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aawara ashiq

現実
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Chapter 1कुछ सुहानी यादें

प्रिय दोस्तों कैसे हैं यह मेरी पहली कहानी है यह मेरे जीवन की एक सत्य घटना है जिसमें स्थान एवं पात्रों के नाम मैंने बदल दिए तो कहानी पर आता हूं

बात उस समय की है जब मैं अपनी पढ़ाई पूरी करके नौकरी की तलाश में अपने शहर से बरेली गया था जहां पर मुझे एक कारों की डीलरशिप में बतोर सेल्स एग्जीक्यूटिव मेरी पहली जॉब मिली थी मैंने वहां पर रहने के लिए एक कमरा किराए पर लिया मेरी मकान मालकिन और उसकी बेटी जिनका नाम सुषमा और ज्योति था यहां मैं आपको थोड़ा अपने मकान मालिकों के बारे में बताना चाहूंगा सुषमा मेरी मकान मालकिन का नाम था जिनका एक 48 साल के अधेड़ आदमी से दूसरा विवाह हुआ था जिसके पहली शादी से एक बेटी थी जिसका नाम ज्योति था ज्योति की मां का देहांत कुछ समय पहले बीमारी से हो गया था उस समय ज्योति 3 साल की थी उसके पिता ने दूसरी शादी एक गरीब घर की लड़की सुषमा से करी शादी के समय सुषमा की उम्र 26 साल थी सुषमा के मां-बाप बहुत गरीब थे इसीलिए उन्होंने अपनी बेटी की शादी एक अधेड़ उम्र के आदमी से कर दी आप अपनी कहानी पर आता हूं उनके यहां एक कमरा किराए पर लिया था मेरे मकान मालिक की पत्नी सुषमा भाभी बहुत मिलन सार थीं कुछ दिनों में ही उनके साथ मेरे पारिवारिक संबंध हो गए मैं अक्सर उन्हीं के यहां पर जाता रहता था वह भी अक्सर मुझे कुछ ना कुछ खाने के लिए भी देती रहती थी अब बात करते हैं ज्योति की ज्योति दसवीं कक्षा की छात्रा थी दिमाग से काफी तेज मगर उसकी समझ में थोड़ी देर से आता था एक दिन शाम को जब मैं अपने ऑफिस से वापस आया तो ज्योति की मम्मी सुषमा भाभी ज्योति को डांट रही थी उसके टेस्ट में नंबर कम आए थे वह उसको पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कह रही थी ज्योति इकलौती होने के कारण थोड़ी जिददी स्वभाव की थी और 16 साल की औसतन कद काठी की लड़की थी उनमें आपस में बहस होने लगी बात कुछ ज्यादा ही बढ गई थीं तो मैंने उनके पास जाकर दोनों को समझाया जिस पर ज्योति थोड़ी ज्यादा नाराज हो गई और अपनी मां को बुरा भला कहने लगी उसकी मां ने गुस्से में आकर ज्योति की पिटाई कर दी मैंने बीच बचाव करके ज्योति को शांत किया और उसे अपने कमरे में ले आया जब उनका गुस्सा शांत हुआ तो मैंने उनसे पूछ क्या कारण से यह लड़ाई हो रही है तो ज्योति की मम्मी ने बताया ज्योति की ट्यूशन लगी होने के बावजूद वह क्लास में टेस्ट में फेल हो गई है मैंने ज्योति से इसका कारण पूछा तो उसने बताया ट्यूशन टीचर की पढ़ाया हुआ उसको समझ नहीं आता और अगर वह सवाल पूछती है तो टीचर यह कहकर डांट देती है कि तुम मंदबुद्धि हो बाद में सारी सहेलियां उसका मजाक उड़ाते हैं इसलिए अब वह कोई सवाल अपने टीचर से नासमझ आने पर भी दोबारा नहीं पूछती उसने मुझे कहा भैया आप ही बताओ मैं क्या करूं मैंने उसे शांत करा और उसकी मम्मी से बात की मैंने उन्हें टीचर से मिलने की सलाह दी अगले दिन सुषमा भाभी ज्योति की टीचर से भी लड़ाई कर आई जिसका नतीजा यह हुआ क्या उसने ज्योति को पढ़ाने से ही मना कर दिया अगले दिन से ऑफिस से आने के बाद मैं ज्योति को पढ़ाना शुरू कर दिया ज्योति पढ़ने में होशियार थी बस उसको थोड़ा ज्यादा समझाना पड़ता था एक बार समझ में आने के बाद फिर कभी भूलती नहीं थी इस तरह समय व्यतीत होता रहा एक दिन इतवार को दोपहर के समय घर पर सुषमा भाभी मैं और ज्योति थे ज्योति कपड़ों की जिद करने लगी सुषमा भाभी बोली अगर पकौड़े खाने हैं तो खुद बनाओ मैं और ज्योति पकोड़े बनाने के लिए किचन में चले गए हमने आलू और प्याज कांटे इतने में सुषमा भाभी भी किचन में आ गई और कहने लगी हटो मैं बना देती हू और वह पकोड़े बनाने लगी मैं उनके पास ही खड़ा था पकोड़े बनाते हुए हम आपस में हंसी मजाक भी कर रहे थे अचानक से भाभी कुछ लेने के लिए मेरे पास आ गई वह मेरे काफी करीब आ गए इतना क्यों उनके जिस्म की खुशबू मेरे सांसो में भर गई और मुझ पर एक मदहोशी सी छा गई उनकी मादक खुशबू ने कुछ देर के लिए मुझे मदहोश कर दिया था मैं उसी मदहोशी में उनकी खुशबू को महसूस करता हूआ उनके काफी करीब चला गया इतना कि हम दोनों के जिस्म एक दूसरे से चिपक गए उनके गोल गोल नितम्ब मेरी जांघों से सट गये हम काफी देर तक ऐसे ही खड़े रहे तभी अचानक ज्योति आ गई और भाभी एकदम से अलग को हो गई ज्योति के जाने के बाद मैंने गौर किया सुषमा भाभी के होठों पर मंद मंद मुस्कान थी जैसे ही मैं दोबारा उनके करीब गया वह मचल कर किचन से बाहर आ गई और मुस्कुराते हुए चलो अब आ जाओ पकौड़ी तैयार है मैं भी हंसता हुआ बाहर आ गया धीरे धीरे यह सिलसिला आगे बढ़ता रहा अब मैं अक्सर जब भी भाभी किचन में होती तो उनके पास चला जाता और मौका देख कर उनके करीब खड़ा हो जाता वह भी अपने नितंबों को मेरी जांघों के पास लाकर मेरे लौड़े को सहला देती थी धीरे धीरे हमने एक दूसरे के और ज्यादा करीब आना शुरू कर दिया एक दिन जब मैं ऑफिस से आया तो सुषमा भाभी घर पर अकेली थी और वह अपनी अलमारी में कपड़े लगा रही थी मैंने कमरे में आकर कपड़े बदले और शॉट और टीशर्ट पहनकर उनके पास चला गया वह गुनगुना रही थी और अपने काम में इतनी व्यस्त थी कि उन्हें पता ही नहीं लगा कब मैं उनके पास पहुंच गया मैंने अपनी आदत के अनुसार उनके पीछे जाकर अपनी जांघों को उनके नितंबों से सटा दिया अचानक मेरे को अपने पीछे महसूस करके वह चौक गई कहने लगी अरे आप हो आपने तो मुझे डरा ही दिया था मेरी तो जान ही निकल गई थी मैंने भी मुस्कुरा कर कहा जान चाहे आपकी हो या मेरी बात तो एक ही है तो वह कहने लगी आप बातें बहुत अच्छी करते हो मैंने कहा कभी कुछ और भी मौका देकर देखें तो आपको पता चलेगा हम और भी बात कुछ अच्छा करते हैं मेरी बात सुनकर वह हंसने लगी कहने लगी और भी का मतलब मैंने जवाब में उनको अपने सीने से लगाकर उनकी गुलाब की पंखुड़ी जैसे होठों को अपने फोटो में भर लिया और उनका रस पीने लगा थोड़ी देर तक तो वह स्तब्ध रह गई उनको शायद इतनी उम्मीद नहीं होगी कि मैं ऐसा भी कुछ कर सकता हूं मगर जैसे ही उन्हें होश आया वह मुझे छोड़ने के लिए कहने लगे बोली हटो कोई आ जाएगा मैंने कहा घर में आपके और मेरे सिवाय और कोई नहीं है चलो हटो अब मुझे बात काम करना है और वह झुक कर बेड पर पड़े कपड़ों को उठाने लगी उनके गोल-गोल नितंब मेरे ठीक सामने थे और ऐसा मौका मैं कैसे छोड़ सकता था मैंने बिना एक पल गंवाए अपने खड़े हो चुके लोड़े को उनके नितंबों से सटा दिया मेरे बड़े लोड़े का एहसास जैसे ही उन्हें अपनी टांगों के बीच में महसूस दिया वो एकदम कुछ उछल पड़ी मैंने दोनों हाथों से उनके कुल्लोह को पकड़ कर अपना लोड़ा उनके नितंबों के बीच सहलाने लगा वह झूठा गुस्सा दिखाते हुए मुझे छोड़ने के लिए कहने लगी मगर मैं उनकी कोई बात की परवाह के बिना अपना लोड़ा उनके नितंबों के बीच रगड़ रहा था धीरे धीरे उन पर भी मदहोशी छाने लगी थी और अब उन्होंने मना करना बंद कर दिया था और वह चुपचाप बेड पर झुके हुए अपने दोनों हाथों को बेड पर टिकाए मेरे लोड़े को अपने नितंबों के बीच रगड़ता हुआ महसूस करके मदहोश होती जा रही थी धीरे धीरे मैंने अपनी स्पीड को बढ़ाते हुए अपने लौड़े को तेज तेज उनकी योनि और नितंबों के बीच रगड़ना शुरू कर दिया था उनके जिस में भी कामोत्तेजना होने लगी थी अब वह किसी प्रकार का विरोध नहीं कर रही थी मैंने मौका देख कर अपने हाथ आगे से जाकर उनके सुडोल वक्ष स्थलों को अपनी हथेलियों में भरकर धीरे धीरे सहलाना शुरु कर दिया था जिस से उनकी उत्तेजना धीरे धीरे बढ़ने लगी और उनके मुंह से सिसकारियां निकलनी शुरू हो गई हम दोनों कामोत्तेजना से भर चुके थे और एक दूसरे में समा जाना चाहती थी तभी भाभी ने खड़े होकर मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे होठों पर अपनी गुलाब की पंखुड़ियों को रखकर मुझे उनका रसपान कराने लगी मैं भी उनके होठों को अपने होठों को लेकर चूसता हुआ उनकी छाती से खेलता हुआ उनको उत्तेजना के शिखर पर ले जाने लगा मैंने उनके ब्लाउज को खोलकर उनकी ब्रा को ऊपर सरकाया उनके वक्षस्थल को बाहर निकाल लिया और उन्हें दबाने लगा भाभी ने मेरे चेहरे को नीचे झुका कर अपने निप्पल मेरे होठों से लगा दिया और जैसे ही मैंने उन्हें मुंह में भर का दातों से दबाया उनके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई थोड़ा प्यार से वह बोली और हंसने लगी अब मैं उनके निप्पल को जीभ से चाटने लगा और अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर उनकी योनि को सहलाने लगा भाभी की कामोत्तेजना अब अपने चरम पर थी और वह मछली की तरह मेरी बाहों में छटपटा रहे मैंने उन्हें बेड पर लेटा दिया और उनकी साड़ी को ऊपर उठा कर उनके टांगो को फैला दिया और जैसे ही मेरी नजर उनकी योनि पर पड़ी मेरे मुंह से सीटी बज गई क्या कमाल का नजारा था भाभी ने अपने योनि के बालों को आज ही हटाया था उनकी चिकनी योनि देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया था मेरी जीभ मैं खुजली होने लगी थी मैंने बिना देर करें अपने होठों को उनकी योनि पर रख दिया और अपनी जीभ को उनकी योनि में प्रवेश करवा दिया भाभी के साथ शायद यह पहली बार था कि किसी ने उनकी योनि को होठों से छुआ हो वह एकदम उछल पड़ी और दोनों हाथों से मेरा सिर पकड़ कर अपनी योनि से सटा दिया मेरी जीभ उनकी योनि में उत्पात मचा रखी थी और भाभी अपने दोनों हाथों से अपनी चूंचियों को मसलते हुए मुंह से अजीब अजीब आवाज निकाल रही थी तभी आनंद अतिरेक के कारण भाभी शिखर की ओर अग्रसर होते हुए संखलित हो गई यह उनका पहला अनुभव था आज से पहले उन्होंने कभी भी चरम सुख को प्राप्त नहीं किया था वह पसीने से लथपथ बेड पर पड़ी थी और मेरी ओर देखकर मुस्कुरा रही थी उन्होंने मुझे अपनी बाहों में समेट लिया और अपने सीने से लगाने के बाद वह सिसक कर रोने लगी मैंने उन्हें चुप कराया और रोने का कारण पूछा तो बोली शादी को 13 साल हो गए मगर आज पहली बार एहसास हुआ की मैं शादीशुदा हूं इतना कहकर उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे होठों पर अपने होंठ रखकर मुझे चूमने लगी मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने लोड़े पर रख दिया और जैसे ही उन्होंने मेरे लोड़े को छुआ तभी अचानक ज्योति मैं डोर बेल बजा दी वह वापस आ गई थी हम दोनों अलग हो गए और मैं दरवाजा खोलने के लिए बाहर चला गया

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सनातन गंगा

सनातन धर्म शाश्वत नियम है. जीवन के कुछ खास तत्व या बुनियादी पहलू हैं जो हमेशा लागू होंगे. सनातन धर्म का मतलब है कि हमारे पास इस बात की अंतर्दृष्टि है कि जीवन हमेशा कैसे कार्य करत सनातन धर्म शब्द का आज आम तौर पर गलत इस्तेमाल होता है. यह एक गलतफहमी है कि धर्म का मतलब मजहब होता है. धर्म का मतलब मजहब नहीं है, इसका मतलब नियम होता है. इसीलिए हम विभिन्न प्रकार के धर्मों की बात कर रहे हैं - गृहस्थ धर्म, स्व-धर्म और विभिन्न दूसरे किस्म के धर्म. मुख्य रूप से, धर्म का मतलब कुछ खास नियम होते हैं जो हमारे लिए इस अस्तित्व में कार्य करने के लिए प्रासंगिक हैं। आज, इक्कीसवीं सदी में, चीजों को संभव बनाने के लिए आपको अंग्रेजी जाननी होती है. यह एक सापेक्ष चीज है. हो सकता है कि पांच सौ से हजार सालों में, ये कोई दूसरी भाषा हो सकती है. हजार साल पहले ये एक अलग भाषा थी. वो आज के धर्म हैं - वो बदलते रहते हैं. लेकिन सनातन धर्म शाश्वत नियम है. जीवन के कुछ खास तत्व या बुनियादी पहलू हैं जो हमेशा लागू होंगे. सनातन धर्म का मतलब है कि हमारे पास इस बात की अंतर्दृष्टि है कि जीवन हमेशा कैसे कार्य करता है। कुछ दिन पहले मुझसे पूछा गया कि हम सनातन धर्म की रक्षा कैसे करें? वैसे, क्या सनातन धर्म को सुरक्षा की जरूरत है? नहीं, क्योंकि अगर वह शाश्वत है, तो मैं और आप उसकी सुरक्षा करने वाले कौन होते हैं? लेकिन इस सनातन धर्म तक कैसे पहुंचें और इन नियमों के जानकार कैसे हों, और उसे अपने जीवन में कैसे लागू करें. इन पहलुओं के बारे में आज की भाषा में, आज की शैली में, और आज के तरीके में बताए जाने की जरूरत है, ताकि यह इस पीढ़ी के लोगों को आकर्षक लगे. वे इसे इसलिए नहीं अपनाने वाले हैं क्योंकि आप इसे कीमती बता रहे हैं. आप इसे उनके दिमाग में नहीं घुसा सकते. आपको उन्हें इसकी कीमत का एहसास दिलाना होगा, आपको उन्हें यह दिखाना होगा कि यह कैसे कार्य करता है. सिर्फ तभी वे इसे अपनाएंगे. सनातन धर्म को सुरक्षा की जरूरत नहीं है. इसे जिए जाने की जरूरत है, इसे हमारी जीवनशैली के जरिए हम सब के अंदर जीवित रहना चाहिए. अगर हम ऐसा नहीं करते, तो इसकी रक्षा करने से ये अलग-थलग हो जाएगा। सनातन धर्म को मुख्य धारा में लाना ही मेरा प्रयास है. बिना धर्म शब्द को बोले, मैं इसे लोगों के जीवन में ला रहा हूंं, क्योंकि अगर इसे जीवित रहना है तो इसे मुख्य धारा बनना होगा. एक बड़ी आबादी को इसे अपनाना होगा. अगर बस थोड़े से लोग इसे अपनाते हैं और यह सोचते हैं कि वे बेहतर जानते हैं, और वे हर किसी से ऊंचे हैं, तो यह बहुत ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहेगा. हम इस संस्कृति के सबसे कीमती पहलू को, इस मायने में मार देंगे कि धरती पर यही एक संस्कृति है जहां उच्च्तम लक्ष्य मुक्ति है. हम स्वर्ग जाने की या भगवान की गोद में बैठने की योजना नहीं बना रहे हैं. हमारा लक्ष्य मुक्ति है, क्योंकि आप जो हैं, अगर आप उसके अंतरतम में गहरे खोजते हैं, तो आप समझेंगे कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि यह चाहे सुख हो, ज्ञान हो, प्रेम हो, रिश्ते हों, दौलत हो, ताकत हो, या प्रसिद्धि हो, एक मुकाम पर आप इनसे ऊब जाएंगे. जो चीज सचमुच मायने रखती है वो आजादी है, और इसीलिए यह संस्कृति महत्वपूर्ण है - बस आज के लिए ही नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी। अतीत में लोग सनातन धर्म के लिए वाकई तैयार नहीं थे, क्योंकि हर पीढ़ी में सिवाय कुछ लोगों के, बड़े पैमाने पर कोई बौद्धिक विकास नहीं था. तभी तो वे कभी यह नहीं समझ सके कि आजाद होने का क्या मतलब होता है, उन्होंने सिर्फ सुरक्षा खोजी. अगर आप धरती पर सारी प्रार्थनाओं पर गौर करें, तो उनमें से नब्बे प्रतिशत सिर्फ इस बारे में हैं - ‘मुझे यह दीजिए, मुझे वह दीजिए, मुझे बचाइए, मेरी रक्षा कीजिए!’ ये प्रार्थनाएं मुक्ति के बारे में नहीं हैं, वे जीवन-संरक्षण के बारे में हैं। लेकिन आज, मानव बुद्धि इस तरह से विकास कर रही है कि कोई भी चीज जो तर्कसंगत नहीं है, वो दुनिया में नहीं चलेगी. लोगों के मन में स्वर्ग ढह रहे हैं, तो ये आश्वासन कि ‘मैं तुम्हें स्वर्ग ले जाऊंगा,’ काम नहीं करने वाला है. अब कोई भी स्वर्ग नहीं जाना चाहता.  सनातन धर्म के लिए यह सही समय है. यही एकमात्र संस्कृति है जिसने मानवीय प्रणाली पर इतनी गहाराई से गौर किया है कि अगर आप इसे दुनिया के सामने ठीक से प्रस्तुत करें, तो ये दुनिया का भविष्य होगी. सिर्फ यही चीज है जो एक विकसित बुद्धि को आकर्षित करेगी, क्योंकि ये कोई विश्वास प्रणाली नहीं है. यह खुशहाली का, जीने का और खुद को आजाद करने का एक विज्ञान और टेक्नालॉजी है. तो सनातन धर्म कोई अतीत की चीज नहीं है. यह हमारी परंपरा नहीं है. यह हमारा भविष्य है।

Nilmani · 現実
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20 Chs

जिंदगी 1

अब ये हम दोनो के बिच प्यार था या आकर्षण ये तो पता नही ,लेकिन जो भी था बहुत जबर्दस्त था । अब थोरे थोरे मेरे कदम भी लर्खराने लगे थे , मैने उसे बोला की अब चलते है ,मैने अभी पुरा बोला भी नही था की उसने अपनी उंगली मेरे लिप्स पे रख दी ,और बोली नही अभी नही अभी और , ये बोलते बोलते उसके कदम लर्खराने लगे थे,उसकी आँखे बन्द हो रही थी ,मेरे सिने पे उसने अपने सिर को रखा उसके हाथ मेरे गर्दन पर लिपटे थे,वो उपर आँखे कर के मुझे इक मदहोश नजरो से देख रही थी ।उसकी गरम सांसे मुझे बहुत ज्यादा रोमांचित कर रही थी , कुछ देर तक तो मै उसे ऐसे ही देखता रहा ।फिर मैने सोचा की अब हमे निकलना चाहिये ।मैने घरी देखी रात के 10बज चुके थे ,मैने सोचा हमे अब निकलना चाहिये ।

Anurag_Pandey_5625 · 現実
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