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A Train Journey

ये कहानी हमारी आत्मकथा है। और हां इसके सभी पात्र और घटनाएं हमसे जुड़े हैं। ओर ये अनुभव हमने खुद ने किया था।

तो बात आज से लगभग 5 साल पहले की है मैं पढ़ने के लिए बाहर सीकर शहर में रहता था और उस समय मेरी बीएससी फर्स्ट ईयर की पढ़ाई चल रही थी। मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया ही था घर से लगभग 400किलोमीटर दूर मैं एक हॉस्टल में रहता था। हॉस्टल बिल्कुल घर जैसा था

हॉस्टल में जाने से पहले मैंने घर पर सोचा कि 2 महीने की छुट्टी है। और बारहवीं के एग्जाम भी हो चुके थे। सोचा इन 2 महीनों की छुट्टी में क्या करें। तो मैने सोचा क्यों ना RSCIT कंप्यूटर कोर्स ही कर लिया जाए। इसलिए मेंने कंप्यूटर कोर्स करना ठीक समझा। मगर एडमिशन लेने के बाद लगभग तीन महीने बाद उसकी परीक्षा का आयोजन किया जाता है।

तो फ़िर क्या बस हमने फॉर्म भर दिया और तयारी करने लगे। तयारी के नाम पर बस मस्ती करता। में एक महीने कंप्यूटर चलाना सीखने गया भी था। वैसे वहां पर एक चीज बड़ी अजीब थी। मैं जाता था तो उस क्लास में मुझे बहुत शर्म आती थी। क्योंकि उस क्लास में लगभग पन्द्रह लोग थे और पंद्रह में से सिर्फ एक अकेला में लड़का और बाकी सारी लड़कियां भी। जिनमें से एक मेरी बहन भी थी। मगर ये सब ऐसी थी जिनको वह टीचर आता समझा कर चला जाता और उनको कुछ भी समझ नहीं आता।

और इधर में। जो,,,भी टीचर बता कर जाता। और जब वह वापस आता उससे पहले ही मैं। जितना वह बता कर गया था उससे दुगना सीख लेता। इसीलिए वह मेरी तरफ तो देख कर वह हंसता रहता था। और जब वह लड़कियों को सिखाता तो वह सवाल उनसे पूछ लेता मगर मेरे से नहीं पूछता। क्योंकि मैं कंप्यूटर को चलाने में बहुत तेज था। शुरुआत से ही मेरी रुचि इसमें बहुत ज्यादा रही थी इसीलिए मुझे ये सब आसान लगता था।

फिर क्या था ऐसे ही धीरे-धीरे एक महीना निकल गया। मगर कोचिंग अभी पूरी नहीं हुई थी। उसमें तो अभी लगभग 2 महीने का टाइम बाकी था। और मुझे वापस अपने हॉस्टल जाना था। इसीलिए मैंने कोचिंग को बीच में छोड़कर हॉस्टल जाना ठीक समझा। मैं हॉस्टल चला गया था। और मैंने इस कंप्यूटर कोचिंग के ऊपर ध्यान देना छोड़ दिया। मैंने बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। कि मुझे कंप्यूटर के बारे में कुछ सीखना भी है।

मैं बस अपनी पढ़ाई के लिए कॉलेज जाता और कॉलेज से लौटकर आ जाता और पढ़ने में इतना ध्यान नहीं देता वैसे पढ़ने में मैं बहुत तेज था। मगर बस पढ़ता ही नहीं था। इसी वजह से मेरे हर बार नंबर कम आते और जो परफॉर्मेंस में अपनी दिखा सकता था। उस से मैं हर बार चूक जाता। बस किसकी वजह से अपनी लापरवाही की वजह से।

मुझे सब कहते थे कि तुम अच्छा कर सकते हो। मगर तुम करते नहीं हो। क्योंकि तुम खेलने और फालतू की चीजों में ज्यादा ध्यान देते हो। मुझे शुरुआत से ही शौक था फोन और इलेक्ट्रॉनिक चीजों में लगने का। इसीलिए मुझे जब भी फोन मिलता मैं उसमें गेम खेलने लग जाता। फोन की अंदर सेटिंग्स तक जाना उसकी हर एक सैटिंग,,, पार्ट पुर्जे को खोलना मुझे बहुत पसंद था।

इसलिए में बस फोन में ही लगा रहता। और पढ़ने में बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता। अभी तीन महीने का समय होने वाला था। इतने में ही मेरे रे पास पापा का फोन आया। और वह मुझे बता रहे थे कि कल तुझे घर पर आना है। तेरा कंप्यूटर का एग्जाम आ गया है।