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"Holoom Almahdi".. (Jinno Ka ek Shahzada)

"weh janna chahti thi is kahani ko..jo usne jee nahi thi..mahar phir bhi uska koi na koi kirdar usme raha tha.!log uske naam ko nahi magar uske chehre ko jante the!or weh bhi weh log jo insan hi nahi the..!naa jane kya tha un pardo key pichhe...jinme yeh kahani chhupi hui thi...use shayad in par se parde uthane padenge"!!

FARHA_KHAN · Horreur
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"Guide"

"हर राज़ हर किसी के लिये नहीं होता" अचानक से राइटर का चेहरा सपाट हो गया!वह आगे बढ़ कर जाने लगा!जब अमल में ज़ोर से कहा!"मैंने साया महल के अंदर की दुनिया को देखा है"अरसलान अब्दुलके क़दम ज़मीन ने जकड़ लिये!उसने 2 3, मिनट बाद पलटकर उसे देखा!उसकी आँखों में बेहक़ीनी की रौशनी और कुछ डर के भाव थे!वह क़दम उठाता उस तक आया और हाथ उठाकर बोला!"इस मुसीबत में अचानक फंसी हो या खुद दावत दी थी?मुसीबत को"उसका अंदाज़ कुछ ऐसा था कि अमल की हथेलियों पर भी ख़ौफ़ सा लहराने लगा!"या उसकी बहन ने बिल्ली बन कर जाल बिछाया था?और उसने सजा देने के बहाने अपने महल में ग़ुलामों से तुम्हें उठवा भेजा था?"उसे यह सब कैसे पता था?जैसे हर चीज़ के पीछे एक कहानी थी!अमल का हलक़ बुरी तरह ख़ुश्क हो गया!आँखों में डर ऐसे उतर आया जैसे शाम के वक़्त में अँधेरा घुलता है!उसके सूखे होंठो परएक गहरी नज़र डालते हुए अरसलान ने पानी की बोतल उसी तरफ बढ़ाई!अमल ने बेख्याल सा होकर पानी की पूरी बोतल ही अपने अंदर उतार ली!अरसलान ने उसे ऐसा करते देख दबी सी हंसी हंसी थी!इसमें नजाने कितने मतलब छुपे हुए थे!"वह एक शाहज़ादा कम एक दरिंदा ज़्यादा!एक ऐसा भेड़िया जिसके चेहरे पर हमेशा नक़ाब रहती है उसकी आँखों से नीली रौशनी निकलती है जो लोगों को बेखुद कर देती है!फिर वह वही करते हैं जो वह उनसे कराना चाहता है!जैसे उसने चाहा तुम... मुझसे आकर मिलो"और इतना कहना था कि सामने खड़ा शख़्स उसकी नज़रों से देखते देखते ग़ायब हो गया!अमल ने घबराकर इधर उधर देखा!लाइब्रेरी की पूरी बिल्डिंग हिलने लगी थी जैसे ज़लज़ला आया हो!वह जल्दी से बाहर भागी!तेज़ और तूफानी हवाएं चल रही थीं!लेकिन जैसे सिर्फ अमल ही वह सब देख रही थी!बाक़ी सब बिल्कुल आराम से थे! उसने किसी दरख्त के पीछे से नीली रोशनी को निकलते देखा!वह तेज़ी से उसी तरफ भागी!मगर तब तक वह रौशनी कम होते होते ख़त्म हो गई थी!बहुत तेज़ हवा का आखरी झोंका उसने महसूस किया!झोंका इतना तेज़ था कि वह झटके से दो तीन क़दम पीछे हो गई थी!सब कुछ चंद लम्हों बाद ख़त्म हो गया था!वह जैसे तैसे उस पेड़ के पीछे पहुंची जहाँ से रौशनी निकल कर अब ख़त्म हो गई थी!पेड़ के पास अरसलान अब्दुल का मफलर रेत में लथपथ पड़ा था!कुछ ख़ून की छींटें और वह बुक!उसने जल्दी से दोनों चीज़े उठा लीं!दिमाग़ बिल्कुल समझ नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है?क्या अरसलान अब्दुल को होलूम अल्माहदी ने मार डाला?उसने अपना सर हाथों पर झुका लिया औरआंखें ज़ोर से बंद कर लीं!पता नहीं उसके साथ क्या हो रहा था?मगर यह सबसे ज़्यादा दिल को हिला देने वाला वाक़ेया था!जिसने उसे अंदर तक झिंझोड़ दिया था!उसे नहीं पता थाकि कि मुआमला किसी की मोत तक भी पहुंच जायेगा!उसने दुखते सर को वापस उठाया मगर वह बेइंतिहा हैरान हुई कि वह अपने होटल के कमरे के बीचों बीच खड़ी थी!अमल ने कई बार पलकें झपका झपका कर चारो तरफ देखा!वह कमरे में  कैसे आई?बिना अहसास हुए?उसे लग रहा था वह पागल होने वाली है!झोंका इतना तेज़ था कि वह झटके से दो तीन क़दम पीछे हो गई थी!सब कुछ चंद लम्हों बाद ख़त्म हो गया था!वह जैसे तैसे उस पेड़ के पीछे पहुंची जहाँ से रौशनी निकल कर अब ख़त्म हो गई थी!पेड़ के पास अरसलान अब्दुल का मफलर रेत में लथपथ पड़ा था!कुछ ख़ून की छींटें और वह बुक!उसने जल्दी से दोनों चीज़े उठा लीं!दिमाग़ बिल्कुल समझ नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है?क्या अरसलान अब्दुल को होलूम अल्माहदी ने मार डाला?उसने अपना सर हाथों पर झुका लिया औरआंखें ज़ोर से बंद कर लीं!पता नहीं उसके साथ क्या हो रहा था?मगर यह सबसे ज़्यादा दिल को हिला देने वाला वाक़ेया था!जिसने उसे अंदर तक झिंझोड़ दिया था!उसे नहीं पता थाकि कि मुआमला किसी की मोत तक भी पहुंच जायेगा!उसने दुखते सर को वापस उठाया मगर वह बेइंतिहा हैरान हुई कि वह अपने होटल के कमरे के बीचों बीच खड़ी थी!अमल ने कई बार पलकें झपका झपका कर चारो तरफ देखा!वह कमरे में  कैसे आई?बिना अहसास हुए?उसे लग रहा था वह पागल होने वाली है!उनका गाइड कार के पास सबको आखरी विदाई दे रहा था!उसकी तरफ क़दम बढ़ाते हुए नाजाने क्यों अमल के क़दम भारी होने लगे थे!सिर्फ वह जानता था कि अमल अरसलान से मिली थी!उसके क़त्ल की बात खुले कहीं वह उसका नाम ना ले दे!यह सोचकर उसने अपना चेहरा बहुत मुतमईन बना लिया था!'मैंआपका सामान  रख  देता हूँ!"उसके हाथ में बेग देख कर गाइड आगे आया था!अमल के नाचाहने पर भी उसने बेग ले लिया था!अमल ने अपनी और अरसलान की मुलाक़ात खुशगवार जताने के लिये गाइड से कहा था!"थैंक्स..मेरा साथ देने के लिये"!"अरे यह तो अपना काम है!आपका शुक्रिया सबका कि इतनी इज़्ज़त और प्यार दिया!"गाइड ने अदब से कहा!"मैं उस बारे में नहीं कह रही!मैं अरसलान अब्दुल से मुलाक़ात कराने की बात कर रही हूँ"!उसने कहा तो वह जैसे कुछ ना समझा  "अरसलान अब्दुल से मैंने आपकी मुलाक़ात कब कराई?"उसे लगा वह मज़ाक कर रहा है इसलिए हंस दी और इससे पहले कुछ  कहती  गाइड के पीछे उसकी नज़र  चली  गई !गाइड  के पीछे  उसका हमशक्ल  लम्बा  सा  कोट पहने जा रहा था!उसके क़दम तो अमल से दूसरी तरफ जा रहे थेमगर उसकी  नज़रें अमल के चेहरे पर थीं!जैसे वह उसकी बाते सुन चुका था!उसके चेहरे पर एक अजीब सी ऐसी मुस्कराहट थी कि अमल का सारा बदन लरज़ उठा!दिमाग़ पर किसी ने जैसे हथोड़ा मारा!तो यानी जिससे अब तक वह गाइड समझ कर मिली थी वह भीएक झूट था!वह भी उन्ही लोगों में से था?!उसका दिमाग़ चकरा उठा और वह लहरा कर बेहोश होती गिर गई थी!