आकाश को कबड्डी खेलना अच्छा लगता था। वह इंटर स्कूल की खेलों में भाग भी लेता था। आकाश अपने स्कूल में ही अपने कुछ दोस्तों के साथ कबड्डी खेल रहा था । उसके कुछ साथी आउट हो चुके थे अब आकाश की जाने बारी थी ।
आकाश कबड्डी कबड्डी करते हुए जाता है लेकिन वह गिर जाता है। उसके घुटनों में काफी चोट लगती है। वह प्राथमिक चिकित्सा करवा कर फिजिक्स कि क्लासरूम में बैठा था ।
प्रेरणा फिजिक्स क्लासरूम के बाहर से जा रही थी । प्रेरणा का ध्यान एक रोते हुए लड़के पर पड़ती है । वह उस लड़के के पास जाती है और देखती है रोने वाला लड़का आकाश है । वह आकाश से पूछती है -
" क्या हुआ , रो क्यूं रहे हो "
" मेरे पैरों में कबड्डी खेलते हुए चोट लग गई " (आकाश रोते हुए प्रेरणा से बोलता है)
" बहुत ज्यादा चोट लगी है " (प्रेरणा कि आवाज में उसके लिए फिक्र पता चल रही थी)
" हां , और देखो न मेरी फिजिक्स के सम्स भी बनाना पूरे नहीं हुए हैं "( आकाश की स्थिति चिंताजनक थी)
" ठीक है तुम रोओ मत , मैं बना देती हुं । तुम अपनी कॉपी दो मुझे "
प्रेरणा आकाश की कॉपी लेकर उसके सारे सम्स बना देती है । आकाश चुपचाप उसे केवल देखता ही रहता है । इस तरह दोनों दोस्त बन जातै है ।