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Heartless king

न्यूयोर्क शहर एक उँची ईमारत से, एक शख्स शीशे क़ी खिड़की के पास खड़ा  निचे आते -जाते हुए गाड़ीयों और लोगों को देख रहा होता हैँ..... उतनी ऊंचाई लोग और गड़िया उसे कीड़े माकोड़े क़ी तरह दिख रही होती हैं। वो निचे देखते हुए कुछ सोचे जा रहा था। तभी दो लोग अंदर आते हैँ, चलो हमें निकलना हैँ, काका हुजूर का बार बार फ़ोन आ रहा हैँ .... राजस्थान के लिए.... जैट तैयार हैँ......... वो शख्स, "हम्म्म " कहते हुए फिर से खिड़की क़ी तरफ देखते हुए और कहता हैं........... क्या उसके बारे कुछ मालूम हुआ, कहते हुए उसके आखों में एक दर्द उभर आया। दूसरा शख्स, "तुम आज तक नहीं भूले हो उसे..... सात साल हो गए.... कौन थी, कहाँ से आयी थी, केसी दिखती हैं,अब तक हमें मालूम नहीं हुआ,जैसे उसे जमीन खा गयी या आसमान निगल गया। जिन्दा भी हैं या मर गयी। तभी वो गुस्से में, उसका गला पकड़.... जस्ट शटअप दुबरा ये कहने की हिम्मत मत करना ये कहते हुए उसके आँखो में खून उतर आया। फिर झटके से उसे छोड़ दिया। वो खाँसते हुए अपने गले को सहलाता हैं। तभी वो मुड़ता हैँ और कहता हैँ..... उसकी पहली मुलकात के बाद यही कहूँगा क़ी उसके बगैर दिल कही लगता नहीं ज़ब तक जियूँगा उसे आखिरी सांस तक ढूढ़गा..... आगे महादेव क़ी मर्जी। तभी तीसरा शख्स छोड़ ना तू इसे जानता तो हैँ। तीनों निकल जाते हैं इंडिया के लिए.....

Dhaara_shree · perkotaan
Peringkat tidak cukup
32 Chs

ch-16

दक्ष कहता है आप और अतुल उतर की तरफ अनीश और रौनक पश्चिम की तरफ पुरब दिशा से वो सब निचे से अंदर आएंगे हम दक्षिण की तरफ जा रहे है। तब तक शुभम सभी के हथियार लेकर आ  गया। सबने अपनी अपनी दिशा संभाल लिए। शुभम दक्ष के साथ और अंकित आकाश छत की तरफ गए। सभी ने अपनी अपनी पॉजिशन संभाल ली। सभी एकदूसरे से आखों से कनेक्ट थे।

निकलने से पहले शुभम, अपनी सभी भाभियों के हाथ मे तलवार थमा देता है। जिसे देख तूलिका कहती है अगर सभी के पास बंदूक हुई तो। जिसे सुनकर रौनक कहता है, भाभी सा!! रात मे हमला वो भी प्रजापति महल मे तो बंदूक किसी के पास नही होगी क्योंकि वो चली तो पूरा इलाका हाईअलर्ट हो जायेगा। इसलिये सभी के पास सिर्फ कट्टे और तलवार होगी। अब सम्भालिये कहते हुए वो भी निकल जाता है। चारों कहती है दीक्षा निचे है चलो। शुभ कहती है चारों तरफ नजर दोड़ाती रहना। रितिका कहती है हमदोनों ने तो सलवार कुर्ती पहन रखी है लेकिन जीजी आप दोनों इस लहंगे मे कैसे लड़ेगी। कनक कहती है, "रितिका फिक्र मत करो संभाल लेगे। वैसे तुम सब के बिच कुछ हुआ या नही। शुभ कनक की बातें सुनकर कहती है, हम सब की छोड़ो, हमसब तो पुराने है लेकिन तुम्हारी बातें सुनकर लगता है कनक बाई सा बहुत कुछ हुआ है। कनक नजर झुका लेती है, शरम से। जिसे देख तुलकी कहती है,"आई -हाय मेरी कनक रानी। अब बस करो तूलिका मुझे छेड़ना। चलो बहुत देर हो गयी दीक्षा जीजी कही नही दिख रही।

इधर दीक्षा जब सबके कमरे क़ो बाहर से बंद करती है तो उसे हार्दिक मिल जाता है। वो कहता है भाभी सा आप उधर जाईये। हम बाहर की तरफ देखते है। दीक्षा उसकी बात सुनकर मुख्य हॉल तक पहुँचती है। तब तक झुमकी उसके पास आ जाती है और कहती है, रानी सा कोई चोर घुस आयो है महल मा!! नही झुमकी चोर नही कुछ नकाबपोश घुस आये है। दोनों की बातें हो ही रही थी की कुछ लोग उसके पास सामने के दरवाजे से घुस रहे होते है।अपनी साड़ी की पल्लू क़ो कमर मे बांध नजर दोड़ाने लगती है, तलवार पर। झुमकी कहती है क्या देख रही रानी सा!! झुमकी लड़ना तो है ना!! आपको आती है लड़ाई!! ये सुनकर झुमकी कहती है, हाँ रानी सा!! इमे झुमकी से कोणों ना जीत सके है। हम्म्म्म!! बेहतर। लेकिन तब तक वो लोग उन सभी क़ो घेर लेते है।झुमकी कहती है रानी सा !!! दीक्षा उसे खुद के पीछे लेती हुई कहती है, घबराइये मत

दीक्षा को घिरते देख तूलिका और रितिका की आंखें बड़ी हो जाती है। वो दोनों जोर से, और तेजी से दीक्षा की तरफ  तलवार फ़ेंकती हुई कहती है,"रानी सा सम्भालो।"ये सुनकर दीक्षा उस दोनों तलवारो क़ो पकड़ लेती है। तभी तूलिका कहती है,"  शादी की रात मुबारक हो। दीक्षा मुस्कुराते हुए कहती है और सुहागरात मुबारक हो सभी क़ो ।ये कहते हुए एक तलवार झुमकी क़ो देती हुई कहती है सम्भालिये। दोनों एक दूसरे के पीठ से लग कर घूम रही. होती है

उन चारों ज़ब उन दोनों क़ो घिरे देखती तो कनक कहती है, ये लगभग पंद्रह लोगो ने घेर रखा है। हमे चलना होगा निचे। रितिका कहती है निचे बाद मे पहुंचगे पहले यहाँ देखिये। ये सुनकर सभी की नजर कोडिडोर से आ रहे लोगों पर जाती है। सभी हाथों मे नंगी तलवार चमक रही होती है।दीक्षा तेज आवाज़ मे कहती है, तैयार!! सब एक साथ... तैयार!! आक्रमण!!

इसके साथ सीढ़ियों पर लड़ रही होती है, कनक, शुभ, रितिका और तूलिका।

हॉल मे दीक्षा और झुमकी सभी से लड़ रही होती है। ऐसे करते हुए वो चारों भी बिच हॉल मे पहुंच जाती है। आदमियों क़ो वो सभी घायल करती और मारती जा रही. होती है लेकिन आदमी कम ही नही हो रहे होते है। जिससे चिढ़ कर तूलिका कहती है, यार दीक्षा !! हाँ बोल तुली!!ये कमीने ममी की तरह नही बढ़ते जा रहे है। जिसे सुनकर रितिका कहती है। ममी वन या ममी रिटर्न्स की तरह।

तूलिका एक के सीने मे  तलवार घुसाते हुए कहती है, ममी रिटर्न्स की तरह।शुभ कहती है, दीक्षा आपको दिकत नही हो रही है साड़ी मे। कनक कहती है, नीली साड़ी लाल. होगी शुभ जीजी और आप पूछ रही है दिक्क़त। उनकी बात सुनकर रितिका एक नकाब पोश कनक के पीछे से आ रहा था उसको कनक के बगल से, सीधे उसके गले पर वार करती है और खुन के फुहारे उन्दोनो के चेहरे पर आ जाता है। जिसे कनक और रितिका पोंछती हुई कहती है। कनक सोचा नही था की वकील होकर हम भी खुन करेगी। अब तक कम से कम सौ लोगों से वो लड़ रही होती है।

तूलिका चिढ़ कर कहती है,एक नकाबपोश के गिरेवान पकड़ कर उसके मुँह पर मुक्का मारते हुए कहती है, कमीनों तेरी शादी नही हुई थी जो आज मुँह उठा कर चला आया। अरे आज के दिन तो जीने देते कहती हुई उसके सीने मे तलवार घुसा देती है। झुमकी क़ो लड़ते देख दीक्षा कहती है, क्या बात है झुमकी आप तो छा गयी। धन्यवाद रानी सा!!!

शुभ कहती है मानो या नही मानो ये शादी और सुहागरात कोई नही भूलने वाला है। ये सुनकर सभी हाँ कहती है। तभी एक तलवार दीक्षा की बाजु पर लगती है। रितिका और तूलिका चीखती है लेकिन दीक्षा कहती है, हम ठीक है। कनक कहती है, जीजी ये तो. कम ही नही हो रहे है। अरे इसलिये तो कहा मैंने ममी रिटर्न्स है।

ऊपर की तरफ से सभी लड़ते हुए पृथ्वी के साथ सभी बाहर की तरफ जा रहे होते है। तभी अनीश और शुभम कहते हैं कमीनो तुम लोगों को एक दिन भी चैन नहीं था क्या? आज शादी हुई थी कम से कम आज के दिन तो तुम लोग सुकून से हमें रहने देते आ गए हम से लड़ने के लिए और फिर वह मारने लगते हैं?

दीक्षा नीचे लड़ती हुई अनीश को कहती है कि अनीश दक्ष कहां है वह मुझे नहीं दिख रहे हैं। अनीश उसकी बात सुनकर कहता है आप चिंता मत कीजिए मैं और तुम देखते हैं शायद ऊपर ही हो यह कह? यह कहते हुए अतुल अनीश दोनों ऊपर जाते हैं तो देखते हैं कॉरीडोर में दक्ष 10 आदमियों के बीच में गिरा हुआ है और उन से लड़ रहा है इसे देख वह दोनों भी उन दोनों का साथ देते हैं।

अतुल कहता है ऐसी सुहागरात भगवान किसी को किसी दुश्मन को ना दें। दक्ष कहते हैं वह छोड़ पहले इनसे लड़ फिर बाद में सुहागरात पर रोना रोना। अनीस उन सब को मारते हुए कहते है इन सब को चैन नहीं था कि आज ही के दिन सभी पहुंच गए। अपनी बातें करते हुए, उन उन सब को मारते हुए नीचे आते हैं।

पृथ्वी शुभम अंकित आकाश यह सब बाहर आ से आ रहे लोगों को  बगीचे में  रोक रहे होते हैं ।

लोगों की संख्या कम नहीं हो पा रही। पृथ्वी चिल्लाते हुए दक्ष को कहता है तकरीबन 500 से ऊपर आदमी होंगे और अभी हमारे पास सिर्फ हम सभी हैं दक्ष संभालो। दक्ष कहता है चिंता मत कीजिए भाई सा!! हम सब पांच सौ पर भारी है।

कुछ देर में वह पूरा महल युद्ध का मैदान बन जाता है। सौम्या और अंकिता जब आने को होती है तो शुभम उन दोनों को लेकर रूम में बंद कर देता है यह कहते हुए कि नहीं तुम दोनों बाहर नहीं आए आओगी। सौम्या अंकिता आना चाहती हैं साथ में अनामिका भी आना चाहती है लेकिन उन तीनों को  सभी एक कमरे में बंद कर देते हैं। अभी हालात कुछ ऐसे थे कि एक तरफ दीक्षा शुभम। दूसरी तरफ रितिका अंकित। तीसरी तरफ। शुभ आकाश और कनक लड़ रहे होते हैं। बाहर का इलाका अनीश अतुल पृथ्वी दक्ष। संभाल रहे होते हैं।

महल में,इतना शोर सुन सभी की नींद खुल जाती है और लक्ष्य तेजी दरवाजा खोलने की कोशिश करते हैं लेकिन वह खुलता नहीं है सुमन जी चिंतित होकर कहती है बाहर बहुत शोर हो रहा है यह दरवाजा क्यों नहीं खुल रहा है। लक्ष्य कहता है जरूर हमला हुआ है हमारे महल पर और बच्चों ने हमारे कमरे के दरवाजे बंद कर दिया है ?

सभी चिंतित होकर सिर्फ तलवारों की आवाजे आ रही थे। चारों तरफ चीख पुकार मची हुई थी।इसी बिच सबकी नजर ज़ब पीछे की तरफ जाती है तो सब देखते हैं, "दीक्षा, रितिका शुभ,कनक, तूलिका  और झुमकी  सभी को कम से कम डेढ़ सौ लोगों ने घेर रखा होता है।

दक्ष तेज से कहता है, दीक्षा आप सब घबराना नही। जिसे सुनकर दीक्षा कहती आप आगे संभाइये दक्ष। हम संभाल लेगे। फिर अपनी तेज आवाज मे कहती है, तैयार!! सब एक साथ तैयार!! आक्रमण!!!!!!छः की छः अपनी तलवार क़ो तेजी से वार उन सभी पर कर रही होती है। दीक्षा एक से तलवार छीन कर दोनों हाथों से सबको परास्त कर रही होती है। अभी वो सभी खुन मे भींगी हुई चंडी सबको नजर आती है। जिसमे दीक्षा की आखों से खुन का लावा निकल रहा होता है। वो अपनी तेज आवाज़ मे कहती है। घायल नही!! सबको मार दो। ये सुनकर कर दक्ष और पृथ्वी के साथ सबकी. नजर दीक्षा पर जाती है।

ये रूप दीक्षा का सबको हैरान कर रहा था। अतुल कहता है, ये दीक्षा भाभी दोनों हाथों से ऐसे तलवार चला रही है जैसे भिंडी काट रही. हो। पृथ्वी कहता है, हमने सोचा नही था इनका ऐसा खतरनाक रूप हो सकता है।

अनीश अपनी हैरान भरी नजरों से कहता है,"भाई!! मुझे तो इन सबसे कहते हुए एक नकाबपोश क़ो मारता हुआ!! कहता है, ज्यादा भाभीसा से डर लग रहा है। उसकी बात सुनकर दक्ष दूसरे नकाबपोश के वार क़ो पीछे से संभालता हुआ उसे घूरता हुआ, "  कहता है चुप कर जाओ,'मैं भी यही सोच रहा हूं कि इसने दो हाथों से तलवार चलानी सीखी कब?

पृथ्वी दो लोगों क़ो एक साथ पीछे हटाते हुए कहता है, " कुछ भी कहो लगता है सारा युद्ध यह अकेले ही जीत जाएंगी। दक्ष कहता है मुझे भी ऐसा लग रहा है लेकिन इसके बाद उनके क्रोध की अग्नि में पता नहीं क्या-क्या जलेगा?अतुल उन्दोनो के पीछे आ रहे लोगों पर वार करते हुए कह रहा है लगता सब शिकार करने निकली है।जिसकी झुण्ड की मुखिया दीक्षा भाभी लग रही है। सबकी आँखे देखो।

कुछ देर बाद वहां का माहौल ऐसा होता है कि पूरी जमीन पर सभी  गिरे होते हैं और पूरे हॉल मे खुन की नदियां बह रही होती है।सब के सब थके हुए हाफ़ रहे होते है।  लेकिन दीक्षा का गुस्सा अभी भी शांत नहीं होता वह अभी भी ललकार ती हुई आगे देख रही होती है कि कहीं कोई आ तो नहीं रहा है। दक्ष की ऐसी हालत देखकर सीधी उसके पास आता है उसके दोनों हाथों से तलवार छीन के नीचे फेंक देता है और कहता है कि शांत हो जाओ सभी मारे जा चुके।

दीक्षा जोर से दक्ष की तरफ देखती हुई अपनी आक्रोश भरी आवाज़ मे कहती है, "  कैसे!!  शांत हो जाये दक्ष!! आज अगर जरा सी चूक हो जाती कहीं  तो आज तो पूरा खानदान मारा जाता अगर मेरी आंखें नहीं खुलती थी। इतने सारे लोग एक साथ घुस गए कैसे इस प्रजापति महल में ऐसे कैसे कोई भी घुस सकता है?

उसकी बातें अभी क्रोध में बोली गई हुई थी लेकिन सभी को यह बात सोचने पर मजबूर कर रही थी कि इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद इतने सारे लोग कैसे महल में घुस आए? कुछ देर बाद। दक्ष फोन करता है, जिसके साथ बहुत सारे लोगो उसके सामने सर झुका कर खड़े हो. जाते है, " जिन्हें देख कर कहता है, "एक घंटे के अंदर पूरा का पूरा हॉल साफ हो जाना चाहिए।

तब तक जल्दी से अंकित भी सभी बड़ो का दरवाजा खोल देते है। क्योंकि सभी बहुत तेज से दरवाजा पीट रहे होते है।दरवाजा खुलते ही,घर के सभी बड़े बाहर आ जाते हैं। सभी की नजर सब पर जाती है सभी खून से लथपथ रहते हैं सभी के चेहरे पर खून के छींटे होते हैं दीक्षा की साड़ी तो पूरी खून से लाल हो चुकी होती है बहुत जगह सबके बाजू और सर पर चोट आई रहती है।  लेकिन खून से भीगी होने के कारण किसी को पता नहीं चल रहा था कि किसको कहां चोट लगी है? उन सब की ऐसी हालत देखकर। लक्ष्य गुस्से में पृथ्वी और दक्ष को कहता है कि आप दोनों इतने बड़े नहीं हो गए है की सारे फैसले खुद ले ले!! हमारे कमरे का दरवाजा बाहर से किसने बंद किया? दक्ष कहता है बंद तो मैंने ही करवाया  क्योंकि मैं चाहता नहीं था कि अभी आप लोग इसमें शामिल हो मुझे देखना था कि क्या हम लोग यह संभाल सकते हैं या नहीं?

सुमन जी के साथ -साथ निशा जी और सुकन्या जी भी कहती है फिक्र कैसे नहीं करें!! घर के सभी बच्चे लड़ रहे थे और हम सब को बंद कर रखा था कहीं आप सबको कुछ हो जाता तो? पृथ्वी उनकी बातें सुनकर कहते हैं," माँ सा आपने बेटों को नहीं शेरों को जन्म दिया है और आपको तो इन सब चीज की आदत है।  यह अचानक हुए हमले के लिए हम सब भी तैयार नहीं थे नहीं तो हमारे सारे गार्ड हमारे साथ ही होते हमने सभी को छुट्टी दे रखी थी हमें कोई उम्मीद नहीं थी कि इस तरह की बातें आज होने की थी।

दक्ष और पृथ्वी की बातें सुनकर सभी खामोश हो जाते है।मुकुल जी कहते है, "शुक्र है की नींद की दवाई की वजह से, बाबा सा और रानी माँ अभी तक सो रहे है। नही तो ये हालत देख कर उनकी हालत क्या हो जाती।पूरा महल कुछ देर पहले खुशियों में डूबा हुआ  बसेरा लग रहा था अभी खुन से नहाया हुआ शमशान दिख रहा है। जहां तहां खून की खून बिखरे पड़े हैं लोग मरे पड़े हैं।उनकी बातें सुनकर सभी ने चारों तरफ नजरें दोड़ाई। आकाश और हार्दिक कहते है,"चाचा जी!! यहाँ क्या देख रहे है बाहर जा कर देखिये।

फिर सब का ध्यान किया तो हर किसी को चोटे आई थी। कनक के माथे पर चोट आई थी रितिका के बाजू में तूलिका के हाथ में शुभ के भी हाथों में चोट आई थी, दीक्षा क़ो सबसे ज्यादा चोट आयी थी दोनों बाजु,कमर सभी  जगह।सभी बड़ो के आगे सर झुकाये खड़ी थी। लेकिन इतनी लड़ाई के बाद दीक्षा अचनाक गिरने लगती है। वो गिरती तब तक. दक्ष उसे धाम लेता है।

तभी सब उन सबके पास आते है। तब सबकी नजर सभी के चोट पर जाती है। दक्ष दीक्षा की हालत देख कर उसकी आंखें सर्द हो गई थी वह प्यार से दीक्षा को के चेहरे को छूते हुए कहता है,"आप ठीक है रानी सा? दीक्षा मुस्कुराते हुए कहती इतनी घबराने की जरूरत नहीं है से मुबारक हो हमारी शादी की सुहागरात। यह सुनकर दक्ष मुस्कुराने लगता है …।

अनीश रितिका को पकड़कर देखता है। इस तरह रौनक, पृथ्वी और अतुल भी कनक, शुभ और तूलिका क़ो देखते है, "और पूछते है, आप सब ठीक है।

जिसे सुनकर अनीश कहता है," यह शादी  और ये सुहागरात हमारे मरने के बाद भी हमारे बच्चे अपने पोती पोते क़ो सुनाएंगे। सदियों तक जरूर याद रखी जाएगी ये रात। उसकी बातें सुनकर पृथ्वी मुस्कुराते हुए कहते हैं हां सही कह रहे हो यह दिन सभी को याद रहेगा।

पृथ्वी की बातें सुनकर सभी हां कहते हैं। तब तक सुमन जी सभी बच्चों के पास आती है और कहती है, "हम सब यहाँ देख लेगे पहले आप सभी कपड़े बदलिए। सभी चले जाते है।पृथ्वी और शुभ वाशरूम मे एक साथ आते है, तब पृथ्वी की नजर शुभ की चोट पर पड़ी जिसे देख कर पृथ्वी कहता है, हुकुम रानी सा!!दर्द हो रहा है। हमने आपको सुकून की एक रात नही दी। शुभ उसके चेहरे क़ो हाथों मे थाम कर कहती है। ऐसी बातें मत करे और जल्दी से हमारी कपड़े पहने मे मदद कीजिये। ताकि हम ज़ख्म पर मरहम पट्टी लगवा सके।

अतुल तूलिका क़ो बाहों मे लिए वाशरूम मे जाता है और पानी के आगे उसके हर हिस्से से लगी खुन क़ो साफ करता हुआ कहता है, आपको डर नही लगा। तूलिका कहती है, डर क़ो तो कुछ देर पहले ही आपकी मोहब्बत ने खत्म कर दिया। अतुल उसके माथे क़ो चुम कर कहता है, मुझे गर्व है आप पर की आप हमारी पत्नी है।

अनीश रितिका क़ो कहता है आपको दर्द हो रहा है। जिसे सुनकर रितिका कहती है, दर्द तो होगा ही वकील होकर खुनी बन बैठे। उसकी बातें सुनकर अनीश कहता है, आपको भी आदत हो गयी है, हमारी तरह हर फ़िक्र क़ो धुएँ मे उड़ाने की। सही समझे जहाँपनाह!!अब चलिए खुद के साथ साथ हमारी भी मदद कीजिये। अनीश कहता है जो हुकुम मेरी नूरजहाँ!!

कनक ज़ब रौनक के साथ कमरे मे आयी तो रौनक उसे सबसे पहले अपनी बाहों मे भर लिया। कनक उसकी घबराहट देख कर अपनी दोनों हाथ पीछे से उसके कंधो पर रखती हुई कहती है,"कुंवर जी!! हम ठीक है!! हम जानते है कनक बस हमे महसूस करने दीजिये। हम बता नही. सकते की किस कदर अंदर से हम डरे हुए थे।"कनक मुस्कुराती हुई कहती है, अभी आपकी बात सुनकर हमे आप पर प्यार आ रहा है लेकिन ज़ब तक ये खुन हमारे बदन से हट नही जाते। हम आपको प्यार नही करना चाहते। ये सुनकर रौनक कहता है तो फिर चलिए।

शुभम ज़ब कमरे मे आता है तो अंकिता उसे आखों मे आंसू लिए घूरती है। जिसे देख कर शुभम मुस्कुरा कर कहता है, आदत डाल लो आप। ये सब हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उसकी बात सुनकर अंकिता कहती है, कब तक। ज़ब तक दक्ष भाई सब कुछ खत्म नही करते है। आप यही इंतजार कीजिये हम अभी खुद क़ो साफ करके आते है। वैसे भी हमारी मोहब्बत की किश्त अभी बाक़ी है.... ये कहते हुए वो शरारत से अंकिता की तरफ देखता हुआ, वाशरूम चला जाता है।

अंकित ज़ब कमरे मे आता है तो सौम्या उससे पीछे से लिपट जाती है। अंकित उसकी घबराहट समझता हुआ। उसे बिना कुछ कहे गोद मे उठा कर अपने साथ वाशरूम ले कर चला जाता है।

दक्ष दीक्षा क़ो सबके सामने से ही गोद मे लिए अपने कमरे मे आता है। सबसे ज्यादा जख्मी वही हुई थी ये जानकर दक्ष की आत्मा कांप रही थी और वो दीक्षा से नजर नही मिला पा रहा था। दीक्षा ये समझ रही थी लेकिन चुप थी। दक्ष उसे वाशरूम मे लाकर उतारते हुए कहता है, आप फ्रेश हो जाईये। हम दूसरे वाशरूम मे जा रहे है। वो जाने लगता है तो दीक्षा उसके हाथों क़ो पकड़ती हुई कहती है, आप मुझसे नजरें क्यों चुरा रहे है दक्ष। ये कहती हुई उसके चेहरे क़ो अपनी तरफ घुमाती है। इसी दौरों टैब ऑन हो जाता है और शावर का पानी दोनों के चेहरे पर गिरने लगता है। दोनों एक दूसरे क़ो देख रहे होते है। दक्ष की आँखे रोने की वजह से लाल हुई होती है। जो पानी की वजह से नही दिखता है लेकिन दीक्षा समझ जाती है। वो झुक कर दक्ष के दोनों आखों क़ो चूमती हुई कहती है, "हम ठीक है दक्ष!!और ज़ब तेजधार चाकू के इस्तेमाल मे, सब्जियाँ काटती हुई ऊँगलीयाँ कट जाती है ;यह तो जंग थी। इसमें ये घाव तो लगेंगे ही। और आप भूल रहे है, हम दक्ष प्रजापति की पत्नी है ;जो इतनी कमजोर नही। आप तो हमे कमजोर कर रहे है।"

उसकी बातें सुनकर दक्ष उसे गले से लगाते हुए अपनी अधीर आवाज़ मे कहता है, हम आपकी रक्षा नही कर सके स्वीट्स !! ऐसी बात करके आप हमे दुखी कर रहे है दक्ष। आप चाहते है की आगे से हम आपके साथ कदम से कदम मिलाये तो खुद क़ो दोष मत दीजिये। ये हुनर तो आपने मुझे सिखाया ही इसलिए था ना की हम ज़ब भी ऐसी मुश्किल मे पड़े तो रक्षा कर सके खुद की। दक्ष हाँ मे सर हिलता है। फिर उससे अलग होकर उसके माथे क़ो चूमते हुए कहता है। चलिए जल्दी से फ्रेश हो जाये ताकि आपका इलाज हो सके। दोनों मुस्कुरा देते है और एक दूसरे के होठों पर अपने होठों क़ो रख कर एक प्यार भरी किश करने लगते है।

ज़ब सभी निचे आते है तो सबकी पट्टियां करना अंकिता सौम्या और अनामिका शुरु कर देती है।

सुबह के 6:00 बज रहे थे।

सभी अभी हॉल में बैठे हुए थे और अनीश मुंह बनाते हुए कहता है, "यह सही है रात की 3:00 बजे सोने जाये और 3:00 बजे ये साले लकरब्घघे की पैदाइश ना जाने कहाँ से आ जाए और हमारी नींद को खा जाए। और अभी हम बैठकर उन कमीनों की कहानियाँ सुनाये। सालों ने कोई कसर नही छोड़ी हम सब क़ो मारने के लिए। आते तो ऐसे रहे थे। फिर सबकी तरफ देख कर कहता है, सटीक शब्द नही मिल रहे है, बताओं तो जरा। तभी तूलिका कहती है,"ममी रिटर्न्स "की तरह। ये सुनकर अनीश कहता है, हाँ!!आ तो ऐसे रहे थे जैसे स्कार्पियन किंग के इशारे पर हमारे घर पहुंच गए। बातों बातों में उसके मुँह से ये बात सुनकर दक्ष कहता है। यानी आज जो हमला हुआ, वो कोई गिरोह नही था बल्कि एक स्कार्पियन किंग के इशारे पर हुआ था। सभी उसकी बात पर गौर करने लगते है।

अनामिका, सौम्या सबके लिए चाय और कॉफी उनके उनके टेस्ट के हिसाब से सामने लाकर रखती हुई कहती है," गरमा गरम अपनी बहनो की हाथों की चाय -कॉफी पीजिये जिससे आप सब की थकान दूर हो जाएगी।

तब तक तुलसी जी और राजेंद्र जी को सभी आराम से बाहर ले आते हैं। तुलसी जी नजर जब सभी पोते और पोते बहुओं पर जाती है तो किसी के हाथ -किसी के पैर  और भी कई जगह कटे - चोट लगे हुए कई ज़ख्म देखती हुई कहती है, "लीजिये राजा साहब !! हमारे घर की लक्ष्मीयों ने अपनी मुँह दिखाई की रस्म अदा कर ली। आशीर्वाद तो इन सभी क़ो स्वं मातारानी और महादेव का प्राप्त है। दोनों ही सब कुछ देख कर समझ चुके थे की कुछ देर पहले क्या हुआ होगा।समझे भी क्यों ना पूरी उम्र तो. उन्होंने इन्ही सब कई बिच बितायी है।

अब बताइए राजा साहब की क्या दे रहे हैं आप अपनी बहुओं को मुंह दिखाई में?

राजेंद्र जी जब अपने घर के बच्चों की ऐसी हालत देखते हैं। सभी के सर पर हाथ पर जहां- तहाँ चोटे आई थी। वहां -वहां पटिया लगी हुई देख," वह दुखी होते हैं और  अपने हाथ जोड़कर नई नवेली सभी दुल्हनों के आगे खड़े हो जाते है। सभी उनके पास आकर उसके हाथों क़ो पकड़ लेती है। लेकिन राजेंद्र जी अपने सर को झुकाये कहते हैं, " हमें बहुत दुख है कि हम हमारी नई -नवेली बिन्दनियों क़ो, सामान्य और सुंदर सुबह नहीं दे पाए। हमारे ना जाने किन कर्मों का फल है कि कल की रात और आज की सुबह,आप सभी के जीवन में खुशियों की जगह पर यह दर्द से भरी रात और सुबह आप सभी क़ो मिली।

हमें माफ कर दीजिए,' हम आप सभी की सुरक्षा करने में चूक गए। अब हम कमजोर हो गए हैं यह हमें मालूम चल रहा है? राजेंद्र जी की दुख भरी बातें सुनकर पृथ्वी और दक्ष उठकर उनके पास आते हैं और उनके जुड़े हुए हाथों को पकड़कर कहते हैं आपको माफी मांगने का कोई हक नहीं है दादा सा!! उन दोनों की बातें सुनकर दीक्षा उनको पकड़ कर बिठाती है और सभी उनके कदमों के पास बैठ जाती है। फिर दीक्षा कहती है, " दादा सा!!! ये किसने कहा की आप चूक गए और हमारी रात दर्द भरी रही है। हमारा इतिहास गवाह है की क्षत्रिनियां जन्म ही लेती है..... कर्तव्य निर्वाह के लिए। आज जो भी हुआ वही हमारी परीक्षा थी और हमारा रस्म भी। अगर हमे सामान्य जीवन ही चाहिए होता तो हम राजा के घर की बहुएँ नही बनती।

इसलिये दादा सा!! यह हमारा कर्तव्य है।  यह हमारा घर है,चाहे हम महल में रहे या झोपड़े में, अगर कोई हमारे घर में घुसेगा तो हम वही करेंगे जो आज किया है।

हमें निपटना पड़ेगा ही हमारे हर दुश्मनो से, जिंदगी कभी किसी की आसान नहीं रही है हर किसी की जिंदगी में संघर्ष है, और अपनी अपनी तरह के संघर्ष है। हमारी जिंदगी में यही संघर्ष है और हम इससे निपटगे इसलिये आप माफ़ी मत मांगे ।

सभी दीक्षा की बात सुनकर मुस्कुरा रहे होते है। दक्ष तो बस उसे निहारे जा रहा था।

राजेंद्र जी दीक्षा की इतनी बड़ी बातें सुनकर मुस्कुराते हुए उनके सर पर हाथ रखते हैं और कहते हैं, " हमें मालूम नहीं था कि हमारे दक्ष की पसंद इतनी समझदार होगी। हम कायल हो गए आपकी बातों को कितनी सौम्यता देख कर और जिस तरीके से आप हमे समझा रही थी। रानी सा देख रही हमारी नई पीढ़ियों क़ो।तुलसी कहती है, जी राजा सा !! एक से एक नगीना इस बार हमारे पोते चुन कर लाये है और जिसे एक माला में पिरोने का हुनर सभी के पास है। ये सुनकर सुमन जी कहती है, "जी बड़ी माँ सा!!इस बार बहुत मजबूत डौर बंधी है।

सुनकर दीक्षा मुस्कुराती हुई कहती है चलिए अब हम सब एक साथ चाय पीते है। मुकुल जी कहते है, बाबा सा!! कुछ भी कहिये आज की सुबह बहुत खुशग्वार है।  मुकुल जी चाय पीते हुए कहते हैं कि भाई लक्ष्य यह बात याद रहेगी कि बेटी बहू की शादी की रात जगह पर महाभारत की रात हमें देखने को मिली। मुकुल जी की बातें सुनकर लोग कहते हैं कि यह सब तो ठीक है मुकुल लेकिन सोचने की बात यह है कि," माँ सा और बाबा सा अभी तक घर नहीं लौटे हैं।

तभी अनंत जी कहते है कही ये सब  जयचंद की तो हरकत नहीं  है। जिसे सुनकर पृथ्वी कहता है, "नही!! ये हरकत उसकी नही है। तो फिर किसने यह किया होगा लक्ष्य कहते है। फिर कहते है," हमारे महल की सुरक्षा बहुत मजबूत है और इस सुरक्षा में सेंध जिसने भी लगाई है वह कहीं ना कहीं या तो हमारी टक्कर का है या हमसे कहीं ज्यादा ऊपर है? लक्ष्य की बातें सुनकर दक्ष बहुत खामोशी से थोड़ी देर चुप रहने के बाद कहता है, "काका सा!! आप फिक्र क्यों कर रहे हैं चाहे जो हो! हमारे टक्कर का हो या हमारे ऊपर का हम तैयार इसलिए नहीं थे क्योंकि हमने सोचा नहीं था कि आज के दिन को भी कोई इस्तेमाल कर लेगा

लेकिन बेटा दक्ष गिरे हुए लोगों की सोच और उसकी नियत का हम कुछ अंदाजा नहीं लगा सकते ये कहते हुए चेतन जी चिंतित होते है।मुकुल जी और लक्ष्य जी चेतन जी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहते है, क्यों फ़िक्र करते हो!!हमारे बच्चे किसी से कम नही है। ये सुनकर वो भी मुस्कुरा देते है।

दक्ष कहता है जब आपको भरोसा है तो निश्चिंत होकर रहें बाकी सब कुछ हम देख लेगे।

उन सब के बिच सुमन जी निशा जी के कानों में कुछ कहती है और निशा जी सुकन्या और अर्चना जी के कानों में कुछ कहती है। सारी औरतों की खूसूर फुसूर देख कर मुकुल जी कहते है, बहुओं क़ो चोट लगी है आप सभी क़ो नही। तो नाश्ते का प्रबंध करेगी क्योंकि झुमकी क़ो भी चोट लगी है और वो आराम कर रही है। मुकुल जी की बातें सुनकर निशा जी अपनी नजर टेढ़ी करती हुई कहती है," ये मत समझिये की माँ और बाबा सा के साथ है तो आपकी जुबान कैंची की तरह चलेगी और मैं कुछ नही बोलुँगी। आप भूल रहे है की प्रजापति खानदान भले ही बेटों का है लेकिन राज सिर्फ बहुयें करती है।

उनकी बात सुनकर राजेंद्र जी हँसते हुए कहते है बिल्कुल. ठीक कहाँ आपने निशा बिंदनी।मुकुल जी मुँह बना कर कहते है की हमने क्या गलत कहा बाबा सा!!! जिसे सुनकर तुलसी जी कहती है, ना जाने कब अक्ल आएगी इसे बाप हो गया है और अब पोती पोते भी होंगे लेकिन दिमाग़ देखो लगता है, घोड़ो क़ो बेच आया है। अरे बुद्धू तुमने सभी बिन्दनियों क़ो बातूनी कहाँ घुमा कर। लेकिन माँ सा !! अब भूख लगी है और  इनको बातें करनी है तो क्या कहुँ।

ये सुनकर अर्चना जी और सुकन्या जी वहाँ से उठ कर रसोई घर में चली जाती है।

सुमन जी और निशा भी उठती हुई, सभी नई नवेली बिन्दीनियों से कहती हैं, " रात की थकान  तुम लोगों की उतरी नहीं होगी। चलो उठो। सभी उनकी बात सुनकर उठ जाती है। निशा जी सौम्या, अंकिता और अनामिका से कहती है तुम सब हमारे साथ रसोई में हाथ बटाओ। जिसे सुनकर अंकिता कहती है लेकिन मॉम हम भी जाग रहे थे। जिसे सुनकर निशा जी कहती है, कुड़ीयों जाग कर क्या आसमान के तारे गिन रही थी। चलो सब। सुबह तीन बजे ये महाभारत शुरू हुई थी उससे पहले तुम सब सोई होगी ना। तीनों मुँह बना कर उनके पीछे चली जाती है।

सुमन जी सभी बिन्दनियों के चेहरे को देख कर मुस्कुराती हुई कहती है, " सारी रस्में तो   हम बाद में करेंगे और धीरे से झुककर दीक्षा और शुभ के कानों में कहती है। जाइए पहले ठीक से कपड़े पहन लीजिए नहीं तो आपकी प्यार की निशानी सभी को नजर आएगी अभी तो सभी सोच रहे हैं चोट लग गई है लेकिन यह हमारी पारखी नजर है यह चोट नहीं आप की निशानियां हैं यह सुनकर सभी बहुएं अपने सर झुका लेती है और वह सर झुका के सीधे ऊपर जाने लगती है उन सब को ऊपर जाता देख तुलसी जी पूछती है ऐसा कौन सा मंत्र आपने दिया कि सारी बच्चीयाँ ऊपर चली गयी ?सुमन जी उनके कानों में कुछ कहती है।धत!!बेशर्म तुलसी जी शर्माती हुई कहती है।

सुमन जी मुस्कुराते हुए चली जाती है।

लक्ष्य दक्ष सब क़ो देखते हुए कहता है, आप सब भी कुछ देर आराम कर लीजिये। ये सुनकर वो सब भी अपने अपने कमरे में चले जाते है।

उन सबके जाते ही लक्ष्य का चेहरा गंभीर हो जाता है और वो राजेद्र जी से कहता है... हमे आप सभी से जरूरी बात करनी है तो स्टडी रूम में चलिए। उसकी बातों की गंभीरता देखते हुए सभी उसके साथ चले जाते है।

सुमन जी की बातें सुनकर धीरे-धीरे सभी बच्चे अपने अपने कमरे में चले जाते हैं सभी। कुछ पल ही बीता था सभी को सुकून से अपने कमरों में गए हुए की नीचे दरवाना कर बोलने लगता है कि मालिकन रानी माँ दरवाजे पर कुछ लोग बहुत हल्ला करके कह रहे हैं, " हमें अंदर आने दो हम बड़ी  बिंदनी के परिवार वाले हैं। और साथ ही साथ और भी उनके परिवार के लोग आ रखे हैं कुछ वकील है कुछ पुलिस है।"