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The Razmahal

VaniyaJahan1414 · ファンタジー
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भ्रम या हकीकत?

घड़ी में रात के 10 बज रहे होते है। आज विराज का " होटल राजमहल "में इंटरव्यू था। बहुत ही खुश नजर अरहा था आज विराज । फटाफट से उसने अपना काले रंग का बैग उठाया और बाहर की ओर निकल पड़ा। उसने अपने घर का दरवाज़ा लगाया और टैक्सी धुड़ने लगा। तभी अचानक तेज हवाएं चलने लगी और बlदलो की तेज कड़कने की आवाज़ आने लगी। विराज हैरान था कि आखिर मौसम को अचक क्या हुआ। विराज अपने मन में ये बातें सोच ही रहा होता है की तभी ज़ोर की बारिश शुरू होती है। और हवाएं उससे भी ज़्यादा तेज। ये सारा नज़ारा ऐसा लग रहा था जैसे मौसम भी विराज को "होटल राजमहल" जाने से रोक रहा हो। लेकिन विराज के उपर तो अलग ही धुन सवार थी । जो कि थी नोकरी की क्युकी उसे नोकरी की बहुत ज़रूरत थी।

बारिश बहुत ज़ोर से होरही थी कि तभी उसे एक टैक्सी दिखी । उसने हाथ बढ़ाया तो टैक्सी वाले ने अपने आप ही टैक्सी विराज के सामने रोक दी। और उससे पूछा " कहा जाना है साहब? " विराज ने कहा होटल राजमहल।

"क्या होटल राजमहल" टैक्सी ड्राइवर दर गया था उसकी आवाज़ में भी खौफ था। "नहीं नहीं भाईसाहब ऐसा कोई होटल नहीं है " ड्राइवर ने डरते हुए कहा। "अरे भाईसाब मेरा आज इंटरव्यू है मुझे वहां 12 बजे से पहले पहुंचना है, में आपको रास्ता बतरहा हूं आप मुझे वहां तक पहुंचा दे ।"

"पागल हो गए हो क्या मारना है क्या तुम्हे वहां जाकर । तुम्हारे पास दीमक नहीं है क्या। रात के 10 बजे किसका इंटरव्यू होता है साहब?"

टैक्सी ड्राइवर की बातें सुनकर विराज को अचंभित महसूस हुआ कि आखिर ड्राइवर ऐसी बातें क्या कररहा है। लेकिन फिर भी विराज ने इंसान बातो को अनसुना करते हुए ड्राइवर से कहा।। " भाईसाहब प्लीज़ मुझे आप वहां तक पहुंच दे में आपकी रास्ता बतादुंगा"

ड्राइवर ने हामी भरते हुए उसके बताने के अनुसार चलता रहा। और एक पुल पर जाकर टैक्सी रोक दी। " क्या हुआ भाईसाब अभी नहीं आया है राजमहल। थोड़ा और आगे है" "भाई प्लीज़ यही उतरजाओ और मेरे पैसे दो मेरी टैक्सी इसके आगे नहीं जाएगी"

"अरे भाई इतनी बारिश में कैसे जाऊंगा में ?"

"समझ नहीं रहा क्या आपको एक बार कहा चुका हूं इसके आगे नहीं जाएगी मेरी टैक्सी। उत्रो इसी वक़्त मेरी गाड़ी ने नीचे और मेरे पैसे दो"

विराज घबडा गया कि आखिर टैक्सी वाला थोड़े ही आगे जाने से कियू दर्रहा है।। " कितने दिन है? विराज ने गुस्से वाले लहजे से कहा ।"50 रुपए देदो" तेज आवाज में ड्राइवर ने

कहा

विराज ने पैसे देडिए और आगे बढ़ गया। अपना बैग पकड़ कर विराज आगे बड़ा। उसे अपने सामने एक पुराना कब्रिस्तान दिखा । जहां गहरा अंधेरा देखकर उसे हलकी घबराहट हुई।कुछ कदम चलते ही अंधेरे के कारण कुछ ना दिखाई देने की वजह से विराज धाप से एक गड्ढे में गिर गया।जो कि एक खुदी हुई कब्र थी। गड्ढे में गिर जाने की वजह से देहशत में वो ज़ोर ज़ोर से चलने लगा।

तभी एक हाथ उसकी ओर बढ़ा और उसको अपनी ओर खीचने लगा। तभी विराज और ज़ोर ज़ोर से चलने लगा। बचाओ! बचाओ! हेल्प मी! कोई है? बचाओ!

इतनी तेज़ बारिश में वहां उस हाथ के मालिक के सिवा वह कोई नहीं था। तभी उस टॉर्च के सहारे अंधेरे को रास्ता दिखाते हुए उस हाथ के मालिक का सेहरा नजर आया।

और उसने रोशनी के बीच देखा। एक बूढ़ा आदमी जो केसरी रंग की पगड़ी पहन था। और उसके माथे पर उमर की लकीरें थी।

वहीं आंखें इतनी ज़्यादा गहरी जैसे उनमें कई राज़ दफन हो।वो अपने हाथो में एक डंडा पकड़े हुए। विशाल की ओर घूर घूर के देख रहा है। विराज को मालूम हुआ कि वो इस कब्रिस्तान का चौकीदार है।

खुद को संभालते हुए विराज पहले कब्र से बाहर निकला। और उस बूढ़े आदमी से पूछा " आ आ आ चाचा क्या आप मुझे बता सकते है कि ये होटल राजमहल कहा है?" होटल राजमहल का नाम सुनते ही उस बूढ़े सक्स के आंखो म एक देहशात नजर आने लगी।और घबराहट में अपनी आंखें बड़ी करते हुए उसने विराज के नजदीक जाकर कहा" भाग जाओ! भाग जाओ यहां से" तभी वह जैसे ठंडी और तेज़ हवा का जैसे झौका आया। और वो बुज़ुर्ग बेहद दर्गाया। उसने धेमी आवाज़ में विराज से कहा" भगजाओ यहां से ! अगर अपनी जान बचाना काहते हो !" इतना कहते ही वो बुज़ुर्ग आदमी फैले अंधेरे में कहीं गुम होगया । विराज उस बुज़ुर्ग की ऐसी बातें सुनकर थोड़ा सेहम सा गया " का का का कोई पागल वागल है शायद" विराज ने अपने मन को समझते हुए कहा । फिर उस बूढ़े चौकी दर को नजरंदाज करते हुए विराज थोड़ा मुड़ा। और अपनी घड़ी में टाइम देखने लगा । उस वक़्त घड़ी के काटे 11 वाजरही थी। विराज चिल्लाते हुए कहते है।" अरे यार ये तो इंटरव्यू का टाइम होरहा है".।

विराज बड़ बड़ा ही रहा होता है की उसे सामने खड़ी मेहमनुमा बिल्डिंग दिखाई देती है।

वो रहा सामने मेरी सारी मुश्किलों का हाल" होटल राजमहल"!

खुशी से चिल्लाते हुए विराज ने कहा। एक सफेद बड़ी सी बिल्डिंग । उस बिल्डिंग को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे बदलते वक़्त के साथ उस बिल्डिंग ने भी अपने ऊपर बहुत कुछ झेला हो। उस होटल का रंग समय के साथ पीला पद गया है। और होटल राजमहल का बोर्ड भी टूटा हुआ है। जिसमे से महल गायब है। बचा है तो सिर्फ " राज़ " ।( अनगिनत राज़)

एक पल के लिए विराज ये सब देख कर चौंक जाता है। और उस अपने सामने होटल का एक बड़ा सा दरवाज़ा नजर आता है। होटल का दरवाज़ा किसी किले के दरवाज़े जैसे करीब 10 फीट ऊंचा था और 7 फीट चौड़ा होता है। विराज ने जैसे ही होटल के दरवाज़े को छुआ वो बस अपने आप ही खुलता चला गया।

और राजमहल के अंदर पड़ा सुना पन एक ठंडी हवा के झौके के साथ आया। दरवाज़ा खुलते ही विराज ने हो नजर अपने आंखो के सामने देखा वो उसने उसके सपने में भी नहीं देखा था। बिल्कुल अपने नाम कि तरह दिखरहा है वो " राजमहल"

विराज जैसे ही होटल के अंदर गया ,होटल का दरवाज़ा पीछे अपने आप ही बंद होगया। विराज को थोड़ी हैरानी हुई। की ये दरवाज़ा खुड्से खुलकर खुद ही कैसे बंद होगया?

विराज ने सामने देखा तो होटल कि लाइट अपने आप जग मग जग मग होकर बंद होगी। पूरे होटल में गहरा अंधेरा छा गया था। विराज को कुछ समझ नहीं आया कि अचानक ये क्या होगया। वहां इतनी शांति है कि विराज अपने दिल की धड़कन भी सनपरहा था। तभी विराज ने हिम्मत करके कहा। "आ क क कोई है क्या यहां?"

विराज बस इतना ही बोल पाता है ,कि होटल कि लाइटे अपने आप जल जाती है। मानो वो होटल विराज की बातें सुंरहा हो। विराज आगे बढ़ा तो उसने देखा कि सफेद मखमल का कालीन बिछा हुआ है। होटल की दीवाली पे तंगी तस्वीरें देखकर तो विराज की आंखें बड़ी होगी। किसी तस्वीर में किसी का सार कटा हुआ है। तो किसी में किसी की आंखों नहीं है। किसी का सेहरा जला हुआ है तो किसी का हाथ । होटल में विराज को अजीब से फूलों की डेकोरेशन नजर अती है । विराज ने ऐसे फूल अपनी ज़िन्दगी में कभी नहीं देखे होते।

इसलिए विराज उस फूलों को देखने उनके करीब जाता है, उनकी सुगंध से विराज का सार चक्र जाता है। वहां से दूर जाते हुए विराज आगे बढ़ता है। इतने बड़े होटल में विराज को ना तो कोई गेस्ट नजर आता है और ना ही कोई स्टाफ। रिसेप्शन को धुड़ते हुए विराज आगे भड़ता है। विराज चलते हुए सीढ़ियों तक पहुंच जाता है। जहां बई ओर एक बहुत बड़ा शीशा नजर आता है। विराज अपने आप को उस शीशे में गोर से देखने लगता है, तभी उसे उस शीशे में उसके साथ 3 - 4 लोगो के अक्ष नजर आते है। जिनका चेहरा जला हुए है। चेहरे जहां तहां हिस्से से मांस के टुकड़े गिर रहे है। अचानक से वो चेहरे उेस ही घूरते हुए नाराज़ आते है। ये नज़ारा देखकर उसकी रूह कप जाती है। और इससे पहले उसके गले से कोई आवाज़ निकाल पति , पल भर में वो साए अपने आप ही चले गए। विराज को तो जैसे अपनी आंखो पे ही विश्वास नहीं होता।

विराज खुद से बड़बड़ाता है " क्या मुझे भ्रम होराहा है?"

वहीं होटल का माहौल ठंडा होने के बावजूद विराज़ के माथे पर पसीने की बूंद झील मिलने मगती है।

कुछ देर बाद होटल का मुएना करते करते विराज होटल के रिसेप्शन पर पहुंचता है। वहां पहुंचकर घबराते हुए आवाज़ देता है " का का कोई है यहां?" किसी की आवाज़ ना आने की वजह से विराज और ज़ोर से कहता है " आ आ अरे कोई है भी यहां?"

तभी अचानक रिसेप्शन डेस्क के नीचे से एक आदमी उठता है और विराज की आंखो में देखकर उसे उंगली के इशारों से चुप रहने को कहता है। ऐसे अचानक से आदमी को देखकर विराज चौंक जाता है। उस आदमी की हालत बहुत खराब लग रही होती है। उसके आंखो के नीचे काले घेरे थे , जैसे वो कई रतो से सोया ना हो। उसकी आंखो में खौफ और डेहशत साफ नजर अरही है , उस आदमी के पागलों की तरह बाल बिखरे हुए है , और होठ एक दम सूखे दिखाई पड़ते है। वो देखने में काफी दुबला और बदहवास हालत में नजर आता है। विराज को अपनी आंखो पे विश्वास नहीं होता कि इतने बड़े होटल में ऐसी हालत में ये आदमी यहां क्या के रहा है?.

तभी वो आदमी विराज से धीमी आवाज़ में पूछता है " क्या तुम मुझे देख पा रहे हो?"ऐसा सवाल सुनकर विराज हैरान होता है और हां में सिर हिला देता है। बस इतना सुनते ही उस आदमी के चेहरे पर एक अलग ही सुकून झलक रहा था। उस आदमी ने खुशी खुशी बताया। " में यहां का रिसेप्शन निस्ट हूं, और प्लीज़ तुम थोड़ा धीरे बात करो । विराज ये बात जानकर हैरानी था की आखिर रिसेप्शन निस्त की ऐसी हालत क्यू है?और वो धीरे बात करने को क्यू केहरहा है। विराज ये सब बातें उससे पूछने ही वाला होता है कि सामने से आवाज़ आती है रिसेप्शनिस्ट की " तुम यहां नोकरी के लिए से हो? " विराज के हां कहते ही , उस रिसेप्शनिस्ट ने एक सफेद पन्ने पे कुछ लिखा,और विराज की ओर बढ़ाया। उस पे लिखा था कि " सामने टांगे बोर्ड पे अपना नाम लिखो " विराज ने उस पन्ने को पढ़ा और फिर विराज थोड़ा पीछे मुड़ा , तो उसे वहां काले रंग का एक बोर्ड नजर आया।विराज उस बोर्डके पास गया और उसपर अपना नाम लिख दिया "विराज कुमार "। विराज ने जैसे ही उस बोर्ड पे अपना नाम लिखा तो होटल कि लाइटे फिर से जल बुझ होने लगी , विराज को ऐसा लगा मानो पूरा महल हिल गया हो। विराज का सार चक्र गया और उसके शरीर में सिहरन सी दौड़ गई,विराज ने जैसे ही पीछे देखा तो वो रिसेप्शनिस्ट ज़ोर से चिल्लाया , और कहा " अब सब तुम सभालो , मै तो चला।"वो आदमी वहां से ऐसा भाग जैसे वो किसी साजा से आज़ाद होगया हो । विराज ने तेज़ आवाज में चिलते हुए पूछा " अरे भाईसाब ऐसे कहा भागे जराए हो , मुझे बताते तो जाओ मुझे करना क्या है" । लेकिन जब तक विराज ने कुछ पूछा काफी देर हो चुकी थी ,वो आदमी वहां से जा चुका था । विराज खुद के मन में बड़बड़ाता और कहा, " अजीब आदमी है, ऐसे भगा जैसे सामने भूत देख लिया हो। "

विराज रिसेप्शन की ओर मुड़ा तो उसे वहां एक नोट नजर आया। जिसपे लिखा था ," reach room number 8 , 7th floor , for interview" यह सुनते ही विराज रूम नंबर 8 में जाने के लिए लिफ्ट ढूंढने लगा।और बसी थोड़ी ही दूर पर अपने सामने एक लिफ्ट दिखाई दी उसने लिफ्ट खोली और 7 नंबर का बटन दबाया सातवें फ्लोर पर जाने के लिए। धड़ाम की आवाज से लिफ्ट चलने लगी और अंदर की लाइटें जल भुज होने लगी। लाइट अपने आप चली और उसे अपने सामने करीब 7-8 लोग नजर आए।जैसे ही विराज ने उन लोगों के चेहरों को देखा , सब कुछ तो था लेकिन उनकी आंखें गायब थी। डरो के मारे विराज का हाल बेहाल हो गया, उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसका दम घुट रहा हो।

तभी अचानक से सारी लाइटें दोबारा से बंद हो गई अब जब लाइट वापस आए तब उसके सामने कोई ना था। तभी अचानक लिफ्ट रुक गई और वह लिस्ट से बाहर निकल आया विशाल इधर-उधर रूम नंबर 8 फोन लगा तभी उसे अपनी बाई और एक रूम नंबर 8 का बोर्ड लगा हुआ नजर आया।

तभी एक हवा का झोंका आया उस हवा के झोंके में एक औरत की आकृति नजर आने लगी। विराज कुछ भी समझ ना पा रहा था कि आखिर उसकी साथ हो क्या रहा है।तबी उस आकृति ने विशाल के कानों के पास आकर कहा "आखरी मौका है भाग जाओ यहां से इसके बाद मौका नहीं मिलेगा भागने का।"

जैसे ही विराज न्यूज़ आकृति की तरफ देखने की कोशिश करें तब तक वह आकृति कहीं चली गई थी। विराज के जैसे पैरों से जमीन खिसक गई हो तू कुछ भी समझ ना पा रहा था कि आखिर उसके साथ हो क्या रहा है, इतना घबराया हुआ नजर आ रहा था, उसके माथे पर से पसीना गिर रहा था ,उसके हाथ पैर कप कपा रहे थे। विराज ने जैसे तैसे खुद को संभालते हुए तेजी से कदम आगे बढ़ाएं ,जैसे ही वह रूम नंबर 8 के सामने जाकर खड़ा हुआ और उसने दरवाजे खोलने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि ,वह दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया। विराट ने अपने कदम धीरे-धीरे आगे बढ़ाएं और वह कमरे के अंदर गया लेकिन वहां उसे उस कमरे में कोई नजर ना आया। जैसे ही उसने अपनी भाई और देखा तो उसे खिड़की पर एक खूबसूरत सी लड़की खड़ी हुई नजर आई जिसका चेहरा तो नजर नहीं आ रहा था लेकिन उसके लंबे ,घने, काले बाल नजर आ रहे थे वह बेहद ही खूबसूरत लग रही थी जैसे उसने कहा" मैं आई कम इन मैडम" तो वह लड़की मुड़ी और उसने कहा "यस प्लीज कम इन" वह लड़की इतनी खूबसूरत थी कि वह अपने सपने में भी नहीं सोच सकता था उसके होठों पर लाल रंग की लिपस्टिक लगी हुई थी, उसकी आंखों में काले रंग का काजल लगा हुआ था, यहां तक कि उसकी बोहे भी काले रंग की थी ,वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी उसके गाल पर एक छोटा, प्यारा सा तील था, उसका चेहरा बेहद ही खूबसूरत लग रहा था।

तभी वह खूबसूरत लड़की वहां पर एक बड़ी सी विशाल चेयर पर आकर बैठती हैं ,वहां पर अंधेरा था इसलिए उसने कैंडल जलाली और विराज से पूछने लगी" तुम अपने बारे में कुछ बताओ।"

विराज ने कहा मैं कॉलेज में पढ़ाई करता हूं ,मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि मैं कॉलेज की फीस भर सकूं ,और मुझे मेरा खुद का एक कैफे खोलना है, इसलिए मुझे नौकरी की सख्त जरूरत है ताकि मैं उन पैसों से अपनी पढ़ाई और अपना कैफे दोनों शुरू कर सकूं। विराज जब यह सब कुछ सुना रहा होता है तब वह लड़की हां मैं मुंडी हिला रही होती है ,जैसे ही वह लोग धीरे-धीरे बात करना शुरू करते हैं तब विराज को मालूम पड़ता है कि वह,बेहद ही खूबसूरत लड़की, होटल राज महल की मालकिन "मिस फर्डेंडिस" है।

तभी मिस फर्डेंडिस विराज के पास आकर कहते हैं।"शु... थोड़ा धीरे बोलो विराज! यहां काम करने की बस यही शर्त है ,कि तुम्हें धीरे बोलना होगा, क्योंकि देश बोलने से गेस्ट डिस्टर्ब होते हैं। विराज ने हां में सिर हिला दिया। अभी होटल राज महल की मालकिन विराज से कहते हैं "अब तुम जाओ जाकर अपना काम करो।"

विराज ने कदम पीछे लिए और वापस रिसेप्शन की ओर जाने के लिए मुड़गया। जैसे ही विराज जा रहा होता है तभी उसे वहां की मालकिन मिस फर्डेंडिस रोक कर कहती हैं "अच्छा सुनो", "टाइमिंग 11:00 बजे से 4:00 बजे तक है लेकिन तुम 3:30 बजे ही चले जाना, और हां उसके बाद गलती से भी यहां रुकने की कोशिश भी मत करना।"

विराज ने अपना सिर हम हिला दिया और वहां से रिसेप्शन की टेबल पर आकर बैठ गया ,विराज जैसे ही अपनी टेबल पर आकर बैठा उसे वहां पर पड़ा कंप्यूटर नजर आया उसने उस कंप्यूटर को जैसे ही खोला उसकी मालकिन का खूबसूरत चेहरा उस स्क्रीन पर नजर आया ,वह अपनी मालकिन को देखी रहा होता है कि उसकी नजर कैमरे पर पड़ती है ,जैसे ही उसने अपनी नजर कैमरे की ओर घुमाई वहां पर एक भयानक ,जला कटा, चेहरा नजर आता है वह चेहरा इतना ही बदसूरत था कि वह अपने सपने में भी नहीं सोच सकता ,विराज काफी ज्यादा डर गया था ,सहम गया था उस तस्वीर को देखकर और वह स्क्रीन भी अपने आप ही बंद हो गई।

यह सब देखकर विराज काफी सहम जाता है तभी उसकी नजर पास में पड़े एक प्लेट पर पड़ी। उस प्लेट को देखकर विराट की आंखें बड़ी हो गई क्योंकि वह प्लेट एक लाल रंग के कपड़े से ढकी हुई थी और वह कपड़ा धीरे-धीरे हिल रहा होता है।विराज जैसे तैसे करके अपने हिम्मत से उस कपड़े को हटाता है तो उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं होता।

उस प्लेट पर एक कटे हुए आदमी का धड़ रखा होता है जिस पर कीड़े बंधन आ रहे होते हैं। यह देखकर विराज अपनी कुश्ती पर चढ़कर बैठ जाता है।ना चाहते हुए भी विराज डरो के मारे जोर से चिल्लाता है तभी उसको चारों तरफ से एक आवाज सुनाई देती है "shhhh"।

विराज की आंखों में दहशत तैरने लगती है। और वह चारों तरफ अपनी नजर को मारता है ,लेकिन उसे कोई नजर नहीं आता।यह सब देख कर विराज की हालत खराब हो जाती हैं तभी वहां पर लगी विशाल सी वॉल क्लॉक बजने लगती है।विराज जैसे ही वॉल क्लॉक की तरफ देखता है तो 3:30 बज रहे होते हैं, विराज जल्दी से अपना बैग उठाकर दरवाजे की तरफ भागने लगता है ,उससे यह भी ध्यान नहीं होता कि, उसके बाएं पैर का जूता छूट गया है।विराज जैसे ही दौड़ रहा होता है तो उसे अपने अगल बगल से अजीब अजीब सी आवाजें सुनाई देती हैं, उसे ऐसा महसूस होता है कि वह अकेला नहीं दौड़ रहा उसके साथ कई सारे लोग दौड़ रहे हैं।

किसी की तेज सांसों की आवाज सुनाई पड़ती है।विराज तेजी से दौड़ते दौड़ते होटल राज महल से बाहर आ जाता है ,तेजी से दौड़ने की वजह से बाहर आकर वह गिर जाता है।

तभी होटल का दरवाजा "धाप" की आवाज से बंद हो जाता है। अपने आप को संभालते हुए विराज खड़े होता है और अपने कपड़े साफ करता है ,डर के कारण विराज गहरी सांसे ले रहा होता है, वहीं रुक कर विराज टैक्सी की वेट करते-करते सोचता है कि ,"क्या हुआ आज मेरे साथ मुझे तो लग रहा है ,मुझे इस जॉब के लिए मना कर देना चाहिए" तभी विराज को होटल के अंदर से अजीबोगरीब आवाज आनी शुरू हो जाती हैं ,बहुत से लोगों के रोने ,चीखने की आवाज सुनाई देने लगती है। यही सब बातें जानने के लिए विराज होटल में वापस दाखिल होता है अंदर का नजारा देखकर विराज हक्का-बक्का रह जाता है ,चारों तरफ आग लगी रहती है "है अभी तक तो सब ठीक था जब मैं बाहर निकला था अचानक होटल में आग कैसे लग गई "विराज भागकर रिसेप्शन की तरफ जाता है तो उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं होता ,चारों ओर चिताएं जल रही होती हैं। विराज के पैरों तले से जमीन खिसक गई, वो यकीन नहीं कर पा रहा होता है कि यह सब उसके साथ हो रहा है ,तभी उसको चौंकाते हुए पीछे से एक आवाज आती है" विराज मैंने कहा था ना तुमसे कि 3:30 बजे तक चले जाना, फिर यहां क्या कर रहे हो "विराज ने पीछे मुड़कर देखा तो होटल की मालकिन वहां पर मौजूद थी, जो कि चिता में जल रही होती है ,चारों तरफ जलती चिताओं का आलम देखकर विराज वही चक्कर खाकर गिर जाता है सुबह जब विराज की आंख खुलती है तो वह अपने दोस्त "मोहन" के बिस्तर पर से उठता है।

विराज इस होटल राज़ महल में नोकरी करने के लिए ,जयपुर से कुछ दूरी पर एक गाओ" रज्वास" से अपने दोस्त मोहन के घर पर रुकता है। वो खुदको कमरे में देखकर में में बडबडा ता है " आ.. में.. में यह कैसे , में तो वह होटल मैं था ना , और वह होटल मैं कल रात आग लग गई थी, और व मालकिन आग में जल रही थी "?।तभी विराज अपने कमरे से उठकर बाहर ड्राइंग रूम में जाता है। और उसे देखकर विराज के दादा थोड़े हैरान होजाते है ,विराज अपनी सेह्मी आंखों से दादा जी की तरफ देख कर कहता है " दादा जी जबसे मैंने उस होटल में नोकरी ली है , तभी पता नहीं अजीब अजीब चीज़े होराही है।

तभी दादा जी विराज की आंखों में देखकर कहते है " विराज तुम व्हा से अकेले नहीं आए हो "। दादा जी की ओर देखकर विराज हैरान रह जाता है।

आखिर क्या राज़ है इस होटल राज़ महल का? और विराज के साथ कोंन आ गया है? दादा जी कोन है? और वो कैसे सब जान पा रहे है? और विराज कैसे इस परिस्थिति से निकलेगा ?😳