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1. मौत का डर

शाम ढल रही थी, जंगल से गाँव का किसान दीनू लकड़ियां लेकर घर जा रहा था, आज जंगल की ख़ामोशी में भी अजीब सा शोर था, 

 तभी दीनू  को एक आहट सुनाई दी, उसके कदम रुक गए, इसी के साथ वो आहट भी थम गई .... दीनू आगे बढ़ा तो , फिर से उसे किसी की मौजूदगी का एहसास हुआ. ...

उसे ऐसा लगा जैसे कोई कच्चा मांस तेज़ी से चबा रहा हो वो सोचा की कोई जंगली जानवर होगा .... ....पर उसे  इस जानवर को देखने की इच्छा हुई फिर उसने एक पेड़ की आड़ ली... और उस जानवर को देखने की कोशिश करने लगा.....

 

लेकिन सामने का नज़ारा देख कर उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं, सामने एक इंसान की लाश पड़ी थी, जिसका पेट फटा हुआ था और अंदर का मांस दिखाई दे रहा था. ....बगल में एक लंम्बी औरत बैठी थी जिसने काली साड़ी पहनी थी और उसके काले घने बाल ज़मीन को छू रहे थे, .....

 

उसके हांथ में एक मांस का टुकड़ा था जिससे खून बह रहा था... दीनू ने डर के मारे अपने दोनों हाथों से अपना मुँह बंद कर लिया।

 

उसने पेड़ के पीछे खुद को छुपा लिया, उसे डर था की कहीं ये औरत उसे न देख ले. उसने खुद को शांत किया और तेज़ी से अपने घर के रास्ते की ओर  बढ़ने लगा,.... जब वो थोड़ी दूर आया तो अपनी जी जान लगा कर दौड़ना शुरू कर दिया ..

 

दीनू  को इस वक्त सिर्फ अपना गाँव  दिखाई दे रहा था,  और... कुछ ही देर में वो भागते हुए  गाँव पहुँच गया....

गाँव वालों ने उसकी हालत देखी, तो  वो हांफ रहा था. किसी ने उससे पूछा..

"क्या हुआ दीनू, तू कहाँ रह गया था इतनी देर?"

कुछ और भी  लोग वहां इखट्टा हो गए.

"डा.... डा... डायन।।"

दीनू ने हकलाते हुए कहा.

तभी वहाँ खड़े दूसरे आदमी ने उससे पूछा .... " कहाँ है? डायन "  .. ...

"व ...वहाँ ज़गल मे एक ल ...लाश के पास ...व  वो उसको खा रही थी ...."

दीनू  की ये बात सुनते ही जैसे सभी के पाँव तले ज़मीन खिसक गई.

"शायद वो हमारे ही गाँव का आदमी रहा हो." दीनू ने डरते हुए कहा.

ये सब सुनते ही ...सभी के चेहरों की हवाइयां उड़ गई..... 

तभी  किसी ने वहाँ छाइ चुप्पी को तोड़ते हुए कहा .."एक बार देख के आना चाहिए, कौन है पता तो चलेगा।"

वहां मौजूद सभी लोग के मन में डर बैठ गया.

तभी बड़ी देर की ख़ामोशी के बाद एक  जवाब आया.

"चलो..देख आते हैं".

"मैं नहीं जा रहा हूँ, आप लोगों को जाना हो तो जाइये"। एक ख़ौफ़ खाये लड़के ने कहा.

उसके साथ एक दो लोग और  शामिल हो गए...

बचे हुए गाँव वालों ने आगे बढ़ने का फैसला किया।

सभी ने  झुण्ड बनाकर चलने पर हामी भर दी. दीनू पहले से ही काफी डरा हुआ था .....कुछ ही देर में गाँव वाले उस जगह पहुंचे जहाँ दीनू ने डायन को देखा था.

लाश सामने पड़ी थी, मक्खियों की भिनभिनाहट ज़ोरो पर थी, सभी ने अपनी नाक सिकोड़ ली तभी  एक बुजुर्ग आगे बढे, उन्होने लाश पहचानने की कोशिश की. और लगभग तुरंत ही चिल्ला पड़े

"ये तो अपने गाँव का कमलेश है."

कमलेश का नाम सुनते ही ..सभी के चेहरे उतर गए, और वे लोग अब उसके बूढ़े माँ बाप के बारे में सोचने लगे. थे ...

तभी एक आवाज़ किसी कोने से आई....."वो अपने माँ बाप के इलाज के लिए शहर गया था, उसके माँ बाप तो गाँव में इस घटना से बेखबर हैं. उन्हे पता चलेगा तो वो जीते जी मर जाएंगे"। 

"वो डायन किसी को नहीं छोड़ेगी, पहले तो उसके श्राप से ही मुसीबतों का पहाड़ टूटा है, गाँव में फसलें न के बराबर उग रही हैं, और अब वो खुद भी हम गाँव वालों के खून की प्यासी है."

तभी एक नौजवान की आवाज़ आई..... अब हमें चलना चाहिए, ये जगह खतरे से खाली नहीं है. 

सभी ने एक दुसरे के चेहरे को देखा।

तभी हवा अचानक से बढ़ गई, पेड़ अपनी दाहिनी ओर झुकते चले जा रहे थे. किसी गाँव वाले की नज़र दूर पेडों पर गई, जहाँ काला शॉल ओढ़े हुए औरत एक टहनी से दूसरी टहनी पर लहराते हुए उनकी तरफ बढ़ रही थी ...

गाँव वाले अपनी जान बचाने के लिए दौड़े, सभी लोग अपने घर सही सलामत पहुंचना चाहते थे, .... डायन की हुंकार उनके कानो में चुभ रही थी ....

दीनू गाँव वालों से पीछे रह गया, तभी डायन की नज़र दीनू पर पड़ी, वो बाज़ की तेज़ी से ज़मीन पर उतरी और तुरंत दीनू की ओर बढ़ी, दीनू लड़खड़ाते  हुए आगे बढ़ रहा था तभी . ....डायन ने उसे घसीट लिया।

 

दीनू चिल्लाये जा रहा था, ज़मीन पर एक लकीर सी बनती चली गई और दीनू कुछ देर बाद ओझल हो गया. दीनू का ये हाल अपनी आँखों से देख कर गाँव वाले सन्न रह गए, उन्हे दीनू के सात अब अपनी मौत भी दिखाई देने लगी थी .....