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काशी बनारस की खूबसूरती

Sara_2 · Masa Muda
Peringkat tidak cukup
5 Chs

२. रुद्र का कीर्ति की फिक्र करना

भिड़ के जाने के बाद रुद्र कीर्ति को अपने गोद में लिए घर के अंदर आते हुए, उसके पीछे चल रही पायल को बोला, " आते आते घर का दरवाजा बंद करके आना। "

" पर बाबा ... "

" उन्हें बाहर ही रहने दो, उन्हे पत्नी की बहुत चिंता है ना, इसीलिए। "

" Ok " इतना कहकर पायल घर का दरवाजा बंद कर देती है। रुद्र कीर्ति को लेकर उसके कमरे के तरफ जाने लगा। उसके पीछे पीछे पायल भी चलने लगी। कमरे के दरवाजे के बाहर रुद्र रूक गया। उसके पीछे चल रही पायल भी रुक गई। कीर्ति के कमरे के दरवाजे पर पासवर्ड और फिंगर प्रिंट लॉक दोनो थे। रुद्र को कीर्ति के दरवाजे का लॉक पता था। लेकिन कीर्ति ने उसे कहा था की पासवर्ड सीक्रेट रहना चाहिए। क्योंकि वहां पायल खड़ी थी तो उसने फिंगर प्रिंट का इस्तेमाल कर दरवाजे को ओपन कर दिया। पायल कमरे के अंदर का नजारा देख हैरान थी। कीर्ति का कमरा किसी Luxurious होटल के कमरे से कम नहीं था। पायल कभी भी कीर्ति के कमरे में नहीं आई थी। उसके कमरे में जितने भी चीजें थे वो सारे ब्रांडेड और महंगे थे। उसके दरवाजे पर जैसे लॉक लगा हुआ था वैसे ही उसके अलमारी में भी लॉक लगा हुआ था।

रुद्र कीर्ति को बेड पर लेटा देता है और पायल को बोलता है, " पायल फर्स्ट एड बॉक्स लाना "

" जी भईया " इतना कहकर पायल कमरे में बने केबिनेट्स में फर्स्ट एड बॉक्स ढूंढने लगी। इन केबिनेट्स में से एक कैबिनेट के उपर प्लस लोगो लगा हुआ था। पायल ने वो कैबिनेट खोला तो उसके अंदर फर्स्ट एड बॉक्स रखा हुआ था। उसने वो निकाला और कैबिनेट को बंद कर रुद्र के पास जाकर फर्स्ट एड बॉक्स को देते हुए बोली, " ये लीजिए रुद्र भईया । "

" हां " इतना कह कर रुद्र ने बॉक्स लिया और बॉक्स खोल उसमे से दबाई, कॉटन और बैंडेज निकल कर बॉक्स वापस बंद कर उसने पायल को वो बॉक्स दे दिया। पायल बॉक्स को लेकर उसको उसकी जगह पर रख दिया और वापस रुद्र के पास आ गई। रुद्र कॉटन से कीर्ति के चोट पर लगे खून को साफ करने लगा। कीर्ति होश में नहीं थी, लेकिन वो पूरी तरह बेहोश नहीं हुई थी। उसे हल्का हल्का होश था। जब कॉटन ने कीर्ति के चोट को छुआ तो कीर्ति दर्द से करहाने लगी। रुद्र ये देख कर हैरान था और वो थोड़ा डर गया। उसे लगा मानो उसके सांसे अटक गई हो। जब कीर्ति थोड़ी शांत हुई तो रुद्र के सांस में सांस आई। वो डरते डरते किसी तरह हिम्मत जुटा कर फिर से कॉटन लेकर कीर्ति के खून को साफ करने लगा। पिछली बार के तरह इस बार भी जब कॉटन ने कीर्ति के चोट को छुआ तो वो फिर से करहाने लगी। रुद्र फिर से डर गया। उसने डर और घबराहट में फिर से अपने हाथ को पीछे कर दिया। वो सोचने लगा कि उसे क्या करना चाहिए। कीर्ति के चोट को खुद साफ करके पटी कर देना चाहिए या फिर उसे हॉस्पिटल लेकर जाना चाहिए ? पायल रुद्र की परेशानी को समझ रही थी। रुद्र अपने ख्यालों में खोया ही हुआ था की पायल ने उसके कंधे पर हाथ रख दिया। पायल का अचानक से हाथ रखने पर रुद्र थोड़ा घबरा गया। मुड़ कर देखा तो पायल थी। उसने लंबी सांसे छोड़ते हुए बोला, " पायल तुम "

" हां, में रुद्र भईया। आप मत डरिए। कीर्ति दी को दर्द हो रहा है इसीलिए वो कराह रहीं हैं। आप चोट साफ करके पटी कर दीजिए। "

" Ok " इतना कहकर रुद्र फिरे से कीर्ति के चोट को साफ करने लगा। कीर्ति पिछली ही बार के तरह इस बार भी दर्द महसूस होते ही दर्द से करहाने लगी। लेकिन इस बार रुद्र नही रुका और कीर्ति के खून को साफ करने लगा। रुद्र ऊपर से बहुत स्ट्रॉन्ग दिख रहा था लेकिन अंदर से वो कीर्ति की दर्द से भरे चीखे सुन टूट गया था। उसके सीने में दर्द हो रहा था। उसे अभी दुख और गुस्सा एक साथ आ रहा था। दुख इस बात की थी की कीर्ति को बहुत दर्द हो रहा था और गुस्सा इस बात की थी की कीर्ति के परिवार ने आज अपना हद ही पार करदिया। मतलब लोहे के चिमटे को गरम करके हाथ पर रखना और फिर उसके पैर पर लात मार कर नीचे गोरा के चोट पहुंचाना ऐसा कोन अपने बच्चों के साथ करता है ? रुद्र अपने ख्यालों में खोए हुए ही कीर्ति के चोट पर लगे खून को साफ कर रहा था। ये सब सोच कर रुद्र के आंखों में आंसू आ गए। और ये आंसू आंखो से निकल कर गालों से होते हुए कीर्ति के हाथ पर गिर गए। कही पायल देख न ले इसलिए उसने तुरंत अपने आंसू पोंछ दिया। तब तक चोट पर लगे खून भी साफ हो चुका था। उसके बाद रुद्र ने चोट पर दबाई लगा कर बैंडेज कर दिया। उसके बाद उसने कीर्ति के ऊपर चादर डाल दिया। कुछ देर बैठ ने के बाद रुद्र कुर्सी पर से उठ कर जाने लगा। रुद्र को जाते हुए देख पायल ने उसे पूछा, " आप कहां जा रहे है भईया ? "

" में बाथरूम से आता हूं। जब तक में आता हूं तब तक तुम कीर्ति का खयाल रखो। " रुद्र इतना कहकर पायल का जवाब सुने बगैर ही वहां से चला गया और जाते जाते दरवाजा भी बंद कर दिया। दरअसल ये तो सिर्फ एक बहाना था रूम से बाहर आने का। रुद्र रूम से निकलते ही घर के बाहर भागा। जब वो बाहर पहुंचा उसने देखा की कीर्ति की मां सुनीता कुर्सी पर बंधी पड़ी थी और उसके बाबा आनंद जी अपनी पत्नी के पास नीचे जमीन पर सर पर हाथ रख के बैठे थे। जब उन्होंने कदमों के आहट सुनी तो वो थोड़ा घबरा गए और उनके पास में कुर्सी पर बैठी सुनीता भी दर गई। दोनो सोचने लगे कहीं रुद्र वापस तो नहीं आगया ? सर उठा कर देखा तो सच में वो रुद्र ही आ रहा था। दोनो के डर से पसीने छूटने लगे। जब रुद्र वहां पहुंचा तो उसके लाल आंखे, गुस्से से भरे चेहरे और गुस्से से कांपते हुए उसके हाथों को देख पति पत्नी दोनो की सिट्टी पिट्टी गुल। रुद्र गुस्से से सुनीता को घूर रहा था। वो उसके चेहरे के करीब जाकर बोला, " आज तुम्हारे वजह से कीर्ति दर्द से तड़प रही है। तुम्हे कभी में माफ नहीं करूंगा। "

" मैंने कुछ गलत नहीं किया। " सुनीता जोर से बोली।

रुद्र भी उतना ही जोर से बोला, " बेशरम औरत, अपनी बेटी को इतना चोट पहुंचाया इतना तकलीफ दिया उसे। अभी अपनी गलती का सजा भी भुगत रही है फिर भी तेरा घमंड नहीं टूटा ? तू बस देखती जा की आगे तेरे साथ क्या होता है। " इतना कहकर वो वहां से गुस्से से चला गया। रुद्र अपने वादों का पक्का था। बिलकुल कीर्ति के तरह। उसने कहा था की वो हर एक घंटे में आकर चिमटा ले जायेगा और पूरे दस मिनिट तक गरम करके फिरे सुनीता के हाथ पर चिपका देगा। अभी एक घंटा हुआ नहीं था इसीलिए रुद्र वहां से चला आया। वो किचन में गया और फ्रिज से पानी का बॉटल निकाल कर पानी पीने लगा। पीने के बाद उसने बॉटल को वापस उसके जगह पर रख किचन से बाहर आ गया। किचन से निकल कर वो सीढ़ियों के सहारे चढ़ कर कीर्ति के रूम के तरफ जाने लगा। वो सीढ़ियों पर चढ़ ही रहा था की उसका फोन बजने लगा। फोन घर से था। इसीलिए उसने कॉल पीक कर करलिया। वो हेलो बोलने ही वाला था की दूसरी तरफ से उसकी बड़ी बहन चित्रा की घबराई हुई आवाज आई, " भाई तुम कहां हो ? "

" में कीर्ति के घर पर हूं। क्यों क्या हुआ ? "

" क्या हुआ ? अरे भाई क्या नहीं हुआ पूछ। "

" जो बोलना है जल्दी बोलो यार " रुद्र खींचते हुए बोला।

" अच्छा ठीक है इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो बता रही हूं ना में "

" कहां आप बता रहीं हैं ? तब से बातों को जलेबी के तरह गोल गोल घुमाती जा रहीं हैं। " रुद्र ने गुस्से से कहा।

" भाई में बता रही हूं ना इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो ? और अभी तुम ये जलेबी का नाम मत लो प्लीज। मेरे मुंह से पानी आ रहा है। " चित्रा मासूमियत से बोली ।

" आप बता रही हैं या फिर में फोन रखूं ? "

" नहीं नहीं फोन मत रखना में बता रही हूं ना। वो मेरा फोन मुझे नहीं मिल रहा। क्या तुम अभी घर आकर मुझे मेरे फोन ढूंढने में हेल्प करोगे प्लीज ? "

ये सुनकर रुद्र को इतना गुस्सा आ रहा की वो जाकर अपनी बहन के सर पर अपने फोन फेंक कर मारना चाहता था। वो गुस्से से बोला, " आपने इसलिए कॉल किया था की आपका फोन नहीं मिल रहा तो में आपकी मदद करूं फोन ढूंढने में ? "

" हां " चित्रा बोली।

" आपका दिमाग ठिकाने पर है ? यहां कीर्ति की हालत खराप है उसे चोट लगी है। मेरा इसके पास रहना जरूरी है। " रुद्र आगे बोल पाता तभी चित्रा बोली, " उसे चोट लगी है तो तुम्हे क्यों दर्द हो रही है ? वैसे भी नोकर नहीं हो तुम जो हमेशा उसके आगे पीछे घूमते रहते हो। उसका परिवार नहीं है ध्यान रखने केलिए ? वैसे भी वो एक नंबर की लड़ाकू है। लड़की है लेकिन लड़कों की तरह सबको मारती पीटती रहती है। किसको पीटने गई होगी इसीलिए चोट लगी होगी उसे। तुम वापस घर पर आओ और मेरी फोन ढूंढने मैं मेरी मदद करो। समझे ? "

अब रुद्र का गुस्सा बर्दास्त से बाहर हो चुका था। वो गुस्से से बोला, " बस बहुत हुआ। जो आपको बोलना था आपने बोल दिया और मेने सुन भी लिया। अब में बोलता हूं और आप सुनिए। पहली बात कीर्ति इतनी भी कमज़ोर नहीं है की वो किसीको मारने जाए और चोट खा कर आ जाए। दूसरी बात वो लड़ाकू जरूर है लेकिन वो बुरे और बतमीज लोगों के साथ लड़ाई करती है। तीसरी बात कहीं पर ऐसा नहीं लिखा है की जो काम लड़के करते हैं वो काम लड़कियां नहीं कर सकती। और आपने जो सवाल पूछा था की चोट उसे लगी है तो दर्द मुझे क्यों हो रही है तो मुझे दर्द इसलिए हो रही है क्योंकि में उसका सबसे अच्छा दोस्त हूं। अपने और एक सवाल भी किया था। क्या पूछा था आपने की उसका परिवार नहीं है ध्यान रखने केलिए ? तो में आपको बता दूं की कीर्ति को चोट उसके परिवार के वजह से ही लगी है। और आपने जिस केलिए कॉल किया था की में घर आकर आपकी फोन ढूंढने मे आपकी मदद करूं तो ये में नहीं करने वाला। आपके दो टके के फोन ढूंढने मे मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है। में आपसे ज्यादा कीर्ति का खयाल रखना ज्यादा जरूरी समझता हूं "

चित्रा तब से रुद्र के बात सुनी जा रही थी। लेकिन जब रुद्र ने उसके फोन को दो टके का कहा और वो अपने बहन की मदद करने के जगह अपनी दोस्त का खयाल रखना ज्यादा जरूरी समझता है तो उसे काफी बुरा लगा और कीर्ति से जलन और गुस्सा दोनो करने लगी। लेकिन उसे ये सुन कर बुरा भी लगा की कीर्ति को अपने परिवार के वजह से चोट लगी है। उसे अपनी कही बात पर थोड़ा बहुत अफसोस भी था। लेकिन फिर भी उसे बुरा तो लगा था। उसने गुस्से से कहा, " भाई मेरा फोन कोई दो टके का नहीं, iphone 13 pro max है। और तुम्हे मुझसे ज्यादा अपनी दोस्त की पड़ी है ? "

" हां, मुझे आपसे ज्यादा अपनी दोस्त की पड़ी है। मुझे अभी कोई बात नहीं करनी आपसे। फोन रखता हूं और महादेव से प्रार्थना करता हूं की आपको अपना फोन जल्द मिल जाए। बाय । " रुद्र ने चित्रा की बात सुने बगैर ही फोन काट दिया। दूसरी तरफ से चित्रा हेलो हेलो बोले जा रही थी। उसने मन ही मन कहा , " भाई तुझे तो घर वापस तो लाकर ही रहूंगी। तुम्हे में अगर मैने मजबूर न किया ना तो मेरा नाम भी चित्रा नहीं। "

इस तरफ रुद्र अपने फोन को स्विच ऑफ कर कीर्ति के रूम के तरफ जाने लगा। जब वो रूम में पहुंचा तो देखा की कीर्ति को होश आ आगया है। और पायल उसके बगल में ही बैठी थी। जब पायल की नजर रुद्र पर गई तो वो उठी और रुद्र से पूछी, " रुद्र भैया आप तबसे कहां गए थे ? "

रुद्र घबराते हुए बोला, " नहीं वो में बाथरूम से आ ही रहा था की तब एक इंपोर्टेंट कॉल आगया। तो बात करने में थोड़ी देर हो गई। "

रुद्र की घबराहट देख कर कीर्ति समझ गई की बात कुछ और ही है। उसने इशारे से रुद्र को पूछा " क्या बात है ? " रुद्र ने भी इशारे से बोला," पायल को जाने दो फिर बताऊंगा। " कीर्ति उसका इशारा समझ गई। लेकिन वो चुप रही। रुद्र उसके पास में पड़े कुर्सी पर बैठते हुए बोला, " तुम अब कैसी हो ? "

" ठीक " कीर्ति शांत भाव से बोली। रुद्र ने फिर से इशारा किया। कीर्ति ने उसे शांत रहने का इशारा किया। रुद्र शांत हो गया। उसे लगा अभी कीर्ति उसकी कोई बात नहीं मानने वाली। लेकिन उसके उम्मीदों से उल्टा कीर्ति ने पायल से कहा, " पायल, तुम मेरे लिए सूप बना कर ले आओगी प्लीज "

" हां, क्यों नहीं। में अभी बनाकर लाती हूं। " इतना कहकर पायल वहा से उठकर चली गई। रुद्र हैरानी से कीर्ति को देखने लगा। रुद्र को अपने तरफ हैरानी से घूरते हुए देख कीर्ति बोली, " घूर क्या रहे हो, बताओ जल्दी क्या हुआ है ? "

रुद्र ने उसे सारी कहा और ये भी बोला की उसने उसके मां और बाबा के साथ क्या किया था। इतना कहने के बाद वो सर झुका कर बैठ गया। उसे लगा की कीर्ति उसे अब बहुत डाटेगी। जब कीर्ति ने उसका मासूम चेहरा देखा तो उसे हसी आ गई। उसे हस्ते हुए देख रुद्र ने मासूमियत से बोला, " क्या हुआ तुम हस क्यों रही हो ? मैंने कोई जोक मारा है क्या ? तुम्हे मेरे ऊपर गुस्सा नहीं आ रहा ? "

कीर्ति उसके गाल पर धीरे से मारते हुए बोली, " मुझे क्यों गुस्सा आएगा ? तुमने जो किया सही किया। "

रुद्र हैरानी के साथ बोला, " सच्ची ! "

" मुच्ची " कीर्ति हस्ते हुए बोली। उसकी मुस्कुराहट को देख कर रुद्र सोचने लगा, " थोड़ी देर पहले जो लड़की दर्द से तड़प रही थी अब वही लड़की खिल खिला कर हस रही है। " रुद्र अपने खयालों में खोया ही हुआ था की तभी कीर्ति चुटकी मारते हुए बोली, " कोन से खयालों में खो गए जनाब ? "

" नहीं, कुछ नहीं। " रुद्र घबराते हुए बोला।

कीर्ति फिर से हस पड़ी। तभी रूम के अंदर पायल आते हुए बोली, " दी आपका सूप रेडी। " इतना कह कर उसने टेबल पर सूप रख दिया। तभी रुद्र का फोन बजा। उसने तुरंत फोन उठा दिया। रुद्र जैसे जैसे बात करता जा रहा था उसके एक्सप्रेशन बदलते जा रहे थे। कीर्ति उसके बदलते भाव को नोटिस कर रही थी। उसे समझ में आगया था की जरूर ये कॉल रुद्र के घर से आया होगा। रुद्र के मुंह से सिर्फ हां, जी, ठीक है निकल रहा था। कीर्ति को पता था की रुद्र पायल के सामने उसे कुछ भी नहीं बताएगा। इसलिए जैसे ही रुद्र ने फोन रखा तो कीर्ति बोली, " पायल, मेरे लिए एक कप कॉफी लाना प्लीज "

पायल हिचकिचाते हुए बोली, " सूप के साथ कॉफी ! "

" हां, सूप के साथ कॉफी। प्लीज बना दो। अपनी बड़ी बहन की बात नहीं मानोगी ? " कीर्ति बच्चों के तरह मुंह बनाते हुए बोली।

" ठीक है, में बना कर लाती हूं। " इतना कह कर पायल फिर से बाहर चली गई। कीर्ति ने रुद्र से पूछा, " क्या हुआ, टेंशन में लग रहे हो। घर से कॉल आया था ? "

रुद्र शॉक्ड होते हुए बोला, " हां, आया था लेकिन तुम्हे कैसे पता चला ? "

" दोस्त हूं में तुम्हारी, सब कुछ पता चल जाति है मुझे। " कीर्ति हस्ते हुए बोली।

" हां, वो अभी मुझे घर जाना पड़ेगा। में जाता हूं शाम को आऊंगा। अपना ध्यान रखना। Bye. "

कीर्ति बोली, " हां, ठीक है तुम जाओ, लेकिन शाम को आना जरूर। जरूरी बात करनी है। Bye . "

कीर्ति के बोलने के बाद रुद्र वहां से चला गया।