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Vampire King true love

वतसल्या और नैना एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। जहां वात्सल्य नैना के साथ शादी करके अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने जा रहा था,तो वहीं पर अंधेरी दुनिया के राजा और वैंपायर किंग कनिक्स को भी तलाश है एक खास नक्षत्र में पैदा हुई लड़की की, जिसके लिए उसने सदियों से इंतजार किया है और जिसके साथ शादी करके उसे अपार शक्तियों वाली संतान प्राप्त होगी। कनिक्स की तलाश पूरी होती है नैना पर आकर.. क्योंकि नैना ही वह खास नक्षत्र में जन्मी हुई लड़की है जो कनिक्स के बच्चे को जन्म दे सकती है ऐसे में क्या वात्सल्य अपने प्यार को बचा पाएगा, एक इंसान और वैंपायर की जंग मे कौन जीतेगा अपने प्यार के लिए।

Soo_Haa · Fantasía
Sin suficientes valoraciones
9 Chs

episode 3

वात्सल्य एयरपोर्ट पर बैठा हुआ था और अपनी फ्लाइट का इंतजार कर रहा था। अगले आधे घंटे में उसकी फ्लाइट इंडिया के टेक ऑफ करने वाली थी।

  वात्सल्य बेचैनी से दरवाजे की तरफ देख रहा था क्योंकि उसे नैना का इंतजार था, जब से पार्टी में नैना ने उसके जाने की खबर सुनी थी, उसके बाद से ही वह वात्सल्य से मिलने नहीं आई थी और ना ही उसका फोन उठा रही थी। पार्टी से जाने के बाद नैना और वात्सल्य के बीच कोई बात नहीं हुई थी।

  वात्सल्य ने उससे बात करने की बहुत कोशिश की और उसे समझाना भी चाह था कि इस वक्त उसका इंडिया जाना जरूरी है, लेकिन वह जल्दी वापस आएगा।

  रावी और केतन उसके साथ ही थे, लेकिन पता नहीं क्यों आज अचानक से वो दोनों भी उसे एयरपोर्ट छोड़ने नहीं आए।

  वात्सल्य को जल्दी निकलना था, इसीलिए वो अपनी फ्लाइट का इंतजार करने लगा.. पर उसकी नजर बराबर दरवाजे के ऊपर थी! ये सोचते हुए कि उसके दोस्त उसे छोड़ने तो जरूर ही आएंगे, वो अपने दोस्तों से मिले बिना कैसे जा सकता है? लेकिन इस वक्त उसका जाना भी जरूरी था, तभी अनाउंसमेंट होती है कि इंडिया जाने वाली फ्लाइट रनवे पर आ चुकी है, जितने भी पैसेंजर है वो फ्लाइट की तरफ रवाना हो जाए। 

 वात्सल्य की आखिरी उम्मीद भी टूट गई। आखिरकार वो तीनों ही वात्सल्य को एयरपोर्ट छोड़ने नहीं आए और ना ही आखरी बार उससे मिलने आए थे।

  वात्सल्य को खुद नहीं पता था कि वो वापस कब आएगा? इसीलिए उसने किसी से कुछ नहीं कहा। वो चुपचाप अपनी जगह पर खड़ा होता है और अपने लगेज की ट्रॉली लेता हुआ आगे की तरफ बढ़ जाता है,,पर जैसे ही वो सिक्योरिटी चेक के पास पहुंचता है उसे पीछे किसी ने पुकारा।  

 वात्सल्य....

 वात्सल्य रुक जाता है और हैरानी से पलट कर पीछे देखता है। अपने सामने खड़े लोगों को देखकर वो एकदम हैरान हो जाता है।

  केतन, रावी और नैना तीनों उसके सामने खड़े थे और सबसे हैरानी की बात तो ये थी कि उन तीनों के हाथ में भी उनके लगेज थे। वो तीनों अपने बैग को लेकर वात्सल्य के पास आते हैं।

  वात्सल्य उन तीनों को हैरानी से देख रहा था और वो उनके बैग को देखते हुए कहता है "ये सब क्या है? तुम लोग कहां जा रहे हो?"

 केतन वात्सल्य से कहता है "तुझे क्या लगा हम अपने दोस्त को इस बुरे वक्त पर अकेला छोड़ देंगे। अरे दोस्ती की है मरते दम तक निभाएंगे.. जब सुख में तेरे साथ थे, तो दुख में तुझे अकेला कैसे जाने देंगे? हम सब भी तेरे साथ इंडिया जा रहे हैं। और देखना अंकल जब हम सबको देखेंगे ना, तो एकदम से ठीक हो जाएंगे, ये कहकर कि ऑस्ट्रेलिया से सारे कंगारू उनके घर में ही आ गए हैं।" 

 वात्सल्य के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। उसके दोस्त इस बुरे वक्त में उसके साथ खड़े थे, ये सोचकर वो खुद के ऊपर प्राउड फील कर रहा था कि उसके पास इतने अच्छे दोस्त हैं..लेकिन फिर उसने नैना को देखा और वो हैरानी से कहता है "नैना तुम इंडिया कैसे जा सकती हो? अगर तुम्हारे पेरेंट्स को पता चल गया तो?"

  नैना उसकी तरह देखते हुए बोली "नहीं पता चलेगा, मैं उनके पता चलने से पहले ही वापस आ जाऊंगी। मैं सच में तुम्हारे साथ इंडिया जाना चाहती हूं, मैं कभी इंडिया नहीं गई हूं और ना ही मुझे वहां के बारे में कुछ पता है। प्लीज तुम मुझे अपने साथ इंडिया ले चलो ना, मैं एक बार इंडिया जाना चाहती हूं और देखना चाहती हूं कैसा दिखता है इंडिया?

   मेरे पेरेंट्स तो मेरे पैदा होने पर ही ऑस्ट्रेलिया आ गए थे और उसके बाद वो लोग कभी इंडिया गए ही नहीं..ना ही मुझे जाने देते हैं। पता नहीं क्यों? लेकिन वो लोग इंडिया के नाम से बहुत घबराते हैं.. पर अब मुझे मौका मिल रहा है तुम्हारे साथ इंडिया जाने का, तो मैं ये मौका गवाना नहीं चाहती हूं। प्लीज वात्सल्य मुझे अपने साथ इंडिया ले चलो ना। वैसे भी मुझे भी तो तुम्हारी फैमिली से मिलना है ना।"

 नैना की बात सुनकर वात्सल्य के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और उसने आगे बढ़कर नैना को गले लगा लिया। उसने एक हाथ से नैना को अपनी बाहों में भर रखा था और दूसरे हाथ से केतन के हाथों से अपना हाथ मिलाया..  

  वात्सल्य अपने दोस्तों के साथ इंडिया के लिए निकल जाता है। उसके दोस्त उसके साथ थे और ऑस्ट्रेलिया से इंडिया वो उनके साथ ही आए थे। 

 इंडिया पहुंचने के बाद ही वात्सल्य अपने दोस्तों को लेकर अपने घर के लिए निकल जाता है। दरअसल उसने किसी को नहीं बताया था कि वो इंडिया आने वाला है और वात्सल्य का घर मुंबई के सबसे फेमस इलाके में था।

 जैसे ही टैक्सी वात्सल्य के घर के बाहर रुकती है, उसके घर को देखकर बाकी तीनों की आंखें हैरानी से एक दम बड़ी हो जाती है। ये घर है या महल?

   जैसे ही वात्सल्य ने उन तीनों के मुंह को देखा, वो हंसने लगता है। सच में वात्सल्य का घर बहुत खूबसूरत था। उसने केतन के कंधे पर हाथ रखकर उसे होश में लाते हुए कहा "क्या बात है तुम लोगों के चेहरे के रंग क्यों उड़े हुए हैं?सी

 केतन रावी और नैना तीनों हैरानी से वात्सल्य को देखते हैं।

   केतन ने कहा "अब तू किसी राजा महाराजा के घर में रहता है क्या? कहीं ऐसा तो नहीं है कि हम अंदर जाएंगे तो दासियां हमारा स्वागत करेंगी और हमारे स्वागत में शामियाने लगे होंगे?"

 वात्सल्य जोर से हंसता है और हंसते हुए कहने लगा "अरे ऐसा कुछ भी नहीं होगा! दरअसल हमारा घर शुरू से ही ऐसा है..मेरे दादाजी ने इस घर को महल के जैसा बनाया है। उन्हें इस तरीके के महल जैसे घर बहुत पसंद थे और उसके बाद ये घर बहुत जगह पर फेमस हो गया है, तो पापा ने भी इस घर का इंटीरियर नहीं बदला है और आज भी इस घर का डिजाइन बिल्कुल महल की तरह ही है। आओ तुम्हें अपनी फैमिली से मिलवाता हूं।

 वात्सल्य जब अंदर जाता है तो सारे नौकर और सब लोग हैरान हो जाते हैं और शोर मचाते हुए सारे घर वालों को इकट्ठा कर देते हैं। वहां पर एक-एक करके घर के सभी लोग आते हैं और वात्सल्य सबसे मिलता है। 

  सबसे पहले उसकी मुलाकात अपने दादा जी से होती है। वो अपने दादा जी जयदेव दीवान के पैर छूता है और उसके बाद वो अपनी दादी तुलसी देवी दीवान के पैर छूता है।

  दादा जी और दादी मुस्कुराते हुए वात्सल्य के सिर पर हाथ रखते हैं और उसके बाद वात्सल्य की मां कविता दीवान वहां आती है। उनकी आंखों में आंसू आ गए थे वात्सल्य को देखकर, वो जल्दी से अपनी मां के गले लग जाता है।

 उसके बड़े भैया अंकित दीवान और उनकी वाइफ संध्या दीवान, अपनी दो साल की बेटी प्रियंका दीवान के साथ खड़े थे। 

  वात्सल्य अपने भैया भाभी के पैर छूकर वो प्रियंका को अपने गोद में लेता है और उसके माथे को किस करते हुए कहता है "मेरी पिंकी तो दो साल में कितनी बड़ी हो गई है।"

 वात्सल्य छोटी सी पिंकी को अपनी गोद में लेकर खेल रहा था, लेकिन तभी संध्या की नजर नैना पर जाती है और वो धीरे से कविता जी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहती है "मां यही है नैना, जिसकी तस्वीर मैंने वात्सल्य के सोशल मीडिया पर देखी है।"

 कविता जी मुस्कुराते हुए नैना के पास आती है।

  नैना जल्दी से उन्हें देखकर नमस्ते कहती है और अगले ही पल झुक कर उनके पैर छूने लगती है, पर कविता जी उन्हें बीच में रोक देती है और वो नैना के चेहरे को हाथों में रखते हुए कहती है "तुम तो बहुत सुंदर हो अपनी तस्वीरों से भी ज्यादा!"

 दादाजी नैना और सबके पास आते हुए कहते हैं "अरे हमें भी तो मिलवाओ वात्सल्य की गर्लफ्रेंड से।"

  जैसे ही नैना ने ये सुना उसका चेहरा शर्म से नीचे झुक जाता है और दादाजी दादी हंसने लगते हैं। यहां तक की बाकी सब की हंसने लगते हैं.. 

  संध्या ने कहा "नैना शर्माने की जरूरत नहीं है, दादाजी बहुत कूल है।"

 नैना की बात पर दादी ने कहा "हां बिल्कुल बुढ़ापा तो इन पर चढ़ा ही नहीं है, अभी भी अपने आप को जवान ही समझते हैं।"

  दादी की बात सुनकर दादाजी ने उन्हें कहा "अरे बुढ़िया होगी तू, मैं तो अभी भी जवान हूं क्यों ब्यूटीफुल लेडी?"

 दादाजी ने नैना से पूछा तो नैना ने मुस्कुराते हुए अपन सिर हां में हिलाया और कहा "बिल्कुल दादाजी आप तो अभी भी बहुत जवान है।"

 तभी वहां पर व्हीलचेयर पर वात्सल्य के पिता आते हैं, उन्हें अभी कुछ दिनों पहले हार्ट अटैक आया था.. इसलिए डॉक्टर ने उन्हें चलने फिरने से मना किया था। जिसके लिए व्हीलचेयर का सहारा ले रहे थे।

 मोहन दीवान जी वात्सल्य को देखकर खुश होते हैं और कहते हैं "वात्सल्य तुम आ गए! हम तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे।"

   वात्सल्य जल्दी से अपने पापा के पास आता है और कहता है "पापा ये अचानक से कैसे?"

 मोहन जी ने वात्सल्य के कंधे पर हाथ रखकर कहा "कुछ भी नहीं हुआ है, छोटा सा हार्ट अटैक है एल, ऐसे न जाने कितने हार्ट अटैक आए और चले गए. पर ये हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सके..लेकिन मुझे फिक्र बस इस बात की थी कि अगर मुझे कुछ हो जाएगा तो मैं आखिरी समय पर तुम्हें देख भी पाऊंगा या नही?" 

 वात्सल्य ने जल्दी से मोहन जी के मुंह पर हाथ रखकर ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा "प्लीज पापा ऐसी बातें मत कीजिए। आपको पता नहीं आपकी तबीयत के बारे में सुनकर मैं कितना डर गया था।"

 मोहन जी की नजर दरवाजे पर खड़े उन तीनों लोगों पर जाती है और वो मुस्कुराते हुए कहते हैं "ये तुम्हारे दोस्त हैं ऑस्ट्रेलिया वाले?"

 वात्सल्य ने हां में अपना सिर हिलाते हुए कहा "ये मेरे दोस्त हैं। वो केतन है, वो रावी है और पापा ये नैना है।" 

 नैना ने अपने दोनों हाथ जोड़ और मोहन जी देखते हुए कहा "नमस्ते अंकल जी..

 अरे अंकल आंटी क्या है? मम्मी पापा कहने की आदत डालो.. कविता जी ने मजाकिया अंदाज में कहा तो सब लोग हंस पड़ते हैं।

  दरअसल वात्सल्य ने नैना के बारे में सबको बता दिया था। सब लोग नैना को जानते थे और तस्वीरों से उसे पहचानते भी थे, लेकिन आज नैना को अपने सामने देख कर सब बहुत खुश थे।

 वहीं दूसरी तरफ,

 ठाकुर वीरेंद्र की हवेली में वो अपनी कमरे की खिड़की पर खड़े थे और बाहर बदलते हुए मौसम को देख रहे थे। काले बादलों ने उनकी हवेली के आसपास घेरा बना रखा था और बिजलियों का कड़कना बंद नहीं हो रहा था।

   ठाकुर साहब अपनी बुड्ढी हो चुकी नजरों से उन बादलों को देख रहे थे, तभी देखते ही देखते आसमान में बहुत सारे काले कौवे उड़ने लगते हैं। उन सारे काले कौवे की चीख इतनी ज्यादा थी कि ठाकुर साहब के कान चिर रही थी।

 अपने सामने इतना भयंकर नजारा देखकर ठाकुर साहब धीरे से अपने मन में कहते है "कुछ बुरा होने वाला है। लेकिन क्या? हमें महा पंडित जी से इस बारे में बात करनी होगी, इस तरीके से कौवे का आसमान में चिल्लाना अशुभ संकेत है।

 वही हवेली के थोड़ी ही दूर पर देवी मां के मंदिर के प्रांगण में खड़े महा पंडित जी आसमान में जब ये नजारा देखते हैं। तो अपनी आंखें बंद करते हैं और अपनी शक्ति से इस संकट को समझने की कोशिश करते हैं।

   अचानक से वो अपनी आंखें खोलते हैं और अपने हाथों की हथेलियों को देखकर कहते हैं "जिस अनहोनी को रोकने के लिए सारी कायनात एक हो गई थी, उसे चाहकर भी कोई नहीं रोक सकता है। ये संकेत है आने वाले संकट का ..

 वहीं पर दीवान मेंशन में,

 अपने कमरे की खिड़की पर खड़ी नैना जब बाहर इतने सारे को कौवे देखती हैं तो हैरान हो जाती है और अपने मन में कहती है "स्ट्रेंज! इंडिया में इतने सारे कौवे हैं.. ऐसा क्यों लग रहा है कि ये सारे कौवे मेरी खिड़की के बाहर ही शोर मचा रहे हैं? इतने बड़े आसमान में इन्हें क्या बस मेरी खिड़की नजर आई है।"

 नैना ना में अपना सिर हिलाती है और खिड़की बंद कर देती है, जैसे ही वो खिड़की बंद होती है, वैसे ही एक-एक करके सारे कौवे आसमान में इधर-उधर हो जाते हैं।