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Heartless king

न्यूयोर्क शहर एक उँची ईमारत से, एक शख्स शीशे क़ी खिड़की के पास खड़ा  निचे आते -जाते हुए गाड़ीयों और लोगों को देख रहा होता हैँ..... उतनी ऊंचाई लोग और गड़िया उसे कीड़े माकोड़े क़ी तरह दिख रही होती हैं। वो निचे देखते हुए कुछ सोचे जा रहा था। तभी दो लोग अंदर आते हैँ, चलो हमें निकलना हैँ, काका हुजूर का बार बार फ़ोन आ रहा हैँ .... राजस्थान के लिए.... जैट तैयार हैँ......... वो शख्स, "हम्म्म " कहते हुए फिर से खिड़की क़ी तरफ देखते हुए और कहता हैं........... क्या उसके बारे कुछ मालूम हुआ, कहते हुए उसके आखों में एक दर्द उभर आया। दूसरा शख्स, "तुम आज तक नहीं भूले हो उसे..... सात साल हो गए.... कौन थी, कहाँ से आयी थी, केसी दिखती हैं,अब तक हमें मालूम नहीं हुआ,जैसे उसे जमीन खा गयी या आसमान निगल गया। जिन्दा भी हैं या मर गयी। तभी वो गुस्से में, उसका गला पकड़.... जस्ट शटअप दुबरा ये कहने की हिम्मत मत करना ये कहते हुए उसके आँखो में खून उतर आया। फिर झटके से उसे छोड़ दिया। वो खाँसते हुए अपने गले को सहलाता हैं। तभी वो मुड़ता हैँ और कहता हैँ..... उसकी पहली मुलकात के बाद यही कहूँगा क़ी उसके बगैर दिल कही लगता नहीं ज़ब तक जियूँगा उसे आखिरी सांस तक ढूढ़गा..... आगे महादेव क़ी मर्जी। तभी तीसरा शख्स छोड़ ना तू इसे जानता तो हैँ। तीनों निकल जाते हैं इंडिया के लिए.....

Dhaara_shree · perkotaan
Peringkat tidak cukup
32 Chs

ch-24

जैसे ही दीक्षा सभी के साथ दक्ष के पास पहुंची। सभी ने बिना भाव के अपनी अपनी वालियों से कहा बैठिये। पांचो भी बैठ गयी पुरे रास्ते किसी ने एक दूसरे से बात नहीं क़ी।

दीक्षा के साथ सभी लड़कियों के मन मे चल रहा था, क्या बात है !! इनलोगो ने कुछ कहा क्यों नहीं,!!

कुछ देर मे सभी प्रजापति महल पहुंचते है।

महल मे पहले से मौजूद कुल पुरोहित ज़ब दक्षांश क़ो आशीर्वाद देते है, तो पीछे खड़े सभी सुनकर मुस्कुरा रहे होते है। ज़ब तुलसी जी पीछे अपने सभी बच्चों क़ो देखती है तो कहती है, आईये !! आप सब सही समय पर आये। सभी आये आकर कुल पुरोहित जी से आशीर्वाद लेते है।

तुलसी कहती है, "ये है हमारे बड़े पोते पृथ्वी और इनकी धर्मपत्नी शुभ !! दोनों झुक कर उनसे आशीर्वाद लेते है। कुल पुरोहित जी कहते है,"आप दोनों इस परिवार क़ी सबसे महबूत बुनयाद है। आप दोनों के रहते हुए ये परिवार कभी नहीं डगमगायेगा। आप नींव है इस परिवार क़ी जिस पर ये परिवार टिकेगा।"

सभी मुस्कुरा देते है। पृथ्वी और शुभ बैठ जाते है। फिर तुलसी जी कहती है, ये है हमारे पोते दक्ष और इनकी धर्मपत्नी दीक्षा और ये बच्चा जो आपके पास है, इनदोनो क़ी संतान दक्षांश प्रजापति!! तीनों झुककर आशीर्वाद लेते है।

कुल पुरोहित कहते है, रानी माँ!! आपके बड़े पोते और बहु इस परिवार क़ी नींव है तो ये दोनों इस परिवार क़ी क्षत्र -छाया!! जो अपने परिवार क़ी धुप, बरसात, आंधी,-तूफान सबमें रक्षा करेंगे। इन दोनों के रहते हुए इनके परिवार पर कोई विपत्ति नहीं आयेगीं और जो भी आएगी, वो इनके आगे टिक नहीं पाएगीं !! इन दोनों क़ी जोड़ी तो स्वं महादेव ने बनाई है।

तुलसी जी के साथ सभी परिवार उनकी बातें सुनकर खुश हो जाते है। राजेंद्र जी कहते है, आपने हमारे पर पोते के बारे मे कुछ नहीं बताया!! कुल पुरोहित जी, राजेंद्र जी क़ी बातों पर हँसते हुए कहते है, " राजा साहब जिसे स्वं  देवी माँ और महादेव का आशीर्वाद मिला हो उसके बारे मे क्या कहुँ!! ये तो स्वं मे पूर्ण है। लेकिन हाँ!!इनका क्रोध बहुत ही प्रवल होगा। ये अपनी जीवन क़ी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी से कभी भागेंगे नहीं !!

इनका जीवन ही सबकी सुरक्षा के लिए हुआ।

तुलसी फिर अनीश -रितिका, अतुल -तूलिका और कनक -रौनक क़ो एक साथ बुलाती हुई  कहती है, ये है हमारे जिगर के टुकड़े अतुल और इनकी पत्नी तूलिका, अनीश और इनकी पत्नी रितिका, और ये है रौनक और इनकी पत्नी कनक ... तीनों झुक कर उनसे आशीर्वाद लेते है।

उन तीनों जोड़े क़ो देख कर कुल पुरोहित कहते है.... रानी माँ !! अगर आपके बड़े और छोटे पोते इस परिवार क़ी नींव है और क्षत्र है तो ये तीनों इस परिवार के स्तम्भ है। जिनपर इस परिवार क़ी नींव और क्षत्र टिके हुए है।

सभी पुरोहित जी के बात से खुश हो जाते है। अब लक्ष्य कहता है तो. अब बताईये राज्यभिषेक के लिए कौन सा दिन उचित होगा।

कुल पुरोहित जी गणना करने के बाद कहते है, राजा साहब !! राज्या अभिषेक के पहले आपको ग्यारह दिन क़ी वो पूजा करवानी होगी, जो आपकी पीढ़ी के सातमे राजा क़ो पूरी करनी होती है। और हमारे मुताबिक वो सातमे राजा श्रीमान दक्ष है। इस पूजा के पश्चात् हम इन्हें इनके परिवार क़ी धरोहर लोटाएंगे। जो हर सातवें राजा के पास होती है।इस पूजा के बाद ही तीन दिन क़ी राज्यों उत्स्व के साथ इनका राज्यभिषेक होगा।

रानी माँ !! तीन माह बाद शुक्ल पक्ष त्रियोदशी के दिन ये पूजा और यज्ञ शुरू होगा। पुरे ग्यारह दिन होने वाले राजा और रानी साथ मे उनका पुत्र बैठेगा। पूरा दिन फलाहार या निर्जला व्रत रख कर पूजा होगी। रात क़ो शुद्ध सात्विक भोजन ही सब करेंगे।

पूजा मे एक सौ आठ पंडित होंगे और बहुत बड़ा हवन कुंड तैयार किया जायेगा। आपको पता है उस पूजा मे क्रोध नहीं कर सकते है। आप तीनों क़ो का मन उस पूजा शांत होनी चाहिए।

राजा साहब ये ग्यारह दिन चलने वाली पूजा मे इस बात पर विशेष ध्यान देना होगा क़ी बिच मे पूजा खंडित ना हो पाए। नहीं तो राज्यभिषेक फिर कभी नहीं दक्ष क़ी हो पायेगी। अगर ये पूजा खंडित हो गयी किसी कारणवश तो उसके बाद आपका प्रपोता ही उत्तराधिकारी भविष्य मे बन सकता है।

इसलिये इस बात का ध्यान बेहद जरूरी है क़ी चाहे रात हो या दिन हवनकुण्ड क़ी अग्नि चलती रहनी चाहिए। यज्ञ के दो मीटर के दायरे मे एक बून्द खुन के छींटे नहीं गिरने चाहिए। ये सब मै इसलिये कह रहा हूँ क्योंकि आपको भी मालूम है क़ी इस राज्यभिषेक मे, इस पूजा के दौरान आपके दुश्मन जो मिट्टी मे गड़े होंगे वो भी निकल कर आएंगे और ये यज्ञ खंडित करने क़ी कोशिश करेंगे।

इसलिये रानी माँ!!पूजा और यज्ञ क़ी जिम्मेदारी हमारी हुई तो आप सब क़ी जिम्मेदारी है, यज्ञ क़ो सम्पूर्ण करवाना और सुरक्षा करना। क्योंकि ये इतना आसान नहीं रहेगा। पुरे राजस्थान क़ी नजर इसमें रहेगी। बहुत लोग शामिल होंगे। या हम यु कह ले क़ी पूरा पंद्रह दिन उत्सव और मौत का खेल दोनों चलेगा।

अपनी बात कह कर कुल पुरोहित जी चुप हो गए। तभी पृथ्वी कहता है।आप तैयारी शुरू कीजिये। आप जहाँ जरूरत होगी हमारी हम वहाँ मौजूद होंगे।

कुल पुरोहित कहता है, फिर ठीक है, हम आज ही प्रस्थान करते है, हमें ग्यारह नदियों का जल और उसकी मिट्टी लानी होगी।

अतुल कहता है ठीक है, पुरोहित जी आप जाने क़ी तैयारी कीजिये। हम आपको सब जगह सुरक्षित पहुंचने का इंतजाम करवाते है।

ये सुनकर पुरोहित जी कहते है, बहुत बहुत ध्यनवाद !! अब इज्जाजत दीजिये।

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इधर ओमकार ज़ब घर आता है तो गुस्सै मे अपनी कमरे क़ी तरफ बढ़ने लगता है, तभी कृतिका उसका रास्ता रोकते हुए कहती है, मुझे आपसे बात करनी है।

ओमकार गुस्सै मे कहता है, तुम यहाँ क्या कर रही हो !! क्या तुम्हें भी वही भेज दू !! कृतिका कहती है, आप मेरी पहले बात सुन लीजिये फिर आपकी मर्जी आप जहाँ चाहे वहाँ भेज देना । मै अपनी बहन क़ी तरह स्वार्थी नहीं हूँ क़ी अपने स्वार्थ मे खुद क़ो इस हद तक गिरा दू। आपको कुछ बताना था।

ओमकार जो दीक्षा क़ो ना पाने के गम मे अंदर से बहुत अकेला और दुखी था। कृतिका क़ी बातें उसे थोड़ा शांत कर रही थी। वो बैठ जाता है। तभी कृतिका कहती है, आप कॉफी लेगे या सीधे मै बात कर लूँ, क्योंकि मै नहीं चाहती क़ी आप मेरे कारण परेशान हो।

ओमकार कहता है, कॉफ़ी बनाओ। मै फ्रेश होकर आता हूँ, फिर बात करेंगे, कहते हुए वो अपने कमरे मे चला जाता है और इधर कृतिका कुछ सोचती हुई किचने मे कॉफ़ी बनाने चली जाती है।

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इधर के बाहों मे लावण्या सो गयी थी। उसे सोया हुआ देख अक्षय कहता है, जाने से पहले तुम्हें एक बार देखना चाहता था लेकिन शिव शम्भु ने तुमसे मिला कर मेरी सच्ची मोहब्बत पर मुहर लगा दी। फिर उसे उठा कर होटल के कमरे मे ले जाता है।

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ओमकार अपनी बालकनी मे बैठा होता है, तभी कृतिका उसके लिए कॉफी लेकर आयी। ओमकार सवाल भरी नजरों से उसे देखता है।वो उसकी नजर क़ो समझती हुई कहती है, घबराईये नहीं !! मैंने इसमें कम्या क़ी तरह कुछ नहीं मिलाया है। आप चाहे तो मै आपकी कॉफी पी सकती हूँ। आप मेरी वाली ले लीजिये।

ओमकार कहता है, नहीं उसकी जरूरत नहीं होगी मुझे !! अगर ऐसा कुछ हुआ भी तो मै सब संभाल लूँगा। अब बताओं क्या बताना चाहती हो।

कृतिका कुछ देर खामोश रहने के बाद कहती है, "ज़ब आपकी और दीक्षा दी क़ी शादी तय हुई थी तो ये शादी मेरे माँ बाप और दीदी क़ो पसंद नहीं थी। मम्मी पापा के प्यार ने कम्या दी क़ो बहुत जिद्दी बना दिया था। आपके जाने के बाद वो जिद्द पर अड़ गयी क़ी उन्हें आपसे शादी करनी है। इसमें उन्होंने मुझसे मदद मांगी। मै थी तो उनकी सग्गी बहन इसलिये मैंने उनका साथ दिया।उस दिन धोखे से हमने दीक्षा क़ो उस होटल मे बुलाया।हमने प्लान किया था क़ी उसे अपने दोस्त के हवाले कर देंगे लेकिन उस रात दीक्षा क़ी किस्मत उसे दक्ष के पास ले गयी।

उसके बाद जो हुआ आपको मालूम है। उससे पहले दीक्षा ना कभी किसी लड़के के प्यार मे पड़ी थी ना दक्ष से मिली थी!!"

आप सोच रहे होंगे मैंने ये बात अब क्यों बताई। तो वो भी बता दू। मुझे नहीं मालूम था क़ी मेरी बहन इस हद तक पहुँचे जाएगी आपको पाने के लिए क़ी वो अक्षय जी क़ो मरवाने क़ी चाहत पाल लेगी। लेकिन होनी क़ो कुछ और मंजूर था, ना वो उस रात आपके साथ गलत करती ना वो आज इस हाल मे होती।

आपसे इतना ही. कहूँगी.... क़ी आप मेरी बहन क़ी तरह जिद्द ना पाले। मेरी बहन क़ी जिद्द आप थे, जिसका अंजाम आपने देख लिया और आपकी जिद्द दीक्षा है, उसका अंजाम क्या होगा, ये तो मै भी नहीं जानती।

कुल पुरोहित की सारी बात सुनकर सभी किसी सोच मे डूबे हुए था। इसी बिच दीक्षा कहती है, "इसमें इतनी सोचने की क्या बात हम अपनी तरफ से एक रणनीति तैयार करते है। जितनी सम्भव होगा हम हर कड़ी क़ो मजबूत बनायेगे।"

लक्ष्य कहता है, वो तो ठीक है महरानी बिंदनी लेकिन इसमें वो दुश्मन भी जाग जायेगे जो सोये हुए है। दक्ष कहता है, चाहे जो हमें ये यज्ञ तो पूरा करना ही होगा। पृथ्वी कहता है, और उसकी तैयारी के लिए हमारे पास अभी वक़्त है।

तभी राजेंद्र जी और तुलसी जी कहती है उससे पहले हम हमारे राजकुमार के आने की ख़ुशी मे जश्न करना चाहते है। जिसे सुनकर सभी मुस्कुरा देते है। पृथ्वी कहता है, दादी माँ !! कब चाहती है की ऐसा हो। जिसे सुनकर सुमन जी कहती है, जितनी जल्दी हो. जाये बेहतर।

निशा और सुकन्या कहती है, "अगर तीन चार दिन मे हो जाये तो अतिउत्तम। ये सुनकर दक्ष कहता है, ठीक तीसरे दिन जश्न करते है। सारी तैयारी और न्योता वो सब हम देख लेगे।'" बाक़ी आप सबको जो चाहिए बता दीजिये। राजेंद्र जी कहते है, ऐसा कुछ नहीं. चाहिए। बस ध्यान रखियेगा की हमारे पुराने मित्र माधवगढ़ वालों क़ो जरूर न्योता दीजियेगा। हमारे बच्चों के जाने के बाद उनका, हम सभी से सपर्क ही नहीं रहा, या यु कहिये की कभी ऐसा मौका ही नहीं मिला। हो सकता है वो बुलावे पड़ ना आये तो. आप और बिंदनी दोनों जाकर उन्हें आमंत्रित कीजियेगा।

दक्ष कहता है, जी दादा सा!!हम वही करेंगे।

सभी उसकी बात से सहमत होते है।

कुछ देर सब रात का खाना खा कर जाने लगते है तो दक्ष ऊपर जाते हुए कहता है, स्वीट्स!! कॉफी लेकर छत पड़ आये। उसके साथ साथ पृथ्वी, रौनक, अनीश और अतुल कहते है, हमारे लिए भी।कहते हुए सभी चले जाते है।

निचे बैठे हुए शैतान चौकरी कहती है, "क्या बात है आज सारे भाई सा का मन कॉफी पीने का हो रहा है। सौम्या अपनी डेजर्ट खाती हुई कहती है, क्यों बात नहीं आज भाभी सा बाहर गयी थी और भाई सा ने पकड़ लिया। बस उन्ही की क्लास लगनी है कॉफ़ी पीते पीते।"

तभी सब मुड़ कर सौम्या की तरफ देखते है, जो फ्लो फ्लो मे बोली जा रही थी। सबकी नजर खुद पर महसूस होते, वो सबकी तरफ देखती हुई कहती है, "ऐसे क्या देख रहे हो आप सभी मुझे "!! अंकित कहता है, कोई चलाकी नहीं, सच सच बताओं की बात क्या है, लेकिन यहाँ नहीं मेरे कमरे मे चलो। ये सुनकर शुभम और सभी कहते है, हाँ चलो हमें भी जानना।

सौम्या कहती है, मै नहीं बताने वाली!!अंकिता कहती है, बताएगा तो तेरा बहुत भी। सभी उसे पकड़ कर अंकित के कमरे मे ले जाते है।

इधर रसोईघर मे सभी की सिटी पीटी गुल थी। लेकिन दीक्षा और शुभ आराम से कॉफी बना रही थी। तूलिका कहती है, तु परेशान नहीं है, अरे मुझे तो लगा था ये सब भूल चुके होंगे उन बातों क़ो. लेकिन नहीं,!! ये भूल जाये तो. तीसरा विश्वयुद्ध ना हो जाये।

शुभ कहती है, अरे तुली !! क्यों परेशान होती है आप। आप भूल. गयी की हम उनकी धर्मपत्नी है !! अगर उन्होंने हम सभी से ऐसी वैसी बातें की तो हम उन्हें कमरे मे नहीं आने देंगे। ये सुनकर दीक्षा मुस्कुराते हुए कहती है, और वो हमारी इतनी बड़ी सजा हजम नहीं कर पाएंगे। इसलिये शांत।

कनक कहती है, अरे हमने तो सोचा था की, इन सब बातों मे वो दोपहर वाले हमारे कांड भूल गए, लेकिन वो भूले नहीं !!

अब चलिए जरा सुन तो ले की क्या कहते है। तभी दीक्षा कहती है, आज की इस उलझन मे हमने बरखा से किसी क़ो मिलवाया नहीं। कल मिलवा देंगे। हम्म्म्म कहती हुई सभी छत की तरफ बढ़ जाती है।

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इधर रात के वक़्त लावण्या अक्षय की बाहों मे सोई हुई थी और उसकी आँखे धीरे से खुल जाती है। खुद क़ो फिर से अक्षय की बाहों मे देख कर, वो उसे धका दे देती है। अक्षय भी उसके साथ सुकून से गहरी नींद मे था। उसकी इस हरकत पर वो सोचने क़ो मजबूर हो जाता है की आखिरी ये लड़की चाहती क्या है।

जैसे ही लावण्या उसे मारने क़ो आती है। वो उसके हाथ क़ो पकड़ उसके ऊपर आ जाता हैं। अक्षय अभी बहुत करीब था लावण्या के, दोनों की आँखे एक दूसरे क़ो निहार रही होती है।

अक्षय उसे थोड़ी कठोर आवाज़ मे कहता है, ये क्या बचपना है लावण्या और तुम बार बार ऐसी हरकत करके क्या साबित करना चाहती हो।

उसकी बातें सुनकर लावण्या कहती है, मुझे तुमसे कोई मतलब नहीं है और क्यों बार बार मेरे करीब आ जाते हो। अक्षय उसकी बात सुनकर कहता है, बताऊ क्यों आता हूँ, क्योंकि अब तुम. सिर्फ मेरी हो, कहते हुए उसके होठों क़ो प्यार से चूमने लगता है। उसके अचानक इस तरह चूमने पर लावण्या हैरान हो जाती है, लेकिन अक्षय का यु दोबारा उसे छूना सुकून दे देता है और उसके हाथ अक्षय के बालों पड़ चले जाते है। जिसका अहसास होते ही अक्षय मुस्कुरा कर उसे और पेशनेटली से चूमने लगता है।

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रितिका की बात सुनकर ओमकार बहुत शांत आवाज़ से कहता है, जो तुम मुझे बता रही हो। वो मुझे उसी दिन से मालूम था, जबाब मै दोबारा तुम्हारे घर आया था। इसलिये दीक्षा मुझे चाहिए थी। जानता था की वो मुझे प्यार नहीं करती है, लेकिन मै उससे प्यार करता हूँ।

अब ये भी जानता हूँ की जिसके साथ वो है। वो मुझसे कही ज्यादा ताकतवर है और जो बात मै अभी सुनकर आया हूँ। अब मुझे दक्ष के लिए बुरा लग रहा है। जानती हो कोई करम से बुरा होता है और कोई जन्म से।

मेरा जीवन दोनों से बुरा है, शायद इसलिये कभी दीक्षा जैसी अच्छी लड़की ने मुझे नहीं पसंद किया और कम्या जैसी गंदी लड़की की मै पसंद हूँ।

खुद पड़ हँसी आती है की कहाँ चूक हो गयी मुझसे जिससे दीक्षा क़ो मै नहीं दिख सका।

रितिका कहती है, अब आपने क्या सोचा है !! ओमकार उसकी तरफ देखते हुए कहता है, पता नहीं मैंने क्या सोचा है। रितिका कहती है, ठीक है आप आराम कीजिये, मै जाती हूँ और वो जाने लगती है।

तभी ओमकार उसका हाथ पकड़ कर रोकते हुए कहता है, क्या तुम्हें भी लगता है, मै बुरा इंसान हूँ और मुझे कोई पसंद नहीं करेगी।

रितिका उसकी तरफ घूम जाती है और उसे कहती है, आपको जज करने वाली के कौन होती हूँ। मै कौन सी अच्छी हूँ, हा !! कम्या दीदी जितनी बुड़ी तो नहीं हूँ फिर भी अच्छी भी नही हूँ।

रही बात पसंद की तो आपसे पूछती हूँ, आपने क्या देखा दीक्षा मे की आप क़ो मै और कम्या दी नजर नहीं आये। खूबसूरत वो है तो हम भी कम नहीं है। अगर वो गुलाब का फूल है तो हम भी जेस्मिन है। फूल मे अंतर था लेकिन दोनों अपनी अपनी जगह खूबसूरत होती है।

लेकिन आपको सिर्फ दीक्षा क्यों दिखी।

रितिका की बात सुनकर पृथ्वी कहता है, क्योंकि मेरे दिल का सुकून, नजर की ठंडक मुझे सिर्फ दीक्षा क़ो देख कर महसूस होता था।

रितिका कहती है, तो मिल गया होगा आपको आपके सवाल का जबाब की क्योंकि दीक्षा क़ो दक्ष पसंद है। सभी की पसंद अपनी अपनी होती है।

अब देखिये आपको दीक्षा पसंद है और कम्या क़ो आप। आपकी भी जिद्द है दूसरे की पत्नी क़ो अपना बनाने की तो उसकी भी जिद्द थी दूसरे इंसान क़ो अपना बनाने की। नतीजा क्या हुआ ये आप जानते है।

अगर वो गलत है तो आप भी गलत हुए। अगर उसका अंजाम ऐसा हुआ तो आपका कैसा होगा। कम्या ओमकार से टकराई थी और ओमकार दक्ष प्रजापति से।

सोचियेगा जरूर मेरी बात पड़ की हासिल क्या करेंगे आप। आपके मेहनत की मंजिल कितनी सही है, ये तो आपको तय करना है।कह कर चली जाती है।

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सभी सौम्या क़ो घेरे खड़े थे। सौम्या से अंकित कहता है, बताओं भी,!! हो सकता है की हम भी तुम्हारी मदद कर सके।

सौम्या कहती है, देखो अभी जो बताओगी। वो सिर्फ शक है उन्हें। पूरा उकीन नहीं है फिर भी। आकाश कहता है, पहली मत बुझाओ सच बताओं।

सौम्या कहती है, भाभी क़ो लक्षिता बुआ पर शक है की सालों पहले जो भी हुआ, वो उसके बारे मे बहुत कुछ जानती है। बस भीभीयां यही मालूम करने मे लगी हुई है।ये बात सुनकर सभी शुभम की तरफ देखते है।

शुभम कहता है मुझे भी शक है। ठीक है ऐसा करते है इसे मैं अपने तरीके से समझने की कोशिश करता हूँ। मुझे जितना मालूम होगा, उतना मे भाभियों क़ो जरूर बताऊंगा। अगर हल्का सा भी इसमें मुझे अपने माँ बाप का हाथ लगा तो मैं किसी क़ो नहीं छोरुँगा।

सभी जब ऊपर आती है तो सबके कदम रुक जाते है, जिसे देख कर अनीश और रौनक कहते है, आप सब रुक क्यों गयी, इधर आईये। सभी आती है और कॉफी सबको देती है।

दक्ष कॉफी का घुट पीते हुए पृथ्वी से कहता है, भाई सा!!आज कॉफी कुछ ज्यादा ही स्ट्रांग बनी है।सभी धीरे धीरे कॉफी का घुट पी रहे होते है लेकिन कोई उन सभी से कुछ कह नहीं रहे होते।

कुछ देर तक दक्ष सभी ऐसे करते रहे थी दीक्षा आगे आँखे दक्ष के हाथों से कॉफी का कप लेती है और उसे पी जाती है। सभी उसे आँखे बड़ी करके देखने लगते है। दक्ष भी उसे देखने लगता है।

दीक्षा घूर कर सभी क़ो देखती हुई कहती है, तब से आप सब हमें डरा रहे थे और मजे से कॉफी पी रहे थे। अब हो गयी कॉफी खत्म अब बात कीजिये।

अनीश कहता है, ये अलग गुंडा गर्दी है भाभी !! हह्म्मम अच्छा वकील साहब और इतनी देर से आप लोग जो आवारा लडको की तरह हमें देख देख कर अपनी कॉफी का घुट ले रहे थे, उसके बारे मे क्या कहेंगे आप, कहती हुई रितिका अनीश क़ो घूरती है।

दक्ष मुस्कुरा कर दीक्षा की कमर पकड़ कर अपने पास कर लेता है। दीक्षा उसके इस तरह करने से असहज हो जाती है और वो धीरेकसे कहती है, दक्ष छोड़िये हमें ! दूर से भी बात हो सकती है।

दक्ष अपने भाइयों क़ो इशारा करता है। सभी अपनी अपनी वालियों क़ो अपने करीब कर लेते है। अब सारी लड़कियों के लिए ये समय थोड़ा असहज हो गया था। किसी के देवर थे तो किसी के जेठ।

सबको ऐसे असहज देख दक्ष कहता है, "आप सब किसी गैर के करीब नहीं है, यहाँ पड़ सभी शादी सुदा है और रिश्ते नाते से पहले हम सब दोस्त है। तो प्लीज असहज होने बंद कीजिये। सम्मान नजर मे होनी चाहिए और मर्यादा की सीमा मालूम होनी चाहिए। अभी आप सबमें से किसी ने सम्मान मे कमी नहीं रखी है और हमने अपनी मर्यादा नहीं तोरी है तो आप सभी शांत हो जाये फिर बात करेंगे।

दक्ष की बात सुनकर दीक्षा के साथ सभी सामान्य हो जाती है। अब पृथ्वी मुस्कुराते हुए कहता है, हमें ख़ुशी है, जो आज आप सभी ने किया। लेकिन इस तरह से आप सबका अकेले सबके बिच जाना उचित नहीं था।

अतुल कहता है,"बहादुरी अपनी जगह है लेकिन  बहादुरी जे साथ होशियारी की भी जरूरत होती है। सबको क़ो मालूम है की हमारे दुश्मन कितने है। आपकी हल्की लापरवाही बहुत भारी पड़ जाती। तूलिका कुछ कहना चाहती है। तभी अतुल. कहता है, पहले हमारी बात होने दो फिर आप सब अपनी बात कहना।

अनीश कहता है, ऑन ड्यूटी पुलिस पड़ हाथ उठाना गैर कानूनी है। चाहे वो. पुलिस वाला कितना भी क्रपट क्यों ना हो। यहाँ की बात थी तो राजस्थान ने बिना दक्ष की इज्जाजत के पता नहीं हिलता इसलिये ये मामला यही खत्म हो गया लेकिन वकील साहिबा आगे से इस बात का ध्यान रखियेगा। अगर ऐसी कोई नौबत आती है, तो सीधे कमीशनर या हम मे से किसी क़ो बता दीजिये। ताकि हम सब संभाल सके।

रौनक कहता है, वो एक छोटा क़स्बा था, कोई गाँव नहीं इसलिये आप सब के बिच कोई नहीं आया। यही अगर गाँव होता तो इस तरह किसी बाहर वाले क़ो गाँव मे पड़ने और गाँव के लोगों क़ो मारने की इज्जाजत नहीं देता है। तो अलगी बार जब ऐसी किसी परिस्थिति मे आप आये तो अपनी पहचान जरूर सबके सामने लाये।

अब दक्ष कहता है, " मुझे ख़ुशी है की हमारी प्रजा की देख भाल आप सभी से बेहतर कोई नहीं कर सकता है। आज आप सभी ने जो किया सराहनीय है।. लेकिन मुझे ये जानना है की आप सब वहाँ गयी क्यों,!!

अब आया असली मुद्दा जो दक्ष ने किया क्योंकि अब तक तो सभी खुश थी की चलो सिर्फ डांट पड़ रही है तो. कोई बात नहीं। लेकिन दक्ष के इस सवाल पड़ सभी की आँखे बड़ी हो. गयी है।

दक्ष, दीक्षा की आखों मे डाल कर कहता है, बताईये महारानी सा,!! क्यों गयी थी आप सब वहाँ।दक्ष जानता था की दीक्षा उससे झूठ नहीं बोलती है, इसलिये उसे उम्मीद थी की दीक्षा सच बताएगी।

दीक्षा, दक्ष के हाथों क़ो कमर से हटा देती है और सबके सामने खड़ी हो. जाती है।

दीक्षा कहती है, " आप सबको शायद हम गलत लगूं लेकिन हम अपनी बात बताने से पहले आप सबको बता दे की. हम आपके रोकने से भी नहीं रुकने वाले। "

दक्ष कहता है भरोसा रखिये!!हम आपको कभी नहीं रोकेंगे।

दीक्षा गहरी सांस भर्ती हुई कहती है, " जिस दिन आप सब शाम क़ो बाहर गए थे, उस समय लक्षिता बुआ जी आयी थी छोटे दादा दादी के बारे मे बात करने। तभी उन्हें मालूम चला की दोनों दादा दादी भुजंग राठौर के यहाँ पड़ है। ये सुनकर उनके चेहरे का रंग बदल गया। फिर हमारी दादी ने जबाब हमारी माता पिता के मौत और हमारी माँ का किसी राज परिवार घराने से संबंध !! उसके साथ ही लक्षिता बुआ का हमारे बारे मे मालूम करना। हमारे माता पिता की तस्वीर देख, उनके चेहरा पर डर की लकीर आना। "

ये सारी बातें हमारे मन मे शक डाल गयी की जो हादसा सालों पहले हुआ था उसके बारे कुछ तो ऐसा है जो बुआ जी क़ो मालूम है और हम उन तक सीधे पहुंचने से पहले छोटी छोटी कड़ीयों तक पहुंचना चाहते है। बस इसलिए हमने शुरुआत नरेंद्र शर्मा पापा जी के असिस्टेंट से की और इसलिये हम वहाँ गए थे।

दीक्षा अपनी बातें कह कर चुप हो जाती है।

तभी दक्ष कहता है,, ये अच्छी बात है की आप सभी उस हादसे की सच्चाई जानना चाहती है, लेकिन स्वीट्स अगर आप इसमें घुसी तो आपको अपने माता पिता और ननिहाल मे भी घुसना होगा। और अगर आप सब फिर भी इसमें घुसना चाहती है तो बाहर से पहले घर मे तालाशिये।

ये सुनकर शुभ कहती है, हम समझे नहीं, दक्ष !! दक्ष कहता है, भाभी सा अगर लक्षिता बुआ स्वीट्स के माता पिता की तस्वीरे देख डर गयी तो पहले हमारे महल के स्टोर रूम मे जा कर सालों पुरानी चीजों क़ो ढूढ़ये। शायद आपके हाथ कुछ लग जाये।

पीछे से अनीश कहता है, और ना लगे तो भी सफाई हो जाएगी इसी बहाने स्टोर रुम की। रितिका उसे खा जाने वाली नजर से घूरती है। जिसे देख वो चुप हो जाता है।

दीक्षा कहती है, ये हमने सोचा नहीं था। दक्ष कहता है, आप सब क़ो जो करना है वो कीजिये, हम मे से कोई भी उसमें दखल अंदाजी नहीं करेंगे लेकिन बशर्ते आप सब हमें बता दिया करेगी की आप सब क्या करने वाली है। अगर गलती से आप सब कही फंसती है तो. हम होंगे निकलने के लिए।

इसलिए जो भी कीजिये लेकिन वो हमारी जानकारी मे जरूर हो।

दीक्षा कहती है ठीक है, हम बता दिया करेंगे।

फिर अतुल कहता है, राज्यभिषेक से पहले जो पूजा करवानी है उसमें क्या करना है !! सोचा है किसी ने !!

दक्ष कहता है, पहले जश्न की तैयारी कर ले फिर उस बारे मे सोचेंगे। महरानी सा कल आप हमारे साथ माधवगढ़ जाएगी। ये सुनकर पृथ्वी दक्ष की तरफ देखता है तो. दक्ष मुस्कुरा देता है।

दीक्षा कहती है क्या हमारा जाना जरूरी है। तभी दक्ष उसे गोद मे उठा कर बिना मुड़े सभी क़ो कहता है, इनकी बातें कभी खत्म नहीं होगी इसलिये आप सब भी जाइये सोने। हम भी जा रहे है। शुभ रात्रि।

सभी मुस्कुरा कर अपनी वाली क़ो साथ लेकर निचे चले जाते है।

दीक्षा दक्ष क़ो घूरती है। दक्ष कहता है, स्वीट्स !! घुरिये मत अभी हमने आपको सजा दी नहीं है। अब कमरे मे आपको सजा देंगे। आज की गुस्ताखी की।दीक्षा आँखे बड़ी करके कहती है, लेकिन आपने अभी तो. कहा था की... कोई सजा नहीं।

दक्ष पैर से अपने कमरे क़ो बंद कर दीक्षा क़ो बिस्तर पर सुला देता है। दीक्षा कुछ कहती उससे पहले उसके साड़ी के पल्ले क़ो उसके ऊपर से हटा देता है और लाइट्स बंद कर, दीक्षा क़ो अपनी मोहब्बत की दुनिया मे लेकर चला जाता है।

कहीं साजिश रचने की तैयारी थी तो कहीं सुकून  था अब देखना यह था कि आने वाले वक्त में प्रजापति के जिंदगी में कब कौन सी करवट लेती है?

प्रजापति महल

सभी अपने अपने कमरे मे सोने चले जाते है।रात गहरी हो रही थी। किसी की आंखों में नींद था तो कोई  मोहब्बत की नींद में सो रहा था। खिड़की से बाहर देखता हुआ शुभम किसी गहरे नहीं सोच में था। अंकिता उसे ऐसे देख पीछे से आकर उसी लिपट जाती है। अंकिता का स्पर्श पा कर शुभम क़ि आँखे बंद हो जाती है। वो उसकी हाथों क़ो पकड़ अपनी तरफ ले आता है।

शुभम उसकी तरफ देखता है और कहता है पता नहीं है अगर यह सच हुआ कि मेरी मॉम!! गुनहगार हुई तो, मैं क्या करूंगा? अंकिता कहती है, "जिस बातों को भविष्य में हमें जानना है उसका अभी वर्तमान में छोड़ देना चाहिए। जब वक्त आएगा तो जरूर देखेंगे क़ि क्या करना? अभी हम सिर्फ अंदाजा लगा रहे हैं।शुभम कहता है," बात अंदाजे की नहीं है मुझे यकीन है कि शायद  मेरे मां-बाप इस में शामिल है । मैं क्या मुंह दिखाऊंगा दक्ष भाई को? अंकिता कहती है दक्ष भैया बहुत समझदार है वह समझेंगे। शुभम कहता है  तुम शायद ठीक कह रही हो। अंकिता उसे गले लगा कर कहती है चलो सो जाओ 2 दिन बाद जश्न है तो उसकी भी तैयारी भी करनी है । शुभम उसे गोद मे उठा कर अपने बिस्तर पड़ ले आता है और उसे बाहों मे भर कर सो जाता है।

सुबह का वक़्त।

आज का दिन सभी तैयारी कर रहे थे।सुबह में समय सारे बड़े हॉल में बैठकर। चाय पी रहे होते।

दो दिन बीत चुके थे रंजीत और कामिनी किसी के सामने नहीं आ रहे थे। राजेंद्र जी कहते है, लक्ष्य ये छोटे और उनकी बिंदनी हमारे बिच क्यों नहीं आ रहे है। उनकी बात पड़ तुलसी जी जबाब देती है,जब वो होंगे तब ना आएंगे । वो रहते कहाँ है, जो. आएंगे। आज भी सुबह सुबह निकल गए दोनों।

राजेंद्र जी कहते है, लेकिन कहाँ रानी सा!! और कहाँ वही भुजंग के पास। राजेंद्र जी, उनकी बात सुनकर चुप हो जाते है।

तुलसी कहती है लक्ष्य आपने मेहमानों क़ि लिस्ट बना लीं है ना किस-किस को न्योता देना।  लक्ष्य कहता है, जी बड़ी माँ !! तभी तुलसी जी दीक्षा से कहती है महारानी बिंदनी। दिक्षा  कहती है जी दादीसा।

तुलसी जी कहती है, " आप और दक्ष आज माधवगढ़ के लिए निकल जाओ। बाकी जगह न्योता पृथ्वी शुभ के साथ मिलकर बाक़ी बच्चे दे आवेगे।"

दीक्षा, तुलसी जी बात सुनकर थोड़ी परेशान हो जाती है। जिसे दक्ष देख लेता है और पूछता है, " क्या बात है महारानी सा!!

आप कुछ परेशान लग रही है !! दीक्षा खुद क़ो संभालती हुई कहती है, नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, कब निकलना है हमें !!

तुलसी जी कहती है जितनी जल्दी निकल जाये आप दोनों क्योंकि वहाँ पहुंचने मे आपको चार घंटे लगेंगे। दक्ष कहता है, ठीक है दादी सा !! तो हम निकलते है। वीर आप हमारे साथ चलिए।

वीर कहता है, जो हुकुम भाई सा !!

इधर दीक्षा शुभम के पास आती है और एक पेपर नोट पकड़ाती हुई कहती है। शुभम आपको हमारा एक काम करना है। शुभम कहता है, जी भाभी माँ !! कहिये!!

दीक्षा कहती है इस नोट मे जो पता है, आपको उस आदमी से मिलना है और पूछना है क़ि उस हादसे मे हुआ क्या था? जाने क़ो तो हम चले जाते लेकिन हमें माधवगढ़ जाना है। इसमें नंबर है, यही आदमी तुम्हें ले जायेगा।

शुभम कहता है, अच्छा हुआ मै जा रहा हूँ ! क्या भरोसा कोई चाल होता तो। दीक्षा उसकी बातें सुनकर कहती है, ओह्ह्ह !! ये तो मैंने सोचा नहीं। अच्छा तुम एक काम करना अकेले मत जाना अंकित क़ो साथ ले लेना। मेरी बात क़ो नजरअंदाज मत करना।

शुभम कहता है नहीं करुँगा। दीक्षा कहती है अब बहुत जल्द इस राज से पर्दा उठेगा और मै अब ये साजिश का पर्दाफास जरूर करुँगी। जरूर होगा भाभी माँ !! अब शायद अंधेरा खत्म होने वाला है। दीक्षा कहती है, देवी माँ क़ि कृपा !! चलो. चलती हूँ।

दीक्षा वहाँ से तैयार होने चली जाती है।

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इधर होटल के रूम मे जब लावण्या क़ि आँख खुलती है तो खुद क़ो अकेले पाती है। वो उदास होती हुई कहती है, जबाब भागना है हर बार तो आते क्यों हो। तब उसे टेबल पड़ एक नोट दिखती है। वो नोट उठा कर पढ़ती है।

मेरी लावण्या, मै भगोड़ा नहीं हूँ। बस तुम्हारे साथ उम्र भर रहना चाहता हूँ इसलिए कुछ समय के दूर जा रहा हूँ। लेकिन लौट कर आऊंगा। तुम बस भरोसा रखना। आई लव यू। तुम्हारा अक्षय।

लावण्या उसे पढ़ कर मुँह बनाती हुई कहती है, कमीना !! फिर खुद क़ो ठीक करके वहाँ से निकल जाती है।

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विराज रेगिस्तान मे उसी तरह रात भर सोया रहा। ना उठा ना कही गया। आँखे बंद कर उस बालू मे खुद क़ो समेटे रहा।

तभी एक लड़की उसके पास आती है और उसके मुँह पड़ पानी गिराती हुई कहती है, हैलो मिस्टर !! आर यू आल राइट,!! अपनी चेहरे पड़ यू पानी गिरता देख, विराज झट से उसकी कलाई पकड़ लेता है। हाथों मे ब्लैक मेटल क़ि चूरियां, ब्लू जीन्स, वाइट शर्ट, उस पड़ गुलाबी दुप्पटा, नाक मे नौजपिन, माथे पड़ छोटी काली बिंदी, आँखे पूरी काजल से भरी हुई, बाल पूरी तरह से बन बनाये हुए, होंठ गुलाबी पतली सी, चेहरे पर पड़ रही धुप क़ि किरणे.... उसे बेहद दिलकश बना रही थी।

विराज अपनी आँखे खोले एक तक उस लड़की क़ो देखें जा रहा था। दोनों के नजर, उस पड़ सूरज क़ि किरणे दोनों क़ो एक दूसरे के प्रति दिलकश बना रही थी।

वो लड़की कहती है, हाथ छोड़िये मुझे लगा आप बेहोश है या आपको कुछ हो गया है, इसलिये आपके ऊपर पानी मारा।

विराज उसका हाथ पकड़े हुए उठता है और उसे अपने तरफ खींचते हुए कहता है, तुम यहाँ क़ि नहीं लगती क्योंकि उसके पास कैमरा था।

वो हंसती हुई कहती है, बिल्कुल नहीं मै यही क़ि रहने वाली हूँ, यही मेरी पेदाईस हुई है। लौटी हूँ पांच साल बाद ऑस्ट्रेलिया से अपनी स्टडी पूरा करके।वो फिर मुस्कराते हुए कहती है, हाई!!मै वृंदा हूँ !!

विराज हाथ बढ़ा कर कहता है, मै विराज राठौर !! वृंदा कहती है, " नाइस टू मीट यू !! अगर आपको कही जाना है टू मै छोड़ दू।

नहीं थैंक यू !! मै चला जाऊंगा मेरी अपनी गाड़ी है।

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इधर दीक्षा जबाब तैयार होकर निचे आती है टू. सबकी नजर उस पर रुक जाती है। दीक्षा ने आज नीले रंग क़ि राजस्थानी लहंगा उस पड़, नीला रंग क़ि चुड़ी पूरी तरह से राजस्थान क़ि महरानी लग रही थी। सुमन जी कहती है, हाय नजर ना लगे हमारी दीक्षा क़ो।

सभी क़ो यू खुद क़ो घूरते देख दीक्षा कहती है, छोटी माँ !! क्या कुछ दिक्कत है।

सभी हँस देते है और तुलसी जी उसकी बलाईया उतार कहती है, नजर ना लगे मेरी महरानी सा !!वो मुस्कुरा देती है।

दक्ष जो कब से बाहर इंतजार कर रहा था दीक्षा का। आज दक्ष ने काले रंग क़ि सफारी सूट पहन रखी थी, हाथों मे घड़ी आखों मे चश्मा। बस आज दोनों कमाल लग रहे थे।

दक्ष क़ि नजर दीक्षा पड़ थी तो दीक्षा क़ि नजर दक्ष पड़ दोनों एक दूसरे क़ो निहारे जा रहे थे। पीछे से उन्हें छोड़ने आ रहे थे, पृथ्वी-शुभ, अनीश -रितिका, अतुल -तूलिका, कनक -रौनक.... उन्दोनो क़ो यू निहारते देख। एक साथ खासते है लेकिन उन्दोनो क़ो होश नहीं है।