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तुम मेरा इंतजार कर रहे हो न मैं आ गई

Chapter - 16

ताई के आँख पर किसी ने हाथ रखा था ताई कहता है - कौन है कौन है जिसने मेरी आँख बंद की है l

उधर से ही शिद्दत गूजर रही थी तो देखती है ताई किसी से खुद ही बात कर रहा था उसके पीछे कोई खड़ा होकर उसकी आँखे ढके हुए था ताई उसके हाथ को टच कर कहता है - युन क्यूँग l

वो उसके आँख से हाथ हटाती है और सामने खड़ी होकर खिलखिला कर हँस ने लगती है और कहती है - मतलब तुम मुझे पहचान ही गए तुम तो जादूगर हो l

ताई ने कहा - अगर तुम्हें नहीं पहचान पाया तो मैं इस दुनिया में किसी को भी नहीं पहचान पाऊँगा l

युन क्यूंग एक सुन्दर सी लड़की थी जो ताई की बचपन की दोस्त थी ताई ने कहा - तुम यहाँ क्या कर रही हो l

युन क्यूँग ने कहा - वो बस पिता जी चाहते हैं कि मैं तुमसे थोड़ी शिक्षा लूँ उसके बाद उनका राज्य सम्भाल लूँ अब तुम्हीं बताओ मैं उनकी बात टाल सकती हूँ l

ताई ने हँसते हुए कहा - हाँ ये सही किया तुमने वैसे तुम्हारा भाई कहाँ है क्या वो भी आया है ?

युन क्यूँग ने इधर उधर देखते हुए कहा - हाँ वो भी आया है यहीं कहीं होगा किसी लड़की को खुश कर रहा होगा l

ताई हँसने लगा और कहा - कोई बात नहीं l

शिद्दत को उन्हें साथ देखकर जैसे दिल में बेचैनी हो रही थी उसे महसूस होता है कि उससे साँस भी नहीं ले जा रहा है उसने एक गहरी साँस ली उसकी बेचैनी फिर भी खत्म नहीं हुई तो उसने हाथ दीवार पर कसकर मारा l

अरे ये क्या किया, एक अजनबी लड़के ने उसका हाथ पकड़ देखते हुए कहा शिद्दत उसकी तरफ देखने लगी वो लड़का शिद्दत का खूबसूरत सा चेहरा देखा तो बस देखता ही रह गया वो उसे निहारने लगता है l

शिद्दत उससे अपना छुड़ा लेती है वो लड़का अपने होश में आता है और शिद्दत का चोट लगा हाथ अपने हाथों में लेकर उसे देखते हुए कहता है - तुम्हारा हाथ ज़ख्मी हो चुका है l

शिद्दत कहती है - नहीं ज्यादा चोट नहीं लगी है तुम मेरी चिंता मत करो l

वो उसके हाथ पर एक पट्टी बाँधते हुए कहता है - अरे ऐसे कैसे जो तुम्हारी चिंता न करे वो ये योंग नहीं l

क्यूँग ताई से बातें कर रही थी तभी उसकी नजर ये योंग पर जाती है जो शिद्दत से हंसकर बातें कर रहा था ये योंग ने कहा - देखो तुम अभी मेरे भाई के बारे में पूछ रहे थे न वो देखो वो रहा किसी लड़की से बात करता हुआ l

ताई देखता है तो उसे भी वही हो रहा था जो थोड़ी देर पहले शिद्दत को महसूस हुआ लेकिन उसने अपने चेहरे पर एक शिकन भी नहीं आने दी l

शिद्दत ने हैरानी से पूछा - ये.. ये योंग कौन है ?

ये योंग ने उसे देखा और कहा - तुम ये योंग को नहीं जानती शिद्दत ने उसी लहजे में कहा - नहीं कौन है ?

ये योंग ने अपने सर पर हाथ रखा और फिर उससे कहा - वो मैं हूँ l फिर ये योंग ने उसे ध्यान से देखते हुए कहा - जरा एक पल रुकना क्या तुम यहाँ से नहीं हो l

शिद्दत - नहीं मैं बाहर देश से हूँ l

ये योंग ने कहा - तभी तो मैं कहूं की ऐसा कौन है जो मुझे नहीं जानता कोई बात नहीं वैसे इस खूबसूरत लड़की का नाम क्या है जरा बताएंगी l

शिद्दत - अ... वो... l

अनाया नाम है उसका, ताई ने कहा तो दोनों ताई की तरफ देखने लगे ये योंग ने मुस्कुराते हुए कहा - हम्म... हो तो मतलब इस खूबसूरत सी बला का अनाया है बहुत ही सुंदर नाम है जैसी तुम हो वैसे ही सुन्दर तुम्हारा नाम l

ये सुनकर शिद्दत झूठी स्माइल करती है और ताई तो अपनी मुट्ठी बाँध लेता है l

शिद्दत कहती है - अच्छा मैं चलती हूँ मुझे कुछ चीजें याद करनी है और इसके लिए धन्यवाद l

शिद्दत ने अपना दिखाते हुए कहा l

ये योंग - कोई बात नहीं ये तो मेरा फर्ज है l

ताई ने शिद्दत का हाथ देखा और उसका हाथ पकड़कर हैरानी और चिंता से पूछा - ये क्या हुआ तुम्हें चोट कैसे लगी

शिद्दत को थोड़ी देर पहले की बात याद आती है जो उसने अभी खुद को ही चोट दी थी l

शिद्दत उससे हाथ छुड़ाकर कहती है - कुछ नहीं हल्की सी चोट लग गयी थी ज्यादा नहीं लगा है लेकिन फिर भी इसने कपड़ा बाँध दिया l

ये योंग ने कहा - अरे ये कपड़ा बाँधना जरूरी था ये कपड़े का टुकड़ा तुम्हारे हाथ में बंधने के बाद खुद को भाग्यशाली मान रहा होगा तुम जैसी खूबसूरती अगर इस संसार में नहीं हुई तो हम जैसे लोगों का क्या होगा इस संसार का क्या ही होगा l

शिद्दत उसकी बातें सुनकर हँसने लगी ये देख ताई को ये योंग के ऊपर गुस्सा आ रहा था युन क्यूँग ने कहा - ये कुछ भी बोलता रहता है इसकी बातें ल़डकियों को गोल - गोल घुमाने वाली होती हैं l

शिद्दत ने ये योंग से कहा - तुम बातें अच्छी कर लेते हो l

ये सुनकर ये योंग उसके सामने सर झुका देता है l

शिद्दत चली गई ये योंग अपने दिल पर हाथ रख कर उसे जाते हुए देख कहता है - हाय... लड़की मुस्कराई मतलब मेरा दिल अपने साथ ले गयी l

ताई ने कहा - वो ऐसी लड़की नहीं है उसके बारे में ऐसी सोच मत रखो l

ये योंग ने अपने हाथ बाँधा और उसे देखते हुए कहा - तुम्हें बड़ा पता है क्या वो तुम्हारे दिल के करीब है l

ताई हिचकिचाते हुए कहता है - नहीं ऐसी बात नहीं है बस मैंने वही कहा जो मैं उसके बारे में जानता हूं l

ओंग ने कहा - चलो तब तो और भी अच्छा है वो पूरी तरह से पवित्र है और मैं एक ऐसी ही लड़की से शादी करना चाहता था l

ताई के चेहरे पर अब गुस्से के भाव आने लगे थे वह गुस्से में वहाँ से चला जाता है ओंग ने कहा - अब इसे क्या हुआ ?

क्यूँग ने कहा - लगता है इसे भी वही पसंद है l

वो दोनों वहाँ से चले जाते हैं ताई इस वक़्त एक नदी के किनारे ध्यान मुद्रा में बैठा था उसकी आँखे बंद थी वो ध्यान में जाने की कोशिश कर रहा था लेकिन वो कर नहीं पा रहा था क्योंकि उसका ध्यान तो कहीं और था थोड़ी देर पहले हुई बातें उसके दिमाग में चल रही थी l

वो थक हार कर आँखे खोलता है - मैं क्यों ध्यान नहीं लगा पा रहा बार - बार मेरा ध्यान उस तरफ क्यूँ जा रहा है मुझे विश्वास है उसे सब कुछ याद आ जाएगा तो वो मेरे पास आ जाएगी और नहीं भी याद आया तो भी वो मेरे पास ही आएगी मुझे खुद से ज्यादा उस पर विश्वास है l

उसे विश्वास था लेकिन एक डर भी था जो आज ओंग ने कहा था ताई फिर से आंखे बंद कर ध्यान करने लगता है l

ताई बहुत उदास था वो उसी को अपने ध्यान में ढूँढ रहा था जिसे वो हमेशा याद करता है वही भागती हुई लड़की उसके उड़ते बाल उसके चेहरे पर आ रहे थे उसकी वही आँखे और एक तड़प भरा इंतजार उसके बंद आँखों से आंसू गिर कर उसके गाल पर आ जाते हैं l

शिद्दत अपने कमरे के खिड़की के पास खड़ी थी तभी उसे सीने में दर्द होता है वो अपना हाथ सीने पर रख लेती है उसे भले ही नहीं पता था कि उसे दर्द क्यों रहा है लेकिन ताई का उदास होना उसे महसुस हो गया था उसके भी आँखों से अपने आप ही आंसू गिरने लगे l

वो खुद से कहती है - ये क्या हो रहा है मेरे सीने में दर्द क्यों हो रहा है और ये अपने आप ही मेरे आँखों से आंसू क्यों आ रहे हैं क्या कोई दुखी है l

उसने अपने गाल पोंछे और बाहर आयी वो बेचैन होकर किसी को ढूँढ रही थी l

तभी ओंग उसे देख उसके पास आता है और उससे कहता है - क्या हुआ तुम किसी को रही हो ?

शिद्दत ने बिना उसकी ओर देखे ही कहा - हम्म...

किसे, ओंग ने पूछा l

शिद्दत ने साँस लेते हुए कहा - अ... पता नहीं l

ओंग ने confusion से कहा - पता नहीं तुम्हें नहीं पता अरे जब तक पता नहीं होगा तुम उस शख्स को ढूँढोगी कैसे l

शिद्दत ने कहा - ढूँढ लूँगी वो शख्स मेरी रूह में बसा है उसे ढूंढ लूँगी जहाँ भी है वो मैं उस तक पहुंच जाऊँगी l

शिद्दत ये बातें बिना होश के कह रही थी तभी उसे कुछ आवाज़ें सुनाई देती हैं - तुम जहाँ भी होगे मैं तुम्हें आसानी से ढूँढ लूँगी क्योंकि तुम में मैं ही तो बसी हूँ अपने आप को ढूँढ पाना मुश्किल नहीं है l

ये कहकर वो हँसने लगती है शिद्दत अपने दोनों कानों पर हाथ रखे हुए थी क्योंकि वो हँसी की आवाज उसके कानों में चुभ रही थी उसे चक्कर आ रहा था और उसके आँखों से आंसू गिर रहे थे l

ओंग ने कहा - क्या हुआ ?

शिद्दत बेहोश होकर गिरने लगी तभी उसे किसी ने उसे पकड़ लिया वो अपनी आँख खोलकर देखती है तो उसे ताई ने पकड़ा था जो उसे ही देख रहा था वो उसे देख मुस्कराती है ताई के आँख से आंसू आकर शिद्दत के गाल पर गिरता है और उसके आँसू उसमे मिलकर नीचे जमीन पर गिरता है सिद्दत उससे कहती है - देखा मैंने ढूँढ लिया तुम्हें.. तुम.. मेरा.. मेरा इंतजार.. कर रहे हो न.. मैं आ.. गयी.. सिर्फ तुम्हारे लिए.. सिर्फ तुम्हारे.. लिए.. l

ये कहकर वो अपनी आँखे बंद कर लेती है ताई उसे उठाकर उसके कमरे में ले जाता है और जो उनके आंसू जमीन पर गिरे थे वो एक पौधे में बदल गया l

Continue...