इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है उनका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है अगर ऐसा होता है तो यह एक संयोग मात्र है
हसीना एक 17 साल की ओसत शक्ल सूरत वाली अनाथ लड़की बिहार की रहने वाली थी उसके माता-पिता का देहांत बचपन में ही हो गया था एक दूर के रिश्तेदार ने उसे हमारे पड़ोस में वर्मा जी के यहां काम पर लगवाया था उस बेचारी ने बचपन से ही बहुत दुख उठाए थे 3 साल की उम्र में उसकी मां चली गई और 14 साल की उम्र में उसके सौतेले बाप ने उसकी शादी एक 50 साल के बूढ़े से करवा दी थी शादी के 1 साल बाद ही उसका पति भी गुजर गया वह बेचारी अकेली हो गई उसके एक दूर के रिश्तेदार ने तरस खाकर उसे एक कोठी में नौकरानी लगवा दिया था अब वह यही रह कर अपनी जिंदगी काट रही थी वर्मा जी शहर के मशहूर बिल्डरों मैं से एक थे उनके घर में उनकी बीवी और दो बच्चे रहते थे वर्मा जी की नियत हसीना पर खराब थी वह अक्सर हसीना को घूरते रहते थे 1 दिन तो जब वह घर पर अकेली थी तो उन्होंने उसे किचन में पकड़ लिया था मगर तभी किसी के आ जाने के कारण उनके इरादों पर पानी फिर गया धीरे धीरे समय गुजरने लगा एक दिन वर्मा जी का परिवार एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने 1 सप्ताह के लिए जयपुर चला गया घर पर अकेली हसीना और चौकीदार था हसीना को रहने के लिए एक सर्वेंट क्वार्टर मिला हुआ था मगर जब वर्मा जी जयपुर गये तो उन्होंने हसीना को घर के अंदर सोने के लिए कहा वर्मा जी को गये हुए 3 दिन हो गये थे
एक तूफानी रात थी बहुत जोर से बारिश हो रही थी हसीना ड्राइंग रूम में फर्श पर अपना बिस्तर लगा कर सो रही थी तभी अचानक कुछ गिरने की आवाज से उसकी आंख खुली उसने देखा एक कमरे की लाइट जली हुई है जैसे ही उसने कमरे में झांका वह चौक पड़ी कमरे में दो चोर घुसे हुए थे वह शायद बालकनी से अंदर आए थे डर कर जैसे ही वह कमरे से बाहर भागी तभी अचानक एक चोर से टकरा गई और नीचे गिर पड़ी उसके पीछे एक और चोर खड़ा था उन्होंने तुरंत हसीना को पकड़ लिया और उसके दुपट्टे से उसका मुंह बांध दिया तीसरा चोर रिवाल्वर निकालकर हसीना की तरफ आया और रिवाल्वर उसके कान से सटाकर बोला अगर कोई भी गड़बड़ की या चिल्लाई तो जान से मार दूंगा हसीना डर के मारे कांपने लगी पसीने से लथपथ कमरे में एक कोने में पड़ी हुई थी उन्होंने रस्सी से उसके हाथ और पैर भी बांध दिए थे अब चारों मिलकर मजे से चोरी कर रहे थे सारा सामान समेटने के बाद उन्होंने अलमारी में रखी हुई शराब की बोतलें निकाली और ड्राइंग रूम में बैठकर मजे से पीने लगे चोर बड़े इत्मीनान से शराब पी रहे थे उन्हें पता था कि घर पर हसीना के अलावा और कोई नहीं है इसलिए मैं बड़े बेफिक्र थे तभी उन्हें कुछ खाने का मन हुआ तो वह उठकर खाने के लिए कुछ ढूंढने लगे उनमें से एक बोला अरे उस नौकरानी को पूछ लो उसे पता होगा खाना कहां रखा है बड़ी भूख लगी है यार एक ने आ कर हसीना के पैर हाथ खोल दिए और उसे लेकर ड्राइंग रूम में आया उनमें से एक जो उनका बॉस था हसीना से पूछा घर में खाने के लिए कुछ है बड़ी जोर की भूख लगी है हसीना ने सिर हिलाकर मना कर दिया तो दूसरा बोला हमारे लिए कुछ बना दो हमें बहुत भूख लगी है हसीना ने अपने मुंह पर लगे दुपट्टे को उतारा और किचन में उनके लिए खाना बनाने चली गई चारों बैठकर मज़े से दारु पी रहे थे नशा उन पर हावी हो चुका था तभी उनमें से एक उठकर पानी लेने के लिए किचन मैं गया अंदर हसीना खाना बना रही थी उसकी नियत खराब हो गई एक तो पहले ही वह शराब के नशे में धुत था उस पर हसीना की जवानी देख कर उसका मन मचल उठा उसने पीछे से हसीना को अपनी बाहों में भर लिया हसीना चीख पड़ी उसकी आवाज सुनकर तीनों चोर भी किचन में आ गये और हंसने लगे उन्होंने हसीना को उठाकर ड्राइंग रूम में ले आए अब चारों की आंखों में वासना के लाल डोरे तैर रहे थे एक ने आगे बढ़कर हसीना के मुंह पर दुपट्टा बांध दिया ताकि वह चीख ना सके उन्होंने उसे फर्श पर लेटा दिया और चारों एक साथ उस पर टूट पड़े कोई उसकी चूचियां दबा रहा था कोई उसके चूतड़ों को सहला रहा था और कोई उसकी चूत पर हाथ फिर आ रहा था हसीना डर के मारे रो रही थी मगर बेबस कुछ कर नहीं सकती थी उन्होंने कपड़ों को उसके जिस्म से अलग कर दिया हसीना नंगी उन चारों के बीच पड़ी थी और वे चारों खूंखार जानवर उसके नंगे जिस्म को आंखें फाड़ फाड़ कर देख रहे थे हसीना का बुरा हाल था वह रो रही थी और उन्हें छोड़ने के लिए कह रही थी मगर वो चारों शराब के नशे और उत्तेजना से भर कर भूखे भेड़िए की तरह एक साथ टूट पड़े कोई उसकी चूचियां मसल रहा और कोई उसके गालों को चूमा रहा था हसीना बार-बार उन से बचने की नाकाम कोशिश कर रही थी तभी उनमें से एक बोला साली को दारू पिला देते हैं फिर जमकर मजा लूटेंगे इतना कहकर वह उठा और दारू की बोतल लेकर हसीना के सिर के पास बैठ गया और उसने हसीना के मुंह से दुपट्टा हटा कर दारू की बोतल उसके मुंह में लगा दी वह बचने के लिए छटपटाने लगी मगर उन्होंने जबरदस्ती बोतल उसके मुंह में उड़ेल दी हसीना ने आज से पहले कभी दारू का स्वाद नहीं चखा था जैसे ही थोड़ी सी उसके गले के अंदर गई उसका गला अंदर से छिल गया दूसरे ने उसकी नाक बंद कर दी जैसे ही उसने सांस ली दारू के तीन चार तगड़े घूट उसके गले के अंदर उतर गये उसका गला जल रहा था थोड़ी देर में ही उस पर नशा हावी होने लगा अब वह शांत हो गई थी और इधर यह चारों अपने कपड़े उतार कर तैयार हो रहे थे आज हसीना की शामत आने वाली थी उन चारों के मोटे तगड़े लौडो को देखकर वह अंदर तक सिहर उठी उसे उठाकर वह सोफे पर ले गए अजय और राजेश हसीना की बराबर में सोफे पर बैठ गए विजय पीछे जाकर खड़ा हो गया और पंकज उसकी टांगों में बैठकर उसकी योनि को सहलाने लगा विजय ने उसकी गर्दन पीछे झुका कर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया था अजय और राजेश उसकी दोनों चूचियों पर टूट पड़े थे और उसके निपल्स को मुंह में लेकर दांतो से कुचलना शुरू कर दिया था हसीना कराह उठी और तभी पंकज ने उसकी टांगों को फैला कर उसके योनि अधरों को अपने मुंह में भर कर दांतो से कुचलने लगा हसीना छटपटा रही थी पंकज को उस पर तरस आ गया था तो उसने अपनी जीभ को अंदर डाल कर चाटने लगा धीरे-धीरे हसीना भी कामवासना से तड़पने लगी थी शराब के सुरूर और इन चारों की हरकतों ने हसीना के जिस्म में वासना की आग को भड़का दिया था उसकी चुचिया फूल कर मोटी हो गई थी उसके निप्पल भी तनकर बड़े हो गए थे उसकी योनि में कामरस बहना शुरू हो गया था जिसे चाट कर पंकज का नशा और बढ़ गया था वो कभी उसकी योनि को चाटता और कभी उसकी भग्नासा को दांतो से कुचलता था उधर अजय और राजेश भी उसके निप्पलों को चूस कर उसकी कामाग्नि को बढ़ा रहे थे हसीना ने उनका विरोध करना बंद कर दिया था सच पूछो तो उसे मजा आने लगा था उसने दोनों हाथों से अजय राजेश के लोड़े को सहलाना शुरू कर दिया था उधर पंकज ने उसकी योनि को चाट चाट कर उसे चरमोत्कर्ष पर पहुंचा दिया था अब किसी भी पल उसके योनि रस की धारा बहने वाली थी उत्तेजना मैं उसका बुरा हाल था इधर विजय ने उसकी गर्दन पीछे झुका कर लोड़ा उसके होठों पर रख दिया था हसीना ने अपना मुंह खोलकर उसे अंदर ले लिया और चूसने लगी उसे लौड़ा चूसने में थोड़ी परेशानी हो रही थी तो उसे करवट बदल कर सोफे पर बैठा दिया अब वह अपने घुटने मोड़कर सोफे पर घोड़ी बनकर बैठी हुई थी अजय और राजेश नीचे से उसकी चूचियां चूस रहे थे पंकज उसके चूतड़ों को फैला कर उसकी योनि चाट रहा था और विजय दोनों हाथों से उसका सिर पकड़ कर उसके मुंह में ताबड़तोड़ धक्के लगा रहा था तभी हसीना की योनि में करंट सा दौड़ गया और वह दर्द से कराह उठी पंकज ने अपना मोटा तगड़ा लंड उसकी योनि में घुसा दिया था जिंदगी में पहली बार इतने बड़े लंड को उसकी योनि ने महसूस किया था दर्द से उसका बुरा हाल था वो अंदर ही अंदर दर्द से छटपटा रही थी उसकी चीख मुंह के अंदर ही दबी हुई थी क्योंकि उसके मुंह में विजय का मोटा लिंग घुसा हुआ था पंकज और विजय ने एक साथ आगे पीछे से चूदाई शुरू कर दी विजय का मोटा लिंग उसके गले तक पहुंच रहा था और पीछे से पंकज उसकी योनि में अपना मोटा लिंग पेले पड़ा था अजय और राजेश में उसकी चूचियां चूस चूस कर पत्थर जैसी कठोर कर दी थी कुछ देर की चूदाई के बाद पंकज और विजय ने अपनी जगह बदली पंकज का लोड़ा उसके मुंह में और विजय का उसकी योनि में कहर ढा रहा था जल्दी ही पंकज उसके मुंह में संखलित हो गया उसके हटते ही विजय ने भी अपना लौड़ा उसकी योनि से निकालकर उसके मुंह में डालकर अपना यौवन रस निकाल दिया अब अजय ने उसकी योनि पर मोर्चा संभाला और राकेश उसके मुंह में अपना लंड पेले पड़ा था तभी अचानक हसीना को अपनी योनि में बहुत तेज गुदगुदी महसूस हुई और वह उन्माद के चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुकी थी अब उसने अपनी योनि को उछाल उछाल कर अजय के लोड़े पर तेज तेज प्रहार करना शुरू कर दिया और इधर राकेश के लंड को अपने गले तक उतार लिया पंकज और विजय उसकी चूचियां मसल रहे थे तभी उसकी योनि में अपने काम रस की बारिश से अजय के लोड़े को तर कर दिया अजय की मंजिल अभी दूर थी हसीना की टांगे कांपने लगी थी अजय अभी भी उसकी योनि को चोद रहा था थोड़ी देर के बाद राकेश ने भी अपनी पिचकारी उसके मुंह में छोड़ दी अजय और हसीना मैदान में अभी भी डटे हुए थे उसकी योनि से पच पच की अजीब अजीब आवाजें निकल रही थी उसकी सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी तभी अजय है अपना लोड़ा उसकी योनि से खींच कर बाहर निकाला तो उसकी योनि से ऐसी आवाज आई मानो किसी बोतल का ढक्कन खुला हो हसीना ने मुड़कर उसके लोड़े को अपने मुंह में भर लिया अब अजय दोनों हाथों से उसका सर थाम के धक्के लगा रहा था हसीना का गला सुख चुका था उसे जल्दी ही अजय के लिंग रस ने तर कर दिया चारों थक कर चूर हो चुके थे हसीना बदहवास सी सोफे पर लेटी हुई अपनी सांसो को समेट रही थी तभी विजय ने उठकर बोतल उठाई और पांच गिलासों में डालकर ले आया उसने एक गिलास हसीना को दिया तो हसीना ने गिलास उठा कर एक ही बार में खाली कर दिया वो उठ कर खड़ी हुई और लड़खड़ाते हुए मेज तक पहुंची जहां बोतल रखी हुई थी चलते हुए उसकी योनि में बहुत दर्द हो रहा था उसने बोतल को उठाकर अपने मुंह से लगाया और चार-पांच तगड़े घूट पी गई यह देख कर चारों बहुत हंसने लगे
हसीना की योनि ने अब मोटे लंड का स्वाद चखा था थोड़ी देर बाद ही उसकी योनि फिर से मचलने लगी थी मगर वह चारों अभी दारु पीने में मस्त थे हसीना उन चारों के लोडो़ को दूर से नापते हुए मुस्कुरा रही थी उसको पंकज का लोड़ा सबसे ज्यादा मोटा और तगड़ा लगा वह उठी और पंकज के पास जाकर बैठ गई और एक हाथ से उसके लोड़े को सहलाना शुरु कर दिया यह देख कर चारों हैरान रह गए पंकज ने उसका सिर पकड़ कर अपने लोड़े पर रख दिया उसने भी अपने होठों को फैला कर उसे अपने मुंह में भर लिया यह देख कर तीनों का मूड बन गया पंकज फर्श पर लेट गया हसीना उसकी टांगों पर बैठी उसका लौड़ा चूस रही थी अजय और विजय ने हसीना को गोद में उठा लिया और पंकज के तने हुए लोड़े पर बिठा दिया एक ही बार में उसके वजन के कारण लोड़ा उसकी योनि को चीरता हुआ उसके गर्भाशय से सट गया अजय और विजय ने उसके मुंह के पास जाकर अपना लोड़ा उसके होठों पर रगड़ में लगे हसीना ने दोनों के मोटे लंडो् को अपने हाथों में लेकर बारी बारी से चूसने लगी और अपनी कमर उछाल उछाल कर चूदाई करने लगी पंकज नीचे से अपने लोड़े को उछाल कर उसकी योनि की गहराई नाप रहा था तभी राकेश ने पीछे से आकर हसीना को पंकज पर लिटा दिया और अपना लौड़ा उसकी गांड में घुसेड़ दिया हसीना के मुंह से एक जोरदार चीख निकल पड़ी वह राकेश को मना करने लगी मगर राकेश पर तो वासना का भूत सवार था उसने अपना पूरा लौड़ा उसकी गांड में घुसा कर ही दम लिया अब हसीना का नशा कपूर हो गया था उसको अपनी गांड में राकेश का लन्ड किसी मोटे डंडे की तरह महसूस हो रहा था उसकी गांड फटी जा रही थी मगर उसकी हालत से अनजान चारों अपनी वासना को पूरा करने में जुटे हुए थे तभी पंकज ने हसीना को राकेश के ऊपर लेटा दिया अब राकेश नीचे बीच में हसीना और पंकज ऊपर था और तेज तेज धक्के मारते हुए वह अपनी मंजिल पर पहुंचने के लिए उतावला था हसीना उन दोनों के बीच में पड़ी हुई कराह रही थी तभी विजय ने बोतल उठा कर हसीना के मुंह से लगा दी और सारी शराब उसके मुंह में डाल दी दो घूंट पीने के बाद हसीनों को अब मजा आना शुरु हो गया था पंकज ने अपना लौड़ा उसकी योनि से बाहर खींच कर उसके मुंह में डाल दिया पंकज की जगह अब अजय ने ले ली थी अजय का लन्ड उसकी योनि को चोद रहा था राकेश ने करवट बदलते हुए हसीना और अजय को नीचे लिटा दिया वह मंजिल के करीब था आप दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को पकड़कर उसकी गांड चोद रहा था हसीना को अब बहुत मजा आ रहा था वह अपनी कमर उछाल उछाल करें अजय और राकेश को जन्नत की सैर करवा रही तभी राकेश मैं अपना लौड़ा उसकी गांड से खींच कर बाहर निकाल दिया और तेज तेज हिलाते हुए झड़ गया अजय ने हसीनों को अपनी गोद में उठा लिया और उसकी टांगों के बीच में से हाथ डालकर खड़ा हो अब हसीना किसी बच्चे की तरह उस से लिपट कर अपनी कमर उठा रही थी और अजय अपने लोड़े के भरपूर प्रहार से उसकी योनि को चोद रहा था दोनों कामवासना में बहे जा रहे थे हसीना को अपनी योनि के बरसने का और अजय को अपने यौवन रस के झड़ने का इंतजार था दोनों एक दूसरे में पूरी तरह खोए हुए उछल उछल कर चूदाई कर रहे थे तभी अचानक अजय का लोड़ा दिशा भटक कर उसकी गांड में घुस गया हसीना बड़ी जोर से चिल्लाई थी मगर तुरंत ही उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाता लोड़े को फिर से अपनी योनि का रास्ता दिखाया दोनों फिर से घर्षण करते हुए वासना के चमक शिखर पर पहुंचने वाले थे कि तभी पंकज ने पीछे से आकर अपना लोड़ा उसकी गांड में डाल दिया हसीना बड़ी जोर से कराह पड़ी मगर फिर जैसे ही अजय और पंकज ने ताल बैठाकर एक साथ अपना लोड़ा अंदर और बाहर करना शुरू किया तो हंसीना फिर से आसमान की ऊंचाइयों को छूने लगी अब उसे दोगुना मजा आ रहा था दोनों क्षेत्रों में मोटे मोटे लोडो़ की उपस्थिति उसे एक नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा थी काफी देर तक चोदने के बाद तीनों एक साथ झड़ गए तीनों का जिस्म एक साथ मंजिल पर पहुंच चुका था हसीना की योनि और गांड से दोनों का रस टपक रहा था और वह बेतहाशा अजय और पंकज को चूम रही थी जब उन्होंने उसे नीचे उतारा तो हसीना ने नीचे बैठकर उन दोनों लन्ड को अपने मुंह में भर लिया और चाटने लगी पांचों ने उठकर दो दो पैग और लगाएं फिर वह चारों सामान समेटकर जाते हुए हसीना को रस्सी से बांधकर बालकनी के रास्ते जहां से वह आए थे वापस चले गए