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fire and water

यह प्यार नहीं आसान :

यह कहानी है उन दो लोगों की जो है एक दूसरे से बिल्कुल अलग , जिनकी बिल्कुल मिलती नहीं है सोच लेकिन फिर भी किस्मत उन्हें मिलाएगी क्योंकि उनका वास्ता है एक दूसरे से एक आग  है और दूसरा पानी एक सूरज की तरह गर्म है दूसरा चांद की तरह शीतल । दोनों अलग सोच रखने वाले अलग-अलग रास्तों पर चलने वाले लोग जब तक रहेंगे एक दूसरे से तो क्या लगी उनकी जिंदगी मोड़ चलिए शुरुआत करते हैं कहानी के मुख्य किरदारों से।

रुद्र : 28 साल का मस्कुलर हैंडसम, कद 6 फीट माचो मैन है जो की स्वभाव से बहुत गुस्सेल और उसका एक ही मकसद है अपने परिवार के हिफाजत करना उन्हें खुश रखना और अपने पापा के बिजनेस को और ऊंचाइयों पर लेकर जाना।

रुद्रा बहुत प्रैक्टिकल है और वह प्यार लव रिलेशनशिप इनका कोई अहमियत नहीं देता है उसके लिए बस उसका काम ही सबसे बड़ा है और इसलिए आज तक ना तो रुद्र ने किसी से प्यार किया और ना ही वह किसी से शादी करने को तैयार है।

वहीं दूसरी तरफ हमारी कहानी की हीरोइन जिसका नाम है शिवन्या और जिसकी उम्र 21 साल है । दिखने में सी नाजुक लंबे काले घने बाल। मुस्कुराते वक्त चेहरे पर डिंपल पडना और अपनी बातों से सबको हंसाना....

जो की कॉलेज के सेकंड ईयर की स्टूडेंट है जो बिजनेस की पढ़ाई कर रही है जितनी स्वभाव से वह चंचल है उतनी ही दिमाग से तेज भी और हिम्मतवाली भी।

शिवन्या काम को जितनी अहमियत देती है उतनी ही प्यार को भी देती है वह तो एक तरह की डे ड्रीमर है उसे तो अपने सपनों के राजकुमार का इंतजार है शिवन्या के लिए जिंदगी बहुत खुश नुमा है उसे लगता है कि एक दिन उसके सपनों का राजकुमार घोड़ी पर सवार होकर आएगी और उसे अपने किसी दुनिया में लेकर जाएगा लेकिन जिंदगी कहां और क्या मोड लेने वाली है इसका एहसास शिवन्या को नहीं था

कहानी के बाकी के किरदार को जान लेते हैं

शेखावत फैमिली' : 

 पिता : तेजस्वी राठौर ..

माता : शोभा राठौर

बहन : पारूल  जो की डाइवोर्स है और उसका एक बेटा है 3 साल का (मनीषा रुद्र से बड़ी है)

रुद्र की तरह पारुल भी अपने पापा को बहुत मानती है और अपने पापा के कहने पर ही पारुल ने अपने पति से डाइवोर्स ले लिया दरअसल मनीषा ने प्रेम विवाह किया था उसे समय तो पापा ने मंजूरी देती थी क्योंकि उसे समय मनीषा सिर्फ उसे लड़के यानी की पारुल के पति संजीव के प्रेम में इतनी डुबी हुई थी कि उसे उसके अलावा कुछ भी नजर नहीं आता था और जिस कारण अपनी बेटी के साथ के आगे उन्हें झुकना पड़ा लेकिन बाद में उन्होंने इस शादी को तुड़वा दिया था क्यूंकि पारुल ने जिससे शादी की थी वह लड़का ना तो पारुल के शेखावत परिवार की तरह जितना अमीर नहीं था।

और पारुल भी अपनी शोक और अमीरों वाले आदतों को संजीव के साथ रहकर पूरी नहीं कर पा रही थी और आखिरकार वह अलग होकर वापस शेखावत परिवार में आ गई।

कुसुम : जो कॉलेज में पढ़ती है और रुद्र से छोटी है

चाचा : महेश राठौर.

 चाची : मीनाक्षी राठौर...

 साक्षी : 15 साल की( चचेरी बहन)

 और 

अनुराग (चचेरा भाई 22 साल का )जो की कॉलेज में है

 निशा और अनुराग सेम उम्र के हैं।

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शेखावत राज घराना आज दुल्हन की तरह सजा हुआ है क्योंकि आज है तेजस्वी शेखावत का 60 वां जन्मदिन और इस उपलक्ष में उनके सभी मेहमान देश विदेश से उनके जन्मदिन को सेलिब्रेट करने के लिए आए हुए हैं हर तरफ जगमगाहट है खुशियां ही खुशियां है।

लेकिन यह खुशियां कुछ ही देर की मेहमान है आगे क्या होने वाला है जाने के लिए प्लीज इस कहानी से जुड़े रहिए।

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कुसुम और उसके कुछ सहेलियां पिक्चर्स क्लिक कर रही होती है और तभी उसे पिक्चर में एक लड़की को रुद्र दिखाई देता है लेकिन जब तक वह पिक्चर क्लिक होती । वो पिक्चर क्लिक करती उससे पहले रूद्र वहां से चला जाता है वह लड़की अफसोस करते हुए कहती है 

'"अरे यार इतना अच्छा मौका हाथ से चला गया मेरे पास रुद्र की फोटो होती "

उस लड़की की बात सुनकर मीनाक्षी हंसने लगती है ।

कुसुम :( हंसते हुए ) मुझे समझ में नहीं आता यार की तुम्हें मेरे भाई से इतनी के ऑबशेशन है कि एक एक पिक्चर के लिए तुम ऐसे पागल हो रही हो ।

सभी लड़कियां एक दूसरे की तरफ देखती है और सभी मीनाक्षी की तरफ देखते हुए एक एक दोस्त शिखा कहती है "

तुम्हें समझ में नहीं आएगा मीनाक्षी क्योंकि वह तुम्हारा भाई है हमारा नहीं है, इसलिए तुम्हें नहीं पता कि हम क्या फील करते हैं ।

"रुद्र ".... नाम है कितना कमाल की है और पर्सनालिटी भी बिल्कुल वैसे ही । हैंडसम टाॅल एग्रेसिव गुड लुकिंग सारी गुड पर्सनालिटी है उनके अंदर...

 कुसुम : और गुस्सा अग्रेशन रूडनेस अकड़ इन सब का क्या , मतलब उनकी बहन होकर मैं खुद भी उनसे ठीक से बात नहीं कर पाती मुझे खुद उनसे इतना डर लगता है और तुम उन पर फिदा हो अजीब हो तुम भी...

शिखा : अरे यह तो होना ही है ना अब कोई छोटी-मोटी बात थोड़ी ना है वह रुद्र है और यह सब उन्हीं में होता है जिनमें कोई बात होती है और रुद्र में जो बात है वह किसी में नहीं है इसलिए इस पार्टी में अधिकतर लड़कियां सब होने की तरफ आकर्षित है तुम नहीं देख रही लेकिन जहां-जहां से वह गुजर रहे हैं लड़कियां पलट पलट कर उनको देख रही है।

कविता : वैसे मीनाक्षी क्या तुम अपने भाई से कहकर हमारे साथ एक फोटो क्लिक करवा दोगी...?

 कुसुम : नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं तुम पागल हो गई हो क्या वह भाई है मेरे इसका मतलब यह नहीं की जो मैं बोलूंगी वह कर देंगे और भाई होकर मैं उनकी इतनी सारी बुराई तुम्हारे आगे बोल दी तो तुम्हें लगता है कि मेरे लिए उनसे बात करना इतना इजी होगा ।  बिजनेस के बारे में कुछ बातें करनी है तब डेफिनेटली लेकिन फोटो वगैरा यह तो उन्हें भी बिल्कुल नहीं पसंद । मुश्किल से परिवार के साथ फोटो खींच वाले तो अलग बात है वरना मोबाइल फोन से या फिर ऐसे सेल्फिश वगैरा बिल्कुल भी नहीं इसलिए भूल जाओ मुझे आज भी याद है एक बार मजाक कर दिया था तो ऐसे घूर कर मुझे गुस्से से देखा था मेरी हिम्मत नहीं होती उसके बाद उनसे मजाक  करने की।

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जहां एक तरफ कुसुम की सहेलियां उसे रुद्र के साथ फोटो खिंचवाने के लिए कहती है जिस पर वह उन्हें मना कर देती है यह कहकर की रूद्र को यह सब बिल्कुल नहीं पसंद और उसकी इतनी हिम्मत नहीं है कि वह अपने भाई से जाकर यह बात कह सके वहीं दूसरी तरफ कुछ और लोग थे जो  मीनाक्षी और रुद्र की मां शोभा से रुद्र की शादी के बारे में बात कर रही होती हैं और शादी के बारे में सुनकर मीनाक्षी और शोभा एक दूसरे की तरफ देखती है क्योंकि वह खुद भी चाहते हैं कि रूद्र शादी कर ले लेकिन रुद्र की जो पर्सनालिटी और जो उसका परसेप्शन है उसके आगे वह हार मान चुकी है लेकिन समाज के बाकी जो तो क्या क्या कहें उन्हें कुछ समझ नहीं आता बस उनके आगे मुस्कुरा कर हां कह देती हैं कि वह उसकी शादी के बारे में सोच रहे हैं और जल्दी ही कुछ बताएंगे।

मीनाक्षी शोभा का हाथ पड़कर उसे दूसरी तरफ ले जाकर कहती है "दीदी इस पार्टी की सबसे खराब बात मुझे यही लगती है उन सवालों का जवाब देना होता है जिनका जवाब हमें पहले से ही पता है फिर भी  झूठ कहना होता है की हां हम सोच रहे है।

 वैसे सच में आपने क्या सोचा है क्या रुद्र की बात मानकर हम यूं हाथ पैर हाथ रख कर बैठे रहेंगे सोचेंगे नहीं कि उसकी शादी किसी से हो जाए । रूद्र 28 साल का हो गया है और 4 महीने बाद 29 का हो जाएगा।

शोभा : मीनाक्षी तुझे क्या लगता है मुझे चिंता नहीं है लेकिन तुझे पता है ना रूद्र कैसा है उसके लिए सिर्फ उसका काम और उसके पापा का बिजनेस इस शेखावत इंडस्ट्रीज को आगे ले जाना बस और कुछ है ही नहीं मुश्किल से 15 दिन भी वह घर पर नहीं रुकता है जब देखो कभी इस ट्रिप पर जा रहा है तो कभी इस बिजनेस ट्रिप पर शादी की बात करूंगी तो कब..?, 

देखा तो जरा आसपास कितनी सुंदर-सुंदर लड़कियां है और रुद्र को भी कैसे देख रही हैं लेकिन रूद्र अभी भी फोन पर लगा हुआ है या फिर दूसरे लोगों से मिल रहा है लेकिन लड़कियों की तरफ नहीं....

अगर अगर शादी भी करेगा तो सही तक जब उसके पापा हां करेंगे या फिर वह बोलेंगे लेकिन रुद्र के पापा भी इस चीज में सब कुछ रूद्र पर ही छोड़ रखा है कि जब मेरा बेटा चाहेगा उससे अपने बेटे की शादी करवा दूंगा फिर फर्क नहीं पड़ता कि वह लड़की अमीर है या गरीब ..

पता नहीं इसके लिए कोई है भी या नहीं अगर है तो मैं भगवान से ही प्रार्थना करूंगी कि जल्द से जल्द आए और मेरी रुद्र की जिंदगी में आकर उसकी जिंदगी में रंग भर दे और उसे बताएं कि काम और परिवार के अलावा उसे खुद को भी वक्त देना चाहिए खुद की लाइफ पर भी ध्यान देना चाहिए।

कहानी में आगे क्या-क्या होता है कैसे होगी शिवन्या और रुद्र की मुलाकात और उनकी नफरत की शुरुआत से लेकर प्यार का सफर कैसा रहेगा इसे जानने के लिए इस कहानी को पड़ी और बताइए कि आपको पहला चैप्टर कैसा लगा।

शोभा रूद्र को लेकर परेशान थी वह चाहती थी कि उसका बेटा शादी कर ले और अपने गृहस्थी बसाए लेकिन उसे तो बस अपना बिजनेस और अपने पापा का नाम और आगे बढ़ना था अपने ऊपर उसका कोई ध्यान नहीं था वहीं दूसरी तरफ उसकी बड़ी बेटी पारुल उसके कारण भी शोभा कहीं ना कहीं परेशान थी वह चाहती थी कि उसकी बेटी पारुल अपने पति के पास वापस लौट जाए क्योंकि पारुल का पति एक अच्छा इंसान है उसे अभी भी कोई गिला शिकवा नहीं है वह इंतजार में है कि पारुल वापस आए लेकिन पारुल अपनी जिद और अपने पापा की इज्जत के कारण वापस नहीं जा रही है और शोभा उसी के बारे में मीनाक्षी से बात करने लगती है पर उसे यह एहसास नहीं होता कि पीछे सब कुछ पारुल खड़ी-खड़ी सुन रही है।

 शोभा : ( हताश टोन) काश यही बात पारुल के समय भी सोच ली होती तो आज वह लड़की घर पर बैठी नहीं होती है ।

 शोभा पारुल की टूटी हुई शादी के बारे में बात कर ही रही होती है और यह बात पारुल सुन लेती है।

पारुल  :( गुस्से में) मां क्या आपके पास कुछ और नहीं है बात करने के लिए जो हर वक्त हर बात में मुझे लेकर आ जाती है और वैसे भी आप बार-बार यह सब क्यों कहती हो।

शोभा  : मेरे कहने का मतलब यह नहीं था हमें पता है तुम अपने आप के घर पर हो लेकिन फिर भी संजय एक अच्छा लड़का है उसके साथ तुम्हारी जिंदगी और अच्छी हो सकती थी अगर तुम ...

शोभा के बीच बात को बीच में काटते हुए"  कितना अच्छा है और कितना अच्छा नहीं मुझ पर छोड़ दीजिए तुम मेरी तरफ देखिए मत यह समझी कि आपकी सिर्फ एक ही बेटी है कुसुम ...

लेकिन भगवान के लिए हाथ जोड़कर रहती हूं मेरे बारे में बार-बार यह बात करना बंद कीजिए एक साल हो गया है मैं यहां रह रही हूं लेकिन पिछले 1 साल से ऐसा कोई फंक्शन नहीं गया जहां आप यह बात लेकर ना आई हो मुझे माफ कर दीजिए मां लेकिन हाथ जोड़कर विनती है कि आप मुझे इस बारे में या मेरे पीठ पीछे इस बारे में बात करना बंद कीजिएअगर आपको मैं नहीं पसंद हूं के बीच में मेरी बात मत लेकर आईए"...

मीनाक्षी :  अरे आप दोनों तुम्हें शांत हो जाइए यह कैसी बातें कर रहे हैं यह बातें घर पर भी हो सकती है जरा सी आवाज ऊंची होकर किसी ने सुन लिया या फिर रूद्र ने सुन लिया तो बहुत तमाशा खड़ा हो जाएगा और रूद्र का गुस्सा तो आप सभी जानते हैं ना पिछली इसी बात के कारण इतना गुस्सा हो गई थी कि उन्होंने अपने हाथ को चोट पहुंचा दी थी इसलिए अभी बेहतर है कि इस बारे में कुछ बात ना की जाए।

पारुल : चाचाजी यह बात आप मन को समझाइए क्योंकि वही है जो इस बात को हमेशा बीच में लेकर आती है।

गुस्से से बोलकर पारुल वहां से चली जाती है।

मीनाक्षी :  दीदी आप बार-बार पारुल के बारे में बात मत कीजिए आप जानती है उसी को कितनी जिद्दी है।

शोभा  : मैं क्या करूं सही तो कह रही थी आप जब उसने अपनी मनपसंद की शादी कर ली तो निभाती भी ना अगर लड़का अच्छा नहीं होता तो हमें भी कोई तकलीफ नहीं थी लेकिन संजीव बहुत अच्छे हैं आज भी हमारे बारे में पूछते रहते हैं भगवान जाने क्या होगा पर आई होप की कोई बदलाव आए इनकी बुद्धि बदले...

पारुल का पति संजीव एक मेहनती और ईमानदार आदमी है जो की एक कॉरपोरेट कंपनी में काम करता है लेकिन अपनी सैलरी से नहीं उठा सकता शादी तुड़वाने के बाद संजीव ने तो बहुत कोशिश की थी कि वापस से कोशिश करें अपने परिवार को एक किया जाए लेकिन तेजस्वी ने ऐसा बिल्कुल नहीं होने दिया और इसमें उसका साथिया रूद्र ने जो तेजस्वी ने कहा रूद्र निर्भर कर दिया यह सोचे बिना की जो उसके पापा कह रहे हैं या कर रहे हैं वह सही या गलत क्योंकि रुद्र के लिए तो वह हर चीज सही है उसके पापा को सही लगती है पारुल के डाइवोर्स के खिलाफ रुद्र के चाचा चाचा रुद्र की मां भी थे लेकिन तेजस्वी और रुद्र के आगे कोई कुछ नहीं कहा पाया और नहीं कर पाया।

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रात के 2:30 बज रहे हैं और पार्टी अभी भी चल रही है मेहमानों का आना-जाना लगा हुआ है और तभी पार्टी में पहुंचती है आलिया राठौर

आलिया राठौर जो की रुद्र के फैमिली फ्रेंड है और  बिजनेस से भी जुड़ी हुई है ‌ उसकी खास फ्रेंड भी उन दोनों के बीच में एक गहरी दोस्ती है जिसे कुछ लोग दोस्ती से ज्यादा देखते हैं लेकिन रुद्र की तरफ से सिर्फ दोस्ती है क्योंकि आलिया उसकी बिजनेस में पार्टनर भी है तो इससे उसका रिलेशनशिप और भी स्ट्रांग है और आलिया दिखने में जितनी खूबसूरत है उतनी ही बहुत इंटेलिजेंट एक बिजनेस वूमेन भी है और रुद्र इस चीज को एडमायर भी करता है वहीं दूसरी तरफ आलिया रुद्र के लिए एक दिल में सॉफ्ट कॉर्नर रखती है प्यार तो नहीं लेकिन रूद्र उसे पसंद है और कहीं ना कहीं अपनी पसंद को प्यार में बदलना चाहती है लेकिन उसकी रुद्र से यह कहने की हिम्मत नहीं है क्योंकि वह जानती है कि रूद्र उसे सिर्फ दोस्ती जैसा देखता है और अगर उसके अपने प्यार का इजहार या अपनी पसंद का इजहार कर दिया तो बिजनेस का तो पता नहीं लेकिन उसकी दोस्ती रुद्र से टूट सकती है इसलिए आलिया सिर्फ रुद्र से अपनी दोस्ती को मेंटेन करके चल रही है लेकिन उसके साथ-साथ वह रुद्र के लिए छोटी-मोटे काम करती रहती है जिससे कुछ लोगों को लगता है कि उनके बीच में कुछ है लेकिन यह तो रुद्र की फैमिली और आलिया की फैमिली भी जानती है कि उनके बीच में कुछ नहीं है रुद्र और आलिया आपस में बात कर ही रहे होते हैं और आने से बात करते समय तू थोड़ा सा मुस्कुरा रहा होता है और यह देखकर शिखा जल जाती है जो कि कुसुम की दोस्त है

शिखा :  यह क्या बात कर रही है कौन है वह लड़की

कुसुम शिखा को आलिया के बारे में बता देती है और यह सुनने के बाद सिख का चेहरा उतर जाता है जिस पर कुसुम कहती है

" अरे चिंता मत करो वह सिर्फ दोस्त है उनके बीच में ऐसा कुछ भी नहीं है ।

अंजना  :लग तो नहीं रहा देखो तो सही पहले रूद्र इधर से उधर कितने गुस्से में घूम रहे थे एकदम सीरियस और अब उसके साथ बात करते हैं मुस्कुरा रहे हैं..

कुसुम  : हा तो सिर्फ मुस्कुरा ही रहे हैं ना हंस तो नहीं रहे अब तुम क्या जानते हो मेरा भाई मुस्कुराए भी नहीं सीखा यह बात नहीं है लेकिन सिर्फ उसे लड़की के साथ ही क्यों ..

कुसुम  : मैंने बताया ना वह हमारे फैमिली फ्रेंड है बचपन से जानते हैं हम आलिया को हमारे हम साथ में घर-घर खेला करते थे और उसके बाद भाई और कुसुम एक स्कूल से पढ़ाई की है एक साथ कॉलेज किया है और साथ में बिजनेस पार्टनर है तो इतनी बॉन्डिंग होना तो नॉर्मल सी बात है लेकिन उसके बावजूद भी उनके बीच में कुछ नहीं है और इस बात की मैं गारंटी दे सकती हूं लेकिन एक बात और है मेरी मां मेरी चाची और आलिया की मां भी यही चाहती है कि उनके बीच में कुछ हो जाए लेकिन सच बताओ मुश्किल है।

शिखा : ऐसी बात है फिर तो अच्छा है वरना मैं तो रूद्र को किसी और लड़की के साथ नहीं देख पाऊंगी..

कुसुम  : यार ऐसे मत बोलो तुम्हें अपनी पड़ी है हमें अपनी चिंता हो रही है हम चाहते हैं यार की भाई की जिंदगी में कोई लड़की आए उन्हें किसी से प्यार हो चाहे फिर वही आलिया ही क्यों ना हो लेकिन उनके फैमिली हो जाए उसमें थोड़ा बिजी हो ताकि भाई घर पर रहना सीखें और थोड़ा सा हंसना मुस्कुराना सीखे और हमारे साथ करें ताकि उनसे यह डरना नापड़े

शिखा  : तो तुम्हें लगता है कि इन दोनों के बीच में कुछ हो सकता है आगे चलकर

कुसुम :   आगे चलकर क्या होगा क्या नाम मुश्किल है आगे का कोई क्या कह सकता है ।

this is my first novel please like and comment

Sugreev_Singh_3878creators' thoughts