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"Holoom Almahdi".. (Jinno Ka ek Shahzada)

Auteur: FARHA_KHAN
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Synopsis

"weh janna chahti thi is kahani ko..jo usne jee nahi thi..mahar phir bhi uska koi na koi kirdar usme raha tha.!log uske naam ko nahi magar uske chehre ko jante the!or weh bhi weh log jo insan hi nahi the..!naa jane kya tha un pardo key pichhe...jinme yeh kahani chhupi hui thi...use shayad in par se parde uthane padenge"!!

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Chapter 1Kamre ki Khidki Khulna 1

बारिश बंद हो चुकी थी लेकिन खिड़की के ऊपर झूलती   फूलों की बेल के पत्तों और फूलों से टप टप करके पानी बूँद बूँद ज़मीन पर गिर रहा था! मिट्टी के अंदर उसके ज़ोर से एक बूँद जितना ही बड़ा मगर गहरा सुराख़ हो रहा था! पर्दों को एक तरफ सरकाते हुए उसने बाहर नज़र डाली थी! सारी की सारी रुत जैसे अभी नहाकर निकली थी! मिट्टी की खुश्बू फूलों की महक के साथ साथ उसके आस पास चककर काट रही थी! आसमान पर नारंगी और सलेटी रंग छिड़का हुआ था! अन्दलीब की आँखों में चांदनी सी घुलने लगी थी! उसके लबों पर धीमी सी मुस्कराहट थी जो लम्हा दर लम्हा गहराती जा रही थी! उसी वक़्त कमरे का दरवाज़ा खुला था बारिश की ठंडक में घुली हवा ज़ोर से चली थी पर्दा भी साथ ही उड़ा था! जैसे कोई बंधन ना होता तो सारी दुनिया में  किसी हसीन दोशीज़ा की तरह लहराता फिरता! अंदर आने वाली अमल के वुजूद से ठंडी और खुशबूदार हवा टकराई तो वह बुरी तरह चौंक गई! बड़ा सा बॉक्स थामें  वह हैरत से खिड़की की तरफ देखने लगी थी! खिड़की पर कोई नहीं था! बॉक्स बेड पर रखकर वह खिड़की की तरफ आ गई थी! "अब यह विंडो किसने खोल दी? मैं तो बंद करके गई थी! शुक्र है बारिश अंदर नहीं आई" वह खिड़की के पट बंद करते हुए बड़बड़ा रही थी! एकदम ऐसा लगा पीछे कोई खड़ा है वह तेज़ी से पलटी मगर वंहा कोई नहीं था! ड्रेसिंग टेबल के आईने में उसका अपना अक़्स नज़र आ रहा था! अमल को अपना ज़हन भारी भारी महसूस हुआ! तभी हिना और पूजा एक साथ बातें करते हुए उसके कमरें में दाख़िल हुई थीं! अमल को लगा किसी ने उसका दिमाग़ एकदम से झटक दिया हो! "वाव..." वह दोनों बॉक्स देखकर एकसाथ ही उसके बेड की तरफ लपकीं थी! इधर अमल ने भी जल्दी से उधर क़दम बढ़ाये थे! "हाथ मत लगाना"! "क्यों? इसमें खज़ाना है?" वह बॉक्स से कुछ दूरी पर ठहर कर कुछ चिढ़ते हुए बोलीं! "हाँ बहुत क़ीमती खज़ाना है! मैं ख़ुद दिखाती हूँ" वह बॉक्स का ढक्कन हटाते हुए बोली! उसमे एक बड़ा सा केक था! जिसपर यास्मीन का नाम दर्ज था! "ओह्ह नो...हम तो भूल ही गए" वह ज़हन में चमकने वाली सोच के साथ ही वह दोनों अफ़सोस से बोलीं! अमल मुस्कुराते हुए भँवे उचका गई थी! "मैं मेरी डियर फ्रेंड का बर्थडे कभी नहीं भूलती"उसने लहक कर कहा! तो वह दोनों केक का जायज़ा लेने लगीं "देखने में ही टेस्टी लग रहा है! चलो गिफ्ट नहीं है हमारे पास तो क्या हुआ? केक तो खा लेंगे" दोनों कह कर एक साथ हंसने लगीं! ज़ैना ने बॉक्स उठाया था और उन्हें घूरती बाहर निकल गई थी! वह दोनों भी उसके पीछे पीछे चल दी थीं और कमरें कीखिड़की एक बार फिर खुल गई थी! पर्दा एक तरफ सरक गया था!

यास्मीन मोबाइल पकड़े कोई गेम खेलने में मग्न थी! जब वह तीनों एक साथ कमरे में दाख़िल हुई थीं "हैप्पी बर्थडे टू यू" उनका ज़ोरदार नारा अचानक से सुनकर मोबाइल यास्मीन के हाथ से छूट गया था और वह बुरी तरह उछल गई थी! वह तीनों रुककर पहले एक दूसरे को फिर उसे घूरने लगी थीं "इसका डर अल्लाह जाने कब खत्म होगा? मैं तो दुआ करुँगी इसकी शादी किसी जिन्न से हो जाये" हिना ने जलकर कहा! उसके यूँ उछलने ने सारा मज़ा किरकिरा कर दिया था! यास्मीन जो उन्हें देख कर अब ख़ुशी से अमल के साथ लिपट गई थी उसकी बात पर अमल से अलग हटते हुए उसे घूंसा जड़ दिया था "बकवास मत करो! तुम कर लो किसी कुत्ते से शादी तुम्हें पसंद भी हैं! मेरे पप्पी...हाउ क्यूट देट डॉग?" वह उसकी नक़ल उतारते हुए कह रही थी! पूजा ने केक टेबल पर रख दिया था! चारों लड़कियां टेबल के इर्द गिर्द खड़ी हो गईं यास्मीन ने केक काटा उसके बाद म्यूजिक चला कर थोड़ी डांस मस्ती हुई! अमल बहुत थक गई थी! दरअसल वह लोग ग्रेजुएशन कम्पलीट करने के बाद घूमने आई थीं! उनके साथ उनकी फैमली के चन्द लोग थे! लेकिन यह उनकी परसनल पार्टी थी क्योंकि वह नहीं चाहती थीं कि कोई भी सवालों की लम्बी बौछार करे कि केक कौन लाया? वगैरह वगैरह! सभी एक ही होटल में ठहरे हुए थे! लेकिन कमरें अलग अलग थे! सबको अपनी प्राइवेसी से प्यार था! आये तो घर से चन्द लोग साथ थे लेकिन जगह लड़कियों की पसंद की थी! नई नई बहुत सारी जगहों पर वह बहुत घूम चुकी थीं लेकिन अब वह ऐसी ऐतिहासिक जगह का मुआयना करना चाहती थीं जिनसे गहरे राज़ जुड़े हुए हों और मिस्र से ज़्यादा गहरे राज़ भला किस ज़मीन में दफ़्न हो सकते थे? यास्मीन को तो बहुत डर लगता था ऐसी कहानियों से जिनकी धड़कन में एक अजीब सा खौफ और असरार (रहस्य) सांस लेते महसूस होते थे! मगर उन तीनों के साथ उसे भी खिंचना पड़ता क्योंकि ना वह उनसे अलग रह सकती थी ना ही वह उसे छोड़ने वाली थीं! कहते हैं कि दुनिया असरारों  से भरी वह जगह है जहाँ  किसके कौन से और कितने राज़ गड़े हुए हैं या तो अल्लाह जानता है या फिर वह इंसान ख़ुद! उसके साथ कौन सी मुश्किले? कब? क्या? से पेश आईं यह कौन जानता है लेकिन इतना तो है कि हर दौर में गढ़े  मुर्दे उखाड़ने वाले भी रहे हैं! जिन्हेँ हर एक की गुज़री ज़िन्दगी से मतलब ज़रूर रहा है! इसकी भी बहुत सारी वजह हैं जैसे कि हिस्ट्री और पुराने राज़ों में इन्ट्रस्ट होना या कभी कभी कोई शेय जैसे अपनी तरफ खींचती है! हर चीज़ को छू कर उसे महसूस करने का दिल करता है! इंसानी दिल भी बड़ी अजीब शेय है  इसके पास हर एक चीज़ है डर खौफ, खिंचाव और भी बहुत कुछ! मगर इसे चीज़ का मज़ा चखना अच्छा लगता है फिर वह चाहे डर हो या शोक हो! पुराने क़ब्रिस्तानों की टूटी हुई क़ब्रें और टूटे हुए क़ुत्बे दहशत सी जगा रहे थे! दूर तक महज़ एक सन्नाटों  में पिवस्त  ख़ामोशी थी ऐसी खामोशी की अभी कोई बोल पड़े तो दिल हौल उठे! यास्मीन को तो बहुत डर लग रहा था! उनकी फेमिली  के  लोग और उनका गाइड उनके साथ था! बादल आसमान  पर  गुलाबी गुलाबी धुँए की सूरत उमड़ते  चले आ रहे थे जैसे उनके सरों  पर साया करने की कोशिश हो रही हो! सूरज डूब रहा था और शाम नज़दीक आ रही थी! "पुराने लोग कहते हैं कि सदियों पहले यह क़ब्रिस्तान बादशाहों के राज में उनके खास लोगों के लिए हुआ करता था जब उनके अपने लोग मरते थे तब उन्हें इन क़ब्रिस्तान में दफ़नाए जाता था! आम लोगों को दफ़नाने की इसमें इजाज़त नहीं थी लेकिन एक बार एक लकड़हारे  के ग़रीब बेटे की मौत बादशाहों के बेटे के हाथों हो गई थी तब उस लकड़हारे  ने बादशाहों से बग़ावत करके आधी रात को अपने बेटे की लाश को यहाँ दफ़ना दिया था! उसके बाद बादशाहों ने अपने मुर्दों को यहाँ दफनाना अपनी तौहीन समझा और इसे हमेशा हमेशा के लिए बंद कर दिया गया उसके बाद उस बूढ़े लकड़हारे की लाश यहाँ एक पेड़ पर झूलती पाई गई! लोगों का कहना था कि उसे बादशाह ने मार डाला मगर बादशाह ने इस बात से साफ़ इंकार दिया"गाइड के पीछे पीछे वह सब लाइन बनाकर चल रहे थे! उसकी आवाज़ इतनी थी सबसे पीछे चलने वाले यास्मीन के भाई आमिल तक भी इस तरह पहुंच रही थी कि उसे सब सुनाई दे रहा था ! क़ब्रें ऊपर से गन्दी थीं! यास्मीन पूजा के अंदर घुसी जा रही थी जबकि अमल सारे क़ब्रिस्तान की पिक्स भी ले रही थी! उसके पास घोस्ट कैप्चर कैमरा भी था जो उसने गले में लटकाया हुआ था लेकिन किसी को बताया नहीं था! क्योंकि उसे मालूम था कोई भी उसे यह काम करने नहीं देता इसीलिए उसने सबसे इस बात को छुपा लिया था मगर उमर की नज़रें बार बार उसके घोस्ट डिटेक्टर कैमरे पर जा रही थीं! ज़ैना ने अपना चेहरा नार्मल बनाये रखा ताकि उसे शक ना हो! अचानक से एक काली बिल्ली कहीं से कूद कर उनके सामने आई! एकदम से लड़कियों की चीखें निकल गई मगर उसकी तेज़ रोशन आँखें देखकर वह खामोश हो गईं थीं! उनके चीखने पर अमल का दिल भी ज़ोरों से धड़कने लगा था! बिल्ली जिस तरह लाइन से वह लोग आगे बढ़ रहे थे और अब उसे सामने पाकर रुक गए थे! ठीक उसी लेवल में चलती वह एक एक शख़्स के क़दमों के पास रुकी और फिर उसका चेहरा मुँह उठाकर देखा इसी तरह वह अमल के पास आ रुकी और मुँह उठाया! उस लम्हें हैरत से उसका मुँह खुला रह गया जब उसे बहुत साफ तौर पर लगा वह बिल्ली मुस्कुराई है! अमल खौफ से झटका खाकर थोड़ा पीछे हो गई बिल्ली भी वापस पलटी कुलांचे मारकर इधर उधर दीवारों पर चढ़ती निगाह से ग़ायब हो  गई "तुमने देखा वह बिल्ली किस तरह मुस्कुराई थी?" उसने तेज़ी से सबसे मुखातिब होते हुए कहा! सब उसके साथ साथ बिल्ली हो देख रहे थे इसलिए उसे यक़ीन था जो उस बिल्ली ने किया वह सभी ने देखा होगा "बिल्ली भी कभी मुस्कराती होगी?" उमर ने उसकी बेवकूफी पर कहक़हा लगाया वही उसके बराबर में खड़ा था उसने भी बिल्ली को क़रीब से देखा था और कोई ऐसी हरकत उसकी निगाह में नहीं आई! "हाँ! यही तो हैरत की बात है कि उसने मुस्कुराया" अमल ने यक़ीन दिलाने वाले अंदाज़ में कहा! "अमल प्लीज़ मसखरी मत करो पहले ही डर लग रहा है और मैं तो कहती हूँ यहाँ से चलो शाम हो रही है बहुत डरावना है यह क़ब्रिस्तान" यास्मीन ने झुरझुरी सी लेकर कहा! उसी वक़्त मोती मोती बूंदे पड़ना शुरू हो गई थीं! वह जल्दी से एक छाजली की ओट में हो गए थे! देखते देखते बारिश सख्त तूफानी रूप इख्तियार कर गई थी! सबने एक दूसरे के हाथ कसकर पकड़ लिए थे! सबके दिल में हल्की हल्की धड़क होना शुरू हो गई थी! पहले ही शाम का वक़्त था और बारिश की धुआँधार सूरत ने माहौल को कुछ और गहरे रंग का और धुंधला कर दिया था! आसमान पर काली घटाएं ऐसे छा गई थीं गोया बहुत ज़्यादा गहरी रात हो गई हो!"मैंने पहले ही कहा था कि यहाँ से चलो!अँधेरे में कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा!"यास्मीन बुरी तरह काँप रही थी!"कम से कम तुम तो होंसला रखा करो!मोबाइल की टॉर्च जलाऊ मैं अगर तुम हाथ छोड़ो"आमिल ने कोफ़्त से बहन को डपटा था!"नहीं मेरा हाथ मत छोड़ना"उसने कुछ और कसकर उसका हाथ पकड़ लिया था!"मैं जलाता हूँ टोर्च"उमर ने ज़ैना का हाथ छोड़ते हुए मोबाइल जेब से निकला था!ज़ैना को उस वक़्त लगा जैसे कोई उसके बराबर में खड़ा है!उसने झटके से देखा!वही काली बिल्ली उसके क़दमों के पास मौजूद थी!अंधरे में भी उसकी आँखें बेइंतिहा चमक रही थीं और उसके लबों की मुस्कराहट किसी भी इंसानी मुस्कराहट से भी ज़्यादा वाज़ेह थी!मारे खौफ के उसकी चीख़ निकल गई और बहुत ज़ोर से उसने बिल्ली के मुँह पर लात मारी थी!बिल्ली पलटियां खाकर कुछ दूर अँधेरे में जा गिरी और उसके बाद गोया किसी लड़की की रोने की आवाज़ और चूड़ियों के साथ पायलों की आवाज़ ज़ैना की समाअत में गूंजती चली गई थी!जैसे कोई लड़की रोती हुई भागी हो!वह जल्दी से उस आवाज़ की तरफ भागी थी!गैलरी सी खुली हुई थी!अचानक बिजली चमकी और उसे उस गैलरी में कोई लड़की स्याह दुपट्टे में भागती नज़र आई और दूसरी बिजली चमकने पर मंज़र सिरे से ही ग़ायब था!अमल जैसे वहीँ जम गई थी!उसकी आंखें मानों पत्थर हो गई थीं!यह कौन लड़की थी?"क्या हुआ तुम क्यों ऐसे भाग कर आई हो जैसे कोई तुन्हे मार के भगा हो"उमर की आवाज़ ने उसे जैसे वापस अपनी दुनिआ में धकेल लिया था!वह बेगाना सी आँखों से उसका और फिर सबका चेहरा देखने लगी थी!बारिश बंद हो गई थी!उसे नाजाने कितनी देर यूँही खड़े खड़े हो गई थी किसी ने उसपर ध्यान ही नहीं दिया था!बारिश बंद हुई तो कुछ उजाला हुआ था तब उमर ने उसे बुत बने देख कर पास आकर उसे हिलाया था!"क्या हुआ तुमने कोई भूत देख लिया क्या?"यास्मीन ने डरते हुए कहा!"हाँ भूत से क्या डरेगी चुड़ैल के साथ तो हर टाइम रहती है" मोहित ने उसकी बात पर उसे घूरा था!उसने डर डर कर सबको पका रखा था!अमल गुमसुम सी सबके साथ आ  गईथी!मगर उसका ज़ेहन उलझा रहा! उसने तो बिल्ली को मारा था फिर यह कौन रोती हुई भागी?शायद वह बिल्ली उस लड़की की रही होगी!वह ना जाने कितने सवाल और कितने जवाब खुद से ही अंदर अंदर करती रही और खुद ही जवाब बनाती रही!इसके बावजूद उसे कुछ अलग रहा था!जैसे वह मंज़र इस दुनिया का नहीं था जो उसे अचानक से दिखाई दे गया था!

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Ivan_Edwin · Horreur
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