सारे लोह मानवो को कुछ दिनों तक राजमहल में ही रहना पड़ेगा यह सब तांडव कबीले के जासूसों से बचने के लिए किया जा रहा है फिर परिस्थिति सामान्य हो जाने के बाद कोई भी किसी से भी बात कर सकता है और अपने परिवार से मिल सकता है अगर कोई भी राजा के इस आदेश की अवहेलना करेगा तो उसे दंडित भी किया जा सकता है यह सुनकर वहां मौजूद लोह मानव समझ गए कि इन तांडव कबिले के हत्यारों का खतरा अभी तक टला नहीं है इत इनके जासूस अभी भी भरतपुर राज्य में मौजूद है और उनका खतरा लगातार बना हुआ है इसके बाद अधिकारी आकाश सिंह और उस सैनिक के साथ वापस राजा के पक्षी के ऊपर चढ़ गए वह सारे भरतपुर राज्य की तरफ बढ़ चले अधिकारी आकाश सिंह उस सैनिक को लेकर राजा वीर प्रताप सिंह के पास पहुंच गए उनके पास जाते ही राजा ने उससे पूछा तुम्हारा नाम क्या है उसने बताया मेरा नाम विजेंद्र सिंह है फिर राजा ने गर्व की तरफ उंगली करके पूछा क्या तुम इसे पहचानते हो गर्व की तरफ देख कर उस सैनिक वीरेंद्र सिंह ने कहा इसे कौन नहीं पहचानता इसी के कारण हम आप और सभी सही सलामत जिंदा है अगर यह नहीं होता तो हम सारे कल रात को ही स्वर्गवासी हो चुके होते हम्मम्म राजा ने कहा उन्होंने आगे कहा तुम्हें एक काम करना होगा तुम्हें तो पता ही है हमारे राज्य की जनता कि मन में गर्व के प्रति काफी नकारात्मक भाव है और अगर उन्हें यह मालूम चल गया कि गर्व ने युद्ध भूमि में शौर्य का प्रदर्शन किया है तो वह सारे इस बात को हजम नहीं कर पाएंगे इसलिए हमें गर्व की पहचान को राजमहल में जाने तक छुपा कर रखना है और सही वक्त आने आते ही गर्व के बारे में हम सारी जनता को बता देंगे इसलिए तुम्हें अपने कवच को गर्व को देना होगा और इसके जरिए गर्व अपनी पहचान को छुपा सकता है और जब तक हम गर्व के बारे में सारी जनता को बता नहीं देंगे तब तक तुम्हें हमारे साथ में ही रहना पड़ेगा बिल्कुल यह तो कुछ भी नहीं है मुझे तो लगा कोई बड़ा काम होगा मैं तो अपने राज्य के लिए अपनी जान भी दे सकता हूं उस सैनिक विजेंदर सिंह ने राजा से कहा फिर वह आपने लोह मानव के कवच से बाहर निकल गया और उस कवच के अंदर कवच के अंदर गर्व चला गया और बाहर से उस कवच को बंद कर लिया जिससे कि कोई भी गर्व के चेहरे को देख नहीं सकता था फिर अधिकारी आकाश सिंह ने उस सैनिक विजेंद्र सिंह को स्टोरेज रिंग में भेज दिया जो कि उसने गर्व से ली थी जल्द ही वह सारे भरतपुर राज्य की सीमा तक पहुंच गए वहां पर अभी भी वहां नीली ऊर्जा का सुरक्षा कवच मौजूद होता है जो कि पूरे शहर को घेरे हुए थे था और पूरे शहर की सुरक्षा कर रहा था उस सुरक्षा कवच के पार कई सारे सैनिक खड़े हुए होते हैं वह सुरक्षा कवच की रक्षा कर रहे थे उन्होंने जैसे ही देखा कि राजा वीर प्रताप सिंह के साथ उनका पक्षी भी सही सलामत वापस आ रहा है तो उनके खुशी का ठिकाना नहीं रहा साथ ही नीचे से लोह मानव कि सेना भी सही सलामत आ रही थी यह देखकर उनकी खुशी दोगुनी हो गई वह खुशी से नाचने लगे देखते ही देखते पूरे राज्य में राजा वीर प्रताप सिंह की आने की बात फैल गई सारे लोग रास्तों पर जमा होने लगे वह सब राजा वीर प्रताप सिंह को देखना चाहते थे उनकी आते ही उस नीले सुरक्षा कवच पर एक बहुत बड़ा दरवाजा तैयार हो गया इस दरवाजे से राजा का पक्षी और वहां मौजूद सारे लोह मानव अंदर आ सकते थे यह दरवाजा 100 मीटर से भी ज्यादा बड़ा होता है जिससे कि राजा वीर प्रताप सिंह अपने पक्षी के साथ और लोहमानव की सेना की टुकड़ी भी राज्य के अंदर प्रवेश कर गई उस नीले सुरक्षा कवच के अंदर आते ही राजा के पक्षी ने हवा में गोल गोल चक्कर लगाना चालू किया राजा वीर प्रताप सिंह के साथ बाकी के अधिकारी भी देख रहे थे कि राज्य की हर इमारत की बालकनी में लोग जमा हो रहे हैं और वह आसमान में उड़ रहे राजा वीर प्रताप सिंह के पक्षी के तरफ देख रहे हैं सच में इस राज्य की जनता राजा वीर प्रताप सिंह का बहुत ही आदर करती है हवा में गोल गोल घूमते हुए वह राजा का पक्षी नीचे जमीन पर उतर गया वहां पर राजा वीर प्रताप सिंह के लिए एक हाथी तैयार किया हुआ था उस हाथी के पूरे शरीर में सोने के वस्त्र चढ़ाए हुए थे राजा वीर प्रताप सिंह हाथी के ऊपर चढ़ गए अधिकारी आकाश सिंह ने दो तीर धनुष और दो तलवारबाज अधिकारियों को राजा की सुरक्षा के लिए राजा के साथ रहने का आदेश दिया क्योंकि राजा वीर प्रताप सिंह की जान को खतरा उत्पन्न हो सकता था अधिकारी आकाश सिंह राजा के पक्षी के ऊपर चढ़ गया और राजा का पक्षी राजमहल की ओर उड़ गया जाते-जाते गर्व नीचे झुक कर देखता है तो राज्य के लोग हर इमारत की बालकनी में आ गए थे साथ ही वह रास्ते के दोनों ओर भी जमा हो गए थे और वह एक साथ एक स्वर में राजा वीर प्रताप सिंह की जय राजा वीर प्रताप सिंह की जय का नारा लगा रहे थे साथ ही वहां मौजूद सारे लोग राजा के ऊपर पुष्प वर्षा भी करते जा रहे थे साथ ही आसमान में आतिशबाजी भी होने लगी राज्य के हर कोने में आनंद और खुशी का माहौल छा गया राजा वीर प्रताप सिंह के साथ आप लोह मानव भी चल रहे थे सारे लोग उन पर भी पुष्प वर्षा करते जा रहे थे कई सारे लोग तो उनसे हाथ मिलाने के लिए भी आगे बढ़ रहे होते हैं पर वह एक सैनिक थे और सैनिकों का एक नियम कानून होता है वह जब तक सैनिकों के वेश में होते हैं तब तक वह किसी से भी सैनिकों के अलावा हाथ नहीं मिला सकते थे ऐसे अति उत्साही लोगों को बाकी के सैनिक बाजू हटाते जा रहे थे ऐसे लोगों को छोड़कर राज्य में चारों तरफ हर्षोल्लास का माहौल बन गया था यह देखकर गर्व को खुशी होती है सच में राज्य के लोगों ने पिछले कुछ दिनों से काफी खराब हालातों का सामना किया था और उन सब का खुशी मनाना तो बनता ही है जल्दी राजा का पक्षी राजमहल में पहुंच ही गया उसके वहां पर पहुंचते ही राजा के रिश्तेदार और परिवार के लोग सारे भागे भागे बाहर की तरफ पहुंचे उन्होंने आकाश सिंह से पूछा कि राजा वीर प्रताप सिंह कहां पर है वह तुम्हारे साथ नहीं आए क्या फिर अधिकारी आकाश सिंह ने उनसे कहा राजा वीर प्रताप सिंह राज्य की जनता का अभिवादन स्वीकार करते हुए राज महल में आ रहे हैं आखिर उनका राज्य की जनता के प्रति भी कोई उत्तरदायित्व बनता है यह सुनकर वह राजा के रिश्तेदार सब शांत हो गए थे उन रिश्तेदारों में से एक ने कहा वह यह उस गर्व के बच्चे का किया धरा है ना ही वह अपने राज्य में होता और ना ही अपने राज्य पर इतनी बड़ी आपत्ति आती है पर शुक्र है भगवान का हमारे राज्य में राजा वीर प्रताप सिंह जैसे शूरवीर राजा है जिन्होंने गर्व के साथ-साथ तांडव कबीले के हत्यारों को अच्छा सबक सिखाया यह सुनकर तो गर्व के पैर ही लड़खड़ा गए और वह लड़खड़ाते हुए नीचे जमीन पर गिर पड़ा क्योंकि वह इस वक्त लोह मानव के कवच के अंदर था इसलिए कोई भी उसका चेहरा नहीं देख सकते थे उसको लड़खड़ाते हुवे वह मौजूद एक रिश्तेदार आदमी ने गर्व को कहा अरे क्या हो गया क्या तुम तो हो मैं समझ सकता हूं कि तुम लोगों ने रात भर गर्व के साथ-साथ उन हत्यारों का सामना किया होगा और उन्हें जरूर ही मार डाला होगा इसलिए तुम लोग थक गए होगे इसलिए तुम ज्यादा देर तक खुद को तकलीफ मत दो जाओ जाकर तुम सब थोड़ा आराम कर लो इस वक्त वहां अधिकारी आकाश सिंह राजा के रिश्तेदारों को कोई भी चीज के बारे में समझाना नहीं चाहता था क्योंकि काम तो राजा वीर प्रताप सिंह को करना होता है ना कि उनके रिश्तेदारों को उसे उन लोगों से कोई मतलब नहीं था गर्व सोच रहा था कि उन्हें क्या पता होता है कि युद्ध भूमि में कैसे लड़ा जाता है वहां पर हर एक सेकंड तुमको अपनी जान की बाजी लगानी पड़ती है यह तो बस राजा के रिश्तेदार होने का फायदा उठाते जा रहे हैं और मुफ्त के खाने को खाते जाते हैं और अपने दिमाग के तारे तोड़ते जाते हैं सही बात तो यह है कि उसकी वजह से ही राजा वीर प्रताप सिंह के साथ-साथ उनके सारे लोगों की उनके पक्षी की और वहां मौजूद सारे लोगों की गर्व के योजनाओं के कारण जान बच गई थी गर्व को अपने श्रेय न लेने के निर्णय पर अब अफसोस होता जा रहा था अगर दंगे होते है तो हो जाए पर कम से कम उसे हर समय गालियां तो नहीं खानी पड़ेगी भले ही गर्व इस वक्त लोह मानव के अंदर हो पर उसे उन सारे लोगों की अपने बारे में सोच को लेकर काफी बुरा लग रहा था उस रिश्तेदार की बातों को सुनकर वह अधिकारी आकाश सिंह उससे कुछ नहीं कहता है वह गर्व के पास जाता है और उसके कंधों को थपथपाकर उसे वह सांत्वना दिए जा रहा था फिर अधिकारी आकाश सिंह गर्व के साथ बाकी के अधिकारियों को लेकर राज महल के अंदर चला जाता है और वह गर्व के लिए एक खास कमरे का इंतजाम करता है और वहां पर एक तीर धनुष और तलवारबाज अधिकारी को गर्व की सुरक्षा के लिए रख कर वहां से चला जाता है जाते-जाते उसने गर्व को सख्त हिदायत दी थी कुछ भी हो जाए राजा के आने से पहले इस कमरे के बाहर निकलना नहीं नहीं तू अगर तुम यहां पर किसी को दिखे तो यहां पर बवाल हो जाएगा गर्व भी आकाश सिंह की बातों को समझ गया वह अपने कमरे में ही रुक गया यह कमरा काफी बड़ा होता है यह जमीन पर कई तरह के गालीछे बिछे हुए थे और यहां पर बहुत बड़ा सोने के लिए पलंग भी होता है गर्व ने फिर अपने लोह मानव कवच को निकाल दिया और उसने देखा कि जो स्टोरेज रिंग उसने अपने कपड़ों के अंदर छुपा कर रखी थी वह सुरक्षित है या नहीं उसे जैसे अपनी दोनों स्टोरेज रिंग मिली उसकी जान में जान आ गई क्योंकि उसने स्टोरेज रिंग में उन तांडव कबीले के लोगो से कई सारा सोना चांदी जवाहरात हथियार और जड़ी बूटियों को चुराया होता है और साथ ही उसने एक लोह मानव के कवच कवच को चुराकर यहां पर रखा था उसने यह तब चुराया था जब वह राजा के पक्षी के साथ नीचे जमीन पर गिर रहा होता है और तब उसका कालीचरण पीछा कर रहा था पर तभी कालीचरण के पक्षी को तीर लग गया और गर्व ने बर्फ का रास्ता बनाकर खुद की और राजा के पक्षी की भी जान बचा ली तभी नीचे खड़े सारे सिपाहियों का ध्यान कालीचरण के पक्षी पर था वह आश्चर्य से उसकी तरफ देखे जा रहे थे इसी का फायदा उठाकर गर्व ने नीचे मौजूद एक खाली लोह मानव के कवच को जल्दी से अपने स्टोरेज रिंग के अंदर डाल दिया