भास्कर के दिमाग में हलचल मची हुई थी। "शायद टाइम ट्रेवल की वजह से तूने यादाश खो दी है," मुकुल ने गंभीरता से कहा।
"क्या? मेरी मेमोरी लॉस हो गई है?" भास्कर ने घबराते हुए पूछा। उसकी आंखों में बेचैनी साफ झलक रही थी। "मुकुल, तुम्हारी वजह से मेरा यह हाल हो गया है।"
मुकुल ने उसे शांत करने की कोशिश करते हुए कहा, "भास्कर, शांत हो जाओ। हो सकता है कि टाइम ट्रेवल के कारण तुम्हें कुछ मिनटों तक कुछ भी याद ना रहे। लेकिन अगर तुम अपने दोस्तों से या फिर परिवार वालों से मिलोगे, उनसे बात करोगे, तो शायद तुम्हें सब कुछ याद आ जाएगा।"
भास्कर ने चेहरे पर हल्की मुस्कान लाते हुए पूछा, "सच में?"
मुकुल ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा, "शायद।"
भास्कर का गुस्सा भड़क उठा। "शायद? तुम्हारा क्या मतलब है? मुकुल, तुम्हें यह भी नहीं पता कि मुझे याद आएगा या नहीं?"
"तो फिर हम कुछ मिनट इंतजार करते हैं," मुकुल ने समझाते हुए कहा। "कुछ मिनटों के बाद तुम्हें धीरे-धीरे सब कुछ याद आ जाएगा, ठीक है भास्कर?"
भास्कर ने गहरी सांस ली और कहा, "ठीक है। मैं रुकता हूँ। लेकिन अगर मुझे कुछ भी याद नहीं आया, तो मुझे 2012 में वापस भेज देना।"
मुकुल ने हैरानी से पूछा, "क्या? 2012 में? तुझे 2012 में क्यों जाना है?"
भास्कर ने जवाब दिया, "मैं वहीं से आया हूं।"
"तुम वहाँ से आए हो? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा," मुकुल ने भौंचक्का होकर कहा।
जैसे ही वह कुछ और कहने वाला था, भास्कर के मोबाइल की घंटी बजी। उसे यह भी याद नहीं था कि उसके पास मोबाइल है। उसने सोचा कि मुकुल का फोन बज रहा है, इसलिए उसने अपना मोबाइल नहीं उठाया। यह देखकर मुकुल ने कहा, "भास्कर, अपना फोन उठाओ।"
"क्या मेरे पास मोबाइल है?" भास्कर ने हैरानी से अपनी जेब से मोबाइल निकाला। उसकी जेब में आईफोन था। यह देखकर उसने कहा, "माँ कसम! मेरे पास आईफोन है।"
भास्कर को कुछ भी याद नहीं था। यह देखकर मुकुल परेशान हो गया। उसने भास्कर को एक-एक बात बताना शुरू कर दिया, "भास्कर, अब तुम कंपनी के सीईओ हो।"
"क्या सच में मैं सीईओ बन गया?" भास्कर ने अविश्वास से पूछा।
"हाँ भास्कर, तुम्हारी शादी सैली से हुई है। मैं तुम्हें सब कुछ बताऊंगा, लेकिन पहले तुम फोन उठाओ।"
भास्कर ने तेजी से फोन उठाया, "हैलो…. सैली मेरी कौनसी मीटिंग है?... नहीं" मुकुल ने इशारे से समझाया। भास्कर ने तुरंत कहा, "हैलो सैली, मैं मीटिंग में हूं।….. हां, मीटिंग चल रही है। मैं जल्दी आ जाता हूँ लेकिन मैं कहाँ आ जाऊँ.....? होटल का नाम क्या है...? कमरा नंबर...? हाँ, याद है। लेकिन तुम मुझे प्लीज बताओ, रूम नंबर क्या है? ठीक है। मैं आऊंगा।"
उसने फोन रख दिया और मुकुल की तरफ देखा। "किसका फ़ोन था?"
"सैली का। बताओ, मेरी बीवी कैसी दिखती है?" भास्कर ने उत्सुकता से पूछा।
"तुम्हारे फोन में उसकी फोटो होगी। उसकी फोटो देखो।"
भास्कर ने मोबाइल में सैली की फोटो देखी और उसे देखते हुए पास की चेयर पर बैठ गया। "सैली तो कमाल की सुंदर हो गई है।" उसने खुद से बात करते हुए कहा, "अगर सैली को पता चल गया कि मेरी यादाश चली गई है, तो वह मुझे छोड़कर चली जाएगी।"
भास्कर ने मुकुल की ओर घूरकर देखा। "मुझे सब कुछ याद आ जाएगा ना?"
"हां, तुम्हारी यादाश वापस आ जाएगी। तुम अपनी पत्नी के साथ कुछ समय बिताओ, अपने माता-पिता से बात करो। तुम्हें सब कुछ याद आ जाएगा," मुकुल ने आत्मविश्वास से भास्कर को समझाया।
भास्कर की चिंता फिर भी कम नहीं हुई। उसने गहरी सांस लेते हुए पूछा, "लेकिन मुकुल, अगर मेरी यादाश वापस नहीं आई तो?"
मुकुल ने भास्कर की आंखों में देख कर कहा, "अपना समय बर्बाद मत करो। जितनी जल्दी हो सके यहाँ से निकल जाओ।"
"ठीक है," भास्कर ने कहा और दरवाजे की ओर बढ़ गया।
वहां से निकलते समय उसकी नजर दरवाजे के पास लगे आईने पर पड़ी। वह रुक गया और आईने में खुद को देखने लगा। उसका ध्यान अपने चेहरे पर गया, मानो खुद का चेहरा पहली बार देख रहा हो। मुकुल ने उसकी ओर देखा और पूछा, "क्या हुआ?"
भास्कर ने आईने में देखते हुए धीरे से कहा, "मैं भी दिखने में बहुत सुन्दर हूँ।"
मुकुल ने उसकी बात सुनी और आश्चर्यचकित होते हुए उसके पास आया। "तुम्हें अपना चेहरा भी याद नहीं है?" उसने भास्कर से पूछा।
भास्कर ने ना में गर्दन हिलाई। मुकुल ने उसे प्रोत्साहित करते हुए कहा, "तुम्हें याद आ जाएगा, Be positive।"
"१००% ना?" भास्कर ने आशंका जताई।
"हाँ। लेकिन अब बातें मत करो, जल्दी जाकर सैली से मिलो नहीं तो लॉकडाउन शुरू हो जाएगा।"
"मुकुल, यह लॉकडाउन क्या होता है?" भास्कर ने उलझन में पूछा।
"अरे, तुम जाओ और सैली से जल्दी मिलो, ताकि तुम्हें सब कुछ याद रहे," मुकुल ने उसे जल्दी करने का इशारा करते हुए कहा।
"हाँ ठीक है," भास्कर ने सहमति जताई और वहां से निकल गया।
भास्कर के जाने के बाद, मुकुल ने अपनी डायरी निकाली और उसमें 2 नंबर लिखा और उसके सामने आज की तारीख 15 मई 2020 लिख दी। उसने गहरी सोच में डूबते हुए खुद से कहा, "भास्कर ने टाइम ट्रेवल किया। लेकिन उसे कुछ याद क्यों नहीं आ रहा? क्या मेरी मशीन में कुछ गड़बड़ है, या क्या टाइम ट्रेवल करने वाले हर व्यक्ति की मेमोरी लॉस हो जाती है? और उसे 2012 में क्यों जाना है? नहीं, मुझे इसका पता लगाना होगा।"
जैसे मुकुल के मन में कुछ सवाल थे, वैसे ही भास्कर के मन में भी कई सवाल उमड़ रहे थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसने टाइम ट्रेवल क्यों किया था। वास्तव में, भास्कर की गलती से सैली की जान चली गई थी। यह बात सिर्फ भास्कर और मुकुल को पता थी। टाइम ट्रेवल करके अतीत में जाने के बाद सिर्फ टाइम मशीन में बैठने वाले को पता होता है कि भविष्य में क्या हुआ था। मुकुल टाइम मशीन में नहीं बैठा था, इसलिए उसे यह नहीं पता चला कि भास्कर ने किस वजह से टाइम ट्रेवल किया है।
लेकिन भास्कर टाइम मशीन में बैठ गया था। लेकिन उसकी मेमोरी लॉस होने के कारण वह भूल गया था कि उसने टाइम ट्रेवल क्यों किया था। उसे अब इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देना था। उसे सैली से मिलना था, उससे बात करनी थी, इसलिए वह ट्राइडेंट होटल के कमरा नंबर 1304 में चला गया।
वहां पहुंचकर उसने देखा कि उसकी पत्नी टी.वी. देख रही थी। उसका ध्यान भास्कर की ओर नहीं गया। भास्कर धीरे से उसके पास बैठ गया।
भास्कर को समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे बात करे। उसने हिचकिचाते हुए कहा, "हेलो, सैली।"
सैली ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "तुम जल्दी आ गए। क्या मीटिंग खत्म हो गई, या फिर तुम बीच में ही चले आए?"
"मीटिंग खत्म हो गई है," भास्कर ने कहा, उसकी आवाज में हल्की सी घबराहट थी।
सैली ने मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक है, चलो अच्छा हुआ। अब हम कुछ समय साथ बिता सकते हैं।"
भास्कर ने राहत की सांस ली, लेकिन उसके मन में अभी भी कई सवाल थे। उसने सोचा कि शायद सैली से बात करने से उसकी यादाश वापस आ जाएगी। वह अपने दिल की धड़कन को शांत करने की कोशिश करते हुए सैली की ओर देखने लगा, जैसे उसकी आंखों में सारे जवाब छिपे हों।
वह सिर्फ उसे देख रहा था। उसकी खूबसूरती को महसूस कर रहा था। उसके जिस्म से उसकी खूबसूरती की महक आ रही थी, मानो वह खूबसूरती कभी खत्म नहीं होगी। सैली को पता चल गया कि भास्कर उसे ही देखता जा रहा था। उसने भास्कर की आंखों में आंखें डालकर उसे देखा। उसका सिर शर्म से नीचे झुक गया, लेकिन फिर से उसकी तरफ देखता हुआ बैठ गया। और फिर से उसकी गर्दन शर्म से नीचे झुक गई। उसे उसकी आंखों में देखने में शर्म आ रही थी, क्योंकि उसे कुछ भी याद नहीं था और सैली उसकी यादाश के लिए एक अजनबी व्यक्ति थी। इसलिए उसे उसकी तरफ देखने और उससे बात करने में शर्म आ रही थी। जब सैली ने भास्कर के अजीब व्यवहार पर ध्यान दिया तो उसने उसकी ओर देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "भास्कर, तुम्हें क्या हुआ है?"
भास्कर ने सिर झुका कर कहा, "कुछ नहीं।"
सैली ने अपना हाथ भास्कर की बांह पर रख दिया और फिर से मुस्कुराते हुए कहा, "क्या हुआ?"
"कुछ नहीं।"
"तुम्हें कुछ कहना है ना?"
"हाँ।"
"क्या?"
"क्या तुम मेरी पत्नी हो?"
वह मुस्कुराई और बोली, "हाँ। लेकिन तुम ये सवाल क्यों पूछ रहे हो?"
"बस ऐसे ही।"
"तुम्हें क्या हुआ है?" सैली ने चिंता से पूछा।
भास्कर ने हिम्मत कर अपना हाथ सैली के कंधे पर रख दिया, लेकिन हाथ रखते समय उसका हाथ कांप रहा था। सैली ने भास्कर से कहा, "क्या तुम किस्स करना चाहते हो?"
"क्या?" भास्कर ने आश्चर्य से कहा।
सैली ने उसे किस्स किया। भास्कर ने अपनी आंखें बंद की और उस किस्स को स्वीकार कर लिया। "देखो सैली, यह गलत है।"
"क्या गलत है?" उसने मुस्कुराकर कहा।
"तुम मुझे किस्स नहीं कर सकती।"
वह मुस्कुराई और बोली, "क्यों? तुम्हें शर्म आ रही है।"
फिर उसने उसे फिर से किस्स किया। भास्कर ने फिर से अपनी आंखें बंद कर लीं और किस को स्वीकार कर लिया। वह उसे बहोत बार किस्स करती रही। उसके बाद भास्कर की आंखें अपने आप बंद हो रही थीं। शायद यह उसके लिए एक ऐसा एहसास था, जिसे वह अपनी खुली आंखों से नहीं देख सका। यह एक दुर्लभ, अविश्वसनीय तोहफा था। सैली ने उसे फिर चिढ़ाया, "देखो, प्लीज मुझे चूमो मत। मुझे कुछ हो रहा है जिसे मैं अपने शब्दों में नहीं बता सकता।"
"तुम्हारे मन में कुछ है जिसे कहने में तुम्हें शर्म आती है। तो फिर तुम अपनी आंखें बंद करो और जो भी तुम्हारे मन में है बोलो।"
सैली ने भास्कर का दाहिना हाथ अपनी कमर पर रख दिया। उसका चेहरा अपने पास लाते हुए उसने कहा, "प्लीज अपनी आंखें बंद कर लो।"
भास्कर ने उसकी बात मान ली और अपनी आंखें बंद कर लीं। वह उसे देख नहीं सकता था, लेकिन उसकी खूबसूरती की महक अब बढ़ती जा रही थी। उसे पसीना आ रहा था। भास्कर ने कभी किसी लड़की को इतने पास से नहीं देखा था। उसके शरीर पर मानो बिजली गिर गई थी। सैली ने भास्कर को फिर से किस किया और न चाहते हुए भी उसके मुह से कुछ शब्द बाहर आ गए। भास्कर ने गलती से कहा, "मैं सेक्स करना चाहता हूँ।"
सैली हस पड़ी और भास्कर की आंखों में देखते हुए बोली, "क्या तुम सच में यह कहना चाहते हो?"
भास्कर ने शर्म से सिर झुका लिया। सैली ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और कहा, "क्या तुम यह कहना चाहते थे?"
भास्कर होश में आ गया। "सॉरी, मैंने गलती से ऐसा कह दिया," उसने थोड़ा घबराते हुए कहा।
सैली ने शर्माते हुए कहा, "इजाज़त है।"
"क्या?" उसने आश्चर्य से कहा।
सैली ने फिर दोहराया, "इजाज़त है।"
भास्कर का मन कह रहा था कि यह तुम्हारी पत्नी नहीं है। तुम्हारी यादाश चली गई है। तुम ऐसा नहीं कर सकते। लेकिन वह कमाल की खूबसूरत थी। भास्कर अपने आपको ज्यादा देर तक रोक नहीं सकता था। उसकी महक भास्कर के जिस्म में उतर चुकी थी। अब वह पूरी तरह से कामवासना में डूब गया था। सैली एक अमृत थी, जो उसे चाहिए था। लेकिन यहाँ पर अमृत ही उसे पीने के लिए बुला रहा था। भास्कर खुद को रोक ना सका। वह उसके पास गया। उसकी नाजुक कमर पर हाथ रख दिया। मानो उसकी कमर पनीर की तरह नाजुक और खूबसूरत थी, और उसका हाथ लोहे की तरह गर्म। भास्कर के हाथ रखते ही उसकी कमर की खूबसूरती उसे और ज्यादा करीब बुलाने लगी। वह उसकी कमर पर अपने हाथ यहाँ वहाँ फिराने लगा। उसके बाद उसने उसके लाल नाजुक होंठों को चूम लिया। उसका माथा, गाल भी चूमने लगा। जितनी बार वह चूम रहा था, उतनी बार उसे और चूमने की इच्छा हो रही थी। अब उसका शरीर पूरी तरह से सैली का हो गया था। पहली बार भास्कर किसी की खूबसूरती इतनी गहराई से देख रहा था। अब उसकी शर्म खत्म हो गई थी। अब उसे रोकने वाला कोई नहीं था। इसलिए वह वही कर रहा था, जो वह करना चाहता था।
कुछ देर बाद सैली सोफे से उठ गई और एक तरफ चली गई। उसने कहा, "सॉरी। मैं सेक्स करना नहीं चाहती।"
भास्कर अब रुकने वाला नहीं था। शायद उसे बहुत सालों के बाद किसी ने खुद को सौंपा था। लेकिन वह सैली की मर्जी के खिलाफ जाकर सेक्स भी नहीं करना चाहता था। वह कामवासना में डूबा हुआ था, लेकिन वह किसी के ऊपर जबरदस्ती नहीं करना चाहता था। इसलिए उसने सैली से परमिशन मांगते हुए कहा, "क्या मैं सेक्स कर सकता हूँ?"
सैली ने शर्माते हुए कहा, "नहीं। मेरा मूड नहीं है।"
भास्कर अब कुछ नहीं कर सकता था। उसने सिर झुका कर कहा, "ठीक है। जैसे तुम कहो।"
वह निराश होकर नीचे देखने लगा और वहां से जाने लगा। सैली ने कहा, "कहाँ जा रहे हो?"
"कहीं भी नहीं," भास्कर ने उदास स्वर में कहा।
सैली भास्कर को बहुत अच्छी तरह जानती थी। वह उसकी पत्नी थी। भास्कर की आदतें बदल गई हैं, ऐसा उसे संदेह होने लगा। उसने भास्कर से कहा, "तुम बदल गए हो। क्या तुम सचमुच भास्कर हो?"