कार से दो चार लड़के दोड़ते हुए अजय की और बढ़ते है अजय वहाँ से भागने की कोशिश करते हुए कार की और बढ़ता है लेकिन एक आदमीं पीछे से उसके टांग पे गोली मार देता है ।
अजय , अजय को गोली लगता देख स्नेहा चिलाती है और कार से बाहर निकलती है । तुम बाहर क्यों आई लो और भागो यहाँ से तुम्हें उन सब को सजा दिलाना होगा अपने मोबाइल को स्नेहा को देते हुए अजय केहता है । मैं तुम्हें छोड़ के नहीं जाऊँगी , स्नेहा केहती है तभी शिवराज के आदमी स्नेहा और अजय को पकड़ लेते है ।
इसको गोली मार कर मोबाइल छीन लो शिवराज केहता है और उसकी बात को सुनकर स्नेहा चिलाने लगती है नहीं प्लीज़ इसे छोड़ दो मैं सारा इंज़ाम अपने ऊपर ले , नहीं कोई ज़रूरत नहीं है अजय केहता है।
तुम चुप रहो स्नेहा केह ही रही थी की तभी गन चलने की आवाज गूंजती है और अजय के माथे मैं गोली आड़ पार हो जाती है और स्नेहा की आवाज उसके गले मैं ही अटक जाती है ।
धड़ाम अजय नीचे गिर जाता है । और अजय को गिरता देख स्नेह अपने आप को शिवराज के आदमियों से छुड़वाती है और नीचे बैठ कर अजय के गालो को पकड़ लेती है । अजय क्या हुआ तुम्हें प्लीज़ उठ जाओ तुम मुझे छोड़ कर नहीं जा सकते , स्नेहा इतन केहकर अजय को गले लगा कर फुट फुट कर रोना शुरू कर देती है ।
लड़की बवाल है शिवराज जी तभी वो चार लोगो मैं से एक जिसका नाम राहुल होता है वो स्नेहा को रोता देख केहता है ।
हाँ वैसे चिकनी है तो काफ़ी कमाल की चलिए फिर आज की रात थोड़ी मस्ती करते है ।
शिवराज उन चारो से हँसते हुए केहने लगता है और उसकी बात को सुनकर वो चारो भी हँसने लगते है ।
तभी शिवराज एक आदमी को इशारा करता है और वो आदमी शिवराज का इशारा करते हुए स्नेहा को उठा कर शिवराज के पास लेकर जाने लागता है ।
छोड़ो मुझे स्नेहा चिलाते हुए उस गार्ड को मार रही थी लेकिन वो गार्ड उस हॉस्पिटल के बग़ल मैं बने एक मकान मैं ले जाकर खड़ा कर देता है और एक चमाटा खींच कर स्नेहा के गालो मैं लगता है । स्नेहा की गाल काफ़ी मुलायम थी जिसके कारण उस गार्ड के पाँच उँगलियों के छाप उसके गालों पे छप गए थे ।
स्नेहा रोना शुरू कर देती है तभी कमरे मैं शिवराज और पाँचो लोग आ जाते है
स्नेहा रोना शुरू कर देती है । शिवराज और वो चारो लड़के आगे बढ़ते है और किसी भूखे भेड़िये की तरह स्नेह पर टूट पड़ते है।
कुछ समय बाद वो दरिंदे अपनी प्यास को बुझाकर कर वहाँ से जाने लगते है । मासूम सी स्नेहा वो बेहोश हो चुकी थी बेचारी की पूरी ज़िंदगी ही उजड़ गई थी ।फिर अपने पैकेट से एक बंदूक़ को निकालकर शिवराज उसे सफ़ेद रूमाल से साफ़ करता है और उस पर स्नेहा के उँगलियाँ का निशान ले कर बाहर आकर गार्ड को गन देकर सार काम समझा देता है।
इसे अपने ज़िंदा क्यों छोड़ दिया अगर ये हमारा पोल पुलिस मैं खोल देगी तो ? बाहर आते हुए राहुल शिवराज से पूछता है ।
उसकी चिंता तुम मत करो ये हमारे गुनाहो की सजा कटेगी इतना बोलकर शिवराज अपने आदमियों को इशारा करता है और वहाँ से उन चारो के साथ चला जाता है ।
इधर शिवराज के आदमी स्नेहा को उठाकर अजय के लाश के बगल मैं लिटा देते है और वहाँ उस गन को फेक कर वो आदमी वहाँ से चला जाता है ।
अगली सुबह स्नेहा को जब होस आता है वो पुलिस को कॉल करके सारी बातो को बताती है । मगर पुलिस जब छान बिन करती है तो उसे सारे सबूत स्नेहा के ख़िलाफ़ मिलते है ।
और सौ बच्चों के मरने के खबर को सुनकर माधुरी भी हार्ट अटैक से मर जाती है ।
कोट मैं शिवराज और स्नेह को पेस किया जाता है स्नेहा अपने साथ हुई सारी घटना को बताती है । लेकिन शिवराज को वो फ़साना चाहती है ऐसा बोलकर शिवराज अपनी बात केहता है । my lord मैं जो भी कहूँगा सच कहूँगा सच के इलावा कुछ भी नहीं कहूँगा ,
सौ बच्चों की मौत और एक bussines मेन की हत्या काफ़ी बड़ी बात थी सारे सबूत स्नेहा के ख़िलाफ़ थे । जिस गन से अजय की हत्या हुई उस पर स्नेहा के उँगलियों के निशान पाए गए और बच्चों को दबाई खिलाने का इंज़ाम भी स्नेहा पर गया और साथ ही फ़ोर्सिक रिपोर्ट को शिवराज ने चेंज करवा दिया जिसमे लिखा था कि स्नेहा के साथ किसी भी तरह की ज़बरदस्ती नहीं हुई है । और जहाँ पे शिवराज को लगता था कि वो फ़स सकता है वो वहाँ पैसा खिला कर या पॉलिटिक्स की मदद से निकल जाता था ।
साथ ही शिवराज ने एक गवाह भी बनवाया था वो गार्ड जिसे शिवराज गन देकर गया था उसने स्नेहा को अपनी गोद मैं सुलाकर एक सेल्फ़ी ले लिया था जब वो बेहोश थी और उसने कहाँ था कि ये मेरी गर्लफ्रेंड है और वो फोटो जज को दिखाकर ख़ुद को सही साबित कर देता है और फिर वो झूठी कहनी जज को बताने लगता है ।
इसने अजय से पीछा छुड़वाने के लिए अजय को मारना चाहती थी और ये उन बच्चो को मार कर आश्रम को अपने नाम कर के वहाँ हॉस्पिटल खोलना चाहती थी ।
ये जानती थी कि माधुरी जब उन मासूम बच्चों की मारने की खबर सुनेगी तो वो भी मर ही जाएगी बेचारी और उसके मरने के बाद माधुरी के सबसे करीबी इंसान यही थी और माधुरी के मरने के बाद आश्रम इसकी हो जाता जो की अब हो गया है और ये सारा इंज़ाम शिवराज पे डाल कर ख़ुद बच कर निकल जाना चाहती थी ।
स्नेहा काफ़ी गिड़गिड़ाती है मगर उसकी कोई एक भी नहीं सुनता है ।क़ानून रोना गिड़गिड़ाने या किसी की बात पर नहीं चलती है वो सिर्फ़ सबूत देखती है और सारे सुबूत उसिके ख़िलाफ़ थे ।आख़िर मैं जज स्नेहा को फाँसी की सजा सुना देता है लेकिन स्नेहा प्रेगनेंट थी इसीलिए उसके फाँसी को कुछ सालो के लिए टाल दिया गया था ।
वो क़ानून से मदद की उमीद कर रही थी मगर क़ानून तो उसकी मदद छोड़ो उल्टा उसिको फाँसी पे लटकाने की तायरी कर रहा था । सभी लोग स्नेहा के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे थे ख़ुद अजय के परिवार वाले भी एक दो तमाचे स्नेहा के गाल पे जड़ दिए थे ।
आज जब स्नेहा उस दिन के बारे मैं फिर से सुनती है तो वो फुट फुट कर रोना शुरू कर देती है ख़ुद मुखौटे वाला इंसान को भी रोना आ रहा था लेकिन वो ख़ुद को संभाल ता है और स्नेह के पास जा कर उसे सीने से लगा लेता है ।
भले ही क़ानून तुम्हारी मदद ना करे लेकिन ये मॉन्स्टर एकेडमी तुम्हारी मदद ज़रूर करेगी और जैसे ही उस मुखौटे वाले के इंसान के मुँह से निकले शब्द को शिवराज सुनता है उसके शरीर के साथ-साथ उसकी रूह भी काँप जाती है ।