताई - नहीं नहीं अच्छा ये बताओ यहाँ पर क्यों आयी थी कहीं तुम्हें मेरी याद तो नहीं आ रही थी l
शिद्दत - याद तो मैंने कभी किसी को नहीं किया तो तुम्हें कैसे कर सकती हूँ क्योंकि तुम हमेशा मेरे मन में चलते रहते हो तो याद करने का समय ही नहीं मिलता l
ताई - तुम ओंग के साथ रहते - रहते उसकी भाषा बोलने लगी l
शिद्दत कहती है - तुम मुझे उसके साथ मत जोड़ो और देखो तुम्हारे चक्कर में मैं भूल ही गयी कि मैं कहने क्या आयी थी
ताई ने कहा - आराम से बताओ मैं तुम्हारी बात सुन रहा हूँ l
शिद्दत थोड़े चिंता मन से बोली - तुम्हें पता है जब कल रात को मुझे अच्छा नहीं लग रहा था तो मैं थोड़ी देर के लिए ध्यान करने बैठी थी तब मुझे ऐसा लगा जैसे मैं भविष्य देख रही हूँ जो हुआ था वो मैंने अपनी आँखों से देखा था l
ताई - उस बात को भूल जाओ तुमने वही देखा जो होने वाला था अब जाकर सो जाओ l
शिद्दत बोली - हाँ एक और बात बोलनी थी जब कल वो असुर तुम पर चाबुक चला रहे थे तो मुझे किसी की आवाज सुनाई दी थी कोई न किसी को श्राप दे रहा था उसने सात जन्मों के लिए अलग रहने का श्राप दिया उस वक़्त दिल जोरों से धड़क रहा था और मेरा शरीर काँप रहा था कौन था वो ?
ताई ये सुनकर चिंतित हो गया उसने कहा - उसके बारे में कल जानेंगे अभी तुम जाओ सो जाओ l
शिद्दत - पक्का न कल तुम मुझे बताओगे l
ताई - हाँ हाँ पक्का कल बताऊँगा अभी तुम जाओ l
शिद्दत - अरे जा रही हूँ न इतना घबरा क्यूँ रहे हो l
शिद्दत रुक गयी तो ताई ने कहा - अब क्या हुआ l
शिद्दत आकर उसके सामने खड़ी हो गई और उसके पैर के पास बैठ दोनों हाथों से उसके पैर छुए ताई उसको देखता रहा तो शिद्दत ने कहा - अभी आशीर्वाद भी दो कि देखते ही रहोगे l
ताई ने उसके सर पर हाथ रखा और उसके बाजुओं को पकड़ उसे उठाया और कहा - तुम्हारी जगह मेरे हृदय में है l
और उसे गले लगा लिया शिद्दत बहुत खुश हुई और कहा - वो तो है ही l
और वहाँ से अपने कमरे में चली आयी और मुस्कराते हुए सो गयी ताई खिड़की के पास खड़ा आसमान की ओर देख रहा था और खुद से बोला - जैसे - जैसे समय बीतता जाएगा तुम्हारा अतीत तुम्हारे सामने आयेगा और जब तुम्हें सब कुछ याद आ जाएगा मैं तुम्हें तुम्हारे असली घर ले चलूंगा अपने लोक जहां बस मैं तुम और हमारे सभी साथी हैं जो कबसे मेरी तरह ही वो भी तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं l
....
रात ढल जाती है और सूर्योदय हो जाता है शिद्दत अपने कपड़े बदलकर आइने के सामने बैठी थी l
शिद्दत खुद से सोचते हुए बोली - आज मेरा मन इतनी चिंता में क्यूँ लग रहा है मुझे इतनी बेचैनी क्यों हो रही है जैसे कोई जा रहा है l
वो सोच ही रही थी कि तभी सोंग जोंग आकर उसके पास खड़ा हो गया उसे देख शिद्दत खुश हो गयी और बोली - तुम
सोंग जोंग - हाँ मैं आप क्या सोच रहीं हैं ?
शिद्दत बोली - कुछ नहीं बस मन थोड़ा बेचैन हो रहा है l
सोंग जोंग - होता है मुझे आपसे एक बात कहनी थी l
शिद्दत - हाँ बोलो l
सोंग जोंग - मैं जा रहा हूं l
शिद्दत ने हैरानी से पूछा - कहाँ l
सोंग जोंग ने कहा - जहां एक दिन सभी जाते हैं l
ये कहकर सोंग जोंग जाने लगा शिद्दत ने उसे आवाज लगाई लेकिन वो एक बार भी नहीं मुड़ा न ही रुका वो चलता चला गया l
शिद्दत उसके पीछे दौड़ी - रुको रुको बच्चे सुनो कहाँ जा रहे हो रुको l
उसने बहुत आवाज लगाई लेकिन वो एक बार भी नहीं रुका तभी अचानक शिद्दत का कपड़ा एक कील में फँस गया वो कपड़े को निकालने लगी जब कपड़ा कील से बाहर निकला शिद्दत ने देखा सोंग जोंग एक सफेद रौशनी में गायब हो चुका है l
वो बाहर आयी और उसे ढूंढने लगी सोंग जोंग कहीं नहीं मिला तभी ताई आया और उसने कहा - क्या हुआ किसे ढूँढ रही हो l
शिद्दत - वो सोंग जोंग मेरा.. बेटा उसको l
ताई ने देखा वहाँ कोई नहीं है तो शिद्दत से बोला - अंदर ही होगा कहीं l
शिद्दत - नहीं है उसने कहा मैं जा रहा हूं मैंने पूछा कहाँ तो उसने बोला जहां एक दिन सभी जाते हैं और फिर मैंने उसे आवाज लगाई उसका पीछे आयी लेकिन वो एक सफेद सी रौशनी में गायब हो गया l
ताई समझ गया और उसने कहा - वो चला गया जहां से वो आया था l उसे दुःख तो हो रहा था लेकिन उसने न ही जताया और न ही उसे उसके बारे में कुछ बताया l
तभी एक सेवक आकर शिद्दत को एक पत्र देता है और कहता है - ये राजकुमार ताई जोंग की रानी माँ ने भिजवाया है आप के लिए l
और ताई से कहता है - राजकुमार जी आपको राजा और रानी ने बुलाया है l
शिद्दत पत्र लेती है सेवक वहाँ से चला जाता है ताई कहता है - मैं जाता हूँ l शिद्दत हाँ में सर हिला देती है ताई जाने लगता है शिद्दत उसका हाथ छोड़ती है ताई वहाँ से चला जाता है शिद्दत पत्र पढ़ने लगती है कि उसे भी महल में बुलाया गया है l
शिद्दत खुद से हैरानी से कहती है - मुझे.. मुझे क्यों बुलाया गया है जरूर कोई बात होगी l
तभी एक सेवक फिर आया उसने कहा - आपको रानी जी ने बुलाया है l
शिद्दत - किसलिए l
सेवक - वो हमें नहीं पता बस इतना कहा गया है कि आपको ले आया जाये l
शिद्दत उसके साथ महल की तरफ जाने लगी वो महल के पास आए शिद्दत ने देखा महल बहुत बड़ा और बहुत सुन्दर है बाहर बहुत बड़ा मैदान था शिद्दत ने जैसे ही महल के अंदर अपना सीधा पाँव रखा एक ऊर्जा उस तेजी जमीन पर दौड़ गयी वो दरबार में आयी देखा वहाँ पर ताई की माँ, सिमी, जियांग, ओंग, युन और ताई थे l
जैसे वो उसी का इंतजार कर रहे हों शिद्दत बोली - जी आपने मुझे बुलाया l
सभी उसकी ओर देखने लगे ताई की माँ उसके पास आयीं
शिद्दत ने उन्हें हाथ जोड़ कर प्रणाम किया ताई की माँ ने उसे गले लगा लिया और उससे कहा - तुम मुझे बहुत पसंद आयी तुम बहुत सुन्दर हो ऐसा लगता है जैसे तुम कोई ईश्वर का ही एक रूप हो l
शिद्दत - जी ये तो सभी लोग बोलते हैं l
ताई की माँ - हाँ मैंने तुम्हें इसलिये बुलाया था क्योंकि मुझे तुमसे कुछ सवाल पूछने थे l
शिद्दत - जी पूछिये l
माँ - क्या तुम मेरे बेटे से प्यार करती हो ?
शिद्दत पहले उन्हें देखती है फिर ताई को देखती l
माँ - बोलो क्या तुम मेरे बेटे से प्यार करती हो l
शिद्दत ने अपनी नज़रें नीचे कर ली और हड़बड़ाते हुए कहा - वो.. वो.. वो.. नहीं l
माँ - नहीं..
शिद्दत उनकी तरफ देखती है और कहती है - नहीं मतलब हाँ...
ताई की माँ - मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है तुम क्या बोल रही प्यार करती हो या नहीं l
शिद्दत मुस्कराइ और शांति से बोली - हाँ मैं ताई से बहुत प्यार करती हूँ अपनी जान से भी ज्यादा l
जियांग और सिमी खुश हो गए लेकिन ताई खुश नहीं था l
फिर उसकी मां ने कहा - क्या ताई भी तुमसे प्यार करता है l
शिद्दत ताई की तरफ देखती है और कहती है - जी वो भी मुझसे बहुत प्यार करता है l
ताई की माँ ताई के पास आती हैं और उससे पूछती हैं - ताई बेटा क्या तुम भी इससे प्यार करते हो जो ये बता रही है l
ताई ने शिद्दत की तरफ देखा जो उसकी ही तरफ देख मुस्करा रही थी और हाँ बोलने को कह रही थी वैसे शिद्दत का दिल जोरों से धड़क रहा था l
ताई ने उसे देखा और कहा - नहीं मैं शिद्दत से प्यार नहीं करता l
ये सुन शिद्दत के साथ - साथ सभी उसकी तरफ हैरानी से देखने लगे ताई ने कहा - मैं इससे प्यार नहीं करता ये कहाँ और मैं कहाँ l
शिद्दत ने कहा - क्या बोल रहे हो सच बताओ कि तुम भी मुझसे प्यार करते हो कल तुम्हीं ने तो कहा था l
ताई बोला - वो सब झूठ था मैं तुमसे कभी वो नहीं कहना चाहता था लेकिन मैंने सोचा मैं जिसका इंतजार कर रहा हूं उसको कैसे अपने प्यार का इजहार करूंगा बस इसीलिए मैंने तुमसे कहा l
ये सुन शिद्दत के आँखों से आंसू छलक उसके गाल पर आ गए उसने कहा - मतलब वो सब झूठ था तुमने मुझसे झूठ बोला l
ओंग ने कहा - अरे क्या ये प्यार के चक्कर में पड़ गयी तुम मेरे से प्यार करती मैं तुम्हें बहुत खुश रखता l
युन बोली - तुम्हारा तो एक बेटा भी था न वो कहाँ से आया था जो तुम्हें अपनी माँ बता रहा था पिता का कुछ पता ही नहीं l
उसके ये बोलने से बादल गरज़ उठे बिजली भी कड़कने जैसे वो शिद्दत के रोने से उन्हें दुख हो रहा हो बाहर तेज हवा चलने लगी l
वहाँ सभी लोग बातें बनाने लगे ताई भी दुखी था लेकिन कोई कारण था जिसके लिए उसने मना कर दिया शिद्दत को उनकी बातें सुन गुस्सा आ रहा था उसने कहा - बस करो आप सभी आप लोग क्या सोचते हैं मुझे उससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता और तुम ( ओंग से ) उसे प्यार नहीं कहते जो सुन्दरता पसंद करता हो किसी को अपनी रूह में बसाना पड़ता है l
मैं कुछ बोल नहीं रहीं हूँ तो इसका कोई गलत फायदा नहीं उठाएगा l उसने सभी को उंगली दिखाते हुए कहा और फिर ताई के सामने खड़ी उससे बोली - तुमने मेरा इस्तेमाल किया है तुमने मेरा बहुत दिल दुखाया भले ही तुम मुझसे प्यार नहीं करते लेकिन मैं करती हूँ और याद रखना जिसका तुम इंतजार कर रहे हो इस जन्म में तो वो कभी नहीं मिलेगी l
भले ही ताई उसकी बात सुन रहा था लेकिन उसके आँखों में भी आँसू था शिद्दत अपने दिल से रो रही थी और जो भी कह रही थी उसके दिल से निकल रहा था उसे देख तो सभी लोग भी आँसू बहा रहे थे भले ही वो उसका तिरस्कार कर रहे थे l
शिद्दत ने ताई की माँ से रोते हुए हाथ जोड़कर कहा - मुझे माफ कर दीजिए इसमे न ही मेरी कोई गलती थी और न ही इनकी मैं यहाँ अब कभी भी नहीं आऊंगी l
उसकी माँ भी कुछ नहीं कह पायी शिद्दत वहाँ से भागकर जाने लगी सभी उसे जाते हुए देख रहे थे वो सीढियों से नीचे भागते हुए आती है पैर में कुछ पहना नहीं था बिना नीचे देखे भाग रही थी पैर में कांटे चुभ रहे थे कंकड़ धंस रहे थे पैरों में चोट लग रही थी l
उससे उसे कुछ फर्क़ नहीं पड़ रहा था वो कबीले न जाकर दौड़ती हुई न जाने कहाँ जाने कहाँ जाने लगी उसने अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया और आँखे बंद कर ली l
वो अदृश्य हो गयी वो एक जंगल में थी उसने आँखे खोली और फिर से भागने लगी l
वो रोती रही जहां भी उसके पैर पड़ते वहाँ कांटे ही कांटे थे और वो धंस जाते वो भागते हुए एक महल के पास आ पहुंची वो भागते हुए अंदर जाने लगी बाहर खड़े सैनिक उसके पीछे दौड़े - राजकुमारी जी राजकुमारी जी... l
शिद्दत दरबार में बैठे अपने पिता के पास आयी और रुक गयी वो हांफ रही थी उसके पिता और बाकी सभी उसे देख हैरान थे - श्रीशि l
शिद्दत वहीँ बेहोश हो गयी l
Continue...