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द किंग'स अवतार

ऑनलाइन गेम ग्लोरी में, ये शिऊ को एक ज़बरदस्त और शीर्ष-स्तरीय खिलाड़ी माना जाता था। लेकिन असंख्य कारणों की वजह से उसे टीम से बाहर कर दिया गया। प्रोफेशनल खेलना छोड़ने के बाद, वह एक प्रबंधक के रूप में इंटरनेट कैफे में काम करता है। जब ग्लोरी ने अपना दसवां सर्वर लॉन्च किया, तो उसके पास दस साल के गेमिंग अनुभव के साथ एक बार फिर खुद को खेल में झोंकने का मौका आया। अपने साथ अपने अतीत की यादें और एक अधूरा, स्व-निर्मित हथियार लेकर, शिखर पर जाने के रास्ते पर उसकी वापसी शुरू होती है! "लड़ने और योजना बनाने के बाद, किसने मेरी महिमा छीन ली? हवा और तूफ़ान के उछाल के बाद भी, मेरे सपने अब भी दिखाई देंगे जैसे कि वे कभी बिखरे ही नहीं थे। अपने सारे वैभव के साथ, मेरा रास्ता कभी नहीं गुमेगा। सबकी नज़रों के सामने, मैं दुबारा लौटूँगा!"

Butterfly Blue · ゲーム
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90 Chs

मकड़ी गुफा (चतुर्थ)

編集者: Providentia Translations

परछाई से क्लोन बनाने की तकनीक एक तरह से सिर्फ धोखा देने की कुशलता थी। केवल अनुभवी विपक्षियों की ओर, यह एक आसान हुनर था दिखाने के लिए। नतीजतन यह हुनर एनपीसी पर काम किया। जब खिलाड़ियों ने लड़ाई लड़ी, तब परछाई से क्लोन बनाने की तकनीक अधिकतर, निंजा द्वारा, तुरंत हलचल करने की कुशलता के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था।

अब विकट देव ने उसे इस तरह इस्तेमाल किया। नकली शरीर असली जगह पर था जबकि परछाई से क्लोन बनाने की तकनीक से उसका शरीर उस जगह पर पहुंचा जहां पर सही में सुषुप्त शेखर की 4 बजे की अवस्था होनी थी।

सभी लोग अभी भी परेशान थे क्योंकि 10 वे दर्जे के मायावी युद्ध में जगह बदलने की कुशलता अभी भी नहीं थी। विकट देव ने फिर कैसे मकड़ी के सरगना को हरा दिया?

उन्हें जल्दी ही एहसास हुआ कि वह बहुत ज्यादा परेशान हो रहे थे। विकट देव ने ऐसी किसी कुशलता का प्रयोग नहीं किया था बस उसके पास तकनीक थी। आकाशीय हमला भी मकड़ी के सरगना को कुछ देर के लिए गिरा सकता था। इसी छोटे से समय अंतराल के दौरान वह तुरंत ही भागकर उसे दो बार मारा और मकड़ी के सरगना को सुषुप्त शेखर की ओर ढकेल दिया।

सुषुप्त शेखर अभी भी विकट देव की असली जगह पर खड़ा था, 11बजे की अवस्था में। विकट देव का नकली शरीर उसके बगल खड़ा हुआ था। इस समय सुषुप्त शेखर को अत्यंत शर्मिंदगी महसूस हुई। उसने आशा भी कि विकट देव उसे कुछ देर के लिए डांटे। पर अंत में विकट देव ने कुछ नहीं कहा और केवल ढंग से सरगना को उसकी तरफ ढकेला। 

सुषुप्त शेखर समझ गया था कि उसे क्या करना है। उसने एक कदम आगे बढ़ाकर बड़ी मकड़ी को एक बार फिर लात से हवा में उड़ा दिया।

सुषुप्त शेखर दिमागी तौर पर तैयार था हर किसी की आलोचना को सहने के लिए पर अंत में उसने सब से यही सुना "इसके तो खून बह रहे हैं"

यह कोई व्यक्ति नहीं था जिसका खून बह रहा था, यह मकड़ी का सरगना था। खून बहने के इस अवस्था को किसी आम हमले द्वारा नहीं बनाया जा सकता था। यह किसी हथियार के असर से या किसी कुशलता के असर से ही हो सकता था।

अभी वर्तमान में किसी हथियार में इस तरह का प्रभाव नहीं था।

पर कुशलता में इस तरह का प्रभाव था।

दो बार चाकू मारना, मायावी युद्ध कौशल। केवल खून बहने का प्रभाव, चाकू मारने के ही छिपे हुए प्रभाव से हुआ था। ये अवसर के हिसाब से नहीं हुआ था। ये एक खिलाड़ी पर निर्भर था जिसने इस अवस्था को उत्पन्न किया था।

इसको शुरू करने का तरीका यह था की दो बार चाकू मारने पर होने वाले, दोनों वार एक ही जगह पर हो। इसका यह मतलब नहीं था एक ही जगह पर आराम से दो बार मारा जाए। इसका मतलब यह था कि दूसरी बार उस जगह पर मारा जाए जहां पहली बार में घाव हो गया था। इस तरह से करने के बाद ही उम्मीद होगी कि खून बहने का प्रभाव शुरू होगा। ऐसा होने की उम्मीद, खासकर छुपे हुए प्रभाव से, ऐसा आंकड़ो से दिख तो नहीं रहा था। पर खिलाड़ियों के परीक्षण के बाद ऐसा माना जाता था कि, कम या ज्यादा, 50% उम्मीद होती है।

उसकी उम्मीद यूँ भी ज्यादा ही मानी जा रही थी। केवल यह एक खास तरह के काम को करने से पूरा होता। इस तरह का कार्य किसी मरे हुए लक्ष्य पर करना आसान होता है पर एक अनवरत लड़ाई में, निशाना और तेजी दोनों की जरूरत पड़ती है।

ग्लोरी में इस तरह के कई सारे छिपे हुए कुशलता के प्रभाव थे, जिन्हें आरंभ करने के लिए कई कठिन काम करने होते थे।

अगर एक आम खिलाड़ी चाकू मारने से खून फेंक उठता था तो भूमि सप्तम और बाकी अन्य खिलाड़ी इसे किस्मत मानते थे। पर विकट देव के लिए यह करना मात्र कुशलता थी। ये क्सिऊ की कुशलता को लेकर, वह लोग पहले से ही बहुत ज्यादा प्रभावित थे। यह केवल उसकी खुद की कुशलता के कारण नहीं, पर मकड़ी सरगना से लड़ाई के दौरान दल संचालन के कारण भी था। वह कोई साधारण जानकार नहीं था वह जानकारों का जानकार था।

भूमि सप्तम पहले से ही शर्मिंदा था क्योंकि उसने ये क्सिऊ को पूर्ण चंद्रमा संघ में शामिल करने की कोशिश की थी जो बहुत बड़ा संघ भी नहीं था। दिव्य द्वार में उनका स्थान 50 वां था। उनके नाम कोठरी में कोई कीर्तिमान नहीं था। इस तरह के साधारण संघ में, भूमि सप्तम को लगा कि वह इस तरह के खिलाड़ी को नहीं रख पाएंगे।

बाकी खिलाड़ियों को नहीं पता था कि वह भूमि सप्तम की तरह ही विचार रखते हैं या नहीं इसलिए सब लोग शांति से हमला करते रहे। इस प्रक्रिया में कुछ छोटी-मोटी गलतियां बचा पाना कठिन था। पर ये क्सिऊ ने उन्हें सावधान किया जिससे कोई हादसा ना हो। इसी तरह सरगना नंबर 1 आसानी से मारा गया। लाश को लूटने के बाद उन्हें नीले रंग का इक्विपमेंट मेला पर क्योंकि वह एक निचले दर्जे का था किसी ने उसकी ज्यादा परवाह नहीं कि। वह बहुत जल्दी ही समय से पुराना हथियार हो जाने वाला था। इस क्षण हालांकि वह चाहते थे कि विकट देव उसे उठा ले। यूँ तो सुषुप्त शेखर ने कुछ नहीं कहा पर उसने भी खामोशी से हथियार डाल देना ही बेहतर समझा।

ये क्सिऊ ने देखा और पाया कि ये हरे दर्जे के दसवें बेल्ट से ज्यादा बेहतर नहीं था। पर क्योंकि हर कोई उसे छोड़ चुका था, उसने नम्रता से उसे स्वीकार किया और पहन लिया। उसने आगे बढ़ना चालू रखा।

कुछ देर बाद उन्होंने यही तकनीक सरगना नंबर दो पर भी आजमाई जो कि एक लंबे जाली फेंकने वाली मकड़ी थी। वह लगातार बड़े-बड़े जाले फेंक रही थी जो कि बहुत ज्यादा परेशान कर देने वाला था। 

पर ये क्सिऊ के नेतृत्व में पांचों ने मिलकर जल्दी ही उसे किनारे लगा दिया। बस इस बार उन्होंने उसके साथ कैरम नहीं खेला बल्कि उन्होंने कुशलता का प्रयोग किया जिसने एक के बाद दूसरे को अचंभित कर दिया। ये क्सिऊ ने सरगना नंबर 2 को चैन से बांध दिया ताकि वह बड़े जाले फिर से न फेंक सके।

जाहिर सी बात है चारों खिलाड़ियों ने ये क्सिऊ को पूजना चालू कर दिया, और पहले से भी बड़े स्तर पर। यह व्यक्ति उनके लिए एमटी था और साथ ही साथ उन्हें बड़े हादसों से बचाने वाला भी था। समय-समय पर वह उन्हें आरोग्यम भी देता था। ऐसा करने के बाद वह रणनीति भी बनाता था और उसे इस्तेमाल में भी लाता था। वह चारों उसके बारे में बताने के लिए शब्द का इस्तेमाल नहीं कर पाते थे और केवल उसका गुणगान ही करते रहते थे।

मकड़ी की गुफा का बादशाह मकड़ी इस कोठरी का एक और कठिन हिस्सा था। इस शख्स के पास दोनों छोटी मकड़ी सरगनाओं की ताकत थी, जाले फेंकना और जहर फेंकना। उसके 8 बालों से भरे पैर थे और एक बड़ा सा पेट था। उसके दोगुना आकार था छोटे सरगना से और वह बहुत ज्यादा, बेहोश कर देने वाला, असर रखता था।

आखिरी सरगना से लड़ते समय भूमि सप्तम और अन्य बिल्कुल भी घबराए हुए नहीं थे क्योंकि वह जानते थे कि विकट देव के आदेशों के द्वारा उन्हें इस दो-मुखी सरगना को हराने में कोई परेशानी नहीं होगी।

जैसी की उम्मीद थी यह लड़ाई भी उतनी ही आसान थी जितनी पिछली वाली थी। यह दो-मुखी मकड़ी का बादशाह बस थोड़ा ज्यादा मोटा था और उसके पास कुछ हुनर अधिक थे। पर ये क्सिऊ के नेतृत्व में उन्होंने मैदान को बहुत ही आराम से साफ कर दिया।

पहला रास्ता साफ।

इस मौके पर घोषणा करने वाले सिस्टम ने उन पांचों खिलाड़ियों का नाम लिया।

सुषुप्त शेखर, भूमि सप्तम, सूर्यास्त मेघ, वरुण लहर, विकट देव दसवां सरवर पहली मकड़ी की गुफा साफ़।

भूमि सप्तम और अन्य अभी तक खुमारी में थे। वैसे तो उनका बराबरी पर आना धीमा नहीं माना जा सकता था पर उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह पहला दल होगा जो मकड़ी गुफा को पार करेगा। यह सब संभव हुआ था महान जानकार विकट देव की वजह से और यदि वो ना होता तो यह हो पाना संभव नहीं था।

"धत..." इस मौके पर अन्य दल, जो 5 लोगों को था उसने घोषणा सुनने के बाद, चीत्कार किया।

उनके सामने, अब बस केवल एक चांदी की रेखा बराबर स्वास्थ्य बाकी रह गया था मकड़ी के बादशाह के पास। इसे खत्म होने में बस 10 सेकेंड और लगने वाले थे। पर अब वह इन 10 सेकंड से पिछड़ गए थे।

दुखी और अनिच्छा से भरे वह पांच खिलाड़ी अब सिर्फ वो अनगिनत रास्ते सोच ही सकते थे जिससे वह 10 सेकंड बचा पाते। पर अंत में उन्हें असलियत को स्वीकारना पड़ा। उनका सपना था कि उनका संघ पहला हो, जो मकड़ी की कोठरी को पार कर पाए। पर इस दूसरी कोठरी के आने तक, उनका वह सपना टूट चुका था।

10 सेकंड, वे केवल 10 सेकंड से हार गए।

"विकट देव? क्या यह वही आदमी है जिसने बागड़ बिल्ले को मारा था?" मकड़ी का बादशाह पहले ही गिर चुका था। पाँचों खिलाडियों ने बड़ी आसानी से इस कोठरी को पार कर लिया था। पर वह बेहद खुश नहीं थे। 

"मुझे ऐसा लगता है"

"यह आदमी कहां से आया है? इस आदमी के नाम की घोषणा भी दो बार हो चुकी है। नीलधारा ये तुम्हारी तरह ही है"