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लैला मजनूं (Real story of Lela Majnu)

यह कहानी है 11 वी शताब्दी की जब अरब देश में एक अमीर परिवार में एक लड़के का जन्म हुआ. जिसका नाम रखा गया 'कायस इब्न अल-मुलाव्वाह' (मजनू). इस लड़के के बारे में कई ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि यह लड़का बड़ा होकर किसी लड़की के प्यार में पागल हो जाएगा.

 लेकिन उस समय Majnu के घर वालों ने इन सब बातों को झूठ और अंधविश्वास समझकर नजरअंदाज कर दिया. लेकिन वह कहते है ना कि  किस्मत का खेल कोई नहीं समझ सकता और प्यार एक ऐसी पहेली है जो अनजान लोगों के बीच खास से भी गहरा रिश्ता बना देती है.  

मजनू को मदरसे में पढ़ते समय Laila नाम की लड़की से प्यार हो गया और लैला भी मजनू से बेपनाह इश्क करने लगी. जब यह बात Laila के घर वालों को पता चली तो उन्होंने लैला की शादी एक अमीर व्यापारी 'वरद अल्थाकफी' से करवा दी.

 जब इस बात का पता मजनू को चला तो वह पागलों की तरह लैला के वियोग में इधर उधर भटकने लगा. और दूसरी तरफ लेला ने भी अपने पति को साफ साफ बता दिया कि वह मजनू से प्यार करती है. और वह उसी की होगी अन्यथा अपने प्राण दे देगी. यह बात सुनकर लैला के पति ने लैला को तलाक दे दिया और उसे वापस उसके पिता के घर भेज दिया.

जब मजनू ने फिर से लेला को देखा तो दोनों ने वहां से भागने का फैसला किया. और जब यह बात लैला की भाइयों को पता चली तो वह उन दोनों को मारने के लिए उन्हें खोजने लगे. इसी दौरान लैला मजनू दर दर  भटकते लगे. एक दिन भटकते भटकते राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में प्यास के कारण उन दोनों की मृत्यु हो गई. और जब लोगों को laila majnu की इस महान प्रेम कहानी के बारे में पता चला तो उन्होंने दोनों को एक साथ दफना दिया.