सुमसान सड़क मैं गन चलने की आवाज गूंजती है और अगले ही पाल गन से निकली बुलेट उस मुखौटे वाले इंसान के दिल को चिरते हुए निकल जाती है ।
ओह भैंस की टाँग अपने हाथों को अपने दिल पर रखते हुए वो मुखौटे वाला इंसान केहता है और उस बूढ़े इंसान जिसका नाम शिवराज था उसे देखकर बोलता है तभी शिवराज अपने गन से उस मुखौटे वाले पर इंसान पर गलियो की बारिश कर देता है और सभी गोलीय उस मुखौटे वाले इंसान के शरीर को चीरते हुए बाहर निकल जाती है और वो मुखौटे वाला इंसान नीचे गिर जाता है ।
अगले ही पल शिवराज के हाथ पैर डर के मारे काँपने लगते है । उसके डरने का कारन मुखौटे वाले इंसान के शरीर से निकलता खून था ।
मेरे मतलब काला खून , हाँ उस मुखौटे वाले इंसान के शरीर से लाल रंग के बजाए काले रंग का खून बाहर आ रहा था जिसे देखकर शिवराज के पसीने छूटने लगते है ।
तभी वो मुखौटे वाला इंसान फिर से खड़ा हो जाता है । लगता है आज तुमने होली नहीं खेली ,मेरे खून से होली खेलने का प्लेन है क्या ? वैसे भी ये तुम्हारी ज़िन्दगी की आख़री होली है खेल लो खेल लो , हैप्पी होली ,
वैसे कैसी लगी मेरी ऐक्टिंग ? हस्ते हुए वो मुखौटे वाला इंसान शिवराज से पूछता है ।
कौन ,कौन हो तुम ? काँप कँपाती आवाज मैं शिवराज उस मुखौटे वाले इंसान से पूछता है ।
अबे यार कितनी बार बोलू तुम्हारी मौत , अपने आवाज़ को भारी करते हुए मुखौटे वाला इंसान केहता है।
उसके शरीर मैं लगे बुलेट के कारण जहाँ जहाँ छेद हुआ था उन सभी जगहों पर पैर के झाड़ियो के जैसे नस निकलने लगते है और पूरे घाव को cover कर लेते है और ऊपर से एक नई चमड़ी का निर्माण कर देते है वो देखने मैं काफ़ी डरावना लग रहा था जिसे देख कर शिवराज की पेंट गीली हो जाती है और वो डर के मारे ज़मीन पर गिर जाता है और वो मुखौटे वाला इंसान पहेले जैसा नार्मल हो जाता है ।
देखो मुझे जाने दो तुम जो माँगोगे मैं वो तुम्हें दूँगा शिवराज डरते हुए केहता है ।
जो माँगूँगा वो दोगे ? सीरियस होते हुए मुखौटे वाला इंसान शिवराज से पूछता है ।
हाँ क्यों नहीं ,
मुझे उन सौ बच्चों की जान चाहिए , दे पाओगे मुखौटे वाला वो इंसान शिवराज से केहता है ।
कौन से सौ बच्चे ?
हाँ डॉक्टर साहब आप बड़े लोगो ग़रीबो की जान की क़ीमत आपको कहाँ पता होगी आजाओ तभी मुखौटे वाले इंसान कार के पीछे से किसी को बुलाता है और मुखौटे वाले इंसान का इशारा पा कर एक लड़की कार के पीछे से निकलती है और वो मुखौटे वाला इंसान उस लड़की के हाथ को पकड़ कर शिवराज के सामने ले आता है।
मैंने तो कुछ किया भी नहीं और तुमने तो अभी से पेंट गीली कर दी अगर मैं कुछ कर दिया तो तो तुम्हें देख कर लगता है तुम पेंट मैं टटी कर दोगे हस्ते हुए मुखौटे वाला वो इंसान केहता है और उस लड़की के हाथो को छोड़ता है और शिवराज के पीछे जा कर उसके बालों को पकड़ कर उसके सिर को उठा देता है और शिवराज को उस लड़की को देखने के लिए केहता है ।
देखो इसे इस लड़की का नाम स्नेहा है ,कुछ याद आया ? आज से तीन साल पहले ये तुम्हारे हॉस्पिटल मैं आई थी , ग़ुस्से मैं अपने लाल आँखो से शिवराज को देखते हुए वो मुखौटे वाला इंसान केहता है और उसकी बात को सुनकर शिवराज उस लड़की को देख कर सोचने लगता है ।
मुझे याद नहीं है , हाँ तुम जैसों को थोड़ी याद होगा खड़ा होकर मुखौटे वाला इंसान शिवराज के पेट मैं एक लात मारते हुए केहता है ।
मैं तुम्हें याद दिलाता हूँ आज से तीन महीने पेहले -
स्नेहा एक डॉक्टर थी जो अनाथ आश्रम मैं अक्सर जा कर बच्चों का इलाज किया करती थी ।
और हर दिन की तरह आज भी वो रविवार को जाकर एक बच्चे का इलाज कर रही थी उसे बुख़ार हो गया था ।
आप ज़ल्दी ठीक हो जाओगे आप स्ट्रॉंग बच्चे हो , उस बच्चे के बाल को सेहलाते हुए स्नेहा केहती है और वहाँ से उठ कर जाने लगती है।
तभी सेन्हा के मोबाइल पर कॉल आता है जिसे देख कर स्नेहा के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ जाती है और वो जलदी से कॉल उठा लेती है ।
क्या डॉक्टर जी आपको हमारी याद भी नहीं आती तभी कॉल के दूसरे तरफ़ से आवाज आती है । हाँ जी आती है ना पर क्या करूँ काम मैं बिजी रेहती हूँ हूँ , आवाज़ मैं रूखेपन के साथ स्नेहा अपने बॉयफ्रेंड अजेय से केहती है । और मेरा नन्हा बेटा कैसा है ? काफ़ी शेतान है अपने पेट को छूते हुए स्नेहा केहती है ।
अगर आज आपको टाइम मिले तो आजाओ जी होटल ग्रैंड सिटी मैं कैंडल लाइट डिनर के लिए अजय प्यार से केहता है और उसकी बात सुनकर स्नेहा हाँ मैं जवाब देती है तभी स्नेहा को पीछे से कोई उसे पुकारती है । ठीक है रात को मिलती हूँ बाई बाई इतना बोलकर स्नेहा कॉल कट कर देती है और अजय बस कान के पास फ़ोन लगाए बैठा रेह जाता है ।
अजय और स्नेहा एक दूसरे को काफ़ी सालो से जानते थे वे दोनों एक दूसरे को काफ़ी प्यार करते थे । स्नेहा दिल की काफ़ी साफ़ लड़की थी और अजय भी दोनों के छतीस के छतीस गुण मिलते थे । उनके रिलेशन शिप के दोड़ान स्नेहा एक महीने पहेले प्रेगनेंट हो गई थी , इसलिए वो लोग इतनी ज़ल्दी शादी कर रहे थे ।
अजय और स्नेह एक दूसरे को हमेसा से सपोर्ट करते आ रहे है और अब कुछ दिनों बाद ही उन दोनों की शादी होने वाली थी दोनों काफ़ी ख़ुस थे ।
स्नेहा जी आप हमेसा यहाँ आ कर फ्री मैं बच्चों का इलाज करती हो हम आपका पता नहीं कैसे धन्यबाद करे , एक औरत जिसका नाम माधुरी था वो बोलती है । माधुरी ही इस अनाथ आश्रम को चलाया करती थी । उसका इन अनाथ बच्चों और इस आश्रम के इलावा कुछ bussines था जिससे वो इन सभी बच्चों की पढ़ाई लिखाई और खाने मैं खर्च करती थी ।
अरे नहीं ये तो मेरा फ़र्ज़ है और किसने कहाँ मैं फ्री मैं ये सब करती हूँ उन बच्चों की और देखते हुए स्नेहा केहती है और उसकी बात सुनकर माधुरी कनफ़्यूज़ होकर उसे देखने लगती है ।
आप लोगो की दुवाए मिलती है इन बच्चों के चेहरे की मुस्कान देखकर मुझे शांति मिलती है , आप लोगो का अपना पन ,आप सब का प्यार और जब मुझे इतना कुछ मिल रहा है तो ये फ्री कैसे हुआ ? हस्ते हुए स्नेहा माधुरी से बोलती है और उसकी बात सुनकर माधुरी के चेहरे पर भी एक हल्की सी मुस्कान आ जाती है ।
हमेसा ख़ुस रहो बेटी , माधुरी केहती है और उसकी बात को सुनकर स्नेहा के भी चेहरे पे एक बड़ी सी मुस्कान आ जाती है ।
कुछ समय बाद रात के 9 बजे -
स्नेहा और अजय साथ मैं कैंडल लाइट डिनर कर रहे थे । महोल काफ़ी रोमांटिक था होटल के टॉप पर , खुला आसमान कुछ लोग म्यूजिक प्ले कर रहे थे ठंडी ठंडी हवाए चल रही थी और अजय स्नेहा को देख रहा था ।
खाना ठंडा हो जाएगा खा लो फिर आराम से देखते रेहना हस्ते हुए स्नेहा अजय से केहती है और अपने हाथो से अजय को खिला देती है। होने दो ठंडा तुम इतनी ख़ूबसूरत लग रही हो आज तुम्हारे ऊपर से नज़र हटाने का मन ही नहीं कर रहा है आज ठंडा खाना ही खा लूँगा केहते है ना कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है । खाते हुए अजय केहता है और उसकी बातो को सुनकर स्नेहा हँसने लग जाती है ।
तभी अजय उठता है और स्नेह के पास जा कर उसे किस कर लेता है । पगल हो क्या लोग देख रहे है ? स्नेहा शर्माते हुए केहती है । देखने दो डारलिंग दुनिया का काम है देखना , आई लव यू बेबी अपने घुटनों पर बैठ कर किसी रोमांटिक मूवी के हीरो के जैसा बोलता है और उसकी बातो को सुनकर आस पास के लोग ओ , हो, चिलाने लग जाते है ।
स्नेहा को शर्म भी आ रहा था और मज़ा भी ,
तभी अजय अपनी जगहा से खड़ा होता है और उसे गोद मैं उठा कर ले जाने लगता है ।
कहाँ ले कर जा रहे हो उतारो मुझे ? स्नेहा अजीब नजरो से अजय को देखते हुए बोलती है ।
डांस करने अजय स्नेहा से केहता है और उसे नीचे उतार देता है । नाम अजय है तो क्या ख़ुद को अजय देवगन समझ रहे हो मिस्टर , स्नेहा हस्ते हुए अजय से केहती है । ओह मैडम मेरा नाम सिर्फ़ अजय है बाक़ी मेरा डांस रितिक रोशन जैसा है अपने आँखो को तिरछा करते हुए अजय केहता है और हँसने लगता है फिर वो स्नेहा के हाथो को पकड़ता है और डांस करने लग जाता है।
दोनों साथ मैं काफ़ी अच्छे लग रहे थे और उन दोनों को देख कर बाक़ी लोग भी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ डांस करने लग जाते है । अब वहाँ का महोल काफ़ी फ़िल्मी और रोमांटिक लग रहा था ।
वैसे आज रात का क्या प्लेन है छेड़ते हुए अजय स्नेहा को केहता है और अजय की बात सुनकर स्नेहा शर्मा जाती है ।
वो तो तुम्हें पता होगा ?
स्नेहा केहती है और उसकी बात सुनकर अजय स्नेहा को अपनी गोद मैं उठाता है और उसे लेकर होटल के एक कमरे मैं आ जाता है और फिर दोनों एक दूसरे मैं खो जाते है ।
कुछ समय बाद -
स्नेहा के पेट पर अजय कान लगा कर कुछ सुनने की कोशिश कर रहा था । क्या कर रहे हो हस्ते हुए स्नेहा केहती है। अपने बच्चे से बात अजय इतना बोलकर अपने बच्चे से बात करने लगता है और अजय के बचपने पर स्नेहा हस्ती है और फिर कुछ समय तक इसी तरह से वे दोनों वापस मैं बात करने के बाद सो जाते है।
एक घंटे बाद-
स्नेहा अजय के सीने पर सिर रख के सोई थी तभी उसके मोबाइल पर माधुरी का कॉल आता है । सेन्हा कॉल के रिंग को सुनकर उठती है और इतनी रात को माधुरी का कॉल देख़ कर हैरान हो जाती है ।
आंटी मुझे इस वक़्त तो कभी कॉल नहीं करती थी फिर आज इतनी रात को अपने मन मैं सोचते हुए स्नेहा कॉल उठा लेती है।
तभी अजय का भी नींद खुल जाता है ।
बेटा सभी बच्चों को अचानक से बुख़ार हो गया है और उन लोगो को साँस लेने मैं भी तकलीफ़ हो रही है , घबराते हुए माधुरी कॉल पर केहती है । बेटा तुम आ सकती हो क्या अभी ?
अरे आंटी कैसी बात कर रही हो आप मैं अभी पहुँच रही हूँ वहाँ आप उन सभी बच्चों को पास के प्लस हॉस्पिटल मैं भर्ती करवाओ घबराते हुए स्नेहा केहती है और कॉल रख देती है ।
अजय मुझे जाना होगा सॉरी खड़ा होता हुए स्नेहा अपने कपड़ो को पेहनते हुए बोलती है । अजय कॉल पे स्नेहा की सारी बातो को सुन लेता है और वो भी अपने जगहा से खड़ा होकर अपने कपड़ो को पहनने लगता है । मैं भी चलूँगा , अजय स्नेहा से केहता है । नहीं तुम यहीं रहो और अपनी नींद को पूरा करो कल तुम्हें काम भी होगा स्नेहा केहती है ।
मैं जा रहा हूँ तुम आना चाहो तो आ सकती हो इतना केहकर अजय बाहर जाने लगता है और उसे ऐसा करता देख स्नेहा हँसती है और उसके पीछे पीछे चली जाती है और दोनों जा कर गाड़ी मैं बैठ जाते है ।
अजय कार को ड्राइव कर रहा था इधर स्नेहा काफ़ी घबरा रही थी । अजय उसे देखता है और फिर गाड़ी को ड्राइव करने लगता है और कुछ समय बाद वो लोग प्लस हॉस्पिटल पहुँच जाते है । स्नेहा और अजय दोड़ कर अंदर चले जाते है और वहाँ रिसेप्शन मैं बैठे लड़के से उन बच्चों के वार्ड का पता करके अंदर चले जाते है ।
डॉ मिथाली और उनके साथ दस से भी जादा डॉक्टर उन बच्चो का इलाज कर रहे थे
और माधुरी उन बच्चों के बगल मैं खड़ी थी ।
नर्स इधर से उधर भाग रही थी ।
डॉ मिथाली स्नेहा को देखती है और उसे कोने मैं ले जाती है इन बच्चों को एक बीमारी हो गई है जिस्म बुख़ार एक दूसरे से फैला है ये आम तोड़ पर बच्चो को होता है और बुख़ार धीरे धीरे बढ़कर दिमाग मैं चढ़ जाता है और अगर इन्हें वक़्त रेहते केहोक इंजेक्शन नहीं दिया तो ये लोग मर जाएगे स्नेहा से डॉक्टर मिथाली केहती है और उसकी बात सुनकर स्नेहा काफ़ी घबरा जाती है ।
तो इन्हें इंजेक्शन दो स्नेहा चिढ़ते हुए केहती है । एक इंजेक्शन एक लाख की पड़ेगी और सौ एक करोड़ की और हमारे पास स्टॉक नहीं है और किसी के पास इतना पैसा है नहीं की वो मेडिकल सप्लायर से ख़रीद सके डॉ मिथाली की बात सुनकर स्नेहा काफ़ी डर जाती है ।
स्नेहा मेडिसिन सप्लायर को कॉल लगाती है और उनसे बात करने लगती है और अपनी प्रॉब्लम बताती है कॉल पे शिवराज था । देखो मैं तुम्हारी दिक़्क़त को समझता हूँ पर मेरे हाथ बंधे मुझे भी आगे पैसा देना होता है तुम कल पैसा भिजवा दोगी मुझे पता है पर मैं ऐसे तुम्हें इंजेक्शन नहीं दे पाऊँगा सॉरी इतना बोलकर शिवराज कॉल रख देता है और उसकी बात सुनकर स्नेहा ज़मीन मैं बैठ कर ख़ुद को काफ़ी हारा हुआ मेहसूस करती है ।
तुम्हारा होने वाला पति bussines मेन है अभी ले कर आता हूँ स्नेहा के कंधों पे हाथ रखते हुए अजय केहता है और अजय की बात सुनकर स्नेहा ख़ुशी से अजय को गले लगा लेती है । और फुट फुट कर रोने लगती है ।
शुक्रिया अजय , वैसे तो मैं तुम्हें चिपका कर रखता मगर सिचुएशन अभी थोड़ी किरीटिकल है। हस्ते हुए केहता है और वहाँ से जाने लगता है मैं भी चलूँगी अजय को जाता देख सेन्हा केहती है और उसके पीछे पीछे जाने लगती है और फिर दोनों मेडिकल सप्लायर के ऑफिस के बाहर पहुँच जाते है ।
दोनों जैसे ही अंदर जा रहे थे तभी सड़क पे उन्हे शिवराज तीन चार लोगो के साथ बात करता हुआ नज़र आता है ।
देखिए मैंने आपके लिए सौ बच्चों के शरीर का जुगाड़ कर दिया है अब आपको उनका किडनी आँख जो चाहिए ले सकते हो तो आप फिर मेरा पैसा क्यों काट रहे हो ? शिवराज केहता है और उसकी बात सुनकर स्नेहा और अजय काफ़ी शॉक हो जाते है और अजय कार से उतर कर उन सभी का वीडियो रिकॉर्ड करने लगता है ।
देखो अगर हमलोगो मैं से कोई फ़स गया तो वो चारो आदमी शिवराज से केहता है । अरे नहीं फ़सोगे आप मैंने एक गोली जिससे खाने से वो बुख़ार वाली बीमारी फैलती है वो मैंने विटामिन की गोली के साथ धोके से बदलवकार डॉ नैन्सी के द्वारा आश्रम के उन बच्चों को खिलवा दिया है । उनके पास इंजेक्शन के पैसे होगा नहीं जिससे वो बीमारी ख़त्म की जा सकती है और अगर वो जुगारक भी कर लेगी तो उन्हें बचाना अब नामुमकिन होगा और कल को जब जाँच होगी तो सारा इंज़ाम उस डॉक्टर पे जाएगा और साथ ही उन बच्चों के मरने के बाद सारी लाश को जलाने के लिए जब हमारे हॉस्पिटल लाया जाएगा तो उसे हम आपके पास पहुचवा देंगे फँसने का नो चांस शिवराज केहता है और उसकी बात को सुनकर स्नेहा को जैसे सदमा सा लगता है ।
ये मैंने क्या कर दिया मेरे हाथों उन बच्चों की हत्या हो गई स्नेहा रोना शुरू कर देती है और उसकी आवाज़ सुनकर शिवराज चोकना हो जाता है और फिर उसका नज़र अजय और स्नेह पर चला जाता है अजय उसका वीडियो बना रहा था ये देख कर शिवराज तुरंत अपने आदमियों को इशारा करता है ।
To Be Continue-