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जलन

Chapter - 17

कुछ गूंजती आवाज़ें कानो में पड़ रही थी l

वही भागती हुई लड़की और उसके पीछे वो लड़का वो किसी से वादा कर रहा था - मैं हमेशा इंतजार करूँगा हर एक जन्म में l

एक लड़की - मैं जरूर आऊंगी तुम मेरा इंतजार करना l

हँसने की आवाज - एक बात पूछूँ जब मैं तुमसे दूर चली जाऊँगी तब तुम मेरा इंतजार करोगे l

मैं जरूर आऊंगी तुम मेरा इंतजार करना l

मैं तुम्हारा हमेशा इंतजार करता रहूँगा मैं तुमसे वादा करता हूँ, अलविदा अब हम अगले जन्म में मिलेंगे अभी के लिए अलविदा l

शिद्दत अचानक से उठ जाती है वो हांफ रही थी उसके गले पर पसीना आ रहा था और वो तेज सांसे ले रही थी उसके पास कुछ लकड़ियां बैठीं थीं वो सब उठकर उसके पास आती हैं l

दीया - तुम ठीक हो न, कल तुम्हें क्या हुआ था, तुम बेहोश कैसे हो गयी थी l

शिद्दत उन सभी को देख रही थी और उनके सवालों को सुन रही थी उसने अपने कानों पर हाथ रख लिया उसे उनके सवालों के जगह पर वो सब सुनाई दे रहा था जो अभी उसे अपने सपने में देखा l

वो सभी को देख रही थी और उसके कानो में गूँज रहा था - मैं तुम्हारा हमेशा इंतजार करूँगा, मैं वादा करता हूँ, हर एक जन्म में, एक बात पूछूँ, अगर मैं तुमसे दूर चली जाऊँगी तुम मेरा इंतजार करोगे, इस जन्म के लिये अलविदा, मैं जरूर आऊंगी, तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए, हम अगले जन्म में मिलेंगे, अभी के लिए अलविदा l

वो उन सभी को देख आँखे बंद कर कहती है - बस करो नहीं सुनना मुझे जाओ यहां से तुम लोग जाओ l

दीया - अनाया लेकिन l

शिद्दत -बिना उसकी ओर देख - मैंने कहा जाओ मेरा सर फट रहा इन आवाजों से जाओ सभी यहाँ से मुझे अकेला छोड़ दो l

शिद्दत के आँखों से आँसू गिर रहे थे l

वो सभी जाने लगती हैं उनके चले जाने के बाद शिद्दत हाथ हटाती है और तेज साँस लेते हुए रोने लगती है और रोते हुए कहती है - ये कैसी आवाजें हैं जो मुझे सुनाई देती है कौन है वो जो हमेशा इंतजार की बातें करता है कौन है वो लड़की क्यों मेरे ख्वाबों में आ रहे हैं l

वो ये कहकर रोने लगती है दरवाजे पर ताई खड़ा उसकी बातें सुन रहा था उसने अपने आँसू पोंछे और उसके पास गया और उसके सामने बैठ उसकी ठोडी पकड़ उसका चेहरा अपनी तरफ करता है l

शिद्दत अपनी भीगी पलकों से उसे देखने लगती है ताई मुस्कराते हुए उसके आँसू पोछता है और उससे कहता है - क्यों रो रही हो l

शिद्दत उससे कहती है - कुछ नहीं जब भरोसा ही नहीं करेंगे तो क्या बताऊँ l

ताई ने कहा - मैं विश्वास करता हूँ लेकिन अगर तुम नहीं बताना चाहती तो कोई बात नहीं l

शिद्दत उसकी तरफ देखती है और कहती है - वो मुझे कुछ आवाज़ें सुनाईं देती हैं एक लड़का है जो एक लड़की के पीछे भाग रहा है वो लड़की उससे दोबारा मिलने का वादा लेती है अगला जन्म अलविदा यही सब कहते हैं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि ये सब चीजें मुझे क्यों दिखाई देती हैं मैं सो नहीं पाती और हाँ वो आवाजें जानी पहचानी लगती है वो दोनों भी लेकिन कभी उनका चेहरा नहीं दिखता l

शिद्दत उन्हीं सब उलझनों में थी ताई ने उससे कहा - तुम ज्यादा सोचो मत वो सब जो कुछ भी दिखाई दे रहा है वो किसी मकसद से ही है इस दुनिया में कोई भी चीज़ बिना किसी वजह के नहीं होता l

तभी गुरु जोंग, उनके दो चार शिष्य, और साथ में एक वैध भी होते हैं उन्हें देखकर ताई उठ जाता है गुरु जी शिद्दत से कहते हैं - कैसी हो राजकुमारी l

शिद्दत उन्हें देखती है और कहती है - जी मैं ठीक हूँ l

गुरु जी - ये वैध जी है ये तुम्हें देख ने आए हैं एक बार देखकर गए थे मैंने सोचा दोबारा दिखा देती हूँ l

शिद्दत ने कहा - लेकिन मैं तो ठीक हूँ मुझे इनकी कोई जरूरत नहीं है l

गुरु जी - एक बार वैध जी को देख लेने दो हमारी तसल्ली के लिए l शिद्दत उनके लिए खुद का दिखाती है वैध जी उसकी कलाई पकड़ जाँच करते हैं l

वैध - सब ठीक है बस इन्हें चक्कर आ गया था l

वैध जी अपनी जगह से उठते हैं गुरु जी कहते हैं - तुम अपना ध्यान रखो l

ये कहकर वो चले जाते हैं उनके जाते ही ओंग आता है और चिंता जताते हुए कहता है - अरे राजकुमारी तुम ठीक हो न शिद्दत उसे देखती है और कहती है - हाँ मैं ठीक हूँ मुझे क्या हुआ है देखो मैं बिल्कुल ठीक हूँ l

शिद्दत बेड पर खड़ी होकर घूमते हुए कहती है ताई कहता है - घूमो मत गिर जाओगी ।

ओंग कहता है - अच्छा है तुम ठीक हो मुझे बहुत खुशी हुई l

ताई तो उसे बस गुस्से से देख रहा था शिद्दत कहती है - तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है मैं ठीक हूँ l

तभी दीया, सिमी, और जियांग आ जाते हैं ताई कहता है - तुम आराम करो हम चलते हैं l

सिमी जियांग ताई के पास आते हैं और हैरानी से ओंग को देखते हुए कहते हैं - ये यहां क्या कर रहा है कहीं ये अनाया को तो पटाना नहीं चाहता l

ताई कुछ नहीं बोलता उसका गुस्सा देख कर वो दोनों समझ जाते हैं और एक दूसरे को कुछ इशारा करते हैं सिमी और जियांग ओंग के पास आते हैं और उससे कहते हैं - अरे ओंग तुम यहाँ क्या कर रहे हो वो बाहर तुम्हें कोई लड़की बुला रही थी l

वो उसे खींचते हुए जबरदस्ती लेकर गये दीया शिद्दत से पूछती है - तुम ठीक हो न l

शिद्दत ने बैठते हुए कहा - अरे हाँ मैं ठीक हूँ तुम सब मेरी चिंता मत करो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है l

शिद्दत अपना सर पकड़ लेती है - आ... मेरा सर l

दीया कहती है - मैं अभी आती हूँ l

वो वहाँ से चली जाती है शिद्दत देखती है सभी चले गए हैं सिवाय ताई के वो उससे कहती है - सभी तो चले गए आप क्यों रुके हैं आप भी जाइए l

ताई - तुम पहले आराम से सो जाओ उसके बाद मैं जाता हूँ शिद्दत बिस्तर पर लेट जाती है ताई उसे चादर उढ़ाता है शिद्दत पता नहीं लेकिन उसे अच्छा लग रहा था उसे खुशी हो रही थी तभी ताई की नजर उसके हाथ पर बंधे कपड़े पर जाती है वो उसका हाथ पकड़ता है और उस पट्टी को खोल देता है l

शिद्दत कहती है - अरे आप ये क्या कर रहे हैं l

ताई ने कहा - ये खराब हो गया है दूसरी लगा देता हूं l

ताई ने वो पट्टी खोलकर फेंक दी उसने उसके घाव देखे ज्यादा चोट नहीं थी बस हथेली पर थोड़ा सा कटा था उसने उस पर दवाई लगाई और एक सफेद पट्टी बांधी उसने उससे पूछा - वैसे तुम्हें ये चोट लगी कैसे ?

वो.. वो.. मेरा हाथ किसी चीज़ से जाकर लग गया था बस उसी से लग गया, शिद्दत ने हिचकिचाते हुए कहा l

ताई ने कहा - कोई बात नहीं सो जाओ l

शिद्दत को याद आता है कि वो अभी ही उठी है वो उठकर बैठ जाती है और कहती है - लेकिन मैं तो अभी ही सोकर उठी कितना सोऊँ समय क्या हो रहा है l

ताई ने कहा - शाम हुआ है l

शिद्दत - हाँ ये बारिश हो रही है न इसीलिये पता ही नहीं चला l शिद्दत नीचे उतरती और खड़ी हो जाती है l

ताई - कहाँ जा रही हो l

शिद्दत - मुझे अपना काम पूरा करना है मैं एक राजकुमारी हूँ और एक राजकुमारी किसी भी परिस्थिति में अपना कर्म नहीं छोड़ती और मेरा कर्म तो अभी ये है कि मैं अध्ययन करने आयी हूँ l

ताई खड़ा हुआ और कहा - हाँ सही कहा तुमने अच्छा मैं चलता हूँ हम अध्ययन कक्ष में मिलते हैं l

ये कह कर ताई चला जाता है शिद्दत आइने के सामने खड़ी होती है और खुद को देखते हुए अपने बाल और कपड़े सही करने लगती है l

फिर बाहर आती है और अध्ययन कक्ष में जाती है ये सोचकर कि आज वहाँ क्यूँ बुलाया ताई ने l

वो जैसे ही अंदर कदम रखने वाली थी युन क्यूँग दौड़कर आती है और उससे टकरा जाती है दोनों ही गिरने लगती हैं लेकिन ताई ने युन क्यूँग का हाथ पकड़ लिया और वो बच गयी लेकिन शिद्दत नीचे जमीन पर गिर गयी और उसका चोट लगा हाथ दब जाता है - आ.. वो अपने हाथ को सहलाती है l

शिद्दत के पास ये ओंग आता है और उसे हाथ देता है शिद्दत खुद ही उठ जाती है युन उससे कहती है - माफ़ करना मेरी वजह से तुम गिर गयी l

शिद्दत - कोई बात नहीं, झूठी स्माइल करती है l

ताई उससे पूछता है - तुम ठीक हो न तुम्हें कहीं लगी तो नहीं l

शिद्दत रूखे स्वर में कहती है - हाँ मैं ठीक हूँ मेरी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है l

शिद्दत वहाँ से चली जाती है और अपनी जगह बैठ जाती है ताई खुद से कहता है - इसे क्या हुआ l ताई जाकर सामने बैठ जाता है और सभी लोग अपनी अपनी जगह युन, ओंग, सिमी, जियांग, और शिद्दत बैठे थे

सभी का ध्यान अपनी - अपनी किताबों में था लेकिन युन क्यूँग का ध्यान ताई पर था वो बस उसे ही देख रही थी शिद्दत कुछ सोच रही थी ताई की नजर क्यूँग पर जाती है l

ताई - युन क्यूँग अपनी किताब पर ध्यान दो।

सभी ताई को देखने लगते हैं शिद्दत का भी ध्यान टूटता है वो भी उसकी तरफ देखने लगती है l

सभी लोग अपनी किताबों पर ध्यान दो सभी उसमें देखने लगते हैं ताई कुछ बोलता है वो सभी लिखने लगते हैं वो एक कहानी बोल रहा था जिसे सब अपनी पुस्तक में लिख रहे थे वो कोई प्राचीन काल की कहानी थी कुछ योद्धाओं की l

कहानी का अंत होने पर सभी अपनी किताबें बंद कर देते हैं ताई - अब हम कल आधा इसके आगे का करेंगे l

शिद्दत कुछ सोच रही थी तो ताई ने उसे देख कहा - शिद्दत तुम क्या सोच रही हो l

शिद्दत ने उसकी ओर देख कर कहा - यही की हम ये बकवास क्यों पढ़ रहे हैं ?

ताई - हँ..., सभी उसकी ओर देखने लगते हैं सभी को अपनी ओर देखते हुए कहा - अरे.. मेरा मतलब.. कि हम ये ये क्यों पढ़ रहे हैं.. हमारे तो ये काम ही नहीं आएगा l

ताई ने कहा - अच्छा तो तुम्हें ये नहीं पसंद तो कल तुम सभी एक ऐसी कहानी लिख कर लाओगे जो मुझे पसंद आए l ताई उसे देख रहा था शिद्दत उसको घूरने लगती है -

अपनी पसंद प्यारी है दूसरों की पसंद का क्या l वो बड़बड़ाई युन क्यूँग उसके पास आयी और कहा - हम क्यों सिर्फ इसको बोलो न ये करे हमनें तो कुछ नहीं कहा l

ताई उसकी तरफ देख कर उसे कहा - अरे तुम खुद सोचो मैं देखना चाहता हूँ कि यहां पर सबसे आगे कौन हो सकता है कौन सबसे अच्छा सोच सकता है उस हिसाब से मैं उसे श्रेष्ठ मानूंगा l

युन क्यूँग ने कहा - वो तब तो मैं ही बनूँगी।

उसने शिद्दत को देखते हुए कहा शिद्दत की नजर कहीं और थी वो खड़ी हुई और कहा - अब मैं जाऊँ l

तभी उसके पास ओंग आया और उसने उससे कहा - क्या तुम्हारा नाम शिद्दत है l

शिद्दत उसे देख बोली - नहीं मेरा अनाया है l

ओंग - तो फिर तुम्हें ताई शिद्दत क्यों बोला l

शिद्दत - क्योंकि मैंने उन्हें यही बताया है और मुझे नहीं पता वो मेरा नाम लेकर क्यों नहीं बुलाते l

ये कहकर वो चली जाती है l

Continue...