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बड़ी हवेली (श्रापित हीरे की खोज)

"शाहजहां ने अपने लिए एक विशेष सिंहासन बनवाया। इस सिंहासन को बनाने में सैयद गिलानी नाम के शिल्पकार और उसका कारीगरों का टीम को कोई सात साल लगा। इस सिंहासन में कई किलो सोना मढ़ा गया, इसे अनेकानेक जवाहरातों से सजाया गया। इस सिंहासन का नाम रखा गया तख्त—ए—मुरस्सा। बाद में यह 'मयूर सिंहासन' का नाम से जाना जाने लगा। बाबर के हीरे को भी इसमें मढ़ दिया गया। दुनिया भर के जौहरी इस सिंहासन को देखने आते थे। इन में से एक था वेनिस शहर का होर्टेंसो बोर्जिया। बादशाह औरंगजेब ने हीरे का चमक बढ़ाने के लिए इसे बोर्जिया को दिया। बोर्जिया ने इतने फूहड़पन से काम किया कि उसने हीरे का टुकड़ा टुकड़ा कर दिया। यह 793 कैरट का जगह महज 186 कैरट का रह गया... औरंगजेब ने दरअसल कोहिनूर के एक टुकड़े से हीरा तराशने का काम बोर्जिया को खुफ़िया रूप से दिया था और उसी कोहिनूर के हिस्से को शाह जंहा कि जेल की दीवार में चुनवा दिया गया था जिसकी सहायता से वह ताजमहल तथा अपनी अज़ीज़ बेगम की रूह को देखते थे ।

Ivan_Edwin · ホラー
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27 Chs

डायरी-2

7:00 बजे हैं और इस समय टीम के सभी लोग चार अलग अलग दिशाओं में आग जला कर बैठे हुए हैं हंसी मज़ाक नाच गाना चल रहा है लेकिन शायद मैं और डॉक्टर ज़ाकिर ही इस बात की चिंता में हैं कि आज की रात क्या होगा किसकी बारी है?

रात का भोजन समाप्त करते ही डॉक्टर ज़ाकिर ने मुझे अपने तम्बू में इशारा कर के बुलाया, मैं उनके पीछे गया वहां उसी मृत अंग्रेज का ताबूत रखा हुआ था। डॉक्टर ज़ाकिर ने कहा कि "देखो मैंने आज इस ताबूत को अपने तम्बू में ही रखा है, मेरे एक गाँव के कर्मचारी ने कहा कि अगर ख़ज़ाने से पहले इसे पाया है तो शायद इसमें कोई अद्भुत शक्ति हो जिस वजह से ये हमें जमा हुआ मिला। मुझे उसकी बातों पर पहले यकीन तो नहीं था लेकिन जिस तरह के हालातों में हम लोग फंसे हुए हैं उनमें इस बात पर भी विश्वास करने का मन करता है"।

मैंने डॉक्टर ज़ाकिर से सहमत होते हुए सिर हिलाया उनके टेंट से बंदूक और गोलियां अपने ओवर कोट के जेब में भर ली। डॉक्टर ज़ाकिर भी ज़रूरत का सामान साथ लेकर निकल पड़े। पास के टीले पर चढ़ने से पहले टेंट के बाहर आग जला कर बैठे लोगों से कह दिया कि अन्दर सोने से पहले आग में लकड़ीयां और डाल देना ताकि काफ़ी देर तक आग चारों कोनों में जलती रहे इससे कोहरे के बादल भी थोड़ा कम होंगे और नज़र रखने में भी आसानी होगी।

फिर मैं और डॉक्टर ज़ाकिर पास के एक टीले पर चढ़ गए जहां से सभी पड़ाव पर नज़र रख सकते थे लेकिन उस रात सोने से पहले उन मज़दूरों ने लकड़ीयां आग में उतनी नहीं रखी जिस वजह से कुछ ही देर में कोहरे ने अपनी चादर चढ़ा ली। जिस वजह से कुछ घंटों बाद नज़र रखने में थोड़ी परेशानी होने लगी। मैंने डॉक्टर ज़ाकिर से कहा" तुम रूको मैं जाकर देख कर आता हूँ, आग कम होने लगी है लकड़ीयां भी डाल दूँगा।"

डॉक्टर ज़ाकिर ने मेरी तरफ देख कर कहा" ठीक है लेकिन अपना ध्यान रखना मैं यहीं से तुम्हें कवर कर लूंगा अगर कुछ गड़बड़ हुई तो।"

मैं कैंप की तरफ बढ़ने लगा मेरे पास थी Winchester 1886 in .50-110 Winchester राइफल और डॉक्टर ज़ाकिर के पास थी Sharps Model 1874 Creedmore जो काफी दूर से भी सटीक निशाना लगाने के लिए जानी जाती थी लेकिन फिर भी हम दोनों के मन में एक अनजान सा डर घर करने लगा था। इसलिए बड़ी होशियारी से मैं धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा। कैंप के एक कोने पर मैंने आग जला दी दूसरे कोने की तरफ बढ़ ही रहा था कि अचानक मुझे ऐसा लगा कि कोई हलचल सी हुई। मैंने पीछे मुड़कर देखा तो कोई नहीं था। फिर मैं दूसरे कोने में लकड़ियां डालने गया मैंने आग बढ़ा दी। अब तीसरे कोने की बारी थी कोहरा काफ़ी था मैं आहिस्ता आहिस्ता तीसरे कोने की तरफ़ बढ़ ही रहा था कि अचानक तेज़ लाल रोशनी चमकी और एक चीख़ सुनाई पड़ी। चीख इतनी भयानक थी कि किसी की भी दिल की धड़कन रुक जाती। डॉक्टर ज़ाकिर उस टीले से कूदकर कैंप की ओर भागते हुए आने लगे चुकीं मैं नज़दीक था मैंने उस ओर दौड़ लगाई जहाँ से तेज़ लाल रोशनी चमकी और चीख़ सुनाई पड़ी थी। मैं उस टेंट में पहुँचा लेकिन कुछ दिख नहीं रहा था सिर्फ अंधेरा था मैंने जेब से टार्च निकाल कर सब तरफ़ देखा कोई भी नहीं था लेकिन हमारे टीम के एक सदस्य की मौत हो गई थी। इतने में डॉक्टर ज़ाकिर भी पहुंचे और उनके बाद टीम के वो सदस्य जिनकी नींद उस भयानक चीख़ को सुनकर खुल गई थी।

सुबह के तीन बजे हुए थे फ़िर हम सबमें से किसी ने सोना मुनासिब नहीं समझा।

डॉक्टर ज़ाकिर ने मेरे पास आकर धीरे से कहा "मैंने उसे देखा जब मैं कैंप की तरफ भागते हुए आ रहा था लेकिन ये बात मैंने सबके सामने बताना मुनासिब नहीं समझा, जैसे ही तुम टेंट की तरफ पलट कर आए वो मेरे टेंट की तरफ़ जाने लगा उसके पैर जैसे ज़मीन पर नहीं हवा में थे और गज़ब की रफ्तार थी उसका दाहिना हाथ उसका सिर पकड़े हुए था। वो एक जीवित मुर्दा है जो शायद इस ख़ज़ाने की रखवाली कर रहा है। किसी तरह हमें उसे इस ख़ज़ाने से दूर करना ही होगा नहीं तो हमारे बरसों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। " मैंने डॉक्टर ज़ाकिर की तरफ़ देखते हुए कहा "ये इतना आसान नहीं होगा, सबसे पहले तो हम लोगों को उसके बारे में सारी जानकारी मालूम करनी, तुम उसे ले तो आए हो अपनी रिसर्च के लिए लेकिन अब वो हम सब के लिए आफ़त बन गया है, मुझे लगता है सुबह होते ही इसका शरीर बेजान हो जाता है।"

डॉक्टर ज़ाकिर ने कहा " सबसे पहले तो एक रात मेरे टेंट के पीछे से हल्की रोशनी रख कर इस पर नज़र रखना पड़ेगा। "

मैंने अचंभित स्वरों में कहा" अब सिर्फ एक रात और उसके बाद इस टीम में हम दोनों का ही नंबर है, इस बात का ध्यान रखो। "

" अरे तुम परेशान मत हो मैं अपने उन साथियों को रात में गश्त करने के लिए लगा दूंगा जिनके पास बंदूकें हैं और हम दोनों मेरे टेंट के पीछे से इस पर नज़र रखेंगे" डॉक्टर ज़ाकिर ने विश्वास दिलाते हुए कहा। मैंने भी सहमति जताई।

अब रोशनी हो गई थी क्यूँकि सूरज ने एक लम्बी, थकान भरी और भयानक रात के बाद अपना मुँह दिखाया था।

हम लोग फ्रेश हुए और आगे बढ़ने की तैयारी करने लगे। टीम के सदस्यों ने टेंटों को निकालना शुरू किया और घोड़ों पर समान लाद दिया गया क्यूँकि हम सभी को पहाड़ों और नदी के रास्तों को तय करना था जिसकी गहराई तो ज़्यादा न थी लेकिन पानी का बहाव ज़्यादा था। ऐसा झरने के कारण था जो कुछ ही दूरी पर था और नदी के दूसरे किनारे पर ही गाँव की ओर रास्ता जाता था। किसी तरह हम लोगों ने नदी पार की जिसमें एक घोड़े का नुकसान होते होते रह गया। मैंने उसे बड़ी कुशलता से बहने से बचा लिया आखिर इतने सालों से हमारे परिवार में अरबी घोड़ों का व्यापार होता आया था उन्हें बड़ी रेसों से लेकर हर बड़े लोगों को बेचा जाता था जो शौकीन हुआ करते थे। बस मैंने ही पढ़ाई लिखाई करके अपनी अलग पहचान बनाई और अगर आज की रात इस कूदरत के करिश्मे जैसी मौत का राज़ पूरी तरह से नहीं जाना और रोका तो वो पहचान भी मिट ही जाएगी।

रात हो गई है हम सबने शाम को ही पड़ाव डाल दिया था। सभी ने अपने टेंट इस तरह लगाए हैं कि एक गोलाई सी बन गई है और जिस टेंट में उस अंग्रेज़ी ऑफिसर का ताबूत है उसे थोड़ी दूरी पर लगाया है ताकि आग की रोशनी से बचा रहे। ऐसा करने का यही है कि हम लोग जो पीछे से उस ताबूत पर नज़र रखेंगे तो हमारी परछाई नहीं दिखेगी। लालटेन की रोशनी तो पहले ही धीमी कर दी गई थी। उस टेंट के पीछे झाड़ियां भी है तो हम दोनों को छुपने में सहायता मिलेगी।

रात का खाना खत्म होते ही सबने फैसला किया कि कौन रात में पेहरा देगा। सबने तय किया कि जिनके पास हत्यार हो और उन्हें चलाने का अच्छी तरह अनुभव हो वही पेहरा देगा हमारे पास चार Colt M1911, 1911 गन और

M1 Garand, 1936, Caliber .30, M1, की पाँच राइफ़लें थीं और पाँच लोगों को आज रात सामने से पेहरा देना था। मेरे और डॉक्टर ज़ाकिर के पास अपनी राइफलें थीं।

मैं और डॉक्टर ज़ाकिर 12:00 बजे से पहले ही अपनी अपनी जगह छुप कर टेंट में किए गए छेद से झांकने लगे थे क्यूँकि कूदरत का ऐसा अजूबा कभी कभी देखने को मिलता है साथ ही हमारे दिलों में डर भी था कहीं पकड़े न जाएं और मरना पड़े।

रात काफ़ी काली थी ऊपर से कोहरे ने भी चादर चढ़ा रखी थी। जंगल के जानवर भयानक आवाज़ें निकाल रहे थे जिनमें सबसे ज्यादा भेड़ियों के रोने की आवाज़ डराने वाली थी ऐसा लग रहा था जैसे वो हम पर ही रो रहे हों। जंगल में ज़्यादातर जंगली जानवरों का डर सताता है पर हमारे सामने तो उन जानवरों से भी बड़ी समस्या थी और बस कुछ ही देर में वह समस्या उठ खड़ी होने वाली थी।

कुछ ही देर में ताबूत खुलता है और उसके अंदर से अंग्रेज का अधगला सिर बाहर आता है जिसे उसका हाथ ऊपर निकलता है। उसकी आँखें खुली थीं और हल्की लाल रंग की रोशनी निकल रही थी ऐसा लग रहा था मानो बदन का सारा खून उसकी आँखों में आ गया हो। थोड़ी देर बाद उसका धड़ हवा में उठ खड़ा होता है और धीरे धीरे नीचे ज़मीन की तरफ़ आता है लेकिन उसका बूट ज़मीन को नहीं छूता है। उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी।

वो धीरे धीरे हवा में आगे बढ़ता है हम पर उसकी नज़र नहीं पड़ी थी। टेंट के बाहर निकलने से पहले पहले वह रुक जाता है, उसका सिर उसके हाथ में इधर-उधर घूम कर देखता है काफ़ी कड़ा पेहरा था। वह थोड़ी देर कुछ सोचता है फिर तुरंत बाहर निकल कर अपना सिर अपनी गर्दन पर लगाता है और तेज लाल रोशनी चमकती है। सामने के पेहरेदारों की आँखें चकाचौंध हो जाती हैं उन्हें दिखना बंद हो जाता है, जैसा तेज़ चमकदार रोशनी आंखों पर पड़ने से होता है और वह सीधा अपने शिकार के टेंट में घुस जाता है। वहाँ से भयानक चीख़ निकलती है और हमारी टीम का वो सदस्य उसके भयानक चेहरे को देखकर मर जाता है। मैं और डॉक्टर ज़ाकिर अब तक सामने आ चुके थे और उस टेंट के पास पहुंचने ही वाले थे कि वो बड़ी रफ्तार से अपने ताबूत में जाकर सो गया। उसने ऐसा गज़ब की तेज रफ्तार से किया।

जिन लोगों के ऊपर उस अंग्रेज भूत ने तेज़ रोशनी चमकाई सब अन्धे हो गए लेकिन उसने अपना शिकार इतने लोगों के बीच में भी नहीं छोड़ा। उनमें से एक भी गोली या करतूस नहीं चला पाया।

मैंने डॉक्टर ज़ाकिर से अकेले में कहा " मुझे इसकी एक कमज़ोरी मिल गई है और इसके लिए मेरे पास एक तरकीब भी है बस सुरज की रोशनी निकलने दो।"

अपने उन पाँच टीम के सदस्यों को फ़र्स्ट ऐड देना पड़ा क्यूँकि उनकी आंखों से खून टपकने लगा था। उनकी आंखों पर अच्छी तरह से पट्टी बांधने के बाद डॉक्टर ज़ाकिर ने मुझे एक एकांत जगह पर ले जाकर पूछा "देखो अब कुछ ही देर में सूरज दिखने लगेगा तुम अपनी किसी योजना के बारे में बता रहे थे, क्या है वो ?"

मैंने उनसे कहा "अभी नहीं पहले सूरज निकल जाने दो फ़िर मैं बताऊंगा क्या करना है।"

कुछ ही देर में एक और खतरनाक रात के बाद बेसब्री से इंतजार करने के बाद सुरज ने अपना मुँह दिखाया। अब सबकी जान में थोड़ी जान आई थी। जब टीम के सभी सदस्य जाग गए तो उनमें से कुछ को ताबूत बाहर लाने को कहा। सूरज की रोशनी काफ़ी तेज थी मेरी बनाई हुई योजना के लिए बिलकुल सही था। मैंने अपने टीम के बाकी सदस्यों को हत्यार लेकर तैयार खड़े रहने को कहा अगर उस अंग्रेजी सिपाही ने कोई हरकत की तो उसे गोलियों से भून देने के लिए।

उस ताबूत को बाहर लाकर सुरज की तेज रोशनी में खोलकर रखा गया। उसका रंग थोड़ा फीका पड़ गया मैंने उसके नज़दीक जाकर उसका सिर उठा लिया उसने कोई हरकत नहीं की क्यूँकि सूरज की रोशनी में वो बेजान था। उसका सिर मैंने एक कपड़े के बड़े पोटली नुमा बटुए में रख दिया। अब धड़ को उस संदूक बंद कर घोड़े पर लादने को कहा। सिर को मैंने एक छोटे संदूक में रख दिया और उसे एक अलग घोड़े पर लदवा दिया जिस पर कुछ मूर्तियां भी लदी हुई थीं । अब सबने अपने टेंट को समेटना शुरू कर दिया और चलने की तैयारी में जुट गए। सफर काफ़ी लम्बा और थका देने वाला था फिर भी हम लोग हार मानने वालों में से नहीं थे।

रास्ते में डॉक्टर ज़ाकिर अपने घोड़े को मेरे घोड़े के नज़दीक लाकर बोले "क्या तुमको यकीन है अब खतरा टल गया है, क्या होगा अगर आज की रात फ़िर वो जाग कर मेरा शिकार करेगा", उनके चेहरे पर चिंता के भाव थे।

मैंने उन्हें अश्वासन दिलाते हुए कहा "फिक्र करने की ज़रूरत नहीं है अब सब कुछ हमारे कंट्रोल में है। दरअसल उसका सिर ही उसका सबसे शक्तिशाली हिस्सा था जो उसे रास्ता बताने से लेकर, सबको एक तरह की चुंबकीय लाल किरणों से अपने भयानक चेहरे को दिखा कर मारने का काम भी करता और उन्ही से लेज़र किरणों को निकाल अंधा भी कर देता था।अब उसका सिर भी उतना ताकतवर नहीं रह गया क्यूँकि उसे अपनी शक्ति को दिखाने के लिए अपने गर्दन से जोड़ना पड़ता था जिससे उसका भयानक रूप सामने आता था। अब ख़ज़ाना हक़ीक़त में हमारा हो गया है। "

डॉक्टर ज़ाकिर मुस्कुराने लगे और जेब से सिगार निकाले एक मुझे दिया और दूसरा ख़ुद जलाने के लिए मुँह में दबा लिया, फिर हम दोनों ने बड़े रौब से उसे जलाया। सिगार के कुछ कश लगाने के बाद उन्होंने मुझसे कहा " इसके धड़ को तो मैं अपनी कानपुर की बड़ी हवेली में अपने रिसर्च के लिए रख लूँगा लेकिन सिर का क्या होगा, उसके बारे में भी तो सोचना होगा।"

"सिर को मैं अपने नैनीताल हाइवे वाले फ़ार्म हाउस में रख दूंगा। वहां उस फ़ार्म हाउस की देखभाल करने वाले का परिवार भी रहता है। तो वहां से इसके ग़ायब होने का कोई सवाल नहीं है क्यूँकि इसके गायब होने का मतलब है हम दोनों की मौत", मैंने भी सिगार पीते हुए बड़े आश्वस्त स्वरों में बोला।

डॉक्टर ज़ाकिर ने कहा" चलो इस खतरे से तो मुक्ति मिली, अच्छा सुनो मैंने सोचा है कि ख़ज़ाने में एक बड़ा बक्सा भर कर हीरे निकले हैं जिनमें से अगर 100 - 100 हीरे भी दोनों आपस में बांट लेंगे तो हमारी आने वाली पाँच पीढ़ियाँ आराम से खाएगी। एक हीरे की कीमत आज की तारीख में 5 करोड़ रुपये है। आपस में बाँट लेने के बाद और टीम के सदस्यों को भी एक एक हिरा देने के बाद भी हमारे पास सरकार के ख़ज़ाने के लिए काफ़ी है। "

मैंने सहमत होकर सिर हिलाया और कहा" चार बज चुके हैं अब हमें एक शांत और अच्छी जगह देख कर वहाँ पड़ाव डाल देना चाहिए। कल शाम तक हमलोग गाँव में पहुंच जाएंगे। अब थोड़ा सुस्ता लेना चाहिए पिछले दो दिनों से इस अंग्रेज ऑफ़िसर ने आराम करने नहीं दिया था। "

डॉक्टर ज़ाकिर ने भी हाँ में हाँ मिलाकर टीम के सभी सदस्यों को पड़ाव डालने का निर्देश दिया।

पड़ाव डालते ही मैं तो अपने टेंट में जाकर सो गया उस समय शाम के पांच बजे हुए थे, करीब दस बजे डॉक्टर ज़ाकिर मुझे ख़ुद जगाने आए और कहा" चलो अब खाने का समय हो गया है, जल्दी से हाँथ मुँह धो लो, हमारे लड़को ने आज एक हिरण का शिकार किया है, उसी का ताज़ा गोश्त आज के खाने का मेनू है।"

मैं पास ही छोटी नदी में हाँथ मुँह धोकर आ गया, टीम के सभी सदस्य मिलकर हिरण पकाने और हंसी मज़ाक करने में जुटे हुए थे।

मैंने डॉक्टर ज़ाकिर के नज़दीक बैठकर उनसे पूछा" उस अंग्रेज़ी ऑफिसर के अंगों के दोनों हिस्सों को अलग अलग टेंट में रखा है न, नहीं तो उसके धड़ को सिर मिल गया तो हम दोनों की ख़ैर नहीं।"

"तुमने जैसा कहा था वैसा ही किया गया है उसका धड़ एक अलग टेंट में है और सिर के बक्से को अलग रखवा दिया है", डॉक्टर ज़ाकिर ने आश्वासन भरे शब्दों में कहा।

©IvanMaximusEdwin