"हेल्लो, मैं अपने आप के बारे में बताना चाहूँगा। मैं नीलधारा, नील नदी संघ से हूँ। मेरा मुख्य खाता नीली बसंत फुहार में है" जैसे ही उसने मित्रता का अनुरोध स्वीकार किया दूसरे दल ने उसे संदेश भेजा। उसने कुछ भी, "तुम हो वहाँ?" जैसा बिना मतलब का संदेश भेजने के बजाय अपने बारे में बताना शुरू कर दिया। वह बता सकता था कि वह बहुत ही आत्मविश्वास से भरा हुआ व्यक्ति था।
"हाय" ये क्सिऊ ने आराम से जवाब दिया। आखिरकार वो ग्लोरी समुदाय का 10 सालों से हिस्सा रहा था। उसने तीन बड़े संघों में से एक नील नदी संघ को पहचान लिया था। अब तक के लिए नीली बसंत फुहार, ये क्सिऊ इस नाम के किसी खिलाड़ी को नहीं जानता था। अगर वह हुआंग शओतियन और तलवार का साधु तूफानी बरसात होता तो ये क्सिऊ थोड़ा बहुत जानता भी।
नीलधारा बिल्कुल नहीं जानता था कि वह एक बड़े जानकार से बात कर रहा है, खुद से भी बड़े जानकार से। आखिरकार नीली बसंत फुहार से इस खेल के समुदाय में बड़े-बड़े संघ भी घबराते थे। नीलधारा आत्मविश्वास से यह मानकर बैठा हुआ था की सामने वाला व्यक्ति उसे जानता ही होगा। नतीजतन वह एक कदम आगे बढ़ा और पूछा "तुम क्या कर रहे हो साथी?"
"पार कर रहा हूँ" ये क्सिऊ ने अधिक देर तक बात नहीं की। उसी समय विकट देव और चेजिंग हेज हरे जंगलों में घुस चुके थे।
"ओह? कौन सी कोठरी?" नीलधारा ने पूछा।
"हरे जंगल"
नीलधारा 5 सेकंड के लिए बेहोश सा हो गया। उसके बाद उसे लगा उसके पास मौका था "किसी दोस्त के साथ हो?"
"लगभग" ये क्सिऊ ने कहा।
"ओह, हम एक सदस्य को खोज रहे थे बर्फ के जंगलों के लिए। क्या तुम हमारे साथ जुड़ना चाहोगे?" नीलधारा ने बताया।
"ओह? मैं ही क्यों?" ये क्सिऊ ने कहा
तुम क्यों? इस सवाल ने नीलधारा को बहुत ज्यादा दुखी कर दिया। यह सवाल पहले भी उठ चुका था, 1 दिन पहले।
पहले पहल, विकट देव की पार्टी ने दो मकड़ी की गुफाओं को पहले पार किया था जिससे नील नदी संघ को हार का मुंह देखना पड़ा था। हर कोई काफी गुस्सा था। पर विकट देव और उनकी पार्टी के बारे में पूछने पर नील नदी संघ ने कुछ अजीबोगरीब बातें पता की थी।
इस आदमी के दल से, एक सदस्य जिसने इसके साथ सबसे पहले पार किया था उसने आश्चर्यजनक तौर पर पहले, इस आदमी को बदनाम किया।
गुस्से से भरे सुषुप्त शेखर ने कहा था की उसे छिपे हुए सरगना के बारे छला गया था। घटना होने के समय को देखने पर पता चला यही वह समय था जब विकट देव ने अकेले ही बागड़ बिल्ले को मारा था। इस बदनामी भरे संदेश में कहा गया था कि विकट देव ने जानबूझकर पार्टी के बाकि सदस्यों को मारने की कोशिश की थी जिससे वह खुद छिपे हुए सरगना को मार सके। फिर वह बेशर्म और छलिया आदमी कैसे सुषुप्त शेखर के साथ पार्टी बना सकता था?
वह भी नहीं जानता था कि आखिरकार इस प्रक्रिया के दौरान क्या हुआ था पर इतना तो कम से कम कहा गया था कि जो पार्टी सबसे पहले मकड़ी की गुफा दो बार पार करेगी वह वो दल नहीं होंगे जिनसे आसानी से दोस्ती की जा सके। वह अजनबियों का दल था, जिसमे इधर उधर से लोगों को रखा गया था, जिनमे अब अंदरूनी झगड़े चल रहे थे।
एक ऐसे दल के साथ होना और फिर भी पहली दो चुनौतियां आसानी से पार की हो, उसकी शक्तियां इतनी सीधी और सरल नहीं हो सकती थी। फिर यह भी साफ था की विकट देव ही पार्टी का मुख्य केंद्र बिंदु था। यह बेशर्म नौसिखिया जिसने पार्टी को मरने के कगार पर खड़ा कर दिया था वह अचानक ही फिर से वापस ले लिया गया। कौन था ये आदमी?
इसके अलावा एक जरूरी बात थी जिस पर नील नदी संघ ने ध्यान देने को कहा था। यह अजनबी दल जिसने पहले दो मकड़ी के गुफा पार किए थे वह हर बार नए खिलाड़ियों के साथ खेल रहा था। सूची में पहला नाम पार्टी के नेता का होना चाहिए था। पहली बार पार्टी के दल का नेता सुषुप्त शेखर था। पर दूसरी बार पार्टी के नेता विकट देव बन चुका था।
पार्टी का नेता बहुत ही खतरनाक पदवी थी। वह खिलाड़ियों को निकाल सकता था और उन्हें नई जगह पर खिला सकता था। फिर एक पार्टी भी अपनी मर्जी से ये जगह एक ऐसे बेशर्म आदमी को देना चाहती थी जिसने छिपे हुए सरगना को चुराया हो इसका क्या मतलब हो सकता था? ये सब, इस खिलाड़ी पर उन सब की निर्भरता दिखाता था। इस खिलाड़ी के बगैर यह संभव ही नहीं था कि उन्होंने पहली हत्या की हो।
यह आदमी असली कला का धनी था और बहुत ज्यादा उम्मीद थी कि बिना संघ के भी यह बहुत कुशल हो।
कोई भी कला संपन्न व्यक्ति अगर संघ से यहाँ आएगा तो वह इस नए सर्वर में अकेला नहीं आएगा। संघ से आया हुआ कुशल व्यक्ति 24 घंटे यहाँ नहीं रहेगा।
नील नदी संघ के खिलाड़ी पूरे दिन भर इसके बारे में जांच-पड़ताल करते रहे। अंत में वह इस नतीजे पर पहुंचे। जैसे की कहावत थी की 1000 लोगों की सेना खड़ा करना आसान था पर एक बढ़िया सैनिक ढूंढना जो उन हजारों सैनिकों को संभाले यह मुश्किल का काम था और इस तरह के आदमी मिले तो तुरंत उसे अपने दल में मिला लेना चाहिए। तब ही, नीलधारा ने 18 बार लगातार मित्रता का अनुरोध किया था। जब उसने पहले अनुरोध भेजा, वह अनुरोध न ही स्वीकारा गया, न ही नकारा, इसका मतलब उसे नजरअंदाज किया गया था। नीलधारा ने तय किया कि वह उसे और अनुरोध भेजेगा जिससे वह अपनी सच्चाई दिखा सके। असलियत में उसका तरीका काम कर गया था। उसने 18 बार दोस्ती के अनुरोध भेजे और ये क्सिऊ ने अंत में न चाहते हुए भी मित्रता स्वीकार ही कर ली।
पर अब दूसरे तरफ से उसने पूछा कि वह उसे क्यों खोज रहा था। जाहिर सी बात थी, नीलधारा कोई बहुत बड़ा और पेचीदा जवाब नहीं देना चाहता था। उसने बस इतना कहा कि उन लोगों ने देखा कि उसने सबसे पहले, 3 बड़ी चुनौती पार कर ली थी, इस नए 10 वे सरवर में। जिसके कारण उन्होंने उसे एक जानकार के रूप में देखा और आशा की कि वे दोस्त बन सकें।
"अगर सही कहे तो इस समय हम तैयारी कर रहे थे कि जमे हुए जंगल के कीर्तिमान को पार किया जा सके पर हमारे पास तुम्हारी तरह के एक साथी की कमी है जो उच्च कोटि का जानकार हो। अगर हम आज कीर्तिमान तोड़ पाते हैं तो हम बैंगनी इक्विपमेंट तुम्हें दे देंगे, तो कैसा रहा? हमारे संघ को बस कीर्तिमान चाहिए " नीलधारा ने बहुत जल्दी नहीं दिखाई इस खिलाड़ी को संघ में लेने में। ग्लोरी को बने काफी समय हो गया था। सभी लोग उस मशहूर संघ को जानते थे पर विकट देव को उससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता था। नीलधारा ने इस बात को पहचाना कि यह आदमी एक जानकार था जो किसी और संघ से था, इस नये सर्वर में यूँ ही खेलते हुए पहुँच गया था। अगर ऐसा नहीं होता तो वह संघ में और जंगलों से आये हुए जानकार में दिलचस्पी नहीं रखता।
अगर वह अपने तरह का पहला था तो वह कुछ नहीं कर सकते थे। वह जरूर ही पार्टी में न लिया जा रहा होता। कम से कम अगर वह दूसरे तरह का होता और संघों की चिंता न करता तो भी उनके पास एक मौका था।
नतीजतन नीलधारा ने तय किया कि वह इस आदमी को अपने साथ कोठरी में बुलाएगा। पहले वह दोस्त बनेंगे और फिर जब हर कोई जानकार हो जाएगा तो वो सब एक साथ खेलेंगे और आसानी से एक आम समझ बना लेंगे। सबसे पहले उन्हें इस खिलाड़ी की ताकत को देखना था और जानना था कि क्या यह सही में लेने लायक था। अपने वायदे के अनुसार कि वह बैंगनी इक्विपमेंट दे देंगे, दिखाता था उनका अच्छा व्यवहार और मोलभाव की कुशलता। जमा हुआ जंगल केवल 25 वे दर्जे का बैंगनी इक्विपमेंट दे सकता था जो कि तुरंत ही पुराना हो जाएगा। उन्हें एक निचले दर्जे के इक्विपमेंट्स के लिए झगड़ने की जरूरत नहीं थी। पर मोलभाव करने के लिए इस समय यही सही इक्विपमेंट था।
ये आमंत्रण देखकर ये क्सिऊ की आंखें चमक उठी। उसने तुरंत नीलधारा को जवाब दिया "मुझे बैंगनी इक्विपमेंट नहीं चाहिए। अगर संभव हो तो मैं कुछ और चाहता हूँ"
"क्या?" नीलधारा ने पूछा।
"अनोखे समान" ये क्सिऊ ने कहा।
"हा हा तुम बहुत समझदार हो साथी" नीलधारा देख सकता था की दूसरी ओर, कोई नौसिखिया नहीं था। उसने निचले दर्जे के इक्विपमेंट्स के बारे में कोई चिंता नहीं थी। इस समय जो सबसे महंगा सामान था वो ये अनोखे सामान थे। यह सामान खेल के आखिरी चरण में काम आते और तब तक पुराने न कहलाते।
"72 मजबूत मखमल के धागे" ये क्सिऊ ने पेशकश की।
"कोई दिक्कत नहीं" नीलधारा ने तुरंत खुलेपन से जवाब दिया। हालांकि मखमल के मजबूत धागे अनोखे समान थे, शुरुआती कोठरियों को पार करने की कोई सीमा नहीं होती। इसके साथ, साधारण सरगना के पास भी मौका होता था कि वह उसे गिरा दे और अनोखे सामानों में उसे सस्ता बता दे।
"और साथ ही एक सफेद चुड़ैल के गले का लॉकेट भी" ये क्सिऊ ने कहा।
"ठीक है, मैं उन्हें अब तुम्हें दे सकता हूँ" नीलधारा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। उस सफेद चुड़ैल के गले का लॉकेट ये क्सिऊ के कंकालों की माला की तरह था जो उसने कंकाल योद्धा को मार कर पाया था। वह सिर्फ पहनने के काम आते पर उनकी कोई कीमत नहीं थी। केवल एक लड़की जो उन्हें पसंद करती वही उसे गहने की तरह पहनती।
"और साथ ही सफेद भेड़िए को 8 पैने पंजे मुझे चाहिए" ये क्सिऊ ने कहा।
"ये... भाई क्या तुम्हें मजबूत मखमल के धागे, चुड़ैल का लॉकेट और अब पैने पंजे चाहिए? क्या यह बहुत ज्यादा नहीं हो जाएगा?" नीलधारा थोड़ा दुखी था।