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मिस्टर सीईओ , स्पॉइल मी १०० परसेंट !

तलाक के कागज के एक टुकड़े ने शिया जिंगे को बेबस कर दिया था। हालांकि, एक कार दुर्घटना के बाद शिया जिंगे एक पेशेवर हैकर में बदल गई, जिसके पास इतना पैसा था, जिसे वो कभी पूरा खर्च भी नहीं कर सकती थी। "उन सभी के लिए जिन्होंने मेरा अनादर किया, मुझे परेशान किया और मुझपर हंसे, कृपा सभी लाइन में आए, मैं आप सबको दिखती हूं कि चेहरे पर थप्पड़ मारने का क्या मतलब है!" "रूको रूको रूको। वहां पर वह आदमी, मेरा पूर्व पति जिसके साथ मेरा कोई संबंध नहीं है, लाइन मत काटो।" "क्या, आप इन लोगों का सामना करने में मेरी मदद करना चाहते हैं?" "इतना ही नहीं, मैं सबसे पहले स्वयं को थप्पड़ मारूंगा!" अरबों डॉलर वाले सुंदर आदमी ने बिना रूके अपने चेहरे पर थप्पड़ मारने के लिए अपनी खुद की हथेली उठाई! ये एक लड़की की शक्ति की कहानी है, इस में धोखा नहीं है, गलतफहमी है। इस कहानी में अप्रत्याशित घटनाओं की उम्मीद करें, और इसे साधारण रोमांस न समझें।

Enchanting Smile · Urbain
Pas assez d’évaluations
61 Chs

गृहप्रवेश?

Éditeur: Providentia Translations

इस शानदार बंगला के सामने खड़ा हुआ शिया ची थोड़ा भयभीत था। हालाँकि, चेंगवू हैरान था और उसे इस बंगले के बारे में पता था, क्या यह शिया परिवार का पुराना घर नहीं था?

जिंगे उन्हें लेकर वहां क्यों आयी थी?

क्या उसने कहीं कुछ गलती की थी?

उनके चेहरे के भाव को देखते हुए, उसने परिस्थिति को समझाते हुए कहा "चाचा, ये बंगला हमेशा से मेरा था। अब जबकि मेरी याद्दाश्त वापस आ गई है, तो मैंने इसे वापस ले लिया"। 

"वू रोंग ने तुम्हे यह लेने दिया?" चेंगवू के लिए ये बहुत आश्चर्य की बात थी।

 "संपत्ति के प्रमाणपत्र पर मेरा नाम है, इसलिए उसे न चाहते हुए भी देना पड़ा। मैंने उसे इस घर से निकाल दिया है। इसलिए, आज के बाद से यह हमारा घर है। चलो, अंदर चलते हैं" जिंगे ने समझाते हुए कहा।

जिंगे सामने के दरवाजे को धकेलकर अंदर दाखिल हुई।

चेंगवू ने शिया ची का सहारा लिया और बाप-बेटे दोनों हिचकिचाते हुए बंगले के अंदर गए। उन्हें अभी भी जिंगे के दिए आश्चर्यकारक तोहफ़े को पचाने में समय चाहिए था। 

क्या जिंगे ने वू रोंग को उस बंगले से निकाल दिया है और अब यह हमारा घर है?

क्या मैं सपना देख रहा हूँ?

इतने खूबसूरती से सजे हुए कमरे को देखकर वो खुद को अनजान महसूस कर रहे थे।उन्हें लग रहा था, जैसे वो किसी और के घर पर आये हों।

उस घर के सारे सामान को देखकर शिया ची का मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया। उसने हिचकिचाते हुए पूछा, "दीदी, तुमने कहा यहाँ का हर सामान तुम्हारा है"?

जिंगे ने गंभीर स्वर में उत्तर दिया, " नहीं, इस घर का हर सामान मेरा नहीं, हमारा है। हम यहाँ बाकी की पूरी जिंदगी रह सकते हैं"।

शिया ची को यह बात छू गई। उसके आँखों से आंसू छलक गए।

चेंगवू को भी यह बात बहुत अच्छी लगी, पर वो अधिक यथार्थवादी था, उसे चिंता होने लगी।

 "जिंगे, तुमने वू रोंग को यहाँ से निकाल दिया है, मुझे चिंता है वो इसे इतनी आसानी से तुम्हें नहीं छोड़ेगी"।

शिया ची ने तुरंत जवाब दिया, "अगर उसने हमें परेशान किया, तो मैं उसे खुद भगा दूंगा"।

उसके अंदर उस बुढ़िया के खिलाफ बहुत गुस्सा भरा था। अगर वू रोंग ने सब कुछ जबरदस्ती नहीं लिया होता जो असल में उसका था, तो उन्हें इतने लंबे समय तक दुख झेलना न पड़ता।

बस उसे भगा देना उसके लिए काफ़ी नहीं था।

जिंगे ने हल्का मुस्कुराते हुए कहा, " चिंता मत करो, मैं आज या कल सबकुछ वापस ले लूंगी"।

"दीदी, मुझे भी साथ रखना, मैं यह खुद देखना चाहता हूँ" शिया ची ने खुश होकर कहा। बेशक, उसे जिंगे की बातों पर पूरा भरोसा था, उसे पता था के वो सब कुछ वापस ले लेगी।

जिंगे ने कहा " मैं तुमसे वादा करती हूँ"। फिर, उसने विषय को बदलते हुए कहा, " चाचाजी, आप अभी भी ठीक हो रहे हैं, इसलिए अपने कमरे में जाइये और आराम कीजिए। मैंने आपका इंतजाम नीचे कर दिया है ताकि आपको ऊपर चढ़ने की तकलीफ न उठानी पड़े"।

"सारा इंतजाम कर दिया है?" चेंगवू ने आश्चर्य से पूछा।

जिंगे ने उनका हाथ पकड़ा और कमरे में ले जाते हुए हामी भरी," हाँ, मैंने इस जगह को साफ़ करने के लिए कहा था, हमारा सामान भी यहाँ आ चुका है"।

धन्यवाद ..." चेंगवु ने आभार की मुद्रा में कहा, भावनाओं ने उसे अवाक कर दिया था।

चेंगवू के कमरे में रोशनी थी और वह अच्छी तरह से सुसज्जित था।

जिंगे ने उसे एक नरम गद्दे पर लिटा दिया। उसने उस विशाल कमरे के चारों ओर देखा और उसके दिल में भावनायें फ़िर उमड़ आई थीं।

जब से उनकी किस्मत ख़राब हुई थी, उन्हें कभी ऐसे शानदार कमरे में सोने का मौका नहीं मिला था।

अब जब वे अपने परिवार के पुराने घर में वापस आ गए थे, तो उन्हें उदासी के साथ खुशी महसूस हुई।

उदासी क्योंकि वे वास्तव में भाग्य के हाथों बहुत कुछ झेल चुके थे, और खुशी क्योंकि भाग्य ने आखिरकार वक्त ने उन्हें अपने जीवन को बदलने का मौका दिया था।

शिया ची और ज़िंगे दोनों उनके कमरे में पुरानी बात याद करते हुए बात करने लगे। जब उन्हें नींद आने लगी, तब वे चले गए।

शिया ची ने बंगले को ध्यान से देखा। जब वह छोटा था, तो वह हमेशा वहाँ आया करता था, लेकिन उसे वास्तव में उम्मीद नहीं थी कि वह एक दिन वहाँ रहेगा।

उसने आहें भरी।

"दीदी, मुझे लगा था कि हम अपने जीवन में उस गंदी बस्ती को कभी नहीं छोड़ पाएंगे लेकिन अब, हम एक बंगले में रह रहे हैं। क्या मैं सपना देख रहा हूं ..."