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अभिमन्यु की पत्नी

एक ही होटल में एक ही दिन में दो लाशों का मिलना उस जगह के लिए बहुत बड़ी बात थी इसलिए अभी भी होटल के बाहर काफी रिपोर्टर खड़े हुए थे। होटल के अंदर अभिमन्यु रूम नंबर 1270 के पास खड़े होकर दोनों लाशों को कंपेयर कर ही रहा था कि वापस उसके घर से फोन आया।

" बेटा प्लीज जल्दी से आओ। यह तनाया जोर जोर से चिल्ला रही है।"

अभिमन्यु परेशान होते हुए कहने लगा।

" ओके मॉम बस 10 मिनट।"

" लेकिन बेटा.."

पूरी बात सुनने के पहले ही अभिमन्यु ने फोन कट कर दिया था। अभिमन्यु ने मिस थापा की तरफ देखा और कहा।

" क्या तुम इस सूटकेस वाली लाश का पूरा मुआयना कर लोगी? मेरा इस वक्त घर जाना जरूरी है।"

" नो प्रॉब्लम सर।"

मिस थापा का जवाब सुनने के पहले ही अभिमानी वहां से निकल चुका था। घर जाने के पहले अभिमन्यु बेसमेंट में गया जहां पर देवेंद्र सब कुछ संभाल रहा था। बेसमेंट में जाते ही अभिमन्यु ने देवेंद्र को आवाज देते हुए कहा।

" रूम नंबर 1270 का काम मिस थापा देख रही है तो प्लीज जरा यहां का तुम देख लो मैं बस 1 घंटे में वापस आता हूं।"

" कोई बात नहीं सर मैं यहां का देख लूंगा।"

अभिमन्यु ने अपनी गर्दन हिलाई और वहां से चला गया।होटल के बाहर अभी भी काफी रिपोर्टर खड़े थे जो अभिमन्यु के बाहर निकलते ही उनके आसपास मंडराने लगे।

" इंस्पेक्टर अभिमन्यु आपको क्यों लगता है कि एक साथ दो लाशों का मिलना, क्या कोई सीरियल किलर घूम रहा है?"

" सर क्या यह होटल को बदनाम करने की कोई साजिश तो नहीं है?"

हैरी पॉटर सवाल पूछने लगे लेकिन अभिमानी का सर पहले ही बहुत दर्द कर रहा था और वह इस झंझट में पढ़ना नहीं चाहता था। बिना कोई जवाब दिए सिर्फ हाथों का इशारा करते हुए वहां से निकल गया।

जैसे ही वह चिप में जाकर बैठा वहां पर मौजूद हवलदार ने जीप को फटाफट वहां से निकाल लिया। अभिमन्यु ने अपनी आंखें बंद की और अपना सर सीट पर टिकाते हुए कहने लगा।

" घर जाने के पहले एक चाय की दुकान के पास रोक देना। इस वक्त मुझे चाय की बहुत ज्यादा जरूरत है।"

" ओके सर।"

कहते हुए वह लोग कुछ ही देर में एक चाय की दुकान के पास आकर रुक गए। हवलदार जल्दी से नीचे उतरा और एक अपने लिए और एक अभिमन्यु के लिए दो चाय बनाने के लिए कहने लगा। हवलदार का ध्यान चाय की दुकान पर लगे हुए टीवी की तरफ है जहां पर होटल हनीमून के बारे में ही बताया जा रहा था।

" होटल हनीमून में मिली दो लाश। इख्लास तू टूरिस्ट की है तो क्या यह कोई सोची समझी साजिश है या फिर आने वाली मौतों का दौर? क्यों पुलिस सॉल्व कर पाएगी इस केस को? या होगी पूरी तरह से नाकाम?"

" सर चाय।"

हवलदार ने चाय वाले के पास से दो चाहिए और जल्दी से अभिमन्यु के पास पहुंच गया और उनको आवाज देते हुए चाय दे दी।अभी मैं नहीं हूं किसी दुकान से कुछ दूरी पर ही थी जहां पर हल्की-हल्की टीवी की आवाज सुनाई दे रही थी। टीवी की तरफ इशारा करते हुए अभिमन्यु ने पूछा।

" क्या बताया जा रहा है हमारे बारे में?"

" सर ये रिपोर्टर नियुक्ति फिर से पुलिस वालों की धज्जियां उड़ा रही है।"

हवलदार ने एक ही झटके में जवाब दिया। अभिमन्यु ने एक गहरी मुस्कान के साथ कहा।

" उनका तो काम ही वहीं है।"

कहते हुए उसने अपनी चाय पीनी चालू रखी। चाय के दुकान पर बैठे हुए लोग आपस में बात कर रहे थे जो उड़ते हुए अभिमन्यु के कान तक पहुंची।

" मुझे लगता है नियुक्ति सही कह रही है जितना बड़ा कैसे की पुलिस सुलझा ही नहीं सकती।"

" एक साथ दो दो मर्डर करने वाला कातिल खुला घूम रहा है पता नहीं पुलिस उन्हें ढूंढ पाएंगी या नहीं?

" हे ईश्वर! मुझे तो डर लग रहा है कि कहीं इसके बाद हमारा नंबर ना लग जाए।"

अभिमन्यु चाय पीते हुए इतनी सारी बातें सुन रहा था। लेकिन इस वक्त उसे इन सब चीजों में बीच में कूदने का मन नहीं था। उसने चाय का खाली कप हवलदार को देते हुए कहने लगा।

" चलो जल्दी मुझे घर पर जाना है।"

हवलदार ने जल्दी से जीप स्टार्ट की और अभिमन्यु के घर के तरफ मोड ली। कुछ ही देर में वह लोग एक सुंदर घर के पास आकर रुक गए थे। घर के बाहर एक छोटा सा किचन गार्डन बना हुआ था जिसमें अलग-अलग तरह की सब्जियां लगी हुई थी।

घर के दूसरी तरफ एक छोटा सा फूलों का गार्डन था जिसमें सुंदर-सुंदर फूल थे। बीच में से एक छोटा सा रास्ता घर की तरफ जा रहा था।जैसे ही अभिमन्यु अंदर गया हवलदार जीप लेकर वहां से चला गया। अभिमन्यु तेज कदमों के साथ घर के दरवाजे तक पहुंच गया।

"  अभि क्यों नहीं आए?‌ मैं उनके बगैर खाना नहीं खाऊंगी।"

घर के अंदर से आवाज बाहर दरवाजे तक आ रही थी। अभिमन्यु ने एक लंबी सांस ली और फिर घर की डोर बेल बजाई। डोरबेल बजते ही उसके कानों में किसी के तेज कदमों की आवाज आने लगी। आवाज से ये साफ पता लग रहा था कि कोई भागते हुए दरवाजे के पास आ रहा है।

दरवाजा खुलते ही सामने एक 20 साल की लड़की खड़ी थी जिसने फ्रॉक पहना हुआ था। पिंक कलर का फ्रॉक उसके घुटने के नीचे तक का था और उसने दो पोनीटेल लगाई हुई थी। उसने अभिमन्यु को गले से लगाया और कहने लगी।

" अभि आप आए क्यों नहीं आपको पता है मैंने अभी तक डिनर भी नहीं किया है।"

तभी पीछे से एक 50 साल की औरत आई और कहने लगी।

" हां हां इसने डिनर नहीं किया है लेकिन मैगी, बिस्किट, टोस और भी पता नहीं क्या-क्या खा कर बैठी हुई है।"

उस विशाल की लड़की ने अपना चेहरा उस 50 साल की औरत की तरफ किया और मुंह फुला कर कहने लगी।

" तू सब खाना थोड़ी यह सब तो नाश्ता है।मैंने कहा मैंने डिनर नहीं किया है मैंने ऐसा थोड़ी कहा कि मैंने स्नैक्स नहीं खाए हैं।"

उस लड़की की बात पर हंसते हुए अभिमन्यु ने कहा।

" अच्छा बाबा आई एम वेरी वेरी सॉरी।आज मेरी वजह से मेरी तनु ने सवेरे से डिनर तक नहीं किया है। चलो आज मैं तुम्हें अपने हाथों से खिलाता हूं। अब तो खुश हो ना?"

सामने खड़ी हुई वह लड़की और कोई नहीं तनाया थी। उसने चेहरे पर स्माइल आते हुए अपनी गर्दन हिला कर हां कहा। और फिर उसने अभिमन्यु का हाथ पकड़ा और घर के अंदर खींचते हुए कहने लगी।

" चलो जल्दी से मुझे खाना खिलाओ।"

अभिमन्यु ने उसको रोक कर और फिर अपने कपड़े की तरफ इशारा करते हुए कहा।

" देखो मैं अभी बाहर से आया हूं ना तो मेरे कपड़े भी खराब है। पहले मुझे जाकर फ्रेश हो जाने दो तब तक तुम भी काम करो.. हां तुम चॉकलेट खाओ जो हमने कल फ्रीज में रखी थी।"

तनाया ने गर्दन हिला कर हां कहा और फ्रिज की तरफ चली गई। अभिमन्यु अपने कमरे में चला गया। जो 50 साल की औरत वहां खड़ी थी वह कोई और नहीं अभिमन्यु की मां थी।वह वहीं से सब कुछ देख रही थी और जैसे ही अभिमन्यु अपने कमरे में गया वह उसके पीछे पीछे चली गई।

अभिमन्यु अपने कमरे में जाकर पलंग में बैठकर लंबी सांस ले ही रहा था कि उसकी मां ने अंदर आते हुए कहा।

" बेटा आखिर कब तक चलेगा यह? मानती हूं कि यह लड़की तेरी बीवी है लेकिन यह भी समझ के एक्सीडेंट हुआ उसका मानसिक संतुलन खराब हो गया था और वह अपने आप को छोटी सी बच्ची समझ रही है। वह अपने आप को नहीं पहचान रही लेकिन तू तो पहचान रहा है ना। क्यों उसके पीछे अपनी जिंदगी खराब कर रहा है तो शादी कर अपनी जिंदगी आगे बढ़ा।"

अपनी मां की बात सुनकर अभिमन्यु अपनी जगह से खड़ा हुआ और कहने लगा।

" मां कैसी बातें कर रही हो तुम अगर उसकी जगह में मैं होता तो अपनी बहू को भी यही कहती? नहीं ना।उस वक्त आप यह कहते कि अपने पति की सेवा कर एक ना एक दिन वह ठीक हो ही जाएगा।अगर हमारे हनीमून के वक्त जब हमारी एक्सीडेंट हो गया था तब अगर तनाया ने मुझे धक्का देकर नहीं बचाया होता तो उसकी जगह पर मैं होता।"

और कुछ कहना नहीं चाहता था जल्दी से वह बाथरूम के अंदर चला गया क्योंकि जल्दी करके उसे तनाया को खाना भी खिलाना था। आखिर ऐसा क्या हुआ था उसकी जिंदगी में जो उसकी पत्नी की ये हालत हो गई? क्या हनीमून होटल डबल मर्डर केस को वो सुलझा पाएगा या नहीं?