Saमीरा
कुछ कह देने से अगर कुछ हो जाए तो उसको किस्मत की जगह इत्तेफाक़ ही समझना चाहिए। कुछ ऐसे ही इत्तेफ़ाक़ हर किसी के जीवन में आते है, कोई भी इनकी कल्पना नहीं करता है बस यूं ही आ जाते है। वैसे मैंने इतिफाक का जिक्र इसलिए किया है क्यूंकि कुछ ऐसे ही इत्तेफाक़ या यूं कहे संयोग मेरे साथ भी होते आए है।
घर की चार दीवारों से लेकर आस पास के एक दो मील तक के लोग तो मुझे बहुत अच्छा समझते है शायद मुझे ऐसा लगता हो या कोई सामने कुछ ना कहता हो।
पर कभी कभी ऐसा लगता है जैसे आज के जमाने के अनुरूप होने के अधिकार सिर्फ लडको को है लड़के चाहे कैसे भी रहे , कहीं भी घूमे, कितनी ही लड़कियों के साथ सम्बन्ध बनाए वो सब उनके लिए ठीक है पर मजाल है कोई लड़की ऐसा सोच भी ले। फिल्में तो बस ऐसे ही दिखाई जाती है पर लड़कियों को फिल्मों जैसी आजादी मात्र कल्पना ही है और हां अगर आजादी कोई ले भी के तो उसका करेक्टर सर्टिफिकेट बनने लगता है।
छोटे कपड़ों में लड़कियां, अकेले घूमती हुई लड़कियां , बॉय फ्रेंड के साथ नजर आती लड़कियां , सिगरेट पीती लड़कियां और हंसी मजाक करती लड़कियां तो सबको पसंद है बस खुद के घर की नहीं होनी चाहिए।
खैर इन सबको छोड़कर आगे बढ़ते है मेरा नाम है समीरा और शायद मेरा भी करैक्टर सर्टिफिकेट सब बना चुके होंगे पर मुझे उन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता और मैने आज तक वहीं किया है जो मुझे अच्छा लगता है ।
किस्सा भी लिख दूंगी तेरे नाम से एक दिन,
कभी मेरा नाम भी ज़ेहन में उतार लिया कर।
मैंने तेरे जैसे बहुत देखे है एक दिन रुलाने वाले,
कभी ज़िन्दगी में साथ चल कर हसा दिया कर।।
AuthorVBhardwaj · Masa Muda