Chapter - 11
शिद्दत की आँख खुलती है तो वो खुद को अपने कमरे में पाती है वो बिस्तर पर लेटी हुई थी उसके सर के पास ताई बैठा था जो कि अपनी आँखे बंद किए था krishi देखती है कि उसका हाथ ताई ने पकड़ रखा है krishi झटके से अपना हाथ उससे छुड़ाती है तो ताई जग जाता है और शिद्दत को देखने लगता है l
ताई - तुम उठ गयी l
शिद्दत उठकर बैठने लगती है तो ताई उसको सहारा देकर उठाता है शिद्दत को उसे ऐसे देख बहुत अजीब लग रहा था शिद्दत - मैं ठीक हूँ आप मेरी मत कीजिये l
शिद्दत देखती है कि उसके सर और पैर में पट्टी बंधी है वो अपने सर पर हाथ रख कहती है - मुझे याद है मैं पत्थर से टकरा गयी थी l
ताई - तुम्हे अपने दिमाग पर जोर देने की ज़रूरत नहीं है तुम बस आराम करो l
शिद्दत उसे देख पूछती है - आप यहाँ कबसे हैं और आप मेरी चिंता क्यों कर रहे हैं ?
ताई सोच में पड़ जाता है - कैसे बताऊं की मैं तुम्हारी चिंता क्यों करता हूँ क्यों मुझे तुम्हारी परवाह है अगर बता भी दूँ तो पता नहीं यकीन करोगी भी या नहीं l
शिद्दत उसे सोचता हुआ देखकर बोली - आप क्या सोच रहे हैं अगर कोई बात है तो मुझे बताइए और हाँ मुझे बचाया किसने है आपने ?
ताई जैसे ही कुछ बोलने वाला था तभी कुछ सेवक आकर उससे कहते हैं - राजकुमार आप को गुरु ने बुलाया है l
ताई उन्हें देखकर - हम्म... चलो मैं आता हूँ l
शिद्दत कहती है - आपको गुरु जी ने क्यों बुलाया है ?
ताई मुस्कराता है और उससे कहता है - बस कुछ काम है उसके लिए बुलाया है वो हमारे कबीले के एक लड़के ने यहाँ के नियम को भंग किया है तो उसी का निर्णय लेना है तुम आराम करो मैं आता हूँ l
ताई जाने लगता है तभी शिद्दत अपने सीने पर हाथ रखकर कहती है - मुझे इतनी बेचैनी इतनी घबराहट क्यों हो रही है जैसे मेरे किसी अपने के साथ कुछ बुरा होने वाला है l
उसके ये शब्द सुनकर ताई के कदम रुक जाते हैं वो मुस्करा देता है और खुशी से उसके आँखों से आंसू छलक आते हैं l
वो बाहर चला जाता है उसके बाहर जाते ही लुई और उसकी सहेलियाँ उसके कमरे में आती हैं लुई गुस्से से शिद्दत से कहती है - अब तो तुम खुश होगी है न l
शिद्दत ने उनकी तरफ देखते हुए नासमझी से कहा - मतलब मैं समझी नहीं तुम क्या कह रही हो ?
लुई - आज सिर्फ तुम्हारी वजह से मेरे प्यारे ताई को दंड दिया जा रहा है वो भी उस गलती के लिए जो उसने तुम्हारे लिए किया था और उसे गुरु जी ने 200 कोड़े मारने को कहा वो भी उतनी भारी बारिश में सिर्फ तुम्हारी वजह से l
शिद्दत अभी भी समझ नहीं पा रही थी तो उसने फिर सवाल किया - लेकिन उन्हें दंड किस बात का मिल रहा है और मेरी वजह से क्यों मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है l
लुई ने कहा - तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है तुम उस झरने में जब गिर गयी थी तो वो तुम्हें पागलों की तरह ढूँढ रहा था और उसे जब पता चला कि तुम उस पानी में गिरी हुई हो तो उसने अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया तुम्हें बचाने के लिए उसने नदी के पानी को ऊपर उठा दिया और तुम्हें निकाला तुम्हारी रक्षा की लेकिन अब उसको इस गलती के लिए सजा मिलेगी इससे अच्छा होता कि तुम मर ही गयी होती l
शिद्दत को ये सुन बहुत बुरा लगा उसके आँखों से आंसू गिरने लगे उसने रोते हुए कहा - मैं आपको नहीं समझ पाई मुझे माफ़ कर दीजिए आपके दिल के जैसा मेरा दिल नहीं है लेकिन मुझे भी दर्द होता है आपके लिए l
लुई - तुम यहाँ आई ही क्यों उसकी जिंदगी कितनी अच्छी चल रही थी वो अपनी प्रेमिका को अपने ध्यान में ढूंढता और उसका इंतजार ही करता रहता तुम्हारे आने से सब कुछ बेकार हो गया है अगर ज़रा भी पछतावा हो तो अपने देश लौट जाओ l
ये कहकर वो सभी चली जाती है सभी बाहर खड़े थे जोर की बारिश हो रही थी और उस बारिश के नीचे ताई दोनों घुटनों के बल बैठा हुआ था और एक काला कपड़ा पहना मोटा सा आदमी अपने हाथ चाबुक लिए खड़ा था l
ताई ने उस आदमी से कहा - देखिए आप मेरे हृदय को छुड़ाकर कहीं भी मारिये बस एक भी चाबुक मेरे हृदय पर न लगे l
उस आदमी ने कहा - क्यों ?
ताई ने मुस्कराकर सोचते हुए कहा - क्योंकि इस हृदय में कोई रहता है और अगर आप मेरे हृदय को चोट पहुंचाएंगे तो उसे भी चोट लगेगी जो मैं नहीं चाहता और उसे चोट लगी तो मुझे दुःख होगा इसलिए आप इधर मत मारियेगा l
उस आदमी ने कहा - ठीक है l
और अपने चाबुक को ताई के ऊपर बरसाने लगता है ताई अपनी आँखे बंद कर बस अपने होंठों से शिद्दत का नाम लेता रहा और उसे याद करता रहा l
सभी लोग खड़े होकर कबीले के अंदर से ये नज़ारा देख रहे थे ताई के ऊपर जब - जब चाबुक चलता दर्द के मारे उसकी आँखे और तेज बंद हो जाती l
शिद्दत अपने बिस्तर से कैसे कैसे करके उतरती है और धीरे - धीरे दीवार पकड़ कर बाहर जाने लगती है उसके पैरों में चोट लगी थी तो वो धीरे-धीरे चल रही थी वो बाहर पहुँचती है तो देखती है बहुत भीड़ लगी हुई थी l
वो भीड़ के अंदर से बाहर जाती है तो देखती बाहर ताई बैठा और वो मोटा इंसान उसके ऊपर कोड़े बरसा रहा था l
शिद्दत उसे देखते ही जैसे उसकी जान निकल गयी वो देखती ही रह गयी उसके आँखों से आंसू छलक कर उसके गाल पर आ जाते हैं l
शिद्दत आगे जाने लगती है तभी दीया उसे पकड़ लेती है और उससे कहती है - ये क्या कर रही हो अनाया कहाँ जा रही हो l
मुझे जाने दो दीया उसे मेरी ज़रूरत है, उसने दीया से हाथ छुड़ाते हुए कहा तो दीया ने उसकी एक भी न सुनी l
तभी ताई की नजर शिद्दत पर पड़ती है तो वो उसे देख मुस्कराने लगता है शिद्दत उसे देख रही थी कि वो मार खाते हुए मुस्करा रहा है लेकिन वो समझ नहीं पा रही थी वो क्यों मुस्करा रहा है उस पर जितनी बार भी चाबुक पड़ रहा था उसकी चीख निकल जाती - आ.. l
लेकिन वो फिर भी शिद्दत की तरफ देख मुस्करा देता शिद्दत से ये सब देखा नहीं जा रहा था तो शिद्दत ताई की तरफ भागती है उसे ये भी याद नहीं रहता कि उसके पैर में चोट लगी है सभी हैरानी से उसे देख रहे थे l
शिद्दत जाकर ताई के गले लग जाती है और वो चाबुक शिद्दत को लगता है शिद्दत को अपने गले लगता देख ताई ने उसे जोर से पकड़ लिया l
शिद्दत का तो अचानक से दिल धड़कने लगता है दोनों ने आँखे बंद की थी और एक दूसरे को गले लगाए हुए थे वो मोटा आदमी उन्हें चाबुक मार रहा था लेकिन उनको एक भी चोट महसूस नहीं होती बल्कि जो भी कोड़े से मारी हुई चोटें ताई को लगी थीं वो भी गायब हो गयी सभी ये देखकर हैरान रह गए l
एक लड़का - अरे ये क्या ये चोट तो बिलकुल ही गायब हो गयी ये कैसे हुआ l
सभी आपस में बातें करने लगे शिद्दत ने कहा - आप मेरे लिए इतना चोट सहन कर रहे हैं मुझे माफ़ कर दीजियेगा मैं आपके प्यार को समझ नही पायी आपको समझ नहीं मैं आपको दुःख में देखकर खुद दुखी हो जाती हूँ आप जिसका इंतजार कर रहे हैं आप उसे भूल जाइए बल्कि लुई के साथ एक नया जीवन बिताईये वो आपके लिए सही जीवनसाथी है l
ये सुनते ही ताई ने अपनी आंखें खोलीं और शिद्दत को देखते हुए कहा - नहीं मैं जिसका इंतजार कर रहा हूं इतने बरसों से वो मेरे सामने है तो मैं किसी और को कैसे अपना लूँ l
शिद्दत ने उसे देखते हुए पूछा - कौन है क्या आप उसे जानते हैं आपने उसे देखा है ?
ताई ने शिद्दत का चेहरा अपने हाथ में पकड़ा और कहा - हाँ मैं उसे अच्छी तरह से जानता हूँ और देख भी रहा हूँ वो मेरे सामने है मेरे दिल के बहुत करीब मेरी रूह में बसी है l
शिद्दत ने पूछा - क्या वो यहीं है ?
जैसे ही ताई बोलने वाला था शिद्दत ने उसके घाव को और कहा - अरे आपके घाव तो ठीक हो गए हैं अभी अभी जो इन मोटे आदमी ने मारा वो निशान कहीं नहीं है ये कैसे हुआ
गुरु जी ने कहा - अब तुम जा सकते हो तुम्हारी सजा पूरी हुई l इतना कहकर वो चले जाते हैं शिद्दत ताई को उठाती है ताई के दोस्त उसे पकड़ अंदर ले जाने लगते हैं ताई मुड़कर उसे देखता और मुस्कराता है l
शिद्दत बस खड़ी होकर उसे जाते हुए देख रही थी l