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द टाइम मशीन - अतीत और भविष्य की दुनिया

एक ऐसी मशीन है, जो हमें अपने अतीत में ले जाती है, जहां हम अपने अतीत को बदल सकते हैं। वैज्ञानिक मुकुल लगभग 30 सालों से ऐसी टाइम मशीन बनाने की कोशिश कर रहे थे, ताकि वे अपने मरे हुए माता-पिता को फिर से जीवित करने के लिए अतीत में जाकर उस समय पहुंच सकें, जब उनके माता-पिता की जान जाने वाली थी। वैज्ञानिक मुकुल ने ऐसी मशीन बनाई, लेकिन पहली बार प्रयोग करते समय मशीन का विस्फोट हो गया। इस हादसे में उनका दोस्त भास्कर, जो उस समय छोटा था, मुश्किल से बच पाया। इस घटना के बाद उनकी दोस्ती टूट गई। लेकिन कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें कोई भी नहीं बदल सकता। इंसान चाहे कितनी भी कोशिश करे, वह कुदरत के खिलाफ नहीं जा सकता। अगर वह ऐसा करने की कोशिश करता है, तो कुदरत खुद उसे रोक देती है। वैज्ञानिक मुकुल भी कुदरत के खिलाफ जाकर कुछ ऐसा ही बना रहे थे। उन्होंने दूसरी बार एक नई टाइम मशीन बनाई, तब वे सफल हो गए। अब इंसान अतीत में जा सकता था। इस बार, कुदरत ने फिर से अपना करिश्मा दिखाया और भास्कर की पत्नी सैली की मौत हो गई। भास्कर अपनी पत्नी को बचाने के लिए कई बार टाइम ट्रेवल करता है, लेकिन हर बार असफल रहता है। आखिरकार, वे समझ जाते हैं कि हम टाइम ट्रेवल करके अतीत को बदल नहीं सकते। जब वे दोनों हार मान लेते हैं, तब कुदरत उन्हें फिर से अपनी गलती सुधारने का एक मौका देती है। इस कहानी में वैज्ञानिक मुकुल, भास्कर और उसकी पत्नी सैली की जिंदगी का विस्तार से वर्णन किया गया है। साथ ही, टाइम ट्रेवल के हर रोमांचक किस्से को भी बताया गया है।

AKASH_CHOUGULE · Romance
Pas assez d’évaluations
21 Chs

चैप्टर -२१ हैप्पी एंडिंग

"मतलब?" भास्कर7 ने पूछा।

"भास्कर, मैंने 2020 में एक टाइम मशीन बनाई है। इसलिए मैं 2030 या 2040 में जा सकता हूं। लेकिन मैं 2009 में नहीं जा सकता। क्योंकि 2009 में टाइम मशीन नहीं बनी थी। टाइम ट्रेवल करने के लिए दोनों समय में एक टाइम मशीन का होना जरूरी है।"

भास्कर7 ने झुंझलाते हुए कहा, "ठीक है, वह जाने दो। मुझे सिर्फ इतना बता दो की, हम इससे बाहर कैसे निकल सकते हैं? हम सात भास्कर हैं और सैली अकेली है। हमें पहले जैसे समय था, उस समय में भेजकर सब ठीक कर दो।"

मुकुल ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "आप सब यहाँ से बाहर नहीं जा सकते। यहाँ सात भास्कर हैं। मैं अतीत से और भी भास्कर ला सकता हूं। लेकिन एक भी भास्कर को कम नहीं कर सकता।"

सैली की आवाज कंपकंपा गई, "क्या इसका मतलब यह है कि हम सभी हमेशा के लिए यहीं फंसे रहेंगे? नहीं मुकुल, ऐसा नहीं हो सकता।"

भास्कर7 ने मुकुल की ओर कठोरता से देखते हुए कहा, "मुकुल, तुम्हें हम सबको इसे बाहर निकालना होगा। क्योंकि तुम्हारे कारण हम इस मुसीबत में फंसे हैं।"

मुकुल ने शांत स्वर में कहा, "मैं तुम्हें इससे बाहर नहीं निकाल सकता। लेकिन मैं कुछ ऑप्शन बता सकता हूं। अब आप निर्णय करें, कौन सा विकल्प आपके लिए सही है।"

भास्कर ने उत्सुकता से पूछा, "ठीक है, हमें बताओ।"

मुकुल ने एक पल सोचा और कहा, "तुम सात हो और वह अकेली है। तो जैसा है वैसा ही रहने दो। तुम सातों अपना जीवन उसके साथ बिताओ।"

सातों भास्कर एक साथ सैली को घूरते हुए देखने लगे। सैली ने उनकी निगाहों का सामना करते हुए कहा, "मुझे यह ऑप्शन पसंद नहीं आया।"

मुकुल ने आगे कहा, "ठीक है, ऑप्शन दो। मान लो, अगर सैली छह बार टाइम ट्रेवल करती है तो यहाँ सात सैली हो जाएँगी और हर भास्कर के पास एक सैली होगी।"

सैली ने विरोध करते हुए कहा, "मैं एक हूँ और एक ही रहूंगी। इसलिए ऐसे बेकार ऑप्शन मत दीजिए।"

भास्कर5 को गुस्सा आ गया। उसके पास एक हथौड़ा था। उसने गुस्से से मुकुल की ओर देखा और कहा, "देखो! मेरे हाथ में हथौड़ा है। अगर तुमने दोबारा गलत ऑप्शन दिया, तो मैं यह हथौड़ा तुम्हारे सिर पर मारूंगा।"

मुकुल ने एक पल के लिए घबराते हुए कहा, "ठीक है, आखिरी ऑप्शन... तुम एक दूसरे की जान ले लो। जो आखिरी भास्कर बचेगा, सैली उसकी होगी।"

भास्कर5 के गुस्से का बांध टूट गया। उसने मुकुल के सिर पर हथौड़ा मार दिया, जिससे वह बेहोश हो गया। भास्कर4 ने घबराते हुए मुकुल को आवाज दी, "मुकुल... मुकुल... मुकुल..."

लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। वह निराशा से कहता है, "यह फिर से बेहोश हो गया।"

भास्कर3 ने गुस्से से भास्कर5 को देखा और बड़ी आवाज में कहा, "तुमने उसके सिर में हथौड़ा क्यों मारा?"

भास्कर5 ने आत्मरक्षा में कहा, "तो फिर मैं क्या करूँ? क्या तुमने सुना नहीं कि वह क्या कह रहा था? एक दूसरे की जान ले लो और जो आखिरी व्यक्ति बचेगा, उसके पास सैली होगी।"

कुछ सेकंड के लिए सभी भास्कर चुप हो गए। वे एक-दूसरे का चेहरा देख रहे थे। वहाँ पर सब कुछ शांत हो गया था। लेकिन हर कोई जानता था कि यह तूफ़ान से पहले की शांति थी। चुप्पी तोड़ते हुए भास्कर4 ने कहा, "मुकुल की बात शायद सही थी।"

अब वे सभी एक-दूसरे को गुस्से से देख रहे थे। सभी भास्कर अपनी मुट्ठियाँ भिंच लेते हैं और एक-दूसरे पर हमला करने लगते हैं। भास्कर1 भास्कर7 पर छलांग लगाता है और उसका कान खींचता है। भास्कर7 चिल्लाते हुए कहता है, "आओ! मेरा कान छोड़ो।"

"नहीं, मैं नहीं छोडूंगा," भास्कर1 हठीला होता है।

"ठीक है। अब देखो, मैं तुम्हारा क्या दबाता हूँ।" ऐसा कहकर उसने भास्कर1 का प्राइवेट पार्ट्स दबाया। भास्कर1 दर्द से कराहते हुए अलग-अलग आवाजें निकालने लगता है और कहता है, "मैं कान छोड़ता हूँ। तुम मेरा हिस्सा छोड़ दो।"

"नहीं, मैं नहीं छोडूंगा।" भास्कर7 की आवाज़ में भी वही जिद्दीपन था।

"ठीक है। तब मैं भी तुम्हारा दबाता हूँ।" दोनों ने एक-दूसरे के प्राइवेट पार्ट्स पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली। वह कहता है, ''मैं तुम्हारा हिस्सा छोड़ता हूं। तुम मेरा हिस्सा छोड़ दो।"

"ठीक है ठीक है.." वे दोनों एक-दूसरे का हिस्सा छोड़ देते हैं और अपने हिस्से पकड़ लेते हैं, क्योंकि उन्हें दर्द हो रहा था।

इसी बीच, भास्कर5 और भास्कर3 आपस में लड़ रहे थे। वे एक-दूसरे पर हथौड़े और स्क्रू-ड्राइवर से वार कर रहे थे। भास्कर5 कहता है, ''मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगा, क्योंकि ये सब तुम्हारे वजह से हुआ है।"

भास्कर3 चिल्लाता है, "मैं नहीं, इसके लिए तुम ज़िम्मेदार हो।"

भास्कर5 उसे मारने के लिए हथौड़े को ऊपर की ओर उठाता है। फिर भास्कर3 भी स्क्रू-ड्राइवर को ऊपर की ओर उठाता है। वह स्क्रू-ड्राइवर भास्कर5 के सिर में मारने के लिए पीछे की ओर खींचता है। लेकिन गलती से वह स्क्रू-ड्राइवर उसके पीछे खड़े भास्कर4 के सिर पर लग जाता है, और वह बेहोश होकर नीचे गिर जाता है।

भास्कर3 को बेहोश देखकर भास्कर2 हंसते हुए कहता है, "स्क्रू-ड्राइवर भास्कर5 के सिर पर मारने वाला था, लेकिन यह भास्कर बीच में आ गया।"

यह देखकर वह हंसने लगता है। लेकिन साथ ही उसे यह नहीं पता था कि भास्कर5 उसके पीछे खड़ा था। भास्कर1 और 7 जिन्होंने अपना प्राइवेट पार्ट पकड़ा था, वे दोनों भास्कर2 को ओर देखते हुए हंसने लगते हैं। भास्कर2 कहता है, "क्या हुआ?"

"तुम पीछे मुड़कर देखो।"

भास्कर2 पीछे मुड़कर देखता है। तब भास्कर5, भास्कर2 के पीछे खड़ा था। वह भास्कर2 के सिर पर जोर से हथौड़ा मारता है। तब वह भी बेहोश होकर नीचे गिर जाता है।

अब, भास्कर3 और भास्कर5 फिर से लड़ने लगते हैं। भास्कर3 ने भास्कर5 की नाक पर स्क्रू-ड्राइवर से वार किया, जिससे उसकी नाक से खून बहने लगता है। भास्कर5 उसके चेहरे पर हथौड़े से वार करता है, जिससे उसके मुंह से खून आने लगता है। फिर वह भास्कर3 के दाहिने हाथ पर हथौड़ा मारता है, जिससे उसके हाथ से स्क्रू-ड्राइवर गिर जाता है। भास्कर3 ने भास्कर5 के हाथ पर जोर से लात मारी, जिससे उसके हाथ से भी हथौड़ा गिर जाता है।

वे एक-दूसरे को घूरते हैं। भास्कर3 भास्कर5 को जोरदार गुच्ची मार रहा था। उसी समय भास्कर5 भी गुच्ची मार देता है, और दोनों की गुच्ची एक-दूसरे के ऊपर बैठ जाती हैं। दोनों "ऐ माँ!" कहकर चिल्लाते हैं। साथ ही दोनों एक ही समय में दूसरे को लात भी मारते हैं, जिसकी लात एक-दूसरे के पैरों पर लगती है। वे दोनों अपने हाथों को अपने पैरों पर घसीटने लगते हैं क्योंकि उन्हें बहुत दर्द हो रहा था।

दोनों को समझ में आता है कि वे एक ही हमला एक साथ कर रहे थे। इसलिए वे दोनों एक-दूसरे को फिर से लात मारने के लिए अपने बाएं पैर पीछे ले जाते हैं। लेकिन बिना लात मारे, उन्होंने फिर से जोर से गुच्ची मार दी ताकि वही हमला दोबारा न हो। परंतु उसी समय सामनेवाले भास्कर ने भी बिना लात मारे उसे गुच्ची मार दी, तो गुच्ची पर फिर से गुच्ची बैठ जाती है। वे बहुत दर्द में चिल्लाते हैं और अपने हाथों को सैलाते हैं।

भास्कर5 कहता है, "तुम वही क्यों कर रहे हो जो मैं कर रहा हूं?"

"क्योंकि हम एक ही हैं। जो विचार तुम्हारे मन में आते हैं, वही विचार मेरे मन में आते हैं।"

वे दोनों अपने हाथों पर वार करते हैं। वे दोनों लड़ते-लड़ते बहुत थक गए थे। भास्कर3 चारों ओर देखता है। भास्कर4 और भास्कर2 बेहोश हो गए थे। भास्कर1 और भास्कर7 दोनों ने अपना हिस्सा पकड़ लिया था। भास्कर5 अपने हाथ पर फूंक मार रहा था। भास्कर3 सभी से कहता है, "एक मिनट... हम यहां छह हैं। तो सातवाँ भास्कर कहाँ गया?"

वे सब चारों ओर देखते हैं। भास्कर3 का ध्यान तिजोरी पर जाता है। तिजोरी की तरफ भास्कर6 ने सैली का मुँह दबाया था। भास्कर3 सभी से कहता है, "वह तिजोरी के पीछे है।"

चारों भास्कर उसके पास जाते हैं। भास्कर6 ने सैली का मुँह दबाया हुआ था। भास्कर5 उससे जोर से कहता है, "तुमने सैली का मुँह क्यों दबाया है?"

भास्कर6 कहता है, ''अगर मैंने उसका मुँह नहीं दबाया होता तो आप सब झगड़ा नहीं करते। सैली सबको रोक देती।''

"इसका मतलब है कि तुझे हमसे लड़ना नहीं है?"

"मैं लड़ना चाहता हूं। आखिरी भास्कर जो आपकी लड़ाई से बच जाता है, मैं उससे लड़ूंगा। तब सैली मेरी हो जाएगी।"

वे चारों उसे गुस्से से देखते हैं। वे भास्कर6 से नाराज थे। चारों में से दो ने उसके पैर पकड़ लिए, जबकि बाकी दो ने उसके हाथ पकड़ लिए। सैली उन सभी से कहती है, "कृपया, लड़ो मत।"

वह सैली की बात नहीं सुनते। उस कमरे में एक खिड़की थी। वे सभी भास्कर6 को खिड़की की ओर फेंक देते हैं। भास्कर6 खिड़की तोड़कर बगल के कमरे में गिर जाता है, जहां टाइम मशीन थी। वे सभी हथौड़े और स्क्रू-ड्राइवर लेकर उस कमरे में चले जाते हैं। सैली उन्हें रोक रही थी, "कृपया, यह सब बंद करो," वह कहती है।

उस कमरे में, भास्कर6 खुद को संभालने की कोशिश करता है, लेकिन दूसरे भास्कर उसके पास पहुंच जाते हैं। भास्कर5 फिर से हथौड़ा उठाता है और भास्कर6 पर वार करने के लिए तैयार होता है। भास्कर3 स्क्रू-ड्राइवर को घुमाता है, और भास्कर1 और 7 भी हथियार लेकर तैयार हो जाते हैं। सैली दरवाजे पर खड़ी चिल्लाती है, "रुको! यह सही नहीं है। हमें एक-दूसरे से लड़ने के बजाय, इस समस्या का हल निकालना चाहिए।"

लेकिन उसकी आवाज़ उनके क्रोध और उत्तेजना के बीच खो जाती है। भास्कर6 अपनी आखिरी सांस लेते हुए कहता है, "तुम सब मुझे मार सकते हो, लेकिन सच्चाई यह है कि तुम सब भी एक-दूसरे को मार डालोगे। और अंत में, यहाँ कोई भी जीवित नहीं बचेगा।"

सैली के आँसू उसकी आँखों से बह रहे थे, और वह अपनी बात मनवाने की कोशिश करती है, "कृपया, यह सब बंद करो। हमें किसी और तरीके से इस समस्या का समाधान निकालना होगा। लड़ाई से कुछ हासिल नहीं होगा।"

वे सैली की बातों पर ध्यान नहीं देते। अब उस कमरे में सैली, मुकुल, भास्कर2 और भास्कर4 थे। भास्कर2 और भास्कर4 बेहोश थे। कमरे में एक पानी से भरा लोटा रखा था। सैली ने उस लोटे का पानी भास्कर2 और भास्कर4 के चेहरे पर डाला और उन्हें होश में लाया। जागते ही सैली उनसे कहती है, "भास्कर, हर कोई लड़ रहा है। कृपया आप दोनों उन सब को रोकें।"

भास्कर2 और भास्कर4 एक दूसरे को देखते हैं, लेकिन वे भी अचानक लड़ने लगते हैं। वे एक-दूसरे का गला पकड़ते हैं और टाइम मशीन रूम में चले जाते हैं। सैली खुद से कहती है, "उन्हें कौन रोकेगा?" उसका ध्यान मुकुल की ओर जाता है। वह कहती हैं, ''शायद मुकुल ही उन्हें रोक सकता है।''

टाइम मशीन रूम में सभी भास्कर एक-दूसरे से लड़ रहे थे। भास्कर5 ने भास्कर1 की ओर हथौड़ा फेंका। भास्कर1 झुक जाता है, जिससे वह हथौड़ा टाइम मशीन की रिंग से टकराता है और उसमें से करंट प्रवाहित होने लगता है। वे सातों हवा में उड़ने लगते हैं। गुरुत्वाकर्षण बल अचानक कम हो जाता है, और वे हवा में तैर रहे थे।

बाजु के कमरे में सैली मुकुल के चेहरे पर पानी डालती है और उसे होश में लाती है। "मुकुल, हर कोई एक-दूसरे के जीवन के लिए लड़ रहा है। केवल आप ही उन्हें रोक सकते हैं। कृपया, उन्हें रोकें।"

"हाँ, आइए हम उन्हें रोकें," मुकुल कहता है।

मुकुल कुर्सी से उठने की कोशिश करता है, लेकिन उस कमरे में गुरुत्वाकर्षण बल कम महसूस होता है। वे दोनों हवा में उड़ने लगते हैं। साथ ही उस कमरे की चीजें भी हवा में तैरने लगती हैं। वे दोनों हवा में उड़ते हुए टाइम मशीन वाले कमरे में पहुँचते हैं। टाइम मशीन से बड़ी मात्रा में करंट बाहर फेंका जा रहा था। सातों भास्कर दीवार के कोने में थे, और वे बहुत डरे हुए थे। मुकुल उन सभी से कहता है, "उस टाइम मशीन का मेन स्विच बंद कर देना चाहिए। जल्दी से उस मशीन तक पहुँचो।"

सातों भास्कर, सैली और मुकुल टाइम मशीन की ओर हवा में उड़ते हैं। जब वे टाइम मशीन के करीब पहुंचते हैं, तो टाइम मशीन तेजी से चलने लगती है। कुछ सेकंड बाद, टाइम मशीन में विस्फोट हो जाता है। टाइम मशीन के हिस्से अलग होकर फेंक दिये जाते है, और उस कमरे में चारों तरफ धुंआ भर जाता है।

धुएं के कारण कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। सभी एक-दूसरे को पुकारते हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता। धुआं कुछ हद तक छंट जाता है। सैली और मुकुल एक दूसरे को ढूंढते हैं। जब धुआं साफ होता है, तो वे खुद को देख सकते हैं। अब वे सभी छोटे बच्चे बन गए थे। उनके कपड़े बदल गए थे। कमरे का सारा धुआं गायब हो गया था। उस कमरे में अब केवल सैली, मुकुल और भास्कर तिन्होही थे।

"हम बच्चे बन गए हैं," सैली ने आश्चर्यचकित होकर कहा।

मुकुल का ध्यान दीवार पर टंगे कैलेंडर पर गया। यह 2012 का कैलेंडर था। उन्होंने एक-दूसरे की ओर देखा और फिर टाइम मशीन की ओर देखा। मुकुल ने कहा, ''हम 2012 में हैं।''

भास्करने चारों ओर देखते हुए पूछा, "बाकी छह कहाँ हैं?"

मुकुल ने गंभीरता से कहा, "वे अब हमेशा के लिए चले गए हैं। और वे अब कभी वापस नहीं आएंगे।"

भास्कर के आँखों में खुशी झलक उठी, "क्या यह सच हैं?"

मुकुल ने चेतावनी भरे स्वर में कहा, "अगर हम टाइम मशीन का उपयोग करें, तो वे निश्चित रूप से लौट आएंगे।"

उनका ध्यान फिर से टाइम मशीन की ओर गया। सैली ने निर्णायक स्वर में कहा, "हमें इस मशीन को नष्ट करना होगा।"

मुकुल ने सहमति में सिर हिलाया, "हाँ, यह सही होगा।"

उन तीनों ने एक बैट, एक लकड़ी का बेस और एक लोहे की रॉड उठाई। वह तिन्हो पूरी ताकत से टाइम मशीन पर प्रहार करने लगे। जैसे ही टाइम मशीन को झटका लगा, उसमें से करंट प्रवाहित होने लगा। अब पूरी मशीन से बड़ी मात्रा में करंट बाहर फेंका जा रहा था। डर के मारे वह पीछे हट गए। कुछ देर बाद मशीन से काला धुआं निकलने लगा। भास्करने चिंतित स्वर में कहा, "इस मशीन से करंट निकल रहा है।"

मुकुल ने बताया, "शायद इस मशीन का मेन स्विच चालू था।"

सैली और भास्कर एक साथ चिल्लाए, "क्या?"

मशीन अब जोर-जोर से चलने लगी। तभी अचानक वह फट गई। वह तीनों दूर फेंक दिए गए। धुआं हर तरफ फैल गया। सैली और भास्करने एक-दूसरे को पुकारा और घबराकर एक-दूसरे का हाथ पकड़ लिया। जैसे ही धुआं साफ हुआ, उन्होंने एक-दूसरे के चेहरे देखे। धुंए के कारण उन दोन्हो का चेहरा काला हो गया था। भास्करने सैली की ओर देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "सैली, तुम छछूंदर की तरह दिख रही हो।"

सैली ने हंसते हुए कहा, "तुम बंदर की दिख रहे हो।"

उनके पास ही मुकुल था, लेकिन धुएं के कारण वह उसे नहीं देख पा रहे थे। उनकी बात सुनकर मुकुल ने पूछा, "मैं कैसा दिख रहा हूँ?"

उन दोनों ने मुकुल की ओर देखा। कुछ सेकंड के बाद धुआं साफ हो गया। उन्होंने उसकी ओर देखा और हंसते हुए कहा, "मुकुल, तुम सुअर की तरह दिख रहे हो।"

वह तीनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और खूब हंसे। उनके जीवन की सबसे बड़ी समस्या का समाधान हो गया था। अब उनके चेहरों पर सिर्फ मुस्कान थी।

## 8 साल बाद...

2020 की एक खुशनुमा सुबह, भास्कर और सैलीने बेंगलुरु से मुंबई की ओर रुख किया। वह दिन उनके लिए खास था, क्योंकि उस दिन भास्करने छह बार समय यात्रा की थी। वह एक टैक्सी में बैठे थे। सैली की आँखों पर पट्टी बंधी हुई थी और उत्सुकता से उसने भास्करसे पूछा, "भास्कर, तुम मुझे कोनसा गिफ्ट देनेवाले हो?"

भास्करने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हें कुछ मिनट और इंतजार करना होगा।"

थोड़ी देर बाद, टैक्सी ड्राइवर ने उन्हें एक घर के सामने उतार दिया। भास्करने सैली का हाथ थामा और उसे टैक्सी से बाहर निकाला। भास्करने धीरे से कहा, "हम पहुँच गए हैं, सैली। अब तुम अपनी आँखों की पट्टी हटा दो।"

सैली ने उत्सुकता से पट्टी हटाई और सामने उनका पुराना घर देखा। वह हैरान रह गई। उसने खुशी से कहा, ''भास्कर, यहां तो अब एक अपार्टमेंट खड़ा होना था।''

भास्करने गर्व से कहा, "हाँ, अपार्टमेंट यहीं खड़ा होना था। लेकिन मैंने दो साल पहले उनका अनुबंध रद्द कर दिया। सैली, मैंने अपनी गलती सुधार ली है। यह घर अब तुम्हारा है।"

यह सुनकर सैली की आँखों में खुशी के आँसू छलक आए। उन दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर घर में दाखिल हुए। जैसे ही वह हॉल में पहुंचे, भास्करने तुरंत पंखे का बटन चालू कर दिया। पंखे पर रखी सारी चॉकलेट सैली के ऊपर गिरने लगीं। पिछली बार पंखे से चॉकलेट गिरने के कारण वह डर गई थी, लेकिन इस बार वह डरी नहीं। वह हंसते हुए अपने चारों ओर घूमने लगी। भास्कर उसे देख रहा था और उसकी खुशी भास्कर के दिल को सुकून दे रही थी।

सारी चॉकलेट उसके ऊपर गिरने के बाद उसने घूमना बंद कर दिया। भास्कर उसके करीब गया और उसने सैली को जोर से गले लगा लिया। उसने भावुक होकर कहा, "भास्कर, यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा तोहफा है। l love you"

भास्करने उसे प्यार से देखते हुए कहा, "l love you too"

उनके बगल में एक टेबल पर एक छोटी सी मूर्ति रखी थी। यह एक कपल की मूर्ति थी। दुल्हन के दाहिने हाथ में फूलों का गुलदस्ता था और बायां हाथ उसके पति के हाथ में था। दोनों शादी के जोड़े में सजे हुए थे। वह मूर्ति मजबूत और टिकाऊ थी। वह मूर्ति उनके प्यार और विश्वास की प्रतीक थी। जैसे वह मूर्ति कभी नहीं टूटेगी, वैसे ही उनका प्यार और विश्वास भी अटूट था।

वह दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे और एक-दूसरे पर भरोसा करते थे। उन्होंने एक-दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ा और न ही कभी छोड़ेंगे। उनका रिश्ता भी उस आदर्श मूर्ति की तरह सुंदर और मजबूत थी।