"ओह वो लोग हमारी मदद करना चाहते है" झगडू ने अचानक कहा। उसकी आवाज में आश्चर्य की झलक थी।
ये क्सिऊ ने लम्बी सांस ली। ये आदमी बिलकुल भी हालात की समझ नहीं रखता था। ये संघ यहाँ मदद करने के लिए नहीं थे। ये यहाँ शिकार चुराने आये थे। उन्होंने पहले पहल नहीं की क्योंकि ये लोग इतने भी लायक नहीं थे कि इनसे शिकार चुराया जा सके। खूनी बन्दूकबाज ने उन्हें मिटा दिया होता।
"छोड़ो" ये क्सिऊ ने कहा।
"क्या?" झगडू उसके आदेशों का सर, पैर नहीं समझ पा रहा था।
बाकी के चार खिलाड़ी भी अनाड़ी थे। अगर वे अनाड़ी न रहे होते तो उन्हें खूनी बन्दूकबाज की ताकत का पता रहा होता। वो उसे घेरकर खुद को मरवाने न पहुँच गये होते। पर वो सब उस अनाड़ी झगडू से बेहतर थे, क्योंकि वो देख सकते थे कि हालात अच्छे होने में अभी समय था। वो खिलाड़ी, पहले या देर से नहीं हिले थे। जब उन्होंने देखा कि सरगना से लड़ना आसान था, तब जाकर वो हिले थे। मदद? जरूरत के समय काम आना मदद होती है। पर अब इस समय, भगवान ही जाने वो क्या करने वाले थे।
"अगर तुम भागे नहीं तो तुम मर जाओगे" ये क्सिऊ ने कहा।
"तो हम क्या बिना मतलब के लड़ रहे है?" पार्टी के निडर ने कहा। उसने देखा की हालात में कही कुछ दिक्कत थी। पर अभी वो अगर भागे, तो वो इतनी मुश्किल से क्यों लड़े?
"मुझे अभी तक नहीं पता" ये क्सिऊ ने कहा।
पांचो खिलाड़ी ठगे हुए से थे।
"पर अगर तुम अभी नहीं गए, तो बहुत देर हो जाएगी" ये क्सिऊ ने कहा और विकट देव का हमला जारी रहा। तीनों महान संघ और करीब आ रहे थे। लम्बी दूरी वाले वर्ग जैसे बंदूकबाज ने अभी से अपनी बंदूकें तान ली थी।
"भागो!" आखिरकार, उन पाँचों में से एक ने नेतृत्व करने की ठानी और भागा। तीन महान संघ ने उन लोगों की चिंता नहीं की। क्योंकि तीन महान संघ एक दूसरे से दूरी बनाकर चल रहे थे, उन्होंने पूरी तरह से सरगना को नहीं घेरा था। ये देखकर कि वो पांच भाग रहे थे, उन्होंने उन्हें मारने के लिए लोग नहीं भेजे। इसके बदले, वो और संघों की हरकतों पर नजर डालने लगे। वो मुख्य विपक्षी थे। सभी तीन संघ के नेता एक समय में चिल्लाये: "रुको"
बहुत सारे खिलाड़ी अचानक से रुक गये और एक दूसरे को देखने लगे। खूनी बन्दूकबाज लगभग उनके सामने था पर अगर वो सरगना को घेरने जाते तो वो तब क्या करते जब बाकी संघ में से कोई उनके पीछे आता? तीनों महान संघ इसी बात पर परेशान थे।
ऐसा इसलिए था क्योंकि मैदान में जंग अभी भी छिड़ी हुई थी।
वो पांच खिलाड़ी आधी दूर तक भाग गये थे जब उन्हें एहसास हुआ कि विकट देव उनके पीछे नहीं था। पीछे देखने पर उन्होंने पाया कि विकट देव अभी भी खूनी बंदूकबाज से लड़ रहा था।
"इसका क्या मतलब है?" पांचो खिलाड़ी एक पहेली में उलझे हुए थे। वो बस पूरी तरह से इस खेल से परिचित नहीं थे। ऐसा नहीं था कि उनके पास दिमाग नहीं था। इस खिलाड़ी ने उन्हें भागने के लिए कहा, पर खुद वही खड़ा रहा। उसका बर्ताव अजीब सा था, जिससे वो बता नहीं पाए की वो अच्छा था या बुरा। नतीजतन इसलिए वो बेबस होकर रुक गये।
"और दूर भाग जाओ। यहाँ खतरा है" ये क्सिऊ ने अचानक पार्टी के चैनल के माध्यम से उन्हें संदेश भेजा।
"पर वो हमे मारने नहीं आ रहे" अनाड़ी झगडू ने कहा।
"भरोसा रखो" ये क्सिऊ ने बस दो शब्द लिखे।
ये सारे अनाड़ी लोगों को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। अगर वो नीलधारा के दर्जे के खिलाड़ी रहे होते तो उन्हें बाँध कर मार दिया जाता। सरगना से लड़ते हुए संदेश भेज कर बात करना, उसके हाथ की रफ़्तार कितनी तेज थी?
अनाड़ी झगडू बेबस होकर दौड़ पड़ा और अपने साथियों को बुलाने लगा, "जल्दी करो और भागो"
बाकी के चार झिझक रहे थे, पर उनमे से दो ने अनाड़ी झगडू का पीछा किया।
बाकी के दोनों अभी भी अपनी जगह पर रहे। उन्हें अभी भी ये क्सिऊ के शब्दों पर भरोसा नहीं था। उन्हें लग रहा था कि वो जानबूझकर उन्हें भगाना चाहता था।
ये देखकर कि पांचो, पांच दिशा में जा रहे थे, ये क्सिऊ को उन दो खिलाड़ी को लेकर दुःख हुआ जो उस पर शक कर रहे थे। उसके पास उन्हें समझाने का समय नहीं था। उसने, अपने मुंह से, पूरे समय उन्हें युद्ध में मदद की थी। उसके पास लिखने का भी समय नहीं था। पिछली बार लिखे गये दो शब्द में भी उसने खतरा उठाया था और उससे पहले के शब्दों ने लगभग उसके खेल को रोक दिया था।
"क्या लम्बी दूरी वाले वर्गों को हमले की कोशिश करनी चाहिए?" नीलधारा ने अपने साथियों से पूछा। वो अभी तक आगे नहीं बढे थे। लम्बी दूरी वाले वर्ग पहले कुछ नुकसान पहुँचाएंगे।
"हम ये तय नहीं कर सकते कि हम गलती से विकट देव को नहीं घायल ..." लम्बी दूरी वर्ग के लोगों को पसीना आने लगा। खूनी बन्दूकबाज की रफ़्तार ही उसकी सबसे बड़ी ताकत थी। उससे लड़ने के लिए तेज रफ़्तार और तेज हरकत चाहिए होती थी। इस समय विकट देव और खूनी बंदूकबाज हर तरफ चमक से रहे थे। कौन जानता था कि किस का निशाना किस पर जाकर लगे।
"ये आदमी क्या सोच रहा है?" नीलधारा ने दुखी होकर सोचा।
दूसरी तरफ औषधि उद्यान के पेड़ के अंकुर ने पहले ही हुँकार भर दी थी, "हे योद्धा! अपनी पार्टी को मेरे समूह से जोड़ दो। गिरा हुआ सभी सामान तुम लोगो का होगा"
"धत्त" नीलधारा ने पेड़ के अंकुर के धोखे पर धीरे से चिल्लाया। अगर पार्टी उसके समूह से जुडती, तो पहले किया गया सब नुकसान उनके समूह का माना जाता। उसने खुद ये करने का नहीं सोचा था।
"भाई विकट देव मेरी तरफ आ जाओ। सब सामान तुम्हारा" नीलधारा ने तुरंत कदम आगे बढ़ाये। उसे लगा कि कुछ हद तक वो विकट देव के करीब था। इसी शर्त पर, विकट देव के पास कोई कारण नहीं था उनके समूह से जुड़ने का।
"मेरी तरफ आ जाओ। सब इनाम तुम्हारा। मैं तुम्हे 20 सफेद भेड़िये के केश भी दूंगा" भयावह महत्वाकांक्षा के अनंत रात ने चिल्लाया। उसने सोचा कि ये क्सिऊ को भेड़िये के सफेद केश से कुछ ख़ास लगाव था।
"विकट देव, उसका भरोसा मत करना। 20 सफेद भेड़िये के केश के लिए तुम्हे जमे हुए जंगल में कितनी बार भागना पड़ता?" नीलधारा तुरंत चिल्लाया।
"हमारे पास 20 यहाँ है" पेड़ के अंकुर ने चिल्लाया।
गोलू नाविक ने धीरे से भुनभुनाया, "क्या ये इस आदमी का सही मकसद हो सकता है?"
नीलधारा के सर में दर्द होने लगा। सही में, ये आदमी। उसे बिलकुल भी नहीं पता था कि भावनाओं में रह कर बात कैसे करते थे। क्या उसे हर चीज को एक व्यापारिक सौदा बनाना जरूरी था?
जो दो नहीं भागे थे, वो एकदम चौंके से खड़े थे। "सब कुछ तुम लोगो का होगा" ने अकेले ही उनके दिल की धड़कन बढ़ा दी थी। उन्होंने कभी किसी सामान के बारे में नहीं सुना था, जिसे तीन महान संघ ने देने का वादा किया हो। पर अगर वो देने की हिम्मत कर रहे थे तो जरूर ही वो बहुत कीमती सामान होंगे।
दोनों खिलाड़ी बेचैन थे। वो बस विकट देव के बदले जवाब देने को बेताब थे।
पर दोनों तुरंत ही सम्भल गये।
अगर वो मान भी जाता, तो फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि अभी पार्टी का नेता विकट देव नहीं था। समूह से जुड़ना या समूह से जुड़ने का आमंत्रण, ये सब पार्टी के नेता का काम था।
दोनों ने तुरंत ही पार्टी की सूची देखी। नेता वो अनाड़ी झगडू था।
दोनों ने तुरंत ही पार्टी के चैनल में लिखा, "वापस आ जाओ"
"तुम दोनों क्यों नहीं भागे?" अनाड़ी झगडू ने जवाब दिया।
"भाड़ में गया भागना! ये कुछ संघ यहाँ सामने शर्त रख रहे है। वो हमे अपने समूह में जोड़ने को तैयार है। उसके बाद सारे इक्विपमेंट भी हमे ही मिलेंगे और वो हमे कुछ और अमूल्य सामान देंगे। जल्दी करो और पार्टी के नेता होने के कारण जल्दी वापस आओ" दोनों ने उत्साह से बात की।
"तो ये बात है" अनाड़ी झगडू अचानक समझ गया। एक बार उसने इक्विपमेंट सुना तो उसकी में आँखों में सितारे टिमटिमाने लगे। वो तुरंत भाग कर वापस आ गया। बाकी दोनों ने भी जैसे ही संदेश देखा तो वो भी उत्साह से निकल पड़े।
एक ही आदमी अलग था, वो था विकट देव। तीनों महान संघों के नेता अपनी-अपनी शर्तें रख रहे थे, जिससे वो उनके संघ में जुड़ सके। अंत में सिस्टम संदेश देखकर उन्होंने अपना माथा ठोंका और सम्भले, "धत्त, वो पार्टी का नेता नहीं है"
उनके पास कोई चारा नहीं था, उन्हें उन पांच अस्तित्वहीन खिलाड़ियों से बात करनी पड़ेगी।
"पार्टी का नेता कहाँ गया?" तीनों महान संघों के नेता को उन खिलाड़ियों की चिंता थी, जो पहले उनके लिए कोई मायने नहीं रखते थे।
इस समय विकट देव ने अचानक कहा, "सभी लोग सावधान"
"क्या?" सभी लोग ठगे से थे।
जैसे ही विकट देव ने गोल झूला का इस्तेमाल किया और खूनी बन्दूकबाज को फेंका, खूनी बन्दूकबाज के शरीर से खून के रंग की रोशनी बिखरने लगी।
"धत्त! वो गुस्से में है" तीनों महान संघों के नेता दिग्गज थे। उनके पास ज्ञान और अनुभव दोनों था।
"क्या तुम मजाक कर रहे हो? जीवन कहाँ है!!" सैकड़ो खिलाड़ी जो वहाँ इकट्ठा थे, सब सदमे में थे।