webnovel

बड़ी हवेली (श्रापित हीरे की खोज)

"शाहजहां ने अपने लिए एक विशेष सिंहासन बनवाया। इस सिंहासन को बनाने में सैयद गिलानी नाम के शिल्पकार और उसका कारीगरों का टीम को कोई सात साल लगा। इस सिंहासन में कई किलो सोना मढ़ा गया, इसे अनेकानेक जवाहरातों से सजाया गया। इस सिंहासन का नाम रखा गया तख्त—ए—मुरस्सा। बाद में यह 'मयूर सिंहासन' का नाम से जाना जाने लगा। बाबर के हीरे को भी इसमें मढ़ दिया गया। दुनिया भर के जौहरी इस सिंहासन को देखने आते थे। इन में से एक था वेनिस शहर का होर्टेंसो बोर्जिया। बादशाह औरंगजेब ने हीरे का चमक बढ़ाने के लिए इसे बोर्जिया को दिया। बोर्जिया ने इतने फूहड़पन से काम किया कि उसने हीरे का टुकड़ा टुकड़ा कर दिया। यह 793 कैरट का जगह महज 186 कैरट का रह गया... औरंगजेब ने दरअसल कोहिनूर के एक टुकड़े से हीरा तराशने का काम बोर्जिया को खुफ़िया रूप से दिया था और उसी कोहिनूर के हिस्से को शाह जंहा कि जेल की दीवार में चुनवा दिया गया था जिसकी सहायता से वह ताजमहल तथा अपनी अज़ीज़ बेगम की रूह को देखते थे ।

Ivan_Edwin · ホラー
レビュー数が足りません
27 Chs

कमांडर इन एक्शन-5

"आ... आ ह... आ ईईईईईई", कुछ देर बाद उस लुटेरे की दर्द नाक चीख़ सुनाई पड़ती है, पर इंजिन रूम के काफ़ी दूर होने की वजह से उसके साथियों तक उसकी चीख़ नहीं सुनाई पड़ती है।

"काफ़ी देर हो गई, अब तक लौटकर नहीं आया, सीटी की आवाज आना भी बंद हो गई", एक लुटेरे ने अपने साथी के न लौटने पर दूसरे लुटेरे से कहा।

"अरे कुछ नहीं थोड़ी देर बाद लौट आएगा", दूसरे लुटेरे ने उससे ढांढस बंधाते हुए कहा।

थोड़ी देर बाद इंजिन रूम के बाहर फ़िर से कोई वही सीटी की धुन बजाता है, एक लुटेरा उस सीटी की धुन सुनकर फ़िर से उसके पीछे जाता है।

उधर डाइनिंग हॉल में सरदार अपने साथियों से कहता है" बहुत देर हो गई अब तक लगैज कंपार्ट्मेंट से कोई वापस नहीं आया, ज़रा जाकर देखना कि उन्हें ऐसा कौन सा ख़ज़ाना मिल गया है जो अब तक कोई भी वापस नहीं लौटा", सरदार अपने साथियों को लेकर काफ़ी चिंतित था उसे उनके न लौटने पर शंका ने घेर लिया था।

इधर सीटी की आवाज सुन कर लुटेरा पीछे पीछे जहाज के सुनसान कोने में पहुंच जाता है, जहाँ एक दम से सीटी की आवाज आनी बंद हो जाती है," आ ई ईईईईई... या... आ आ ", एक दर्द नाक चीख अब उस सीटी की जगह ले चुकी थी पर ये सीटी बजाने वाले की नहीं बल्कि सीटी की आवाज सुनकर पीछे जाने वाले उस लुटेरे की थी, जिसकी खोपड़ी पकड़ कर कमांडर ने धड़ से अलग कर दिया था।

काफ़ी देर तक इंजिन रूम में बैठे उन लुटेरों के साथियों के न लौटने पर एक लुटेरा काफ़ी चिंतित हो जाता है और अपने बाकी के दो बंदूक धारी साथियों से कहता है "मैं ज़रा देखकर आता हूँ कि क्या माजरा है", और अपने लापता साथियों को ढूंढने इंजिन रूम से बाहर निकल जाता है।

कुछ दूरी तक आगे बढ़ने के बाद उसे कोई पीछे से पुकारता है "ए किधर को जाता है मैन, अपना साथी लोगों को ढूँढता है क्या," एक भारी सी आवाज़ ने उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया और वह उस आवाज़ का चेहरा देखने के लिए पीछे मुड़ा। उसने देखा कि एक खोपड़ी हवा में उड़ रही है और उसकी आँखें लाल रोशनी से चमक रही हैं। ये नज़ारा देख कर उसकी चीख़ निकलने ही वाली थी कि अचानक पीछे से कोई उसका सिर पकड़ कर उसे धड़ से अलग कर देता है। "आ... आ... या" की दर्द नाक दबी हुई पुकार निकलती है, कमांडर का धड़ इतनी फुर्ती से सिर को धड़ से अलग करता है कि वह लुटेरा मदद के लिए भी अपने साथियों को नहीं बुला पाता है।

उधर लुटेरे लगैज कंपार्ट्मेंट में छान बीन करने के बाद, अपने सरदार के पास उस लगैज कंपार्ट्मेंट इंचार्ज को बेहोश हालत में बरामद करके लाए, उसे होश में लाने के लिए उसके चेहरे पर पानी की छींटे मारी गईं, "नहीं... नहीं... मुझे मत मारो... मैंने कुछ नहीं किया", कंपार्ट्मेंट इंचार्ज होश में आते ही रहम की भीख मांगने लगता है, ये देख हॉल में बैठे सभी लोग आश्चर्य चकित हो जाते हैं और काफ़ी घबरा जाते हैं।

"डरो नहीं तुमने ऐसा क्या देख लिया", जहाज का कैप्टन अपने घबराए हुए साथी से पूछता है।

" तू चुप कर, ए तू बता मेरे साथियों को उस कंपार्ट्मेंट में किसने मारा और ऐसा क्या हुआ था वहां", लुटेरों का सरदार क्रोध में आकर जहाज के कैप्टन को चुप रहने को कहता है फिर कंपार्ट्मेंट इंचार्ज से लगैज कंपार्ट्मेंट में हुए हादसे के बारे में पूछता है।

"वहाँ उस कंपार्ट्मेंट में मौत का खौफनाक साया है, वह इतना खतरनाक और ताकतवर था कि उसके आगे तुम्हारे साथियों के हत्यार बेकार साबित हो गए और उस साये ने एक एक कर के तुम्हारे सभी साथियों का शिकार कर दिया, ऐसा लग रहा था कि मानो शेर ने जंगल में शिकारियों का शिकार करने मन पहले से ही बना रखा था, मैं उसका चेहरा तो ठीक से नहीं देख पाया लेकिन उसकी मौजूदगी बदन के सारे रौंगटे खड़े करने के लिए काफ़ी थी, उसने तुम्हारे साथियों के अन्दर इतनी दहशत पैदा कर दी थी कि वह सभी उसके सामने टिक पाने में असमर्थ थे ", लगैज कंपार्ट्मेंट के इंचार्ज ने डाइनिंग हॉल में मौजूद लुटेरों के सरदार से कहा। डाइनिंग हॉल में मौजूद अरुण उसकी बातें सुनकर सारी कहानी समझ जाता है, वह लगैज इंचार्ज किसका ज़िक्र कर रहा था ये भी उसकी समझ में आ जाता है।

" ऐसा कौन सा आदमी पीछे रह गया, जो इस जहाज में सबसे खतरनाक साबित हो रहा है, कहीं उसी ने तो हमारे छोटे जहाज नहीं भटका दिए लेकिन जहाज से नीचे उतरकर वह ऐसा कैसे कर सकता है", लुटेरों के सरदार ने अपने साथियों से आश्चर्य जताते हुए कहा।

उधर इंजिन रूम में भी हलचल मच गई थी, एक एक करके सारे लुटेरे लपता हो रहे थे, बाकि के दो इस बात से हैरान थे उनके साथी गए तो गए कहाँ, अगर शौच क्रिया भी कर रहे होंगे तो इतना समय नहीं लगेगा, लेकिन इस कार्य के लिए भी कोई नहीं निकला था, पर वो तो गुमनाम सीटी की आवाज सुनकर उसके पीछे गए थे, अब उन लुटेरों को शक़ होने लगा था कि कोई तो है जो आज रात शिकार की योजना बनाए बैठा है, अब सभी के मन में दहशत समा चुकी थी फ़िर चाहे इंजिन रूम में हो या डाइनिंग हॉल में हो, लेकिन उन्हें क्या पता था कि उस जहाज पर 300 साल पुराने शिकारी ने घात लगा रखी थी। एक ऐसा शिकारी जिसने 300 साल पहले चालीस के चार कर दिए थे, 300 साल पहले भले ही वह मात खा गया हो लेकिन अब वह एक घायल शेर की तरह था जो पहले से ज्यादा खतरनाक बन चुका था और आज की रात वो फिर से शिकारियों का शिकार कर रहा था, एक ऐसा शिकारी जिसे मौत भी पूरी तरह से परास्त नहीं कर पायी थी। आज रात वो सब पर भारी पड़ने वाला था और इस बात का प्रमाण सभी के चेहरों पर साफ़ दिख रहा था क्यूँकि खौफ़ से सभी के चेहरे फीके पड़ चुके थे और लुटेरों के सरदार का डर से गला सूख चुका था, अब उसकी अकड़ निकल चुकी थी क्यूँकि उसे पता चल चुका था कि उससे भी ज्यादा अकड़ू शख्स इस जहाज पर मौजूद था जो किसी भी किस्म के समझौते के लिए तैयार होने वाला नहीं था और इस बात का प्रमाण साफ़ दिख रहा था, जहाज पर हर तरफ लुटेरों की लाश बिखरी पड़ी थी जिन्हें बेदर्दी से मौत के घाट उतार दिया गया था।

डर से कांपते हाथों में अपनी बंदूक पकड़े हुए एक लुटेरा इंजिन रूम से बाहर निकलता है, उसके चेहरे से भय साफ़ झलक रहा था, फिर भी थोड़ी हिम्मत जुटा कर उसने इंजिन रूम की सीढ़ियाँ उतरी। घने कोहरे के कारण वह भी ठीक से देखने में असमर्थ था। डेक पर चलते हुए वह जहाज के आगे के हिस्से में पहुंचता है। कुछ दूर चलते ही घने कोहरे में कमांडर अपनी जलती लाल आँखो के साथ प्रकट होता है "हा... हा... हा... हा," उस लुटेरे की डर से पतलून वहीं गीली हो जाती है, "ओह! तुम तो कुछ ज़्यादा ही डर गया मैन," कमांडर ने भारी स्वरों में हँसते हुए कहा और तुरन्त ही उसके धड़ ने उठा कर उसे समुंद्र की गहराइयों में फेंक दिया, समुंद्र का पानी उसे ठंड से जमा देने वाला था।

अब इंजिन रूम में एक ही लुटेरा और कुछ चालक दल के सदस्य बचे थे। तन्नू ने बिना मौका गंवाए उस लुटेरे पर छलाँग लगा दी, तन्नू इसी घात में बैठा हुआ था कि कब लुटेरों के दल का आखिरी सदस्य इंजिन रूम में अकेले मौजूद रहेगा। उसे कमांडर ने ऐसा करने का आदेश देते हुए इंजिन रूम की सीढ़ियों के ठीक नीचे ही छुपे रहने को कहा था। अब जहाज में मौजूद चालक दल के कुछ सदस्यों ने भी हिम्मत दिखाते हुए तनवीर का साथ दिया है और उस लुटेरे पर काबू पा लिया। उसे इंजिन रूम में ही बुरी तरह पीट कर बन्दी बना लिया गया था।

अब तन्नू ने उन चालक दल के सदस्यों में से तीन सदस्यों को लेकर डाइनिंग हाल की तरफ़ बढ़ा, हॉल के सामने ही लुटेरे से छीनी हुई बंदूकों से गोलियां चलाईं और छुप गए। लुटेरों के सरदार को यह सोच कर जान में जान आई कि यह किसी इंसान का ही काम है, एक मामूली इंसान का उसने दरवाजा खुलवाकर अपने साथियों से मुकाबला करवाया, 20 लुटेरे उस डाइनिंग हॉल में थे जो अपने सरदार के कहने पर जहाज के कर्मियों को बन्दी बनाए हुए थे।

डाइनिंग हॉल का दरवाजा खुलते ही दो लुटेरों ने आगे बढ़कर गोलीबारी शुरू कर दी।

तन्नू और कुछ लुटेरों ने भी गोलियां चलाना शुरू कर दिया, दोनों तरफ से लगातार गोलियों की बौछार होने लगी। तन्नू और उसके साहायकों के पास गोलियां कम होने के कारण, वो लोग गोलियां चलाते हुए धीरे धीरे जहाज के डेक की ओर बढ़ने लगे, लुटेरों के सरदार ने उन्हें पीछे हटता देख गोलियां चलाते हुए आगे बढ़ना शुरू कर दिया। जैसे ही लुटेरे डेक पर पहुँचे, तन्नू और उसके साहायकों ने गोलियां चलाना बंद कर दिया और सुरक्षित स्थान पर जाकर छुप गए। एकदम से घने कोहरे में आने के कारण लुटेरे कुछ भी देख पाने में असमर्थ थे, सरदार ने अपने पंद्रह लुटेरों को जहाज पर हत्यारे को खोज निकालने के लिए फैल जाने का इशारा किया बाकि के पांच अब भी डाइनिंग हॉल में सभी को बन्दी बनाए हुए थे।

"धाएँ...धाएँ...धाएँ...आ ईईई...या...आ...आ", स्मिथ एंड वेस्सों मॉडल 60 - 1965 रिवॉल्वर से तीन गोलियां चलने के बाद एक दर्द नाक चीख़ ने कुछ लुटेरों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, वह सभी घटना स्थल पर पहुंचे और वहां मुड़ी हुई गर्दन के साथ उनके साथी की लाश पड़ी हुई थी।

©IvanMaximusEdwin