जब गौरी हवेली पहुंची तो रिश्ते वाले पहले से ही आ चुके थे। गौरी की मां ने उसे पीछे के दरवाजे से हवेली के अंदर लिया। और झटपट उसे तैयार करके रिश्ते वालों के सामने लेके गई। लड़के के पिताजी कुछ मिनटों के लिए फोन पर बात करने बाहर चले गए। बाहर लड़के के पिताजी को जैसाणै के ही एक आदमी मदन लाल ने बता दिया कि गौरी का हाथ एक लड़के ने बाजार में पकड़ा था..... इतना सुनते ही लड़के के पिताजी गुस्से से लाल पीले हो गए। वो जल्दी से अंदर गए, बिना कुछ सोचे समझे इस रिश्ते के लिए मना कर दिया। जब वो लोग चले गए तब हवेली के ठाकुर, गौरी के दादाजी ने एक सेविका को बुलाया और पूछा.....
विरेंद्र राठौड़- क्या हुआ था आज रजवाड़ी हवेली के बाहर..?
सेविका-मुझे कुछ अधिक मालूम नहीं है ठाकुर साहब लेकिन पूरे जैसाणै में यह खबर फैली हुई है, कि एक विलायती लड़के ने बाईसा का हाथ पकड़ लिया... यह खबर किसने फैलाई इस बारे में भी कुछ पता नहीं चला।
वीरेंद्र राठौड़- कितनी बार कहा है कृष्ण अपनी लड़की को समझा कर रखा कर... लेकिन तुम दोनों पति-पत्नी ने तो उसे सिर पर चढ़ा रखा है। जैसा कि इस सेविका ने बताया पूरे, जैसाणै में यह खबर फैल चुकी है। अब तो उस छोरी का रिश्ता करना मुझे नामुमकिन सा लगता है।
वीरेंद्र राठौड़ अपनी समय के प्रतापी राजा रह चुके हैं.... बाल की खाल निकालना उनकी खूबी है। उन्होंने जल्द से जल्द पता लगवा लिया कि वो विलायती लड़का कौन था... और उन्हें पता चला कि वह लड़का उन्हीं की बिरादरी का है।अच्छा खानदान है। अपना खुद का व्यवसाय है। बस और क्या चाहिए था। उन्होंने उस लड़के को जबरदस्ती उठवा लिया। और हवेली के एक कमरे में बंद कर दिया। तथा उसे कुछ बोलने का मौका तक नहीं दिया।
रात का वक्त है। गौरी अपने कमरे में बैठी है। गोरी की मां रानी सुकन्या बाई उसे बता रही हैं....
सुकन्या बाई- लड़का अच्छा है। मुंबई में खुद का व्यवसाय है। खानदानी है। तुम्हारे दादा जी ने उस लड़के की संपूर्ण जानकारी पता करली है। अगले सात दिन के अंदर अंदर शुभ मुहूर्त देखकर तुम्हारी शादी उससे करवा दी जाएगी।
गौरी-लेकिन मां..... वो!
सुकन्या बाई-बस .....मैंने जो कह दिया सो कह दिया।रुप... तुम्हारी बड़ी बहन की शादी है... दासियों को लेकर बाजार जाओ.... खरीदारी करो ,खुशियां मनाओ..... और अपनी इस बहन को भी लेकर जाना।
रूप-जी... मां!