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kaha gaye dono

अब तक

अश्विन हॉल  बेटा टैब में कुछ देखते हुए कॉफी पी रहा था तभी उसकी नजर सीढ़ियों से उतरती सिंध्या पर जाती हैं जो की पिंक कलर के प्लाजो सूट में बहुत प्यारी लग रही थी। उसके बाल गीले थे जिन्हे उसने खुला छोड़ रखा था।

सिंध्या को देख अश्विन के दिल की धड़कने बढ़ गई थी जिसे महसूस कर वो अपने दिल पर हाथ रख लेता हैं।

सिंध्या नीचे आ आस पास देखती हैं तो उसे बच्चे नही दिखते हैं , , यह देख वो अश्विन से कहती हैं _" अश्वी और ईधु कहा हैं दिख नही रहे ?"

अश्विन कॉफी का एक सिप लेते हुए बोला _" गार्डन में हैं "

सिंध्या अपना सिर हिला गार्डन की तरफ चली जाति हैं।

सिंध्या के जाने के बाद अश्विन खुद से बोलता हैं _" उसे देख मुझे क्या हो जाता हैं , , कंट्रोल कर अश्विन  , , , तू ऐसे ही किसी से अट्रैक्ट नही हो सकता हैं।

अश्विन खुद को समझा के ऑफिस के लिए निकल जाता हैं।

अब आगे

शाम का वक्त

सिंध्या ओबेरॉय मेंशन में ही रहने वाली थी कुछ समय के लिए जब तक ईधांश पूरी तरह ठीक न हो जाए। उसका सामान वो ले आई थी और नीचे के ही गेस्ट रूम में उसने अपना सामान रख दिया था।

हॉल में सिंध्या अश्वि और ईधु को फ्रूट्स और वेजीटेबल नेम्स याद करवा रही थी । अश्वि और ईधु भी बहुत ही अच्छे से याद कर रहे थे।

अश्विन जब ऑफिस से आता हैं तो तीनो को इस तरह बैठे और पढ़ते देख वही रुक उन्हे देखने लगता हैं।

सिंध्या टेबल पर रखे ऑरेंज फ्रूट पर इशारा करते हुए कहती हैं _" अच्छा बताओ इसे क्या कहते हैं।"

ईधु और अश्वि  दोनो उस फ्रूट को कुछ देर घूरते हैं।

उन्हे इस तरह घूरते देख अश्विन को हसी आने लगती हैं पर वो हस्ता नही हैं चुपचाप खड़ा रहता हैं।

कुछ देर घूरने के बाद ईधु और अश्वि उस फ्रूट को देख साथ में कहते हैं _" ओलेंज"

सिंध्या खुश हो दोनो को एक एक ऑरेंज पीस देते हुए कहती हैं _" वेरी गुड , , , लो अब इसे फिनिश करो में एप्पल देती हु कट कर के "

ईधांश और अश्विका अच्छे बच्चे की तरह बात मान कर फ्रूट्स खाने लगते हैं।

दोनो को देख अश्विन अब उनके पास आ जाता हैं  , ,तो अश्विका उसे देख जल्दी से उसकी गोदी में चढ़ जाती हैं। अश्विन भी उसे गोद में ले बैठ जाता हैं और ईधांश को भी बिठा उनसे बात करने लगता हैं।

सिंध्या अब वहा से उठ अपने रूम में चली जाति हैं। अश्विन उसे बस जाते हुए देखता रहता हैं।

रात 8 बजे

सभी लोग डाइनिंग टेबल पर थे सिवाय सिंध्या के , सिंध्या को वहा न देख दादी एक मेड से कहती हैं _" जाओ जा कर सिंध्या को डिनर के लिए बुला लाओ "

मेड अपना सिर हिला वहा से चली जाति हैं। तो दादी अश्विका और ईधांश से कहती हैं _" आज क्या क्या किया मेरी राजकुमारी और मेरे राजकुमार ने"

दादी की बात सुन अश्विका और ईधांश अपनी तोतली आवाज में आज जो जो किया वो बताने लगते हैं। जिसे सुन दादी और दादाजी खुश हो रहे थे साथ ही सिंध्या के लिए उनका प्यार भी बढ़ रहा था।

थोड़ी देर बाद सिंध्या पांडा प्रिंट नाइट सूट में आती हैं उसने बालो की पोनीटेल बना रखी थी। उसे देख कोई नही कह सकता था यह 23 साल की कोई लड़की हैं वो अभी 18 साल की लड़की लग रही थी।

सिंध्या को देख अश्विन उसे देखता ही रह जाता हैं _" वो कितनी खूबसूरत लग रही हैं " मन ही मन अश्विन ने सिंध्या की तारीफ करी ।

सिंध्या दादी को देख बोलती हैं _" आपने बुलाया था दादी  , ,कुछ काम हैं क्या "a

दादी कुछ कहती उससे पहले ही अश्विका बोल पड़ती हैं जो अभी तक आप खाने को घूर रही थी।_" बले भाई ओल मुझे मम्मा के हाथ से खाना हैं "

सिंध्या अपना सिर हा में हिला अश्विन के बगल वाली चेयर पर बैठ दोनो को खाना खिलाने लगती हैं।

दादी सिंध्या को बच्चो को खाना खिलाते हुए देख सोचती हैं _" कितनी प्यारी बच्ची हैं और इसे बच्चो से भी कितना लगाव हैं । काश यह सच इनकी मां होती "

यह सोच वो सिंध्या से कहती हैं _" बेटा तुम भी खा लो। , , भूल लगी होगी तुम्हे भी "

सिंध्या अपना सिर हिला बोलती हैं _" जी दादी में खा लूंगी पहले इनको खिला दूं।"

थोड़ी देर बाद सब अपने अपने रूम में जा चुके थे। सिंध्या अकेले ही डाइनिंग टेबल पर बैठी खाना खा रही थी। थोड़ी देर में खाना  के बाद सिंध्या अप रूम में चली जाति हैं पर इन सब में वो डोर को लॉक करना भूल गई थी।

सिंध्या को बेड पर लेटे ही नींद आ गई , सिंध्या एक अर्ली स्लीपर हैं उसे बहुत ही जल्दी नींद आ जाया करती थी।

आधी रात में कोई सिंध्या का रूम धीरे धीरे ओपन करता हैं , , इसी के साथ दो छोटी छोटी परछाई अंदर आती हैं।

वो दोनो परछाई सिंध्या को देखती हैं फिर एक दूसरे को तभी छोटी परछाई बगल से बोली _" बले भाई , , मम्मा अकेले छो लही हैं , , तले मम्मा के पाछ छोने , , "

यह परछाई अश्विका और ईधांश की हैं जिन्हे अपनी मम्मा के पास सोना हैं ।

ईधांश अपना सिर हिला बोलता हैं _" ठीक हैं तलो , , "

खुद में ही बात कर दोनो सिंध्या के अगल बगल लेट जाते हैं , , अश्विका बगल में लेट बोलती हैं _" बले भाई डलना मत "

ईधांश अश्विका को घूर कर बोलता हैं _" डलती तुम हो नाम मेला लगा लही हो।

दोनो की बहस से सिंध्या थोड़ा हिलती हैं तो दोनो चुप हो कर सो जाते हैं।

अगली सुबह

अश्विन हमेशा की तरह उठ कर अपने बच्चो के कमरे में जा रहा था पर उसे क्या मालूम उसके बच्चे वहा हैं ही नहीं , ,

अश्विन जब रूम में आता है तो उसे कोई नही दिखता  , ,  वो आस पास नजर घुमा बोला _" अब यह कहा गए , , "

To be continue

Kesa lga part btana mat bhulna acche acche review do yaar mujhe , , ,

Jaldi jald read kariya yaar aap sab please 🥺 🥺 🥺