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जर्नी टू अनॉदर वर्ल्ड

बदनसीबी का कोई चेहरा होता, तो वो बिलकुल मेरे जैसा होता। हेलो दोस्तों, मेरा नाम सूरज पाटिल है और मै दूसरी दुनिया मे फस गया हु। जिसे हम 'पैरेलल वर्ल्ड' के नाम से जानते है। ये सब कब, कैसे हुआ, पता नही... पर इतना जरूर पता है की, मेरी अच्छी-खासी लाईफ की एक झटके मे बँड बज गयी है। हे भगवान, ये सब मेरे साथ ही होना था?

D_World · ファンタジー
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13 Chs

Chapter 12- अपनेआप से मुलाक़ात

सब लोगो ने मेरे ऊपर गन तान दी। विष मुझे अजीब से देख रहा था। उसके आँखों मे हैरानी नहीं थी, ना गुस्सा, ना ख़ुशी। मै डर गया था। उन सबसे बचनेकेलिए मैंने नाटक शुरू किया... उन सबको उल्लू बनाने का नाटक।

"ए, तू... तुम सब मु... मुझ पर बंदूक क्यू तान रहे हो? मै असली विष हूँ... तुम्हारा बॉस... और वो... वो... नकली है।"

किसी का भी कुछ reaction नहीं। विष को देखते ही मैंने अपनी बकबक बंद कर दी।

मेरे छोटे बाल-विष के लम्बे बाल, उसका ड्रेसिंग-मेरा ड्रेसिंग, उसका ढंग -मेरा ढंग। बहुत फरक था हम दोनों मे। मैंने चुपचाप अपने दोनों हाथ खड़े किये।

वो धीरे से मेरे पास आ गया। कुछ देर ऐसे ही मुझे देखने के बाद वो बोला,

"क्या तू मेरा खोया हुआ जुड़वा भाई है?"

मै कुछ बोल पाता तभी, गेटके पास खड़े गार्ड ने पीजे को पकड़के मेरे सामने लेके आया। और मुझसे कहा,

"ये हमारे बँगले के बाहर जासूसी कर रहा था।"

पीजे छूटने केलिए झटपटा रहा था। मैने विष की ओर देखा। वो मुझे देखने मे व्यस्त था। तो मैंने ही उस गार्ड से कहा,

"छोड़ दो इसे।"

"ठीक है बॉस।", ऐसा कहके वो निकल गया। शायद उसने असलि विष को नहीं देखा।

पीजे मेरी और विष की ओर देखने लगा।

विष ने मुझसे पूछा, "कौन हो तुम? "

"Sir myself pj.", पीजे बड़े ही सिन्सियर तरीके से बिच मे बोलने लगा,"सर, मेरा इस सबसे कोई लेना देना नहीं है। मै तो बस ऐसे ही टहल रहा था..."

"मैंने पूछा क्या तुझे?", विष ने पीजे की बोलती बंद की। वापस वही सवाल मुझसे पूछा, "तुम बोलो, कौन हो तुम? "

अब ये छुपने छुपाने के खेल से मै थक गया था। मुझे ये और नहीं खेलना था तो, मैंने सीधा सीधा जवाब दे दिया,

"मै और आप एक ही इंसान है। फरक सिर्फ इतना है की मै दूसरी दुनिया से आया हूँ। पैरेलल वर्ल्ड से।"

"मै कैसे मानु? ", उसने पूछा।

तभी मैंने मेरे हाथ के ऊपर के बर्थमार्क को दिखाया। और कहा,

"हम दोनों की जन्मखून। और अभी कुछ देर पहले मैंने अपना अंगूठा लगवाकर आपका लॉकर खोला था।"

विष के चेहरे पर थोड़ी सी हैरानी छायी। उसने मेरी बात को कन्फर्म करने केलिए रीना की ओर देखा। रीना ने हाँ मे सर हिलाया।

मैंने आगे बोलना शुरू किया,

"आपको सुनने मे बड़ा अजीब लगेगा, यकीन नहीं होगा पर यही सच..."

"क्यू नहीं होगा यकीन। i believe.", विष बोला।

उसके ऐसे कहते ही मेरे बैचेन दिल को राहत मिल गयी।

*-*-*

मै और पीजे एक सोफे पर बैठे थे। कॉफी का कप हाथ मे लिए। हमारे सामने वाले बड़ी सी कुर्सी पर विष बैठा था। उसके पीछे एक स्टूल पर रीना अपने फ़ोन मे लगी थी। विष मुझे एकटक देखे जा रहा था। that makes me uncomfortable।

"मुझे ऐसे मत देखिये। बड़ा अजीब लग रहा है।", मैंने कहा।

तभि रीना ने बोला,

"यकीन नहीं होता की तुम दूसरी दुनिया से आये हो।"

"जी मुझे भी पहले समझ नहीं आया था। फिर बाद मे सब पता चला।", मैंने कॉफी पीते हुए कहा।

"क्या बात है? ", एक हसीं के साथ विष बोलने लगा, "मुझे तो ऐसा लग रहा है की जैसे मै खुद के सामने बैठा हूँ।"

"जी मुझे भी।", मैंने कहा।

"ये किसी कहानी जैसा लग रहा है ना।"

"वो तो है।"

"वैसे ये कौन है?", विष ने पीजे के बारे मे मुझसे पूछा।

तभी पीजे बिच मे बोल पड़ा,

"Hi सर, i am pj. I'm a scientist."

"अच्छा..", कहके विष मेरे से बात करने ही वाला था तभी पीजे से फिरसे बिच मे घुस पड़ा,

"वैसे ये सूरज सबसे पहले मुझे मिला था। मैंने इसे कहाँ की, डर मत। मै तेरे साथ हूँ।"

"हम्म", कहके विष मुझसे बोलने लगा तभी... फिर से पीजे बिच मे घुस गया।

"अब क्या बताये आपको सर..."

विष ने गुस्से से पीजे को अपना हाथ दिखाया। पीजे चुप होके, कॉफी पिने लगा।

"वैसे तुम यहाँ कैसे पहुंचे? ", विष ने मुझसे पूछा।

"वो बड़ी लम्बी स्टोरी है। अब तो बस वापस जाने की पड़ी है। "

"वापस? वापस कहाँ? "

"कहाँ मतलब? अपने घर!", मैंने हसते हुए कहा।

"तुम वापस नहीं जाओगे।", विष ने बोला।

मुझे हल्की सी हैरानी हुयी। मैंने हसते हुए कहा,

"अरे क्या बात कर रहे हो सर आप। वापस घर नहीं जाऊ तो फिर कहा जाऊ? "

"ऊपर !", विष ने कहा।

पीजे के मुँह से कॉफी का फव्वारा निकला। मै भी हिल गया।

"ऊपर मतलब? ", मैंने पूछा।

अपनी गन को हाथ मे लेते हुए विष ने कहा,

"मैं तुझे मार डालूंगा।"

ये बात सुनते ही मेरे हाथसे कॉफी का कप छुटके निचे गिर गया।

"ये कैसी बाते कर रहे हो सर आप। आप और मै एक ही तो है।", मैंने डर के मारे बकना शुरू किया।

अपनी गन मे बुलेट भरते हुए विष कहने लगा,

"यही तो problem है। क्या तुम्हे पता है, अगर कोई एक आदमी मर जाता है तो, उसकी पावर उसके बाकि के बचे डुप्लीकेट मे चली जाती है। तुम्हे मारूंगा तो तुम्हारी पावर भी मेरे अंदर आ जाएगी।"

"अरे ये सब झूठ है, ये किसने कहाँ आपसे? "

"एक पिक्चर मे देखा था।", कहके विष ने मुझ पे बंदूक तान दी।

"ये सब झूठ है। अगर मै मरा तो, आप भी मरोगे।", मैंने आँख बंद करके कहा।

तभी रीना की नजर अपने फ़ोन से हटके मुझपे चली गयी। मानो उसे कुछ मिल गया हो।

"What? ", विष ने कहा। पर उसकी गन अभी भी हमपे पॉइंट थी।

"ये सच है। मै मरा तो आप भी मरोगे।", मैंने फिर से कहा।

"How is this possible? ", विष ने पूछा।

तभी पीजेने मामला संभालते हुए कहा,

"सर, मै... मै बताता हूँ आपको। बस... बस ये गन निचे कर दीजिये plz। अगर गलती से गोली-वोली चल गयी तो..."

"How is this possible? ", विष ने फिरसे पूछा। इस बार उसकी आवाज मे दहशत थी।

पीजे बोलने लगा, "सर, अलग अलग पैरेलल वर्ल्ड मे एक ही आदमी अलग अलग जिंदगी जीता है। अगर कोई इंसान एक दुनिया मे मौजूद है, तो बाकि दुनिया मे भी मौजूद होगा। अगर किसी दुनिया मे उसका अस्तित्व ही ना हो, तो बाकि दुनिया मे वो मौजूद कैसे होगा? या तो वो सभी दुनिया मे रहेगा, या फिर किसी भी दुनिया मे नहीं होगा।"

विष ने धीरे से अपनी गन निचे कर दी। हमारे जान मे जान आ गयी। विष अपनी सोच मे गुम गया। उसने पीजे से पूछा,

"तुम कह रहे हो की, अगर ये मरेगा तो, मै भी मरूंगा!"

"जी सर।", पीजे बोला।

"अगर मैंने इसे अभी गोली मार दी, तो मै एकदम से कैसे मरूंगा!"

अब मेरा दिमाग़ फिर गया। पूरी रात सभी मेरे जान के पीछे पड़े थे। अब ये मुझसे सहा नहीं गया। मै झट से सोफे उठ खड़ा हुआ और गुस्से बरसने लगा,

"चलाओ आप गोली। मार ही दो मुझे। पूरा किस्सा ही ख़तम कर डालो। जब से यहाँ आया हूँ, तब से देख रहा हूँ, सभी मेरे जान के पीछे पड़े है। आप चलाओ गोली, चलाओ।"

"अरे मै तो बस ऐसे ही पू...पूछ रहा था...", विष हड़बडा के बोलने लगा पर मै सुनने की हालत मे नहीं था।

मेरा गुस्सा अब रोने मे बदलने लगा,

"नहीं नहीं। मेरी जान ले लो आप। और उसके बाद देखो आप मरते हो या नहीं। चलाओ गोली। मारो मुझे।"

"अरे सॉरी यार। मै तो बस ऐसे ही पूछ रहा था।", विष ने मुझे शांत करते हुए कहा।

मै रोते हुए सोफे पर बैठ गया।

"सब लोग मेरे ही पीछे पड़े है। सभी को मै ही दिख रहा हूँ।"

एक आदमी ने मुझे पानी का ग्लास दिया।

*-*-*

थोड़ा समय बीत गया। विष को पता चला की मै यहाँ कैसे आ पंहुचा, मेरे साथ क्या क्या हुआ, मैंने सारी कहानी उसे बता दी।

"तो तुम यहापर सिर्फ मुझसे मिलने आये हो? ", विष ने पूछा।

"जी नहीं। आपके पास जो सीरम है, वो लेने आया था।", मैंबे जवाब दिया।

"कोनसा सीरम? "

तभी पीजे ने बड़ी ही शराफत से कहा,

"सर, आपके स्टाफ ने मेरे लैब से लिया था। "

विष अभी भी समझ नहीं पाया।

"वो पानी जैसा दीखता था, वो वाला !", रीना ने याद दिलाते हुए कहा।

"अच्छा वो वाला! वो तो मैंने रिसर्च लेब्रोटरी वालों को बेच दिया।", विष ने कहा।

"हा पता चला मुझे।", मैंने उदास होके कहा।

"तुम्हे उसकी क्या जरुरत पड़ी? "

"उसी के मदद से मै अपने घर जा पाउँगा।"

"वो क्या पीकर घर जायेगा?", उसने हसते हुए कहा।

तभी पीजे ने कहा, "मेरे पास एक मशीन है, जो वार्महोल बना सकती है। उस मशीन को चालू करनेकेलिए वो सीरम/फ्यूल लगेगा। "

"वो मशीन तूने बनायीं है? ", विष ने पीजे से पूछा।

"Actually, उसका सारा structure मेरा दोस्त लेके आया था। उसी के reference से मैंने वो मशीन बना दी।"

"कोनसा दोस्त?", मैंने पीजे से हलके आवाज़ मे पूछा।

"कल! वही लेके आया था पहली दुनिया से।", पीजे ने भी धीमी आवाज मे बोला।

विष ने आगे कहा, "पर तुझे घर क्यू जाना है? यही पे रह। तुझे जो चाहिए, मै देता हूँ ना सब।"

"घर पे मा-पापा इंतजार कर रहे होंगे। उनकेलिए तो जाना पड़ेगा। और वैसे भी... घर घर होता है। उसके बिना थोड़ी ही रह सकते है।", मैंने मेरी दिल बात कह डाली।

मेरी बात सुनके विष के चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गयी। मानो वो मेरी बात से इंप्रेस हो गया हो।

विष ने मुस्कुराते हुए कहा, "चल कोई बात नहीं। तेरे लिए वो सीरम लेके आएंगे।"

ये बात सुनते ही मै ख़ुशी के मारे पागल हो गया।

मैंने कहा, "क्या? सच ! पर... पर वो रिसर्च लेब्रोटरी वाले देंगे?"

"छीन लेंगे!", उसने जवाब दिया।

विष की आवाज मे पता नहीं क्या जादू थी। उसका हर एक शब्द पत्थर की लकीर जैसा लगता था।

विश अपनी चेयर से खड़ा हो गया। मुँह मे एक सिगार पकड़ लि। तभी एक आदमी भागते सिगार जलाने आ गया। सिगार जल गयी। उसे अंदर खिंचके धुंआ बाहर छोड़ते हुए विष ने कहा,

"तू टेंशन मत ले। तुझे वापस तेरे घर भेजना, मेरी जिम्मेदारी।"

मै इतना ख़ुश हो गया की, पूछो ही मत। मैने ख़ुशी के मारे विष से कहा,

"Thank you so much sir. मुझे समझ नहीं आ रहा की आपका..."

"ये आप-आप क्या लगा रखा है बे। मुझे तू बोल।"

पता नहीं क्यू पर विष मुझे काफी अलग लगा बाकियों से।

"थैंक्स यार। तो कब चलना है लेब्रोटरी के इधर? ", मैंने पूछा।

मुझे जितना जल्दी हो सके, मेरे घर वापस जाना था। यहाँ का एक एक मिनट मुझे एक साल जैसा भा रहा था। इसलिए मैंने जल्दबाजी मे पूछा।

विष ने जवाब दिया, "जायेंगे 4-5 दिन के बाद। यहाँ पे आया है तो, कुछ दिन रह ले, घूम ले।"

"4-5 दिन? ", मैंने डर के दोहराया।

तभी विष मेरी ओर देखके हसने लगा, "अरे मज़ाक कर रहा हूँ। आज की रात ही निकलते है उधर।"

मैंने पीजे की ओर देखा। हम दोनों मुस्कुरा रहे थे। पीजे भी ख़ुश था।

तभी रीना ने विष से कहा, "मुझे लगता है की, इतनी जल्दबाज़ी करना सही नहीं है।"

"और ऐसा क्यू लगता है? ", सिगार पीते हुए उसने पूछा।

रीना की नजर मुझ पर थी, पर वो बात विष से कर रही थी। उसने कहा, "मुझे लगता है, ये काम तुम्हे आराम से, सोच-समझके करना चाहिए। सूरज अभी अभी आया है। उसे कुछ दिन आराम तो करने दो।"

ये बात सुनके मै हड़बड़ा गया। मैंने झटसे कहा,

"जी नहीं नहीं। मै बिलकुल ठीक हूँ। मुझे आराम की कोई जरुरत नहीं है।"

विष ने रीना कहा, "सुना? तो हम आज ही निकलेंगे।"

"वहां पर खतरा भी हो सकता है।"

"Who cares!"

"अगर मरने का इतना ही शौक है तो, बिंदास जाओ।", उसने कहा।

उसकी बातो मे गर्मी थी। उसकी बात सुनके विष ने बड़े ही शांति से सिगार निचे फेंक दी। उसे अपने पैर से कुचल दिया। एक मुस्कान लिए रीना के पास गया। रीना उसे देखने लगी। कुछ देर उसे ऐसे ही देखा और... रीना के गाल पर एक थप्पड़ जडा दिया।

मै और पीजे दोनों एकदम से शॉक हो गए। विष का ये वाला रूप हमने नहीं देखा था। वहां इतने सारे लोगो के सामने विष ने रीना को थप्पड़ मार दिया। रीना ने गुस्से से विष को देखा और अपने आप से कहा,

"100!"

और रीना वहां से चली गयी।

विष हमारी ओर मुड़ा। मुझसे पूछा,

"तूने खाना खाया? "

"न... नहीं।"

"एक काम कर। तू घर चला जा। माँ के ऑफिस के बॉस भी आने वाले है आज डिनर पे। खाना भी हो जायेगा और माँ-पापा से मिलना भी हो जायेगा।"

मैंने ख़ुशी से अपनी गर्दन हाँ मे हिलायी। विश ने 4-5 आदमियों को इशारा किया। वो पास आ गए। विष ने उनसे कहा,

"इसे सही सलामत घर लेके जाओ और लेके आओ। अगर इसे खरोच भी आयी तो, तुम सबको जान से मार दूंगा। "

विष ने मुझे जाने का इशारा किया। मै और पीजे जा ही रहे थे तभी विष ने पीजे को रोका,

"ऐ डॉक्टर, तू कहाँ जा रहा है? "

"मै... जी... खाना खाने!"

"वो खाना-वाना बाद मे कर। वहा लेब्रोटरी पे अटैक केलिए निकलना है थोड़ी देर मे। वो फ्यूल के बारे जरा और बता। सुरज खाना खाके आयेगा, तबतक हम प्लेनिंग कर लेते है। "

"पर... पर खाना?", पीजे ने पूछा।

"यहाँ पर कर ले खाना। चल आजा।"

पीजे ने मेरी ओर बड़े गुस्से से देखा। मै झटसे वहां से भाग गया। बेचारा पीजे...वही पर अटक गया। और मै चला गया डिनर पे।

-to be continue...

(next chapter will release soon) stay tune:

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