राधा रो रही थी अपने बच्चे को गोद मे लेकर, उसका दूसरा बेटा भी गुमसुम अपनी माँ के पास बैठा था, किशनलाल भी बहुत दुःखी था, उसने राधा से कहा "तुम ज़रूरी सामान तैयार करो, बच्चो को कुछ खिलाओ मे पैसे का इंतजाम कर के आता हू फिर अस्पताल चलते हे, तुम चिंता ना करो हम पैसों का इंतजाम करके अभी ही आते हे"..
किशनलाल का दोस्त था दोलतराम अभी उसकी सादी नहीं हुई थी, उसके घर जाता दोलतराम किशन को आता देख खुशी से उसे सामने आँगन मे लेने जाता हे," अरे तुम तो सादी के बाद घर आना ही भूल गये थे, गांव मे रास्ते मे ही मुलाकात होती थी, आज तो तुम्हें खाना यही खाना पडेगा" दोलत राम बहुत खुश था, पर किशन लाल का उतरा मुह देख के समज गया कोई बात है जो किशन लाल इतना दुखी हे, किशन लाल को खाट पे बिठाया, पानी दिया
फिर पूछा क्या" हुआ इतना उदास काहें हो भैया?"
किशन लाल ने बताया" छोटा लल्ला बहुत बीमार हे, पैसों की सख्त जरूरत है", दोलत राम ने कहा "देखो किशन लाल
भैया मे ठहरा अकेला अपनी ज़मीन आधे भाग मे दी हे जो भी फसल होती उसका आधा हिस्सा मिल जाता है,"
पर तुम जानते हो कि इसबार फसल पूरी बर्बाद हो गई तो रुपये तो मेरे पास नहीं हे और गाँव मे और कोई पेसे दे सके उतना सक्षम नहीं हे, हाँ चलो हम धनी राम के पास चलते है वो तुम्हें पेसे जरूर देगा, किशन लाल और दोलत राम दोनों ही धनी राम के पास जाने को निकल जाते हैं...
धनी राम का धंधा ही था पैसे देना और ब्याज लेना, किशन लाल और दोलत राम उसके पास जाते हैं, उनको देख कर धनी राम "अरे किशन लाल और दोलत राम तुम यहा,सब कुशल मंगल हे ना?"
दोलत राम कहता है किसन लाल के बचे की हालत खराब है पैसों की जरूरत है, धनी राम किशन लाल से कहता हे देखो तुम्हें में बरसों से जानता हूँ, और गाव मे तुम्हारी कितनी इज्जत हे सब जानते हैं और बात थोड़े पैसों की होती तो मे यूँही दे देता, अस्पताल मे बहुत खर्चा होगा तो तुम्हें जितने पैसे चाहिए उतने ले जाना कम पड़े तो और ले जाना पर तुम्हें कुछ गिरवी रखना होगा, किशन लाल के पास जमीन के अलावा कुछ भी न था उसने जमीन गिरवी रख दिया, और कर्ज़ ले लिया फिर दोलत राम और किशन लाल घर जाते है राधा और बचों को लेके अस्पताल जा ने के लिये निकल पड़ते हे, किशन लाल, दोलत राम को मना करते हैं तुम कहां धक्के खाते फिरो गे, दोलत राम ने कहा तुम चिंता मत करो जब तक हमारा बच्चा ठीक नहीं हो जाता हम वापस नहीं आये गे, और सब अस्पताल जाते हे,.
किशन लाल अस्पताल मे अपनी बारी का इंतजार कर रहा था, राधा बच्चे को गोद मे लिए रो रही थी, दोलत राम ने जाके रिसेप्शन पे जाके झगड़ा कर सुरु कर दिया
बच्चा मर जाये गा मेरा इंतजार मे, झगड़ा सुनते ही डॉक्टर बहार आये फिर बच्चे को इमर्जेंसी मे भेज दिया, 10 दिन तक बचे का इलाज चला पेसे खर्च होते रहे आखिर बच्चा बिल्कुल ठीक हो गया, किशन लाल, राधा दोलत राम सब बहुत खुश थे, बचें के ठीक हो जाने से...
धीरे-धीरे 15 दिन निकल गये, अब किशन लाल के खेत गिरवी था, तो उसे अपना परिवार का पेट भरने के लिए मजदूरी करनि पडी, पूरा दिन मजदूरी कर ता था फिर भी परिवार का पेट नहीं भर पा ता था, धीरे धीरे राधा भी उसके साथ मजदूरी कर ने लगी दोनों अपने बचों को लेके दिन भर
मजदूरी करते तब जाके खां पाते थे और घर के ख़र्चे निकाल पाते थे, पूरा साल मजदूरी मे निकल गया.
एक दिन किशन लाल के घर दोलत राम आया उसने आके बच्चों की और घर की खबर पूछी, किशन लाल ने कहा घर परिवार तो सब ठीक ही है लेकिन अब ये खेत गिरवी रखे हे उसे छुड़ाने के लिए लिए रुपये जमा केसे करू?, पूरा साल घर के ख़र्चे सम्भालते संभालते कहा गुजर गया पता नहीं चला, फसल बो ने दिन आ गये पर खेत अभी गिरवी ही हे, दोलत राम ने कहा तुम फ़िक्र क्यू करते हो भला?, अब तुम मेरे खेत मे फसल उगाना, मे तुमसे आधा हिसा नहीं लूँगा तुम मुझे 25 प्रतिशत दे देना मे तुमसे कम हिस्सा लूँगा और धीरे धीरे पैसे जमा करके खेत छुड़ाने का भी रास्ता निकल आये गा, किशन लाल खुश हुआ उसे आशा की किरण नजर आयी थी, यू तो पूरा शाल मजदूरी मे निकल गया.
फिर किशन लाल और राधा भी खेत में फसल बो ने मे लग गये, खेत का सारा काम खुद करते, और बच्चे भी बड़े हो रहे थे, वो भी खेत मे ही खेलते रहते, दोनों अपने बच्चों को देख के एसे काम करते मानो दोनों बच्चे उन्हें काम करने की हर क्षण नई शक्ति प्रदान करते हो.
खेत मे फसल लहराने लगी और धीरे धीरे फसल काटी गई राधा और किशन लाल ने खूब मेहनत की और उनको फल मिला, दो साल तक एसे ही मेहनत की उनकी जमीन उनके पास आगई, बच्चे भी स्कूल जाने लगे थे राधा और किशन लाल के चहरे पे वहीं चमक फिर से दिख रही थी जो दोनों बच्चे के जन्म समय थी. और किशन लाल को दोलत राम जैसा सच्चा दोस्त और राधा को अपने जीवन मे पाकर बहुत खुश था उनका दोनों की जितनी तारीफ करे उसे कम लगती थी..