शमेथस को बाहर आता देख कर , वहां खड़े और duty कर रहे फ़ौजी चौंक कर एक दूसरे को देखने लगे ,लेकिन कुछ बोले नही , शमेथस वहां से चला गया और बाहर आते ही ,जो biscuit उसने अंदर से उठाये थे ,बाहर आते ही एक जानवर को डाल दिया और हँसते हुए अपने लम्बे और बेहद गंदे से गर्म coat की जेबों मे हाथ डालकर आगे बड़ गया ।
साल 1919 पहले विश्व युद्ध का अंत हो चुका था , हर तरफ हुई तबाही और मार काट से इंसान आहत था और अब हर तरफ से germany का बोल बाला बढ़ता जा रहा था ,जिसके चलते हर तरफ एक ही माग थी , नए जासूस और नए फ़ौजी ।
लेकिन ऐसे में बहुत सारे लोग ऐसे भी थे ,जो फ़र्ज़ी कागज़ात के आधार पर युद्ध से तंग होकर दूसरे देशो मे प्लायन करने लगे थे , आलम यहाँ तक था की जो फ़ौजी भी बच जाते वो भी अपनी नकली पहचान बनाकर उस देश मे रहने लगते ।
शमेथस भी ऐसे ही माहौल से आया था और अब उसे इस देश मे लगभग 3 साल होने को थे ,लेकिन ऐसा एक भी दिन नही था जब उसने लड़ाई झगड़े ना किये हो , हर आये दिन उसका झगड़ा होता ,जिसके चलते उसे police station के चककर और डंडे खाने ही पड़ते , अब तो सब उसे जान चुके थे ,कि ये शमेथस है जो बेहद ज़िद्दी है ।
इसलिए जब आज उसे उठाया गया ,तब वो जिस पल समझ गया कि यह् हर बार वाले police वाले नही है ।
लेकिन खैर जो भी था शमेथस खुद को उन सब कामो से दूर रखना चाहता था और रख भी रहा था ,लेकिन शायद किस्मत ऐसा नही चाहती थी ।