Chapter - 27
शिद्दत ने आँखे खोली और चारो तरफ नज़रें घुमाकर देखने लगी दिन हो गया था वहाँ सब कुछ शांत कोई नहीं था वो जगह पूरी तरह से खाली था शिद्दत खड़ी हुई और कहा - ये क्या इतनी जल्दी दिन कैसे निकल आया और ये सभी कहाँ चले गए मुझे ध्यान से उठाया क्यों नहीं और कोई नहीं दिख भी रहा है l
शिद्दत सभी तरफ देखती है अंदर भी देखती है वहाँ कोई नहीं था वो कबीले से बाहर जाती है देखती है सभी के घर के दरवाजे खुले हैं और सामान बिखरे हुए हैं वो सोचने लगी - अभी तक तो सभी यहीं पर थे एक क्षण में पूरा गाँव खाली कैसे हो गया l
वो सभी ओर घबराते हुए ढूंढने लगी कोई नहीं दिखा तभी उसे आभास हुआ कि उसके आसपास कुछ है वो शांत होकर ध्यान से उसे देखने लगी उसे कुछ नहीं दिखा लेकिन तभी सामने से एक काला बाण उसकी तरफ तेजी से आने लगा वो बाण उसके पास पहुँचता उससे पहले ही शिद्दत हट गयी और वो बाण किसी काले साए को लग गया l
और वो तेज आवाज में चीखा और गायब हो गया वहाँ बहुत सारे असुर प्रकट हो गए उन्होंने काले वस्त्र पहनें हुए थे मुँह पर एक एक काला कपड़ा बाँधा था उनकी बस आँखे दिख रहीं थीं जो लाल थीं l
शिद्दत ने पूछा - कौन हो तुम सब और मेरे दोस्त मेरे गुरु और गाँव वाले सभी लोग कहाँ हैं बताओ l
एक साया ने अपनी भारी और काफी डरावनी आवाज में कहा - हम कालिका के सैनिक और तुम्हारे सभी दोस्त, गुरु, गाँव वाले भी वहीँ हैं उनके कैद में l
दूसरे ने कहा - और हम तुम्हें भी लेने आए हैं आखिर तेरी वज़ह से ही हमारे महाराज के प्रिय सेवक का तुम्हारे उस साथी ने जला कर भस्म कर दिया उसी का बदला लेने आए हैं और तुम्हें भी बंदी बनाकर लेने के लिए आए हैं l
शिद्दत कुछ कर पाती उससे पहले ही उन सायों ने उसकी ओर ज़ंजीर फेंका और उसके पैर में बाँध दिया और उसे लेकर गायब हो गए l
कालिका अपने बड़े से सिंहासन पर बैठा था और अगल-बगल में लोहे के कमरों में गाँव वाले, गुरु जी और उसके सभी दोस्त बंद थे ताई बस ध्यान में लीन था कालिका एक भयानक और बहुत ही डरावना असुर था उसके बदन पर काले वस्त्र और सर पर मुकुट था l
कालिका हँसा और कहा - आज यहाँ से कोई भी बचकर नहीं जाएगा मैं बुराई फैलाने की कोशिश कर रहा हूँ और तुम लोग प्रेम प्रेम खेल रहे हो तुम सबको पता नहीं कि मैं इस संसार का देवता हूँ बुराई का देवता मैं कालिका हूँ l
युन उस पर चिल्लाई - हमें छोड़ दो हमनें क्या किया है ऐसा
सिमी - इन्हें जाने दो ये छोटे - छोटे बच्चे बुढ़े कमजोर लोग है ये इन्हें जाने दो चाहे तो हमें गिरफ्त में ही रख लो l
युन ने कहा - तुम क्या बोल रहे हो पागल हो l
सिमी - तुम सिर्फ अपने बारे में सोच रही हो l
कालिका बोला - हे चुप तुम दोनों वरना सबसे पहले तुम दोनों की ही बलि चढ़ेगी l
दोनों चुप हो गए जियांग ने कहा - ये अनाया नहीं दिख रही भगवान करें वो सही सलामत रहे l
युन ने मन में कहा - ऐसे कैसे मैं यहाँ फंसी हूँ सिर्फ उसकी वजह से वो चिल्लाई तुमनें हमें तो पकड़ लिया लेकिन एक लड़की है जिसे तुम नहीं पकड़ पाए और उसे कभी पकड़ भी नहीं पाओगे l
कालिका को गुस्सा आ गया और उसने अपना हाथ युन की तरफ बढ़ा दिया और उसका गला पकड़ लिया - तुम्हारी ये हिम्मत की तुम मुझे चुनौती दो इस संसार का सबसे शक्तिशाली दानव हूँ ऐसा कोई काम नहीं ऐसा कोई इंसान नहीं जो मेरे हाथ न लगे l
वो हँसा तभी हवा में वो असुर प्रकट हुए कालिका ने युन को छोड़ दिया और कहा - क्या तुम लोग ले आए उसे जिसका मैं सदियों से इंतजार कर रहा हूं l
उन असुरों ने सर झुकाकर कहा - जी महाराज l
और उन सभी ने हाथ से जादू किया उन्हें शिद्दत दिखने लगी शिद्दत सामने देखती है l
तो सभी लोहे के अंदर बंद हैं ताई ध्यान में है कालिका शिद्दत को देखते ही उस पर मोहित हो गया वो उसके पास आया उसने उसके चक्कर लगाते हुए चेहरे पर एक मुस्कान लिए कहा - वाह.. ऐसा दृश्य मैंने इतने सालों बाद देखा मैं धन्य हो गया तुम कितनी सुन्दर हो l
तुम्हारे नैन दिल को चीर दे तुम्हारे होंठ गुलाब से भी ज्यादा कोमल है तुम्हारे बदन दूध की तरह गोरा और मुलायम है तुम्हारे बाल ( उसने उसके बाल को छूने की कोशिश की लेकिन छू नहीं पाया ) काले अंधेर की तरह हैं तुम्हारी जितनी भी तारीफ की जाए कम है l
शिद्दत ने गुस्से से बिना उसकी ओर देखे पूछा - कौन हो तुम और इन लोगों को बंदी क्यों बनाया है क्या चाहिए तुम्हें ?
कालिका हँसा और उसके सामने आया - तुम मुझे तुम चाहिए l
ताई ने अपनी आंखें खोली और सामने उनकी तरफ देखने लगा l शिद्दत बोली - कौन हो तुम ?
मैं वो हूँ जो आसानी से हर किसी के दिल पर राज करता हूँ मैं वो हूँ जो प्यार को नफरत में बदल देता, स्नेह को निर्दयता में, आकर्षण को मोह में बांध देता हूँ l
मैं वो हूँ जो भरोसे को क्षण भर में छल में बदल देता हूँ मैं वो हूँ जिसकी उपासना को नास्तिकता, जुनून को जिद्द और जीवन को मृत्यु में बदलकर आत्मा को यहीं इसी संसार में भटकाता हूँ और उसे परमात्मा से कभी नहीं मिलने देता l
मैं अच्छाइ पर बुराई की जीत और इस ब्रम्हांड का स्वामी कालिका हूँ और तुम...
जैसे ही उसने उससे उसका परिचय पूछा उसे अचानक से शिद्दत के अंदर से एक ऊर्जा का आभास हुआ शिद्दत के कपड़े बदल गए सर पर छोटा सा मुकुट गले में मोतियों के हार, हाथों में मोती के कंगन, बाजूबंद, सफेद लहराते वस्त्र
कालिका ने अपना सर झटका और वापस से देखा तो शिद्दत बेड़ियों में बँधी थी कालिका के तो एक बार के लिए डर से पसीने छूटने लगे लेकिन फिर उसने कहा - तुम जो कोई भी हो लेकिन मेरे असुर तुम्हें बंदी बनाकर ले ही आए l
शिद्दत उन गाँव वालों और बच्चों को देखती है जो डरे सहमे हुए थे शिद्दत ने कहा - इन सभी को छोड़ दो और तुम जो कहोगे मैं करुँगी l
कालिका - ऐसे कैसे छोड़ दूँ मेरे असुरों ने इतनी मेहनत से इन सबको मेरे पास लेकर आए और ये सारे राजकुमार भी तो हैं और खास कर मुख्य भावी सम्राट ताई जोंग इसे कैसे जाने दूँ यही तो है जो मेरी शक्तियों को कम कर रहा है l
उसने ताई को बाहर निकाला उसे भी जंजीरों में बाँध रखा उसने उसके कान में धीरे से बोला - आखिर तुम्हारा इंतजार सफल हुआ अखिरकार तुम्हारी प्रेमिका आ ही गयी अब तो आनंद ही आनंद है तुम दोनों को फिर से अलग करना मेरा सौभाग्य होगा l
ताई उसे गुस्से से घूर कर देखता है तो कालिका हँसने लगा उसकी हँसी उस इलाके में गूँज रही थी शिद्दत चिंता में थी इसे मैंने कहीं तो देखा है लेकिन कब और कहाँ मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है कि मैं इससे पहले भी मिल चुकी हूँ l
शिद्दत अपनी आँखे बंद करती है तो उसे कुछ धुंधली दृश्य दिखाई देने लगे कुछ आवाजें भी सुनाई दे रही थी, मैं तुम्हारे हृदय से निकली हूँ, तुम्हें जब तक पा नहीं लेती तब तक तपस्या करुँगी, तुम दोनों दूसरे ब्रह्मांड के स्वामी होगे, सात - सात दरवाजे क्यूँ, ( कुछ + में दिखा ) तुम्हें अपने प्रेमी पर बहुत घमंड है न कि तुम कभी भी बिछड़ नहीं सकते जाओ मैं तुम्हें श्राप देता हूं तुम सात जन्मों के लिए बिछड़ जाओगे
शिद्दत ने अपनी आंखें खोली उसकी पलकें आंसुओं से भीगी थीं उसने बोला - सात जन्मों के लिए l
कालिका हँसते हुए बोला - अगर तुम मुझे मिल जाओ तो तुम्हें इस संसार की रानी बनाकर रखूँगा बस तुम्हें अपने अंदर से ये प्यार - व्यार, दया, भावना ये सभी चीजें निकालनी होंगी l
शिद्दत ने उसकी ओर देखा और शांत स्वभाव से मुस्कराइ कहा - वैसे तो मुझे पाने के लिए तुम्हें सात पड़ाव पार करने होंगे लेकिन तुम्हारे लिए मुझे पाने के लिए अपने हृदय में बस प्रेम लाना होगा नहीं तो मैं तुम्हें कभी भी नहीं मिलूंगी जो कि तुम्हारे हृदय में एक प्रतिशत भी नहीं है इसलिए मुझे भूल जाओ तुम्हारी ये अनन्त काल तक भी पूरी नहीं हो सकती l
सिमी - ये क्या बोल रही है l
युन - हूं ये देखो ये है इसकी पहचान l
कालिका गुस्से में आ गया और उसने अपने लोहे के पिंजरे में बंद सभी को कष्ट पहुंचाने लगा ये देख शिद्दत और ताई ने उन्हें छोड़ने को कहा l
शिद्दत - उन्हें छोड़ दो l
ताई - उन्हें जाने दो वो तुम्हारा अत्याचार सहन नहीं कर पायेंगे l ताई ने निवेदन किया l
शिद्दत ताई को ऐसा करता देख कालिका पर गुस्सा आने लगा उसके ऊपर जुनून सवार होने लगा l
कालिका अपनी जगह बैठ गया और कहा - इनका प्रहार तुम सहन करोगे l
ताई - ठीक है l
ताई कुछ कर भी नहीं सकता था क्योंकि उसकी सारी शक्तियां उसी दिन चली गई थीं जब उसने उस असुर को भस्म किया था ताई को कोड़े मारने के लिए छ: असुर खड़े हो गए l
शिद्दत ने कहा - नहीं इसे कुछ मत करो चाहो तो वो सजा मुझे दे दो लेकिन इसे मत मारो l
ताई ने उसकी तरफ देखा और मुस्कराने लगा उन असुरों ने अपना प्रहार जारी रखा जब - जब उस पर कोड़े पड़ते तो शिद्दत को अपने शरीर पर महसूस होता उसने अपनी आँखे बंद कर ली उसके आंसुओं से उसकी पलकें भीग गयी थीं l
उसने उसकी सारी अच्छी बातें याद की जब वो उसके साथ थी उसके गले लगे हुए, उसे अपने लिए चिंता करते देख, उस पर जब वो पानी बनकर बरसी थी और उसके सच्चे हृदय में अपने लिए प्यार महसूस किया उसके मुँह से खून निकल रहा था l
उसने अपनी आँखे खोली कालिका हँस रहा था उसके दोस्त ताई का नाम लेकर चिल्ला रहे थे गाँव वाले राजकुमार राजकुमार बुला रहे थे शिद्दत को उस कालिका पर गुस्सा आ रहा था उसकी काजल सी आँखे लाल हो गयीं उसने अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर ज़ंजीर को तोड़ा l
और उन असुरों के चाबुक को पकड़ लिया और इतनी तेज उन्हें खिंचा की सभी जमीन पर गिर पड़े और कहा - तुम लोगों ने बहुत बड़ी गलती कर दी मुझे या किसी अन्य को अगर तुमने पीड़ा पहुंचाई होती तो सजा कम मिलती लेकिन तुमने उसे पीड़ा दी जो मेरे ( उसने सीने पर हाथ रख कर कहा ) हृदय में वास करता है l
यहाँ से एक भी शैतान बचकर जा नहीं पाएगा l
कालिका ने कहा - तो फिर चलो खेल शुरु करते हैं l
शिद्दत के चारो तरफ वो सारे असुर थे और ताई कमजोर होने की वजह से जहां था घुटनों के बल बैठा रहा और देखने लगा l
वो सभी चारो तरफ घूमने लगे उन्हें क्या पता जिससे वो लड़ने आए हैं वो कोई साधारण नहीं बल्कि एक विश्व कर्ता है जैसे ही उन सभी ने अपनी शक्ति से हमला किया शिद्दत उनकी सारी शक्तियां खींचने लगी और खुद में समाने लगी l
ये दृश्य देखकर सभी हैरान रह गए सिवाय ताई के वो मुस्करा रहा था ये देख सारे असुरों ने एक साथ शिद्दत पर हमला कर दिया शिद्दत ने अपनी दो उंगली से हवा में उंगलिया फिराई और ऊँ का आकार बन गया उसने उसे उनकी तरफ कर दिया वो ऊँ उनको स्पर्श करते ही सब बेहोश हो गए l
फिर शिद्दत ने आसमान में एक गोल चक्र बनाया वो चक्र घूम रहा था सारे असुरों की ऊर्जा उसमें जाने लगी सारे पिंजरे खुल गए सभी बाहर आ गए कालिका गुस्सा हो गया और उसने ताई की गर्दन पर तलवार रख दिया l
कालिका - तुमने मेरे सारे असुरों को खत्म कर दिया अब मैं इसे ही समाप्त कर दूँगा l
उसने जैसे ही तलवार चलाने लगा शिद्दत ताई के शरीर के मे समा गयी और वो जाकर कालिका के सिंहासन पर एक पैर क्रॉस कर बैठ गया वो कभी ताई में बदलता कभी शिद्दत में और हँसते हुए कहा - तुम सच में पागल हो मैं यहाँ तुम्हारे बंदी बनाने से नहीं आया बल्कि मैं यहाँ खुद आयी l
वो खड़ा हुआ और उसने कालिका को ज़ंजीर पहनाकर वहीँ धरती के नीचे फेंक दिया और उस तरफ का दरवाजा बंद कर दिया शिद्दत ताई के शरीर से बाहर निकली ताई घुटनों के बल बैठ गया l
शिद्दत भी उसके सामने बैठ गयी और अपना सर उसके सर से छुआ ताई के सारे घाव समाप्त हो गए शिद्दत ने उसके दोनों गालों पर हाथ रखा और रोते हुए पूछा - तुम तुम ठीक हो न मैं कितनी डर गयी थी तुमनें क्यों अपनी सारी शक्तियाँ उस असुर पर समाप्त करी l
ताई हँसा और कहा - बस भी करो अब क्या तुम जान लोगी
शिद्दत - चुप रहो तुम कुछ भी मत कहो भला कोई अपनी ही जान कैसे ले सकता है और अगर तुम्हीं नहीं रहोगे तो मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं है l
ताई ने नासमझी से कहा - मतलब...
शिद्दत - अरे मेरी शिक्षा अगर अधूरी रह गयी तो मेरे पिता मेरी जान ले लेंगे अभी चलो l
युन ताई के पास आयी और उस की चिंता कर उसके गालों पर हाथ रख पूछा - तुम ठीक हो न अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो...
शिद्दत ये देख खड़ी हुई हुई और अपने कदम पीछे ले जाने लगी उसके दिल में एक चुभन सी हो रही थी l
वो ताई को देख मुस्कराते हुए पीछे जाने पीछे कदम बढ़ाने लगी और वहाँ से भाग गयी l
ताई उसे जाता देख रोकना चाहता था लेकिन रोक नहीं पाया l
Continue...